लिहाज़ा तुम, जो महज़ इन्सान, होते हुए ऐसे काम करने वालों पर इल्ज़ाम लगाते हो और ख़ुद वोही काम करते हो, क्या तुम समझते हो के तुम ख़ुदा की अदालत से बच जाओगे? क्या तुम ख़ुदा की मेहरबानी, तहम्मुल और सब्र की दौलत की तौहीन करते हो, ये नहीं जानते के ख़ुदा की मेहरबानी तुम्हें तौबा की तरफ़ माइल करती है?