“भागोईत असो! तुँऐं, जबे लोग तुँवारी नीदया-चुगली करह्, अरह् सताव, अरह् तुवाँरे बारे दी मेरे कारण साँत्त-भाँत्ती अफ़वा फ़ईलाँव, झूठी लाँव। आँन्दित्त-खुशी अरह् मंगन हुऐ, किन्देखे के स्वर्गो दा तुँओं खे बड़ा प्रतिफल़ असो। ईन्देंखे के तिनिऐं तिनू भे जुण्जे पंणमिश्वर की बरंम्बाणीं कर्णो वाल़े थिऐ, तिनू भे तिन्ऐं आगे ऐष्णें ही सताऐ थिऐ।