बे रोजकी एक टोळी की जंय्यां मनदर म मिलता, एक-दुसरा का घरा म रोटी तोड़ता। राजी-खुसी अर सिदा मनऊँ एक सागै रळमिल रोटी खाता। अर परमेसर को गुणगान गाता। बे सगळा इ दान दयाऊँ राजी हा। अर जखो बी परमेसर क जरिए छुटकारो पातो, परमेसर बिनै रोजकी बाकी टोळी म जोड़ देतो।