जीसम नुहा ना दाड़ा मे हयलु हतु, तेमेत मनख्या नो सोरो आवह़े, तीहया दाड़े बी हयहे। जे दाड़े तक नुहो मोट्ला ढुंड्या मे नी भरायो, तांह तक माणहु खाता-पीता, अने वेवा करता हता। अने उचकाहलोत पाणी आयो, अने तीहयो आखा ने डुबाड़ीन मार नाख्यो, तांह तक आनु कोयने कंय मालम नी पड़्यु तेमेत मनख्यान सोरा नु आवणु बी रेहे।