भजन संहिता 22:1-11

भजन संहिता 22:1-11 - हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने
मुझे क्यों छोड़ दिया?
तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से
क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है?
हे मेरे परमेश्‍वर, मैं दिन को पुकारता हूँ
परन्तु तू उत्तर नहीं देता;
और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन
पर विराजमान है,
तू तो पवित्र है।
हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे;
वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।
उन्होंने तेरी दोहाई दी और तू ने उनको छुड़ाया
वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी
लज्जित न हुए।

परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं;
मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों
में मेरा अपमान होता है।
वे सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं,
और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए
सिर हिलाते हैं,
“अपने को यहोवा के वश में कर दे वही
उसको छुड़ाए,
वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से
प्रसन्न है।”
परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला;
जब मैं, दूध–पीता बच्‍चा था, तब ही से
तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया।
मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया,
माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्‍वर है।
मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है,
और कोई सहायक नहीं।

हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है? हे मेरे परमेश्‍वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता। परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन पर विराजमान है, तू तो पवित्र है। हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था। उन्होंने तेरी दोहाई दी और तू ने उनको छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी लज्जित न हुए। परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है। वे सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, “अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से प्रसन्न है।” परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला; जब मैं, दूध–पीता बच्‍चा था, तब ही से तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया। मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्‍वर है। मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं।

भजन संहिता 22:1-11