“तेन्हि धर्मशास्त्री केआं समोझि बिशे, जे लम्मे लम्मे झिणे लाई कइ डालण बिश्ते। बाजार अन्तर सोबी केआं ‘नमस्ते जी’ शुणुण चहन्ते। से अराधनालय अन्तर त धामी बुछ बिशुण जे अब्बल अब्बल जगाह तोपते। से विधवाई के गी उजाड़ते, त मेह्णु हरालण जे चेरे तकर प्रार्थना कते। अन्हि सुआ डन मेता।”