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1 तिमोथी 1

1
अभिवादन
1-2विश्‍वास में सच्‍चे पुत्र तिमोथी के नाम पौलुस का पत्र, जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर और हमारी आशा के आधार येशु मसीह के आदेशानुसार येशु मसीह का प्रेरित है।#कुल 1:17
पिता परमेश्‍वर और हमारे प्रभु येशु मसीह तुम्‍हें अनुग्रह, दया और शान्‍ति प्रदान करें!#तीत 1:4
भ्रामक धारणाओं से सावधान रहो
3मैंने मकिदुनिया प्रदेश के लिए प्रस्‍थान करते समय तुम से इफिसुस नगर में रह जाने का अनुरोध किया था, जिससे तुम कुछ लोगों को यह आदेश दे सको कि वे भ्रान्‍त धारणाओं की शिक्षा नहीं दें#प्रे 20:1 4और कल्‍पित कथाओं एवं अंतहीन वंशावलियों के फेर में नहीं पड़ें। इन से वाद-विवाद को बढ़ावा मिलता है, किन्‍तु उस ईश्‍वरीय प्रबन्‍ध का ज्ञान प्राप्‍त नहीं होता, जो विश्‍वास पर आधारित है।#1 तिम 4:7 5इस आदेश का लक्ष्य वह प्रेम है, जो शुद्ध हृदय, निर्दोष अन्‍त:करण और निष्‍कपट विश्‍वास से उत्‍पन्न होता है।#रोम 13:10; गल 5:6 6कुछ लोग इस मार्ग को छोड़ कर निरर्थक वाद-विवाद में भटक गये हैं।#1 तिम 6:4,20 7वे व्‍यवस्‍था के शास्‍त्री होने का दावा करते हैं, किन्‍तु वे जिन शब्‍दों का प्रयोग करते हैं और जिन विषयों पर इतना बल देते हैं, उन्‍हें स्‍वयं नहीं समझते हैं।
8हम-सब जानते हैं कि व्‍यवस्‍था उत्तम वस्‍तु है बशर्ते उसका उचित रीति से उपयोग किया जाये।#रोम 7:12 9हमें याद रहे कि व्‍यवस्‍था धर्मियों के लिए निर्धारित नहीं हुई, बल्‍कि उपद्रवी और निरंकुश लोगों के लिए, विधर्मियों और पापियों, नास्‍तिकों और धर्मविरोधियों, मातृ-पितृ-घातकों, हत्‍यारों, 10व्‍यभिचारियों और पुरुषगामियों, मानव-विक्रेताओं, असत्‍य-वादियों, झूठी शपथ खानेवालों और उन सब मनुष्‍यों के लिए जो उस हितकारी शिक्षा का विरोध करते हैं#1 तिम 6:3, 11जो शुभ समाचार के अनुरूप है। यह शुभ समाचार परमधन्‍य परमेश्‍वर की महिमा प्रकट करता है और मुझे सौंपा गया है।#1 तिम 6:15
परमेश्‍वर की कृपा के लिए कृतज्ञता
12हमारे प्रभु येशु मसीह को मैं धन्‍यवाद देता हूँ, जिन्‍होंने मुझे बल दिया और मुझे विश्‍वास के योग्‍य समझ कर अपनी सेवा में नियुक्‍त किया है।#प्रे 9:15; 1 कुर 15:9-10; गल 1:13-16 13मैं तो पहले ईश-निन्‍दक, अत्‍याचारी और उद्दण्‍ड था; किन्‍तु मुझ पर दया की गयी है, क्‍योंकि अविश्‍वास के कारण मैं यह नहीं जानता था कि मैं क्‍या कर रहा हूँ। 14हमारे प्रभु का अनुग्रह प्रचुर मात्रा में मुझे प्राप्‍त हुआ और साथ ही वह विश्‍वास और प्रेम भी, जो हमें येशु मसीह द्वारा मिलता है।
15यह कथन विश्‍वसनीय और सर्वथा मानने योग्‍य है कि येशु मसीह पापियों को बचाने के लिए संसार में आये, और उन में से सबसे बड़ा पापी मैं हूँ।#लू 15:2; 19:10 16मुझ पर इसीलिए दया की गयी है कि येशु मसीह सब से पहले मुझ में अपनी सम्‍पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करें और उन लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्‍तुत करें, जो शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करने के लिए उनमें विश्‍वास करेंगे। 17युगों के अधिपति, अविनाशी, अदृश्‍य और अतुल्‍य परमेश्‍वर का सम्‍मान तथा महिमा युगानुयुग होती रहे!#रोम 16:27
विश्‍वास को विशुद्ध रखो
18-19पुत्र तिमोथी! जो नबूवतें पहले तुम्‍हारे विषय में हो चुकी हैं, उनके अनुरूप मैं तुम्‍हें यह भार सौंप रहा हूँ। तुम उनसे बल ग्रहण करो और विश्‍वास एवं शुद्ध अन्‍त:करण से सज्‍जित हो कर अच्‍छी लड़ाई लड़ो।#1 तिम 6:12; यहू 3 कुछ लोगों ने अपने अन्‍त:करण की वाणी का तिरस्‍कार किया और इस कारण उनकी विश्‍वास-रूपी नौका डूब गई!#1 तिम 3:9; 6:10 20इन में हुमिनयुस और सिकन्‍दर हैं। मैंने उन्‍हें शैतान के हवाले कर दिया, जिससे वे यह शिक्षा लें कि परमेश्‍वर की निन्‍दा नहीं करनी चाहिए।#2 तिम 2:17; 1 कुर 5:5

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