आमाल 44:2-45

आमाल 44:2-45 URDGVH

जो भी ईमान लाते थे वह एक जगह जमा होते थे। उनकी हर चीज़ मुश्तरका होती थी। अपनी मिलकियत और माल फ़रोख़्त करके उन्होंने हर एक को उस की ज़रूरत के मुताबिक़ दिया।