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रोमियों 3:23-24
उर्दू हमअस्र तरजुमा
क्यूंके सब ने गुनाह किया है और ख़ुदा के जलाल से महरूम हैं, मगर उन के फ़ज़ल के सबब उस मुख़्लिसी के वसीले से जो हुज़ूर अलमसीह ईसा में है, मुफ़्त रास्तबाज़ ठहराये जाते हैं।
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रोमियों 3:22
ये ख़ुदा की वह रास्तबाज़ी है जो सिर्फ़ हुज़ूर ईसा अलमसीह पर ईमान लाने से इन्सानों को हासिल होती है। अलमसीह पर ईमान लाने से यहूदी और ग़ैरयहूदी के माबैन कोई तफ़रीक़ नहीं
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रोमियों 3:25-26
ख़ुदा ने हुज़ूर ईसा को मुक़र्रर किया के वह अपना ख़ून बहायें और इन्सान के गुनाह का कफ़्फ़ारा बन जायें और उन पर ईमान लाने वाले फ़ायदा उठायें। ये कफ़्फ़ारा ख़ुदा की रास्तबाज़ी को ज़ाहिर करता है इसलिये के ख़ुदा ने बड़े सब्र और तहम्मुल के साथ उन गुनाहों को जो पेशतर हो चुके थे, दर गुज़र किया। ख़ुदा इस ज़माने में भी अपनी रास्तबाज़ी ज़ाहिर करता है क्यूंके वह आदिल भी है और हर शख़्स को जो हुज़ूर ईसा पर ईमान लाता है रास्तबाज़ ठहराता है।
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रोमियों 3:20
क्यूंके शरीअत के आमाल से कोई शख़्स ख़ुदा की हुज़ूरी में रास्तबाज़ नहीं ठहरेगा; इसलिये के शरीअत के ज़रीये से ही आदमी गुनाह को पहचानता है।
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रोमियों 3:10-12
जैसा के किताब-ए-मुक़द्दस में लिख्खा है: “कोई भी इन्सान रास्तबाज़ नहीं, एक भी नहीं; कोई भी समझदार नहीं, कोई भी ख़ुदा का मुतलाशी नहीं। सब के सब ख़ुदा से गुमराह हो गये, वह किसी काम के नहीं रहे; उन में कोई भी इन्सान नहीं जो नेकी करता हो, एक भी नहीं।”
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रोमियों 3:28
चुनांचे हम इस नतीजा पर पहुंचते हैं के इन्सान शरीअत पर अमल करने से नहीं बल्के ईमान लाने के बाइस ख़ुदा के हुज़ूर में रास्तबाज़ ठहरता है।
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रोमियों 3:4
ख़्वाह हर आदमी झूटा निकले, ख़ुदा सच्चा ही ठहरेगा जैसा के किताब-ए-मुक़द्दस में लिख्खा है: “तुम अपनी बातों में रास्तबाज़ ठहरो और अपने इन्साफ़ में हक़ बजानिब साबित हो।”
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