मत्ती 13

13
बिया छिटुइयक दृष्टान्त
(मर्कू. ४:१-१२; लूक. ८:४-१०)
1ओकर पाछे वहे दिन, येशू घर छोरके गालील समुन्दरके आँरितिर चलगिलाँ। 2तब मनैनके बहुत बरवार भीड़ हुँकार थेन जमा होगिलिन। तबेकमारे ऊ लाउमे चहुँरगिलाँ, और ओम्ने बैठ्गिलाँ, जब बहुत्ते मनै हुँकार आँजरपाँजर ठरह्याइल रहिँत। 3येशू उ मनैनहे बहुत्ते चिज दृष्टान्तमे बतैलाँ, और कलाँ, “एकथो किसान अपन खेट्वामे कौनो बिया बुई निक्रल। 4जब किसान बिया बुइतेहे, ओम्नेमेसे कौनो बिया डग्रिम गिरगिलाँ, और उ बियाहे चिरैँ खादेलाँ। 5कौनो बिया पठराहा जमिनमे परलाँ, जहाँ धेउर माटी नै रहे। यी झत्तेहेँ जामगिलाँ, काकरेकी यम्ने माटी धेउर गहिँर नै रहे। 6पर यी बोँट दिनके धेउर घामके कारण कुल्मुलागिल, और गहिँर जर नै हुइलक कारणसे यी सुखाके मुगिल। 7कौनो आकुर बिया असिन ठाउँमे परल, जहाँ झर्कत्ती जामल रहे। और उ झर्कत्ती बोँटहे दाबदेहल। 8आकुर बिया मल्गर जमिनमे परलाँ। और ओइने कौनो सौ, कौनो साठी और कौनो तीस गुणा फारा फरैलाँ। 9यदि तुहुरे बुझे चहथो कलेसे, यी बातमे ध्यान देऊ कि मै अब्बे तुहुरिन्से का कनु।”
दृष्टान्तके उद्देश्य
(मर्कू. ८:१०-१२; लूक. ८:९,१०)
10तब् चेलनके आके हुँकिन्हे पुँछ्लाँ, “अप्नि ओइन्से काकरे दृष्टान्तमे बात बत्वैथी?” 11येशू ओइन्हे जवाफ देलाँ, “तुहुरिन्हे ते परमेश्वरके राजके भेद जन्ना ज्ञान देगिल बा। पर ओइन्हे भर नै देगिल हो। 12जिहिहे फेन मोरिक शिक्षा बुझ्ना इच्छा बा, परमेश्वर उहिहे आकुर धेउर ज्ञान दिहीँ। काकरेकी जेकर थेन बा, उहिहे देजाई। पर जे मोरिक शिक्षा बुझ्ना धेउर चाहा नै करत, ते परमेश्वर उहिसे उ ज्ञानहे फेन दूर लैजिहीँ, जोन ओकर थेन थोरचे बतिस। 13तबेकमारे मै ओइन्से दृष्टान्तमे बोल्थुँ: ‘काकरेकी मै ज्या करथुँ, उ ओइने हेरथाँ, पर ओइने नै देख्थाँ। ओइने मोरिक बोली सुन्थाँ, पर ओइने यकर मतलब नै बुझ्थाँ।’ 14यशैया अगमवक्तक अगमवाणी ओइन्केमे पूरा हुइल बा:
‘सुन्ना ते तुहुरे सुन्थो,
पर कबु नै बुझ्थो।
हेरना ते तुहुरे हेर्थो,
पर कबु नै देख्थो।
15काकरेकी यी मनैनके मन सुस्त होगिल बतिन।
और ओइन्के कान बहिर होगिल बतिन।
और ओइने अपन आँखी तुमलेले बताँ।
नै ते ओइने आँखीलेके देख्ताँ,
कानलेके सुन्ताँ,
मनेलेके बुझ्ताँ और घुमजिना रहिँत।
तब् मै ओइन्हे चोख्वैतुँ।’”
16“पर धन्य हुइँत तुहुरिन्के आँखी, काकरेकी ओइने देख्थाँ। धन्य हुइँत तुहुरिन्के कान, काकरेकी ओइने सुन्थाँ। 17जात्तिके, मै तुहुरिन्हे कहतुँ, तुहुरिन्के देखल बात बहुत्ते अगमवक्तनके और धर्मी जनहुँक्रे हेरना गजब मन करलाँ, पर नै देख्लाँ। और तुहुरिन्के सुनल बात सुन्ना गजब मन रहिन, पर नै सुने भेटैलाँ।”
दृष्टान्तके मतलब
(मर्कू. ४:१३-२०; लूक. ८:११-१५)
18“आब किसानके दृष्टान्तके मतलब सुनो। 19जब केऊ राज्यक वचन सुनत, और उहिहे नै बुझत। तब् शैतान आइत और ओकर मनमे बुइल वचन छिनके लैजाइत। यी दृष्टान्तके मतलब यी हो कि यदि केऊ दोसुर जहनहे वचन सुनाइत कलेसे, ऊ किसानके बिया छिटुइया हस हो। कौनो मनै उ बिया हस हुइँत, जेने डगरमे गिरल रहिँत। 20कौनो मनै पठराहा जमिन हस हुइँत, जेम्ने कौनो बिया गिरल। जस्तेहेँके ओइने वचन सुन्थाँ, और ओइने खुशीसे लैलेथाँ। 21ओइने परमेश्वरके वचनहे अपन मनके गहिँराइमे जरसे बह्रे नै देथाँ। और ओइने यिहिहे थोरिक समयसमके लग किल विश्वास करथाँ। जस्तेके ओइन्के जीवन कर्रा होजैथिन, या वचन स्वीकार करेबेर जब ओइन्हे समस्या अइथिन, ओइने हार मानजिथाँ। 22जोन बिया झर्कत्तीमे गिरल, ओइने उ मनैनके हस हुइँत जेने वचनहे सुन्थाँ। पर जीवनके जरुरीहे लेके ओइने रोट्दिन चिन्ता करथाँ। धनी बनक लग और दोसुर चिज पैना लालचमे ओइने मूर्ख बनजिथाँ। तबेकमारे परमेश्वरके वचनहे ओइने बिस्राजिथाँ। और अपन जीवनहे ओसिके नै जिथाँ जसिके परमेश्वर चहथाँ। 23कौनो मनै मल्गर जमिनमे बुइल बियक हस रथाँ। ओइने वचनहे सुन्थाँ, यिहिहे मानलेथाँ, और ओइने ओस्तेहेँ करथाँ जसिन परमेश्वर चहथाँ कि ओइने करिँत्। ओइने उ मजा फारा हस हुइँत, जे तीस गुणा, साठी गुणा और सौ गुणा फारा देहत।”
सोहुँक दृष्टान्त
24येशू फेनदोस्रे ओइन्हे दोसुर दृष्टान्त सुनैलाँ: “स्वर्गक राज एकथो जिम्दरवा हस हो, जे अपन खेट्वामे मजा बिया बुइल। 25पर जब मनै सुततिहिँत, तब् जिम्दरवक दुश्मन आइल, और गोहूँक बिच्चे-बिच्चेम सोहुँ बोके चलगिल। 26जब बोँट निकरके ओम्ने दाना लागल, तब् सोहुँ फेन देखा परल। 27जिम्दरवक नोकरनके आके उहिहे कलाँ, ‘का अप्नि, अपन खेट्वामे मजा बिया नै बुइल रही? वहाँ सोहुँ कहाँसे आइल?’ 28जिम्दरवा ओइन्हे कहल, ‘कौनो एकथो दुश्मन आके सोहुँ बोदेहल बा।’ नोकरनके उहिहे पुँछ्लाँ, ‘का हम्रे जाके उ सोहुँ पनाई?’ 29पर उ जिम्दरवा कहल, ‘नाई, ओसिक ना करो, नै ते तुहुरे सोहुँ उँखारेबेर गोहूँ फेन उँखारदेबो। 30कटना सिजनसम दुन्हुनहे संगसंगे बाह्रे देऊ।’ काटेबेर कटुइयनहे कबुँ, ‘आघे सोहुँ उँखारके जराइक लग पुल्ला बाँधो, पर गोहूँ भर मोरिक बक्खारीमे धारो।’”
लहटक बियक दृष्टान्त
(मर्कू. ४:३०-३४; लूक. १३:१८-२१)
31येशू ओइन्हे एकथो दोसुर दृष्टान्त कलाँ, “परमेश्वरके राज धर्तीक सक्कु बियामेसे सक्कुहुनसे छुटी लहटक बिया हस हो। 32ओसिक ते लहटक बिया सक्कु बियामेसे छुटी हो। पर यी जब भारी हुइत। तब बहरके बारीक सक्कु सागसब्जीनसे ढेंग होजाइत। यकर असिन नम्मा-नम्मा दहियाँ हुइथिस कि आकाशमे उरुइया चिरैँ फेन यकर दहियँक छाहीँमे ठाँट बनाई सेक्थाँ।”
खमीरके दृष्टान्त
33येशू ओइन्हे दोसुर दृष्टान्त कलाँ, “स्वर्गक राज#13:33 स्वर्गक राज परमेश्वरके राज कौनो मनैनके माध्यमसे पूरा संसारमे असिके फैली, जसिके थोरचे खमीर फेन बहुत्ते पिठामे फैलजाइत। खमीर हस हो, जोन एकथो जन्नी मनैया पच्चीस किलो पीठामे मिलाइल। और उ पूरा पीठा खमीरसे फुलके ठिक नै हुइतसम् उहिहे एकथो ठाउँमे धारल।”
दृष्टान्तके प्रयोग
34येशू यी सक्कु बात मनैनहे दृष्टान्तमे कलाँ। बिना दृष्टान्तके ऊ ओइन्हे कुछु फेन नै कलाँ। 35अगमवक्तक माध्यमसे परमेश्वरके कहल वचन असिके पूरा हुइल:
“मै अपन मुह्हे दृष्टान्त कती खोलम,
संसारके उत्पत्तिसे नुकाके धारल बात मै बतैम।”
सोहुँक दृष्टान्तके मतलब
36तब् येशू भीड़हे छोरके घरेम गैलाँ, और हुँकार चेलनके हुँकार थेन आके कलाँ, “हम्रिहिन्हे खेट्वक सोहुँक दृष्टान्तके मतलब बतादी।” 37ऊ ओइन्हे जवाफ देलाँ, “मजा बिया छिटुइया मै, मनैयक छावा हइतुँ। 38खेट्वा संसारके मनै हुइँत। मजा बिया भर परमेश्वरके राजके मनै हुइँत, और सोहुँ शैतानके मनै हुइँत। 39सोहुँ लगुइया दुश्मन भर शैतान हो। कट्नी उ समयहे जनाइत, जब संसारके अन्त्य हुई। कटुइयन स्वर्गदूतनके हुइताँ। 40जसिके सोहुँहे उँखारके आगीमे भसम करजाजाइत, संसारके अन्त्यमे फेन ओस्तेहेँ हुई। 41मै, मनैयक छावा अपन स्वर्गदूतनहे पठैम। और ओइने परमेश्वरके राजमे पाप करे लगैना सक्कु कारण और खराब काम करुइया सक्कुहुनहे वहाँसे निकारदिहीँ। 42और स्वर्गदूतनके ओइन्हे आगिक भट्ठीमे फेँकादिहीँ। वहाँ मनै रुइहीँ और कष्टमे दाँत किचकिचैहीँ। 43तब् धर्मी जनहुँक्रे अपन बाबक राजमे सूर्य हस चहकार हुइहीँ। यदि तुहुरे बुझे चहथो कलेसे, यी बातमे ध्यान देऊ कि मै अब्बे तुहुरिन्से का कनु।”
गारल धन
44येशू कलाँ, “स्वर्गक राज कौनो मनैयक एकथो खेट्वामे गारके धारल धन हस हो। जहाँ एकथो दोसुर मनैया भेटाइत, और फेनदोस्रे कोरके नुकादेहत, ताकि दोसुर जाने ना भेटाँइत। तब उ मनैया आनन्दित होके चलजाइत, और अपन थेन रहल सक्कु चिज बेँचके उ खेट्वाहे किनलेहत।”
बहुमूल्य मोती
45येशू कलाँ, “फेनदोस्रे स्वर्गक राज मजा हिरामोती खोजुइया एकथो व्यापारी हस हो। 46ऊ एकथो बहुमूल्य मोती भेटाइल, ते ऊ जाके अपन थेन रहल सक्कु चिज बेँचके उ मोतीहे किनलेहत।”
मच्छी मरना जाल
47येशू कलाँ, “स्वर्गक राज समुन्दरमे मच्छी मारक लग फेँकाइल जाल हस फेन हो, जेम्ने हर मेरके मच्छी परथाँ। 48और जब जाल भरगिल, ते मनै उहिहे तानके आँरितिर निकरलाँ। और बैठके मजा-मजा मच्छी भर छिट्वामे जमा करलाँ, और काम नै लग्ना मच्छी भर सक्कु बाहेर फेँकादेलाँ। 49ओस्तेके यी संसारके अन्त्यमे हुई, स्वर्गदूतनके आके दुष्ट मनैनहे धर्मी मनैनके बिच्चेमसे अलग करहीँ, 50और दुष्ट मनैनहे आगिक भट्ठीमे फेँकादिहीँ। जहाँ मनै रुइहीँ, और कष्टमे दाँत किचकिचैहीँ।”
लावा और पुरान शिक्षाके महत्त्व
51येशू पुँछ्लाँ, “का तुहुरे यी सक्कु बात बुझ्लो?” ओइने हुँकिन्हे जवाफ देलाँ, “बुझ्ली।” 52तब् येशू ओइन्हे कलाँ, “तुहुरिन्मेसे प्रत्येक एक जाने, जे परमेश्वरके खुशीक खबरके शिक्षा देहत, और स्वर्गक राजमे मोरिक चेला फेन बा। ऊ एकथो असिन मनैयक हस हो, जेकर घरेम गोदाम बा, और जे लावा और पुरान दुनु बहुमूल्य सामान बाहेर नाने सेकदारत।”
आदर नै भेटुइया परमेश्वरके अगमवक्ता
(मर्कू. ६:१-६; लूक. ४:१६-३०)
53यी सक्कु दृष्टान्त बताके सेकके येशू वहाँसे चलगिलाँ। 54तब् अपन नगरमे आके ऊ ओइन्के बैठक भवनमे ओइन्हे असिन शिक्षा देलाँ कि उ सक्कु जहनहे अचम्म लग्लिन, और ओइने कहे लग्लाँ, “यिहिहे यी सक्कु ज्ञान और चमत्कार करना शक्ति कहाँसे मिल्लिस? 55का यी सिकर्मीक छावा नै हो? का यकर दाईक नाउँ मरियम और यकर भैयन याकूब, योसेफ, सिमोन और यहूदा नै हुइँत? 56का यकर सक्कु बाबुनहे हम्रे नै लेले हुई? तब् यिहिहे यी सक्कु कहाँसे मिल्लिस?” 57तब् ओइने हुँकिन्हे विश्वास करनासे अस्वीकार करदेलाँ। पर येशू ओइन्हे कलाँ, “परमेश्वरके अगमवक्ता जहाँ फेन जाइत, उहिहे वहाँ आदर मिल्थिस। पर अपन गाउँमे, अपन घरेम, अपन नातपाँतनके बिच्चेम ओकर आदर नै हुइथिस।” 58तब् ओइन्के अविश्वासके कारण ऊ वहाँ धेउर शक्तिशाली काम नै करलाँ।

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