पर थारे म्ह इसा कोनी होवैगा; जो कोए थारे म्ह बड्ड़ा होणा चाहवै, वो थारा सेवक बणै, अर जो थारे म्ह प्रधान होणा चाहवैं, वो दास बणै, जिसा के मै माणस का बेट्टा, ज्यांतै कोनी आया के मेरी सेवा-पाणी करी जावै, पर ज्यांतै आया के खुद सेवा-पाणी करुँ, अर घणखरयां के छुटकारै कै खात्तर अपणी जान देऊँ।”