नीतिवचन 22:17-29

नीतिवचन 22:17-29 पवित्र बाइबल (HERV)

बुद्धिमान की कहावतें सुनों और ध्यान दो। उस पर ध्यान लगाओं जो मैं सिखाता हूँ। तू यदि उनको अपने मन में बसा ले तो बहुत अच्छा होगा; तू उन्हें हरदम निज होठों पर तैयार रख। मैं तुझे आज उपदेश देता हूँ ताकि तेरा यहोवा पर विश्वास पैदा हो। ये तीस शिक्षाएँ मैंने तेरे लिये रची, ये वचन सन्मति के और ज्ञान के हैं। वे बातें जो महत्वपूर्ण होती, ये सत्य वचन तुझको सिखायेगें ताकि तू उसको उचित उत्तर दे सके, जिसने तुझे भेजा है। तू गरीब का शोषण मत कर। इसलिये कि वे बस दरिद्र हैं; और अभावग्रस्त को कचहरी में मत खींच। क्योंकि परमेश्वर उनकी सुनवाई करेगा और जिन्होंने उन्हें लूटा है वह उन्हें लूट लेगा। तू क्रोधी स्वभाव के मनुष्यों के साथ कभी मित्रता मत कर और उसके साथ, अपने को मत जोड़ जिसको शीघ्र क्रोध आ जाता है। नहीं तो तू भी उसकी राह चलेगा और अपने को जाल में फँसा बैठेगा। तू ज़मानत किसी के ऋण की देकर अपने हाथ मत कटा। यदि उसे चुकाने में तेरे साधन चुकेंगे तो नीचे का बिस्तर तक तुझसे छिन जायेगा। तेरी धरती की सम्पत्ति जिसकी सीमाएँ तेरे पूर्वजों ने निर्धारित की उस सीमा रेखा को कभी भी मत हिला। यदि कोई व्यक्ति अपने कार्य में कुशल है, तो वह राजा की सेवा के योग्य है। ऐसे व्यक्तियों के लिये जिनका कुछ महत्व नहीं उसको कभी काम नहीं करना पड़ेगा।

नीतिवचन 22:17-29 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

विद्वानों के ये वचन हैं : मेरी ओर कान लगाओ और ध्‍यान से मेरी बातें सुनो, ज्ञान की बातों पर मन लगाओ, जो मैं तुमसे कहूंगा। यदि तुम इन बातों को अपने हृदय में धारण करोगे और ये तुम्‍हारे ओंठों से निकला करेंगी तो यह आनन्‍द की बात होगी। तुम प्रभु पर भरोसा करो, इसलिए मैंने तुमसे ज्ञान की ये बातें कहीं हैं। मैंने तुम्‍हारे हित और ज्ञान के लिए तीस नीतिवचन लिखे हैं, जिससे तुम्‍हें मालूम हो जाए कि उचित मार्ग क्‍या है, सत्‍य क्‍या है, और तुम लौटकर अपने भेजनेवालों को सच्‍चा उत्तर दे सको: किसी गरीब को मत लूटना क्‍योंकि वह गरीब है; और न अदालत में किसी पीड़ित का दमन करना। क्‍योंकि स्‍वयं प्रभु उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और वह उनका प्राण ले लेगा, जो गरीबों और पीड़ितों को लूटते हैं। जिस मनुष्‍य का स्‍वभाव क्रोधी है, उससे मित्रता मत करना; तुरन्‍त नाराज होनेवाले मनुष्‍य के साथ मत रहना। अन्‍यथा तुम भी उसका आचरण सीख जाओगे, और अपने प्राण को फंदे में फंसाओगे। उन लोगों के समान मत बनो, जो दूसरों कि जमानत देते हैं, जो कर्जदारों का कर्ज चुकाने के लिए वचन देते हैं। क्‍योंकि यदि चुकाने के लिए तुम्‍हारे पास कुछ न होगा तो साहूकार तुम्‍हारा बिस्‍तर भी तुमसे ले लेगा। जो सीमा-चिह्‍न तुम्‍हारे पुर्वजों ने गाड़ा है, उसको मत हटाना। यदि तुम्‍हें ऐसा मनुष्‍य दिखाई दे जो अपने काम में माहिर है, तो समझ जाना कि वह उच्‍च पद पर नियुक्‍त होगा, वह साधारण नौकरी नहीं करेगा।

नीतिवचन 22:17-29 Hindi Holy Bible (HHBD)

कान लगा कर बुद्धिमानों के वचन सुन, और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; यदि तू उस को अपने मन में रखे, और वे सब तेरे मुंह से निकला भी करें, तो यह मन भावनी बात होगी। मैं आज इसलिये ये बातें तुझ को जता देता हूं, कि तेरा भरोसा यहोवा पर हो। मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश और ज्ञान की बातें लिखता आया हूं, कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्चय करा दूं, जिस से जो तुझे काम में लगाएं, उन को सच्चा उत्तर दे सके॥ कंगाल पर इस कारण अन्धेर न करना कि वह कंगाल है, और न दीन जन को कचहरी में पीसना; क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा। क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करने वाले के संग न चलना, कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे, और तेरा प्राण फन्दे में फंस जाए। जो लोग हाथ पर हाथ मारते, और ऋणियों के उत्तरदायी होते हैं, उन में तू न होना। यदि भर देने के लिये तेरे पास कुछ न हो, तो वह क्यों तेरे नीचे से खाट खींच ले जाए? जो सिवाना तेरे पुरखाओं ने बान्धा हो, उस पुराने सिवाने को न बढ़ाना। यदि तू ऐसा पुरूष देखे जो कामकाज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं॥

नीतिवचन 22:17-29 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

कान लगाकर बुद्धिमानों के वचन सुन, और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; यदि तू उसको अपने मन में रखे, और वे सब तेरे मुँह से निकला भी करें, तो यह मनभावनी बात होगी। मैं ने आज इसलिये ये बातें तुझ को बताई हैं, कि तेरा भरोसा यहोवा पर हो। मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश और ज्ञान की बातें लिखता आया हूँ, कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्‍चय करा दूँ, जिससे जो तुझे काम में लगाएँ, उनको तू सच्‍चा उत्तर दे सके। कंगाल पर इस कारण अन्धेर न करना कि वह कंगाल है, और न दीन जन को कचहरी में पीसना; क्योंकि यहोवा उनका मुक़द्दमा लड़ेगा, और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा। क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करनेवाले के संग न चलना, कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे, और तेरा प्राण फन्दे में फँस जाए। जो लोग हाथ पर हाथ मारते, और ऋणियों के उत्तरदायी होते हैं, उन में तू न होना। यदि भर देने के लिये तेरे पास कुछ न हो, तो वह क्यों तेरे नीचे से खाट खींच ले जाए? जो सीमा तेरे पुरखाओं ने बाँधी हो, उस पुरानी सीमा को न बढ़ाना। यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो काम–काज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं।

नीतिवचन 22:17-29 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

कान लगाकर बुद्धिमानों के वचन सुन, और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; यदि तू उसको अपने मन में रखे, और वे सब तेरे मुँह से निकला भी करें, तो यह मनभावनी बात होगी। मैंने आज इसलिए ये बातें तुझको बताई है, कि तेरा भरोसा यहोवा पर हो। मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश और ज्ञान की बातें लिखता आया हूँ, कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्चय करा दूँ, जिससे जो तुझे काम में लगाएँ, उनको सच्चा उत्तर दे सके। कंगाल पर इस कारण अंधेर न करना कि वह कंगाल है, और न दीन जन को कचहरी में पीसना; क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा। क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करनेवाले के संग न चलना, कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे, और तेरा प्राण फंदे में फँस जाए। जो लोग हाथ पर हाथ मारते हैं, और कर्जदार के उत्तरदायी होते हैं, उनमें तू न होना। यदि तेरे पास भुगतान करने के साधन की कमी हो, तो क्यों न साहूकार तेरे नीचे से खाट खींच ले जाए? जो सीमा तेरे पुरखाओं ने बाँधी हो, उस पुरानी सीमा को न बढ़ाना। यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो काम-काज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं।

नीतिवचन 22:17-29 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

अत्यंत ध्यानपूर्वक बुद्धिमानों का प्रवचन सुनो; और मेरे ज्ञान की बातों को मन में बसा लो, क्योंकि यह करना तुम्हारे लिए सुखदायी होगा, यदि ये तुम्हारे मन में बसे हुए होंगे, यदि ये सभी तुम्हें मुखाग्र होंगे. मैं यह सब तुम पर, विशेष रूप से तुम पर इसलिये प्रकट कर रहा हूं, कि तुम्हारा भरोसा याहवेह पर अटल रहे; विचार करो, क्या मैंने परामर्श तथा ज्ञान के ये तीस नीति सूत्र इस उद्देश्य से नहीं लिखे कि तुम्हें यह बोध रहे कि सुसंगत और सत्य क्या है, और तुम अपने प्रेषकों को उपयुक्त उत्तर दे सको? किसी निर्धन को इसलिये लूटने न लगो, कि वह निर्धन है, वैसे ही किसी पीड़ित को न्यायालय ले जाकर गुनहगार न बनाना, क्योंकि याहवेह पीड़ित के पक्ष में खड़े होंगे, और उनके प्राण का बदला लेंगे. किसी क्रोधी व्यक्ति को मित्र न बनाना, और न किसी शीघ्र क्रोधी व्यक्ति के किसी कार्य में सहयोगी बनना. कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उसी के समान बन जाओ और स्वयं किसी फंदे में जा फंसो. तुम उनके जैसे न बनना, जो किसी की ज़मानत लेते हैं, जो किसी ऋणी के ऋण का दायित्व लेते हैं. यदि तुम्हारे पास भुगतान करने के लिए कुछ नहीं है, तो साहूकार तो तुमसे तुम्हारा बिछौना छीन लेगा. अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित सीमा-चिन्हों को तुम कभी न हटाना. क्या आप किसी को अपने काम में कुशल दिखते हैं? उस व्यक्ति का स्थान राजा की उपस्थिति में है; वे नीचे श्रेणी के अधिकारियों के सामने सेवा नहीं करेंगे.