नीतिवचन 7:1-27

नीतिवचन 7:1-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

हे मेरे पुत्र, मेरी बातों को माना कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने मन में रख छोड़। मेरी आज्ञाओं को मान, इस से तू जीवित रहेगा, और मेरी शिक्षा को अपनी आँख की पुतली जान; उनको अपनी उँगलियों में बाँध, और अपने हृदय की पटिया पर लिख ले। बुद्धि से कह, “तू मेरी बहिन है,” और समझ को अपनी साथिन बना; तब तू पराई स्त्री से बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है। मैं ने एक दिन अपने घर की खिड़की से, अर्थात् अपने झरोखे से झाँका, तब मैं ने भोले लोगों में से एक निर्बुद्धि जवान को देखा; वह उस स्त्री के घर के कोने के पास की सड़क पर चला जाता था, और उसने उसके घर का मार्ग लिया। उस समय दिन ढल गया, और संध्याकाल आ गया था, वरन् रात का घोर अन्धकार छा गया था। और देखो, उससे एक स्त्री मिली, जिस का भेष वेश्या का सा था, और वह बड़ी धूर्त थी। वह शान्ति रहित और चंचल थी, और अपने घर में न ठहरती थी; कभी वह सड़क में, कभी चौक में पाई जाती थी, और एक एक कोने पर वह बाट जोहती थी। तब उसने उस जवान को पकड़कर चूमा, और निर्लज्जता की चेष्‍टा करके उससे कहा, “मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नतें आज ही पूरी की हैं। इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, और अभी पाया है। मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटेवाले कपड़े बिछाए हैं; मैं ने अपने बिछौने पर गन्धरस, अगर और दालचीनी छिड़की है। इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें। क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है; वह चाँदी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा।” ऐसी बातें कह कहकर, उसने उसको अपनी प्रबल माया में फँसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उसको अपने वश में कर लिया। वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, जैसे बैल कसाई–खाने को, या जैसे बेड़ी पहिने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है। अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिड़िया के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उसमें मेरे प्राण जाएँगे। अब हे मेरे पुत्रो, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ। तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरों में भूल कर न जाना; क्योंकि बहुत से लोग उस के द्वारा मारे पड़े हैं; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी। उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुँचाता है।

नीतिवचन 7:1-27 पवित्र बाइबल (HERV)

हे मेरे पुत्र, मेरे वचनों को पाल और अपने मन में मेरे आदेश संचित कर। मेरे आदेशों का पालन करता रहा तो तू जीवन पायेगा। तू मेरे उपदेशों को अपनी आँखों की पुतली सरीखा सम्भाल कर रख। उनको अपनी उंगलियों पर बाँध ले, तू अपने हृदय पटल पर उनको लिख ले। बुद्ध से कह, “तू मेरी बहन है” और तू समझ बूझ को अपनी कुटुम्बी जन कह। वे ही तुझको उस कुलटा से और स्वेच्छाचारिणी पत्नी के लुभावनें वचनों से बचायेंगे। एक दिन मैंने अपने घर की खिड़की के झरोखे से झाँका, सरल युवकों के बीच एक ऐसा नवयुवक देखा जिसको भले—बुरे की पहचान नहीं थी। वह उसी गली से होकर, उसी कुलटा के नुक्कड़ के पास से जा रहा था। वह उसके ही घर की तरफ बढ़ता जा रहा था। सूरज शाम के धुंधलके में डूबता था, रात के अन्धेरे की तहें जमती जाती थी। तभी कोई कामिनी उससे मिलने के लिये निकल कर बाहर आई। वह वेश्या के वेश में सजी हुई थी। उसकी इच्छाओं में कपट छुपा था। वह वाचाल और निरंकुश थी। उसके पैर कभी घर में नहीं टिकते थे। वह कभी—कभी गलियों में, कभी चौराहों पर, और हर किसी नुक्कड़ पर घात लगाती थी। उसने उसे रोक लिया और उसे पकड़ा। उसने उसे निर्लज्ज मुख से चूम लिया, फिर उससे बोली, “आज मुझे मौत्री भेंट अर्पित करनी थी। मैंने अपनी मन्नत पूरी कर ली है। मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, दे दिया है। उसका कुछ भाग मैं घर ले जा रही हूँ। अब मेरे पास बहुतेरे खाने के लिये है! इसलिये मैं तुझसे मिलने बाहर आई। मैं तुझे खोजती रही और तुझको पा लिया। मैंने मिस्र के मलमल की रंगों भरी चादर से सेज सजाई है। मैंने अपनी सेज को गंधरस, दालचीनी और अगर गंध से सुगन्धित किया है। तू मेरे पास आ जा। भोर की किरण चूर हुए, प्रेम की दाखमधु पीते रहें। आ, हम परस्पर प्रेम से भोग करें। मेरे पति घर पर नहीं है। वह दूर यात्रा पर गया है। वह अपनी थैली धन से भर कर ले गया है और पूर्णमासी तक घर पर नहीं होगा।” उसने उसे लुभावने शब्दों से मोह लिया। उसको मीठी मधुर वाणी से फुसला लिया। वह तुरन्त उसके पीछे ऐसे हो लिया जैसे कोई बैल वध के लिये खिंचा चला जाये। जैसे कोई निरा मूर्ख जाल में पैर धरे। जब तक एक तीर उसका हृदय नहीं बेधेगा तब तक वह उस पक्षी सा जाल पर बिना यह जाने टूट पड़ेगा कि जाल उसके प्राण हर लेगा। सो मेरे पुत्रों, अब मेरी बात सुनो और जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान धरो। अपना मन कुलटा की राहों में मत खिंचने दो अथवा उसे उसके मार्गो पर मत भटकने दो। कितने ही शिकार उसने मार गिरायें हैं। उसने जिनको मारा उनका जमघट बहुत बड़ा है। उस का घर वह राजमार्ग है जो कब्र को जाता है और नीचे मृत्यु की काल—कोठरी में उतरता है!

नीतिवचन 7:1-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

मेरे पुत्र, मेरे वचनों क पालन कर, मेरी आज्ञाओं को निधि के सदृश हृदय में रख। यदि तू मेरी आज्ञाओं का पालन करेगा तो तू जीवित रहेगा; अपनी आंखों की पुतली के सदृश मेरी शिक्षाओं को बहुमूल्‍य जान। उनको अंगूठी के समान अपनी अंगुलियों में पहन; उनको अपने हृदय-पटल पर लिख; और बुद्धि से यह बोल, ‘तू मेरी बहिन है।’ समझ को अपनी सखी कह; ताकि तेरी यह बहिन और सखी तुझको परायी स्‍त्री से बचाएं, व्‍यभिचारिणी स्‍त्री के मीठे बोलों से तेरी रक्षा करें। एक दिन मैंने अपने घर की खिड़की से, अपने झरोखे से बाहर झांका। मुझे सीधे-सादे जवानों की भीड़ में एक नासमझ युवक दिखाई दिया, जो वेश्‍या की कोठी के मोड़ पर गली से गुजर रहा था। यह गली वेश्‍या की कोठी की ओर जाती थी। दिन ढल गया था; शीतल सन्‍ध्‍या का समय था। काली रात आ चुकी थी, घोर अन्‍धकार छा गया था। मैंने देखा कि एक स्‍त्री उससे मिली, जो वेश्‍या की पोशाक पहिने हुए थी, जिसके हृदय में धूर्तता भरी थी। वह अशान्‍त और चंचल थी, उसके पैर घर में टिकते न थे। वह कभी गली में, और कभी बाजार में दिखाई देती थी। वह हर मोड़ पर घात लगाकर शिकार की तलाश में बैठती थी। वेश्‍या ने युवक को पकड़ा और वह उसको चूमने लगी। उसने निर्लज्‍जता से मुख बनाया और जवान से यह कहा, ‘मुझे सहभागिता-बलि चढ़ानी थी; मैंने आज ही अपनी मन्नतें पूरी की हैं। इसीलिए मैं तुमसे भेंट करने को घर से बाहर निकली थी। मैं तुम्‍हें उत्‍सुकता से ढूंढ़ रही थी। अब तुम मुझे मिल गए। मैंने अपने पलंग के बिस्‍तर को सजाया है, उस पर मिस्र देश की बेल-बूटेदार रंगीन चादर बिछायी है। गन्‍धरस, अगर और दालचीनी से मैंने अपनी सेज को सुगन्‍धित किया है। चलो, वहीं सबेरे तक हम प्रेम-क्रीड़ा करते रहें; प्रेम का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को आनन्‍दित करें। मेरा पति घर पर नहीं है, वह लम्‍बी यात्रा पर गया है। वह अपने साथ थैली भर रुपए ले गया है, वह पूर्णमासी के दिन घर लौटेगा।’ ऐसे लुभावने वचन बोलकर उस स्‍त्री ने युवक को फांस लिया; उसने मीठी-मीठी बातें कहकर उसको अपने वश में कर लिया। वह तुरन्‍त उसके पीछे चला गया जैसे बैल कसाई-खाने को जाता है, जैसे हरिण मुग्‍ध रहता है, और तीर उसके कलेजे में बिन्‍ध जाता है। अथवा जैसे पक्षी फन्‍दे की ओर झपटता है, और नहीं जानता है कि ऐसा करने से उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा। अब, मेरे पुत्रो, मेरी बात सुनो; मेरे वचनों पर ध्‍यान दो। तुम्‍हारा हृदय व्‍यभिचारिणी स्‍त्री की ओर आकर्षित न हो, तुम उसकी गली में प्रवेश भी न करना। अनेक पुरुष उसकी चितवन की मार से मर गए हैं; उसने लाशों का ढेर लगा दिया है। उसके घर का मार्ग अधोलोक को जाता है, वह अपने प्रेमी को कबर में ले जाती है।

नीतिवचन 7:1-27 Hindi Holy Bible (HHBD)

हे मेरे पुत्र, मेरी बातों को माना कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने मन में रख छोड़। मेरी आज्ञाओं को मान, इस से तू जीवित रहेगा, और मेरी शिक्षा को अपनी आंख की पुतली जान; उन को अपनी उंगलियों में बान्ध, और अपने हृदय की पटिया पर लिख ले। बुद्धि से कह कि, तू मेरी बहिन है, और समझ को अपनी साथिन बना; तब तू पराई स्त्री से बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है॥ मैं ने एक दिन अपने घर की खिड़की से, अर्थात अपने झरोखे से झांका, तब मैं ने भोले लोगों में से एक निर्बुद्धि जवान को देखा; वह उस स्त्री के घर के कोने के पास की सड़क पर चला जाता था, और उस ने उसके घर का मार्ग लिया। उस समय दिन ढल गया, और संध्याकाल आ गया था, वरन रात का घोर अन्धकार छा गया था। और उस से एक स्त्री मिली, जिस का भेष वेश्या का सा था, और वह बड़ी धूर्त थी। वह शान्ति रहित और चंचल थी, और अपने घर में न ठहरती थी; कभी वह सड़क में, कभी चौक में पाई जाती थी, और एक एक कोने पर वह बाट जोहती थी। तब उस ने उस जवान को पकड़ कर चूमा, और निर्लज्जता की चेष्टा कर के उस से कहा, मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नते आज ही पूरी की हैं; इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, सो अभी पाया है। मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटे वाले कपड़े बिछाए हैं; मैं ने अपने बिछौने पर गन्घरस, अगर और दालचीनी छिड़की है। इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें। क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है; वह चान्दी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा॥ ऐसी ही बातें कह कह कर, उस ने उस को अपनी प्रबल माया में फंसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उस को अपने वश में कर लिया। वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, और जैसे बैल कसाई-खाने को, वा जैसे बेड़ी पहिने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है। अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिडिय़ा के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उस में मेरे प्राण जाएंगे॥ अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ। तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरों में भूल कर न जाना; क्योंकि बहुत से लोग उस के द्वारा मारे पड़े हैं; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी। उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुंचाता है॥

नीतिवचन 7:1-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

हे मेरे पुत्र, मेरी बातों को माना कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने मन में रख छोड़। मेरी आज्ञाओं को मान, इससे तू जीवित रहेगा, और मेरी शिक्षा को अपनी आँख की पुतली जान; उनको अपनी उँगलियों में बाँध, और अपने हृदय की पटिया पर लिख ले। बुद्धि से कह, “तू मेरी बहन है,” और समझ को अपनी कुटुम्बी बना; तब तू पराई स्त्री से बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है। मैंने एक दिन अपने घर की खिड़की से, अर्थात् अपने झरोखे से झाँका, तब मैंने भोले लोगों में से एक निर्बुद्धि जवान को देखा; वह उस स्त्री के घर के कोने के पास की सड़क से गुजर रहा था, और उसने उसके घर का मार्ग लिया। उस समय दिन ढल गया, और संध्याकाल आ गया था, वरन् रात का घोर अंधकार छा गया था। और उससे एक स्त्री मिली, जिसका भेष वेश्या के समान था, और वह बड़ी धूर्त थी। वह शान्ति रहित और चंचल थी, और उसके पैर घर में नहीं टिकते थे; कभी वह सड़क में, कभी चौक में पाई जाती थी, और एक-एक कोने पर वह बाट जोहती थी। तब उसने उस जवान को पकड़कर चूमा, और निर्लज्जता की चेष्टा करके उससे कहा, “मैंने आज ही मेलबलि चढ़ाया और अपनी मन्नतें पूरी की; इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, और अभी पाया है। मैंने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटेवाले कपड़े बिछाए हैं; मैंने अपने बिछौने पर गन्धरस, अगर और दालचीनी छिड़की है। इसलिए अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें। क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है; वह चाँदी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा।” ऐसी ही लुभानेवाली बातें कह कहकर, उसने उसको फँसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उसको अपने वश में कर लिया। वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, जैसे बैल कसाई-खाने को, या हिरन फंदे में कदम रखता है। अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिड़िया के समान है जो फंदे की ओर वेग से उड़ती है और नहीं जानती कि उससे उसके प्राण जाएँगे। अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ। तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरों में भूलकर भी न जाना; क्योंकि बहुत से लोग उसके द्वारा मारे गए है; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी। उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुँचाता है।

नीतिवचन 7:1-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

मेरे पुत्र, मेरे वचनों का पालन करते रहो और मेरे आदेशों को अपने हृदय में संचित करके रखना. मेरे आदेशों का पालन करना और जीवित रहना; मेरी शिक्षाएं वैसे ही सुरक्षित रखना, जैसे अपने नेत्र की पुतली को रखते हो. इन्हें अपनी उंगलियों में पहन लेना; इन्हें अपने हृदय-पटल पर उकेर लेना. ज्ञान से कहो, “तुम मेरी बहन हो,” समझ को “अपना रिश्तेदार घोषित करो,” कि ये तुम्हें व्यभिचारिणी स्त्री से सुरक्षित रखें, तुम्हें पर-स्त्री की लुभानेवाली बातों में फंसने से रोक सकें. मैं खिड़की के पास खड़ा हुआ जाली में से बाहर देख रहा था. मुझे एक साधारण, सीधा-सादा युवक दिखाई दिया, इस युवक में समझदारी तो थी ही नहीं, यह युवक उस मार्ग पर जा रहा था, जो इस स्त्री के घर की ओर जाता था, सड़क की छोर पर उसका घर था. यह संध्याकाल गोधूली की बेला थी, रात्रि के अंधकार का समय हो रहा था. तब मैंने देखा कि एक स्त्री उससे मिलने निकल आई, उसकी वेशभूषा वेश्या के समान थी उसके हृदय से धूर्तता छलक रही थी. (वह अत्यंत भड़कीली और चंचल थी, वह अपने घर पर तो ठहरती ही न थी; वह कभी सड़क पर दिखती थी तो कभी नगर चौक में, वह प्रतीक्षा करती हुई किसी भी चौराहे पर देखी जा सकती थी.) आगे बढ़ के उसने उस युवक को बाहों में लेकर चूम लिया और बड़ी ही निर्लज्जता से उससे कहने लगी: “मुझे बलि अर्पित करनी ही थी और आज ही मैंने अपने मन्नत को पूर्ण कर लिया हैं. इसलिये मैं तुमसे मिलने आ सकी हूं; मैं कितनी उत्कण्ठापूर्वक तुम्हें खोज रही थी, देखो, अब तुम मुझे मिल गए हो! मैंने उत्कृष्ट चादरों से बिछौना सजाया है इन पर मिस्र देश की रंगीन कलाकृतियां हैं. मैंने बिछौने को गन्धरस, अगरू और दालचीनी से सुगंधित किया है. अब देर किस लिए, प्रेम क्रीड़ा के लिए हमारे पास प्रातःकाल तक समय है; हम परस्पर प्रेम के द्वारा एक दूसरे का समाधान करेंगे! मेरे पति प्रवास पर हैं; बड़े लंबे समय का है उनका प्रवास. वह अपने साथ बड़ी धनराशि लेकर गए हैं वह तो पूर्णिमा पर ही लौटेंगे.” इसी प्रकार के मधुर शब्द के द्वारा उसने अंततः उस युवक को फुसला ही लिया; उसके मधुर शब्द के समक्ष वह हार गया. तत्क्षण वह उसके साथ चला गया. यह वैसा ही दृश्य था जैसे वध के लिए ले जाया जा रहा बैल, अथवा जैसे कोई मूर्ख फंदे में फंस गया हो. तब बाण उसके कलेजे को बेधता हुआ निकल जाता है, जैसे पक्षी जाल में जा उलझा हो. उसे तो यह बोध ही नहीं होता, कि यह उसके प्राण लेने के लिए किया जा रहा है. और अब, मेरे पुत्रो, ध्यान से सुनो; और मेरे मुख से निकले शब्दों के प्रति सावधान रहो. तुम्हारा हृदय कभी भी ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, उसके आचार-व्यवहार देखकर बहक न जाना, उसने ऐसे अनेक-अनेक व्यक्तियों को फंसाया है; और बड़ी संख्या है उसके द्वारा संहार किए गए शक्तिशाली व्यक्तियों की. उसका घर अधोलोक का द्वार है, जो सीधे मृत्यु के कक्ष में ले जाकर छोड़ता है.