जो जीवनदायी डाँट कान लगाकर सुनता है,
वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है।
जो शिक्षा को सुनी–अनसुनी करता,
वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है,
परन्तु जो डाँट को सुनता,
वह बुद्धि प्राप्त करता है।
यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है,
और महिमा से पहले नम्रता आती है।