क्या तुम नहीं जानते के जब तुम किसी की ख़िदमत करने के लिये ख़ुद को उस का ग़ुलाम बन जाने देते हो तो वह तुम्हारा मालिक बन जाता है और तुम उस की फ़रमांबरदार करने लगते हो। इसलिये अगर गुनाह की ग़ुलामी में रहोगे तो उस का अन्जाम मौत है। अगर ख़ुदा के फ़रमांबरदार बन जाओगे तो उस का अन्जाम रास्तबाज़ी है।