1 पतरस 3:13-22

1 पतरस 3:13-22 - यदि तुम भलाई करने के लिये उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है? यदि तुम धर्म के कारण दु:ख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर लोगों के डराने से मत डरो, और न घबराओ, पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो। जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ; और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो मसीह में तुम्हारे अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं, लज्जित हों। क्योंकि यदि परमेश्‍वर की यही इच्छा हो कि तुम भलाई करने के कारण दु:ख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दु:ख उठाने से उत्तम है। इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने, पापों के कारण एक बार दु:ख उठाया, ताकि हमें परमेश्‍वर के पास पहुँचाए; वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया। उसी में उसने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया, जिन्होंने उस बीते समय में आज्ञा न मानी, जब परमेश्‍वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिसमें बैठकर थोड़े लोग अर्थात् आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए। उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है। वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके अधीन किए गए हैं।

यदि तुम भलाई करने के लिये उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है? यदि तुम धर्म के कारण दु:ख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर लोगों के डराने से मत डरो, और न घबराओ, पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो। जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ; और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो मसीह में तुम्हारे अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं, लज्जित हों। क्योंकि यदि परमेश्‍वर की यही इच्छा हो कि तुम भलाई करने के कारण दु:ख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दु:ख उठाने से उत्तम है। इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने, पापों के कारण एक बार दु:ख उठाया, ताकि हमें परमेश्‍वर के पास पहुँचाए; वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया। उसी में उसने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया, जिन्होंने उस बीते समय में आज्ञा न मानी, जब परमेश्‍वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिसमें बैठकर थोड़े लोग अर्थात् आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए। उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है। वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके अधीन किए गए हैं।

1 पतरस 3:13-22