‘तुमन सुनत रईहा
बकिन नई समझीया अऊ देखत तो रईहा,
बकिन नई बुझीहा।
काबरकि ए मईनसे मन कर मन हर मोट हो गईसे
अऊ ओमन कान ला बंद कएर लेहीन हवें अऊ
ओमन अपन आंएख मन ला मूईंद लेहीन हवें,
एकरले ओमन कभों झईन देखें
अऊ कभों झईन सुने अऊ मन में कभों झईन समझें अऊ फिरें
अऊ मंए ओमन ला चंगा नई करों।’