नीतिवचन 21:1-5
राजा का मन नालियों के जल के समान यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको मोड़ देता है। मनुष्य का सारा चालचलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जाँचता है। धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है। चढ़ी आँखें, घमण्डी मन, और दुष्टों की खेती, तीनों पापमय हैं। काम–काजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करनेवाले को केवल घटी होती है।
नीतिवचन 21:1-5