क्यूंके अन्दर से यानी उस के दिल, से बुरे ख़्याल बाहर आते हैं जैसे, जिन्सी बदफ़ेली, चोरी, ख़ूंरेज़ी ज़िना, लालच, बदकारी, मकर-ओ-फ़रेब, शहवत-परस्ती, बदनज़री, कुफ़्र, तकब्बुर और हमाक़त। ये सब बुराईयां इन्सान के अन्दर से निकलती हैं और उसे नापाक कर देती हैं।”