काही बेरा तकन उ नही मानिस, पर आखीर मा मन मा बिचारन लगीस, का मोला ना तो परमेस्वर को भेव से ना ता कोनी लोकगीन को भेव सेत। पर मोला रोज वा बेवा परेसान कर डाखीस, एको लाय मी आज एको, न्याय कर देसू कही असो ना होयेत, का बार-बार आयके, ना मोरो नाक मा दम कर देहेत।