1 शमूएल 10
10
1शमूएल ने तेल की एक कुप्पी ली। उसने तेल को शाऊल के सिर पर उण्डेला। तत्पश्चात् उसने उसका चुम्बन लिया और कहा, ‘प्रभु ने अपने निज लोग इस्राएलियों के अगुए के रूप में तुम्हारा अभिषेक किया है। तुम प्रभु के निज लोगों पर शासन करोगे। तुम उन्हें उनके चारों ओर के शत्रुओं के हाथ से बचाओगे। प्रभु ने अपनी निज सम्पत्ति पर शासन करने के लिए अगुए के रूप में तुम्हारा अभिषेक किया है, इस बात का तुम्हारे लिए ये चिह्न होंगे : 2जब तुम मेरे पास से आज चले जाओगे तब तुम्हें बिन्यामिन क्षेत्र की सीमा में स्थित सेलसह में राहेल की कबर के पास दो मनुष्य मिलेंगे। वे तुमसे यह कहेंगे : “जिन गदहियों की खोज में आप निकले थे, वे मिल गयी हैं। पर आपके पिताजी गदहियों की चिन्ता करना छोड़, अब आपकी चिन्ता करने लगे हैं। वह कहते हैं : ‘अब मैं अपने पुत्र के लिए क्या करूँ!’ ” 3जब तुम वहाँ से और आगे बढ़ोगे, और ताबोर के बांज वृक्ष के पास पहुँचोगे तब तुम्हें वहाँ तीन मनुष्य मिलेंगे, जो बेत-एल की ओर परमेश्वर के पास जा रहे होंगे। उनमें से एक मनुष्य बकरी के तीन बच्चे, दूसरा तीन रोटियाँ और तीसरा अंगूर के रस से भरा एक कुप्पा ले जा रहा होगा। 4वे तुम्हारा हाल-चाल पूछेंगे, और तुम्हें दो रोटी देंगे। तुम रोटियों को उनके हाथ से ले लेना। 5उसके बाद तुम गिबअत-एलोहीम नामक स्थान पर पहुँचोगे, जहाँ पलिश्तियों का प्रशासक रहता है। जब तुम नगर में प्रवेश करोगे तब तुम्हें वहाँ पहाड़ी शिखर की वेदी से नबियों का एक दल उतरता हुआ मिलेगा। वे सितार, डफ, बांसुरी और वीणा बजाते होंगे। वे नबूवत#10:5 अथवा, ‘प्रलाप’ (देखिए 18:10; 1 रा 18:29) कर रहे होंगे। 6तब प्रभु का आत्मा अति वेग से तुम पर उतरेगा, और तुम भी उनके साथ नबूवत करने लगोगे। तुम एक नया आदमी बन जाओगे।#गण 11:25 7जब तुम्हारे विषय में ये चिह्न पूरे हो जाएँगे तब परिस्थिति के अनुसार कार्य करना, क्योंकि परमेश्वर तुम्हारे साथ है। 8तुम मुझसे पहले गिलगाल जाना। देखो, मैं वहाँ तुम्हारे पास अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ाने के लिए आऊंगा। तुम सात दिन तक प्रतीक्षा करना। तत्पश्चात् मैं आऊंगा, और तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हें क्या करना होगा।’
9जब शाऊल ने शमूएल के पास से जाने के लिए पीठ फेरी, तब परमेश्वर ने उसके हृदय को परिवर्तित कर दिया। ये सब चिह्न उसी दिन घटे। 10वहाँ से शाऊल और उसका सेवक गिबआह में आए। उन्हें नबियों का एक दल मिला। तब प्रभु का आत्मा वेगपूर्वक शाऊल पर उतरा, और वह उनके मध्य नबूवत करने लगा।#1 शम 19:23-24 11जो लोग शाऊल को पहले से जानते थे, जब उन्होंने उसे नबियों के साथ नबूवत करते हुए देखा तब वे परस्पर यह कहने लगे, ‘कीश के पुत्र को यह क्या हुआ? क्या नबियों में शाऊल भी एक नबी है?’ 12उनमें से एक व्यक्ति ने पूछा, ‘इन लोगों का पिता कौन है?’ इस कारण यह कहावत प्रचलित हो गई : ‘क्या नबियों में शाऊल भी एक नबी है?’ 13जब शाऊल ने नबूवत करना समाप्त किया तब वह घर में आया।#10:13 अथवा, “पहाड़ी शिखर की वेदी” 14शाऊल के चाचा ने उससे तथा सेवक से पूछा, ‘तुम लोग कहाँ गए थे?’ शाऊल ने कहा, ‘गदहियाँ ढूंढ़ने। जब हमने देखा कि वे नहीं मिल रही हैं तब हम शमूएल के पास गए।’ 15शाऊल के चाचा ने पूछा, ‘मुझे बताओ कि शमूएल ने तुमसे क्या कहा?’ 16शाऊल ने अपने चाचा से कहा, ‘शमूएल ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि गदहियाँ मिल गई हैं।’ किन्तु जो बात शमूएल ने उसके राजा बनने के विषय में कही थी, वह उसने अपने चाचा को नहीं बताई।
शाऊल का अभिषेक
17शमूएल ने समस्त इस्राएली लोगों को मिस्पाह में प्रभु के सम्मुख बुलाया। 18उसने इस्राएलियों से कहा, ‘इस्राएलियों का प्रभु परमेश्वर यों कहता है : “मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला। मैं तुम्हें मिस्र निवासियों के हाथ से, और उन सब राज्यों के हाथ से मुक्त किया जो तुम पर अत्याचार कर रहे थे।” 19परन्तु आज तुमने अपने परमेश्वर को अस्वीकार किया है। वह तुम्हारी विपत्तियों और कष्टों से तुम्हें बचाने वाला, तुम्हारा उद्धारकर्ता है। परन्तु तुम यह कहते हो : “नहीं, हमारे लिए राजा ही नियुक्त कीजिए।” इसलिए अब तुम अपने कुल और गोत्र के क्रम में प्रभु के सम्मुख उपस्थित हो जाओ।’
20शमूएल ने इस्राएल के सब कुलों को प्रभु के सम्मुख प्रस्तुत किया। तब चिट्ठी बिन्यामिन कुल के नाम पर निकली।#यहो 7:14; प्रे 1:14 21तत्पश्चात् वह बिन्यामिन कुल के सब गोत्रों को समीप लाया। चिट्ठी मट्री गोत्र के नाम पर निकली। अन्त में उसने मट्री गोत्र के सब पुरुषों को प्रभु के सम्मुख प्रस्तुत किया। तब कीश के पुत्र शाऊल के नाम पर चिट्ठी निकली। पर जब उन्होंने उसे ढूंढ़ा, तब वह नहीं मिला। 22उन्होंने प्रभु से फिर पूछा, ‘क्या वह यहाँ आया है?’ प्रभु ने उत्तर दिया, ‘देखो, उसने स्वयं को सामान में छिपा लिया है।’ 23अत: वे दौड़ कर गए। वे शाऊल को वहाँ से ले आए। जब शाऊल लोगों के मध्य खड़ा हुआ तब वह सब लोगों से लम्बा निकला। लोग उसके कन्धों तक पहुँचते थे। 24शमूएल ने लोगों से कहा, ‘जिस व्यक्ति को प्रभु ने चुना, उसे तुमने देख लिया कि सब लोगों में उसके समान दूसरा कोई भी नहीं है।’ लोगों ने जय-जयकार किया, ‘राजा चिरायु हो!’#1 रा 1:39
25शमूएल ने लोगों को राजा के अधिकार और कर्त्तव्य के विषय में बताया। उसने राजा के अधिकारों और कर्त्तव्यों को एक पुस्तक में लिखा, और पुस्तक को प्रभु के सम्मुख रख दिया। अन्त में शमूएल ने लोगों को उनके घर विदा किया।#1 शम 8:11 26शाऊल भी गिबआह नगर में अपने घर गया। जिन शक्तिशाली पुरुषों के हृदय को परमेश्वर ने स्पर्श किया था, वो भी उसके साथ गए। 27परन्तु कुछ बदमाश लोगों ने कहा, ‘यह आदमी किस प्रकार हमें शत्रुओं के हाथ से बचा सकता है?’ अत: उन्होंने शाऊल का तिरस्कार किया, और उसको भेंट नहीं चढ़ाई। किन्तु शाऊल चुप रहा।#10:27 अथवा, ‘एक महीने के पश्चात्.....।’ एक प्राचीन पाठ के अनुसार ‘अम्मोनी जाति के राजा नाहश द्वारा आतंकित इस्राएलियों में से सात हजार शरणार्थी याबेश नगर में आए थे।’
Currently Selected:
1 शमूएल 10: HINCLBSI
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.