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2 इतिहास 9

9
शबा देश की रानी का आगमन
1शबा देश की रानी ने राजा सुलेमान की कीर्ति सुनी। उसने पहेलियों से उसकी परीक्षा करने के लिए यरूशलेम नगर को प्रस्‍थान किया।#मत 12:42 उसके साथ असंख्‍य सेवक-सेविकाएं और बहुमूल्‍य उपहार थे। मसाले, प्रचुर मात्रा में सोना और मणि-मुक्‍ता ऊंटों पर लदे हुए थे। वह राजा सुलेमान के पास पहुंची। उसने अपने मन की सब बातें सुलेमान से कहीं।#1 रा 10:1-29 2राजा सुलेमान ने उसकी सब पहेलियों को हल कर दिया। राजा से एक पहेली भी नहीं छिपी थी, जिसको वह बूझ न सका। 3जब शबा देश की रानी ने यह सब देखा−सुलेमान की बुद्धि, उसका नव-निर्मित महल, 4दस्‍तर-ख्‍वान#9:4 देखिए 1 राजा 10:5 की टिप्‍पणी। पर परोसा गया राजसी भोजन, उसके उच्‍चाधिकारियों के आसन, परिचारकों की सेवा और उनकी पोशाक, उसके साकी और उनकी पोशाक, तथा अग्‍नि-बलि जो वह प्रभु के भवन में चढ़ाता था, तब वह आश्‍चर्य से स्‍तब्‍ध रह गई। 5उसने राजा सुलेमान से कहा, ‘जो बातें आपके विषय में, आपकी बुद्धि के विषय में मैंने अपने देश में सुनी थीं, वे सब सच निकलीं। 6मैंने उन बातों को सुनकर उन पर विश्‍वास नहीं किया था। पर जब मैं यहां आई, और स्‍वयं अपनी आंखों से देखा तब मुझे विश्‍वास करना पड़ा। निस्‍सन्‍देह आपकी विशाल बुद्धि के विषय में मुझे आधा ही बताया गया था। आप तो उससे कहीं अधिक महान् हैं, जितना मैंने सुना था। 7सौभाग्‍य-शाली है आपकी जनता! सौभाग्‍यशाली हैं आपके ये दरबारी, जो आपकी सेवा में सदा प्रस्‍तुत रहते और आपकी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुनते हैं! 8धन्‍य है आपका प्रभु परमेश्‍वर, जिसने आपसे प्रसन्न होकर आपको अपने सिंहासन पर प्रतिष्‍ठित किया कि आप उसकी ओर से राज्‍य करें। आपके परमेश्‍वर ने इस्राएली राष्‍ट्र से प्रेम किया है और उसे सदा बनाए रखना चाहा; इसलिए उसने आपको उसका राजा नियुक्‍त किया, ताकि आप न्‍याय और धर्म के कार्य करें।’
9तत्‍पश्‍चात् उसने राजा सुलेमान को लगभग चार हजार किलो सोना, अत्‍यधिक मात्रा में मसाले और मणि-मुक्‍ता उपहार में दिए। जितनी मात्रा में शबा देश की रानी ने राजा सुलेमान को मसाले उपहार में दिए, उतनी मात्रा में मसाले फिर कभी इस्राएल देश में नहीं आए।
10इसके अतिरिक्‍त हूराम तथा राजा सुलेमान के सेवक, जो ओपीर देश से सोना लाए थे, वहां से चन्‍दन की लकड़ी और मणि-मुक्‍ता भी लाए। 11राजा सुलेमान ने चन्‍दन की लकड़ी से प्रभु के भवन और राजमहल के लिए मंच और संगीतकारों के लिए सितार और सारंगियां बनाईं। इसके पहले ऐसी वस्‍तुएं यहूदा प्रदेश में कभी नहीं देखी गई थीं।
12जो कुछ भी शबा देश की रानी ने राजा सुलेमान से मांगा, वह राजा सुलेमान ने उसकी इच्‍छा के अनुसार उसे दिया। इसके अतिरिक्‍त राजा सुलेमान ने अपने सामर्थ्य के अनुसार शबा देश की रानी को उपहार दिए। यह उससे अधिक था जो वह राजा सुलेमान के लिए लाई थी। तत्‍पश्‍चात् वह विदा हुई। वह अपने सेवक-सेविकाओं के साथ अपने देश को लौट गई।
राजा सुलेमान का वैभव और कीर्ति
13राजा सुलेमान को प्रति वर्ष प्राय: बाईस हजार किलो सोना प्राप्‍त होता था। 14इसके अतिरिक्‍त उसे देशी व्‍यवसायियों और विदेशी व्‍यापारियों से कर के रूप में तथा अरब देश के राजाओं और भिन्न-भिन्न प्रदेशों के शासकों से भेंट के रूप में सोना-चांदी प्राप्‍त होता था।
15राजा सुलेमान ने दो सौ आदम-कद ढालें बनाईं और उनको सोने की परत से मढ़ा। प्रत्‍येक ढाल में प्राय: सात किलो सोना लगा। 16उसने तीन सौ छोटी ढालें भी बनाईं और उनको सोने की परत से मढ़ा। प्रत्‍येक ढाल में प्राय: साढ़े तीन किलो सोना लगा। राजा सुलेमान ने उनको लबानोन-वन के भवन में रख दिया।
17राजा सुलेमान ने हाथी-दांत का एक भव्‍य सिंहासन भी बनाया और उसको शुद्ध सोने से मढ़ा। 18सिंहासन पर चढ़ने के लिए छ: सोपान और सोने की एक चौकी सिंहासन से जुड़ी थी। बैठने के स्‍थान के दोनों ओर दो हत्‍थे थे, और हत्‍थों के समीप खड़े हुए दो सिंहों की आकृति थी। 19प्रत्‍येक सोपान के दोनों ओर खड़े हुए दो सिंह थे। इस प्रकार छ: सोपानों पर बारह सिंह थे। ऐसा सिंहासन किसी राज्‍य में कभी नहीं बना।
20राजा सुलेमान के सब पेय-पात्र सोने के थे। लबानोन-वन के भवन के सब पात्र भी शुद्ध सोने के थे। सुलेमान के राज्‍य-काल में चांदी का कुछ भी मूल्‍य नहीं था।
21राजा सुलेमान के जलयान हूराम के सेवकों के साथ तर्शीश तक जाते थे। ये तर्शीशी जलयान प्रति तीन वर्ष में एक बार आते और विदेश से सोना, चांदी, हाथी-दांत, बन्‍दर और मोर लाते थे।
22इस प्रकार राजा सुलेमान धन-सम्‍पत्ति और बुद्धि-विवेक में पृथ्‍वी के सब राजाओं से श्रेष्‍ठ था। 23पृथ्‍वी के समस्‍त राजा उसकी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुनने के लिए उसके दरबार में आने का प्रयत्‍न करते थे। यह बुद्धि परमेश्‍वर ने उसे प्रदान की थी। 24आगन्‍तुक राजा अपने साथ ये उपहार लाते थे : सोना-चांदी के पात्र, वस्‍त्र, गन्‍धरस, मसाले, घोड़े और खच्‍चर। ऐसा प्रतिवर्ष होता था। 25राजा सुलेमान के पास रथ और घोड़ों के लिए चार हजार अश्‍वशालाएं थीं। उसके पास बारह हजार घोड़े थे। उसने कुछ रथ और घोड़े रथ-शाला के नगरों में तथा शेष अपने पास यरूशलेम नगर में रखे।#1 रा 4:26
26राजा सुलेमान फरात नदी से लेकर पलिश्‍तियों के देश तक के राजाओं पर राज्‍य करता था। उसके राज्‍य की सीमा मिस्र देश की सीमा तक फैली हुई थी।#1 रा 4:21; उत 15:18
27राजा सुलेमान ने राजधानी यरूशलेम में चांदी को पत्‍थर के समान मूल्‍यहीन बना दिया। उसके पास देवदार की कीमती लकड़ी इतनी अधिक हो गई जितने अधिक शफेलाह प्रदेश में गूलर के वृक्ष हैं!
28राजा सुलेमान के घोड़ों का आयात मिस्र देश तथा अन्‍य देशों से होता था। #व्‍य 17:16
राजा सुलेमान की मृत्‍यु
29राजा सुलेमान के शेष कार्यों का विवरण, आदि से अन्‍त तक, इन पुस्‍तकों में लिखा हुआ है : ‘नबी नातान का इतिहास-ग्रन्‍थ’, ‘शीलोह-वासी अहियाह का नबूवत-ग्रन्‍थ’ और ‘द्रष्‍टा इद्दो का दर्शन ग्रन्‍थ।’ द्रष्‍टा इद्दो ने यारोबआम बेन-नबाट के विषय में दर्शन देखे थे।
30राजा सुलेमान ने समस्‍त इस्राएल देश पर चालीस वर्ष तक राज्‍य किया। उसकी राजधानी यरूशलेम नगर थी।#1 रा 11:42-43 31तत्‍पश्‍चात् वह अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। वह अपने पिता दाऊद के नगर में गाड़ा गया। उसके स्‍थान पर उसका पुत्र रहबआम राज्‍य करने लगा।

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