भजन संहिता 55:1-6
भजन संहिता 55:1-6 पवित्र बाइबल (HERV)
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन। कृपा करके मुझसे तू दूर मत हो। हे परमेश्वर, कृपा करके मेरी सुन और मुझे उत्तर दे। तू मुझको अपनी व्यथा तुझसे कहने दे। मेरे शत्रु ने मुझसे दुर्वचन बोले हैं। दुष्ट जनों ने मुझ पर चीखा। मेरे शत्रु क्रोध कर मुझ पर टूट पड़े हैं। वे मुझे नाश करने विपति ढाते हैं। मेरा मन भीतर से चूर—चूर हो रहा है, और मुझको मृत्यु से बहुत डर लग रहा है। मैं बहुत डरा हुआ हूँ। मैं थरथर काँप रहा हूँ। मैं भयभीत हूँ। ओह, यदि कपोत के समान मेरे पंख होते, यदि मैं पंख पाता तो दूर कोई चैन पाने के स्थान को उड़ जाता।
भजन संहिता 55:1-6 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना पर कान दे; मेरी विनती को अस्वीकार न कर। मेरी ओर ध्यान दे, मुझे उत्तर दे; मैं अपनी विपत्तियों से व्यथित हो विलाप करता हूँ। शत्रु की धमकी और दुष्ट के दमन के कारण मैं व्याकुल रहता हूँ। वे मुझ पर विपत्ति ढाहते हैं, और क्रोध में मेरे प्रति शत्रुभाव रखते हैं। मेरे भीतर मेरा हृदय व्यथित है; मृत्यु का आतंक मुझ पर छा गया है। कंपन और भय मुझ में समा गये हैं, और आतंक ने मुझे वश में कर लिया है। मैंने कहा, “भला होता कि मेरे कपोत-सदृश पंख होते; और मैं उड़ जाता और शान्ति पाता।
भजन संहिता 55:1-6 Hindi Holy Bible (HHBD)
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़! मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं। क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं॥ मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
भजन संहिता 55:1-6 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुँह न मोड़! मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूँ और व्याकुल रहता हूँ। क्योंकि शत्रु कोलाहल, और दुष्ट उपद्रव कर रहे हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर सताते हैं। मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। भय और कँपकँपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। तब मैं ने कहा, “भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
भजन संहिता 55:1-6 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुँह न मोड़! मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; विपत्तियों के कारण मैं व्याकुल होता हूँ। क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर सताते हैं। मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। भय और कंपन ने मुझे पकड़ लिया है, और भय ने मुझे जकड़ लिया है। तब मैंने कहा, “भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
भजन संहिता 55:1-6 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
परमेश्वर, मेरी प्रार्थना पर ध्यान दीजिए, मेरी गिड़गिड़ाहट को न ठुकराईए; मेरी गिड़गिड़ाहट सुनकर, मुझे उत्तर दीजिए. मेरे विचारों ने मुझे व्याकुल कर दिया है. शत्रुओं की ललकार ने मुझे निराश कर छोड़ा है; उन्हीं के द्वारा मुझ पर कष्ट उण्डेले गए हैं और वे क्रोध में मुझे खरीखोटी सुना रहे हैं. भीतर ही भीतर मेरा हृदय वेदना में भर रहा है; मुझमें मृत्यु का भय समा गया है. भय और कंपकंपी ने मुझे भयभीत कर लिया है; मैं आतंक से घिर चुका हूं. तब मैं विचार करने लगा, “कैसा होता यदि कबूतर समान मेरे पंख होते! और मैं उड़कर दूर शांति में विश्राम कर पाता.