परह् जुण्जो किऐ ज़ात्ति-मुँह शो निकल़ो, तिन्दे का मंतल्व मंन सासो शा हों, से सेजो ही असो, जुण्जो आदमी पंणमिश्वर की नंजरी दे अशुद्ध करह्। किन्देखे के आदमी के सासो-मंन शे बुरे बिचार, हंत्त्याऐं, अरह् पराई तिरोंई का लाल़्च, चोरी-जारी, चोरी, झूठी गवाही अरह् निदया, ऐजी बादी चींजो मंन शी ही पय्दा हों।