भजन संहिता 139:1-14

भजन संहिता 139:1-14 पवित्र बाइबल (HERV)

हे यहोवा, तूने मुझे परखा है। मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है। तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ। तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है। हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ। मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है। हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है। मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है। मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है। जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है। हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है। हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता। हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है। यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है। हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ वहाँ पर भी तू है। वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है। और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है। हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ, “दिन रात में बदल गया है तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।” किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है। तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है। हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था। हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद, और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।

भजन संहिता 139:1-14 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

हे प्रभु, तूने परख कर मुझे जान लिया! तू मेरा उठना और बैठना जानता है, तू दूर से ही मेरे विचार समझ लेता है। तू मेरी यात्राओं और विश्राम-स्‍थलों का पता लगा लेता है, तू मेरे समस्‍त मार्गों से परिचित है। मेरे मुंह में शब्‍द आने भी नहीं पाता, कि तू उसे पूर्णत: जान लेता है। तू आगे-पीछे से मुझे घेरता, और मुझपर अपना हाथ रखता है। प्रभु, यह ज्ञान मेरे लिए अद्भुत है, बहुत गहरा है, उस तक मैं नहीं पहुंच सकता। तेरे आत्‍मा से अलग हो मैं कहां जाऊंगा? मैं तेरी उपस्‍थिति से कहां भाग सकूंगा? यदि मैं आकाश पर चढूं तो तू वहां है। यदि मैं मृतक-लोक में बिस्‍तर बिछाऊं, तो तू वहां है। यदि मैं उषा के पंखों पर उड़कर, समुद्र के िक्षतिज पर जा बसूं, तो वहां भी तेरा हाथ मेरा नेतृत्‍व करेगा, तेरा दाहिना हाथ मुझे पकड़े रहेगा। यदि मैं यह कहूं, ‘अन्‍धकार मुझे ढांप ले, और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात हो जाए’, तो अन्‍धकार भी तेरे लिए अन्‍धकार नहीं है, और रात भी दिन के सदृश चमकती है; तेरे लिए अन्‍धेरा प्रकाश जैसा है। तूने ही मेरे भीतरी अंगों को बनाया है, मेरी मां के गर्भ से तूने मेरी रचना की है। मैं तेरी सराहना करता हूं, क्‍योंकि तू भय-योग्‍य और अद्भुत है तेरे कार्य कितने आश्‍चर्यपूर्ण हैं! तू मुझे भली भांति जानता है।

भजन संहिता 139:1-14 Hindi Holy Bible (HHBD)

हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है॥ तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है॥ मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं॥ मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।

भजन संहिता 139:1-14 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

हे यहोवा, तू ने मुझे जाँचकर जान लिया है। तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली–भाँति छानबीन करता है, और मेरे पूरे चालचलन का भेद जानता है। हे यहोवा, मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है। मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ? यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है! यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूँ, तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। यदि मैं कहूँ कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊँगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं। मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। तेरे काम तो आश्‍चर्य के हैं, और मैं इसे भली भाँति जानता हूँ।

भजन संहिता 139:1-14 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

हे यहोवा, तूने मुझे जाँचकर जान लिया है। (रोम. 8:27) तू मेरा उठना और बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली भाँति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चाल चलन का भेद जानता है। हे यहोवा, मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। तूने मुझे आगे-पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है। मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ? यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना खाट अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है! यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूँ, तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुआई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। यदि मैं कहूँ कि अंधकार में तो मैं छिप जाऊँगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अंधेरा हो जाएगा, तो भी अंधकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अंधियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं। तूने मेरे अंदरूनी अंगों को बनाया है; तूने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भाँति जानता हूँ। (प्रका. 15:3)

भजन संहिता 139:1-14 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

याहवेह, आपने मुझे परखा है, और जान लिया है. मैं कब उठता हूं और मैं कब बैठता हूं, यह सब आपको ज्ञात रहता है; दूरदर्शिता में आप मेरे विचारों को समझ लेते हैं. आप मेरे आने जाने और विश्रान्ति का परीक्षण करते रहते हैं; तथा मेरे समस्त आचार-व्यवहार से आप भली-भांति परिचित हैं. इसके पूर्व कि कोई शब्द मेरी जीभ पर आए, याहवेह, आप, उसे पूरी-पूरी रीति से जान लेते हैं. आप मुझे आगे-पीछे, चारों ओर से घेरे रहते हैं, आपका हाथ सदैव मुझ पर स्थिर रहता है. आपका ज्ञान मेरी परख-शक्ति से सर्वथा परे हैं, मैं इसकी जानकारी लेने में स्वयं को पूर्णतः कमजोर पाता हूं. आपके आत्मा से बचकर मैं कहां जा सकता हूं? आपकी उपस्थिति से बचने के लिए मैं कहां भाग सकता हूं? यदि मैं स्वर्ग तक आरोहण करूं तो आप वहां हैं; यदि मैं अधोलोक में जा लेटूं, आप वहां भी हैं. यदि मैं उषा के पंखों पर बैठ दूर उड़ चला जाऊं, और समुद्र के दूसरे तट पर बस जाऊं, वहां भी आपका हाथ मेरी अगुवाई करेगा, आपका दायां हाथ मुझे थामे रहेगा. यदि मैं यह विचार करूं, “निश्चयतः मैं अंधकार में छिप जाऊंगा और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात्रि में बदल जाएगा,” अंधकार भी आपकी दृष्टि के लिए अंधकार नहीं; आपके लिए तो रात्रि भी दिन के समान ज्योतिर्मय है, आपके सामने अंधकार और प्रकाश एक समान हैं. आपने ही मेरे आन्तरिक अंगों की रचना की; मेरी माता के गर्भ में आपने मेरी देह की रचना की. मैं आपके प्रति कृतज्ञ हूं, क्योंकि आपने मेरी रचना भयानक एवं अद्भुत ढंग से की है; आश्चर्य हैं आपके कार्य, मेरे प्राणों को इसका पूर्ण बोध है.

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