यहोवा ह सुख-देवइया सुगंध ला सुंघके अपन मन म कहिस: “मनखे के कारन, में फेर कभू भुइयां ला सराप नइं दंव, हालाकि मनखे के लइकापन ले जऊन भी बिचार ओकर मन म आथे, ओह खराप ही होथे। पर जइसने मेंह जम्मो जीवमन ला नास करे हंव, वइसने अऊ फेर कभू नइं करंव।
“अब ले जब तक धरती ह रहिही,
तब तक बीजा बोय अऊ लुये के समय,
जाड़ा अऊ गरमी,
धूपकाला अऊ जड़काला,
दिन अऊ रात
लगातार होवत रहिहीं।”