अउर हम पिता से बिनती करब, अउर ऊँ तोंहईं पंचन काहीं एकठे सहायक देइहँय, कि ऊँ सहायक हमेसा तोंहरे पंचन के साथ रहँय। अरथात सत्य के आत्मा, जिनहीं संसार के मनई सोइकार नहीं कइ सकँय, काहेकि ऊँ पंचे न उनहीं देखिन आहीं, अउर न जनतय आहीं: पय तूँ पंचे उनहीं जनते हया, काहेकि ऊँ सहायक तोंहरे साथ रहत हें, अउर ऊँ हमेसा तोंहरे जीबन माहीं रइहँय।