“‘तू जैके यों लोगु कू बोल दे कि,
तुम सुणिल्या त सही, मगर तुमरि समझ मा कुछ नि औण,
अर तुमतै दिख्यालु त सही,
मगर वीं बात को मतलब पता नि चलण,
किलैकि यों लोगु को मन निठुर ह्वे गै,
अर वु अपणा कन्दूड़ो न सुनण नि चनदिन,
अर ऊंन अपणा आंख्यों तैं बन्द कैरियाली,
ताकि इन नि हो कि वु अपणा आंख्यों न देखा अर कन्दूड़ो न सुणा,
अर अपणा मन मा समझा, अर अपणा-अपणा पापों बटि पस्ताप कैरा,
अर मि ऊंतैं खूब कैरी द्यो।’