“जेबे तुसे बअरत करोए, तो कपटिया जेड़ी तुसा रे मुंओ पाँदे उदासी नि रओ, कऊँकि सेयो आपणा मूँ एतेरी तंईं बणाई राखोए, ताकि लोक तिना खे बअरततारी जाणो; आऊँ तुसा खे सच बोलूँआ कि सेयो आपणा फल पाई चुके। पर जेबे तूँ बअरत करे, तो आपणे सिरो रे तेल मल़ और मूँ तोओ। ताकि लोक नि, पर तेरा पिता, जो गुप्तो रे ए, से ताखे बअरततारी जाणो, एड़िया दशा रे तेरा पिता, जो गुप्तो रे ए, से देखोआ और तेस ताखे फल देणा।