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2 कुरिन्थियों 10

10
प्रेरितीय अधिकार का प्रयोग
1मैं-पौलुस-मसीह की नम्रता और दयालुता के नाम पर आप लोगों से यह निवेदन कर रहा हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि मैं आप लोगों के सामने दीन-हीन हूँ, किन्‍तु दूर रहने पर निर्भीक।#1 कुर 2:3; गल 5:2 2मैं आप लोगों से अनुरोध कर रहा हूँ-आप ऐसा करें कि आप लोगों के साथ रहते समय मुझे निर्भीकता न दिखलानी पड़े, क्‍योंकि जो लोग समझते हैं कि हम सांसारिक मनुष्‍य की तरह#10:2 शब्‍दश:, “शरीर के अनुसार”। आचरण करते हैं, मैंने उनके साथ कठोर व्‍यवहार करने का संकल्‍प किया है।#1 कुर 4:21 3हम संसार में रहते हैं अवश्‍य, किन्‍तु हम सांसारिक मनुष्‍य की तरह संघर्ष नहीं करते। 4-5हमारे संघर्ष के अस्‍त्र-शस्‍त्र सांसारिक नहीं हैं, बल्‍कि उन में परमेश्‍वर का सामर्थ्य विद्यमान है, जिससे वे हर प्रकार के किले नष्‍ट कर सकते हैं।#इफ 6:13-17 हम कुतर्कों और घमण्‍ड से उत्‍पन्न उन सब बातों का खण्‍डन करते हैं, जो परमेश्‍वर को जानने में बाधक हैं। हम प्रत्‍येक विवेकशील मनुष्‍य#10:4-5 शब्‍दश:, “विचार”। को मसीह की अधीनता स्‍वीकार करने को बाध्‍य करते हैं। 6और जब आप लोगों ने उस अधीनता को पूर्ण रूप से स्‍वीकार किया, तो हम किसी भी अवज्ञाकारी को दण्‍ड देने के लिए तैयार हैं।#2 कुर 2:9 7जो बात आँखों के सामने स्‍पष्‍ट है, उसे आप लोग देख लें। यदि कोई समझता है कि वह मसीह का है, तो वह फिर विचार करने पर यह समझ लेगा कि जिस तरह वह मसीह का है, उसी तरह हम भी मसीह के हैं। 8आपके विनाश के लिए नहीं, बल्‍कि आपके आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए हमें प्रभु से जो अधिकार मिला है, यदि मैं उस पर कुछ अधिक गर्व कर रहा हूँ, तो मुझे इस बात की कोई लज्‍जा नहीं है।#2 कुर 12:6; 1 कुर 5:4-5 9आप यह न समझें कि मैं अपने पत्रों द्वारा आप को भय दिखाना चाहता हूँ। 10कुछ लोगों का कहना है-उसके पत्र कठोर और प्रभावशाली हैं, किन्‍तु जब वह स्‍वयं आता है, तो उसका शरीर दुर्बल लगता है और उसकी बोलने की शक्‍ति नहीं के बराबर है। 11जो लोग यह कहते हैं, वे इस पर विचार करें कि हम दूर रहते हुए पत्रों में जो बातें लिखते हैं, उन्‍हें आप के यहाँ विद्यमान रहते हुए कार्य में कर दिखाएँगे।#2 कुर 13:2,10
सन्‍त पौलुस महत्‍वाकांक्षी नहीं हैं
12जो लोग अपनी ही सिफारिश करते हैं, हम उनके बराबर होने या उनसे अपनी तुलना करने का साहस नहीं करते। वे अपने ही मापदण्‍ड से अपना मूल्‍यांकन करते और अपने से अपनी तुलना करते हैं। इस प्रकार वे अपनी मूर्खता का परिचय देते हैं।#2 कुर 3:1; 5:12 13हम अपनी सीमा का उल्‍लंघन करते हुए गर्व नहीं करेंगे। परमेश्‍वर ने हमारे लिए कार्य-क्षेत्र की जो सीमा निर्धारित की और जिसमें आप लोग भी सम्‍मिलित हैं, हम उसके भीतर रहेंगे।#रोम 12:3 14हम अपने कार्य-क्षेत्र का उल्‍लंघन नहीं करते, यद्यपि हम आपके यहाँ अवश्‍य आए थे। आप लोग हमारे क्षेत्र के भीतर हैं, क्‍योंकि हम ने पहले-पहल आप के यहाँ मसीह के शुभ समाचार का प्रचार किया। 15हम अपनी सीमा का उल्‍लंघन करते हुए दूसरे के परिश्रम पर गर्व नहीं करते, बल्‍कि हम आशा करते हैं कि ज्‍यों-ज्‍यों आप लोगों का विश्‍वास बढ़ता जाएगा, आप लोगों में हमारे कार्य-क्षेत्र का भी विस्‍तार होगा#रोम 15:20 16और हम अन्‍य दूरवर्त्ती क्षेत्रों में शुभ समाचार का प्रचार करेंगे। इस तरह दूसरों के क्षेत्र में जो कार्य हो चुका है, हमें उस पर गर्व करने की जरूरत नहीं होगी।#प्रे 19:21 17धर्मग्रन्‍थ में कहा गया है, “यदि कोई गर्व करना चाहे, तो वह प्रभु पर गर्व करे।”#यिर 9:23; 1 कुर 1:31 18इसलिए जो अपनी सिफ़ारिश करता है, वह नहीं, बल्‍कि जिसे प्रभु की सिफ़ारिश प्राप्‍त है, वही सुयोग्‍य है।#1 कुर 4:5

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