नीतिवचन 21:1-16

नीतिवचन 21:1-16 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

राजा का मन नालियों के जल के समान यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको मोड़ देता है। मनुष्य का सारा चालचलन अपनी दृष्‍टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जाँचता है। धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है। चढ़ी आँखें, घमण्डी मन, और दुष्‍टों की खेती, तीनों पापमय हैं। काम–काजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करनेवाले को केवल घटी होती है। जो धन झूठ के द्वारा प्राप्‍त हो, वह वायु से उड़ जाने वाला कुहरा है, उसके ढूँढ़नेवाले मृत्यु ही को ढूँढ़ते हैं। जो उपद्रव दुष्‍ट लोग करते हैं, उससे उन्हीं का नाश होता है, क्योंकि वे न्याय का काम करने से इन्कार करते हैं। पाप से लदे हुए मनुष्य का मार्ग बहुत ही टेढ़ा होता है, परन्तु जो पवित्र है, उसका कर्म सीधा होता है। लम्बे–चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है। दुष्‍ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्‍टि नहीं करता। जब ठट्ठा करनेवाले को दण्ड दिया जाता है, तब भोला बुद्धिमान हो जाता है; और जब बुद्धिमान को उपदेश दिया जाता है, तब वह ज्ञान प्राप्‍त करता है। धर्मी जन दुष्‍टों के घराने पर बुद्धिमानी से विचार करता है; ईश्‍वर दुष्‍टों को बुराइयों में उलट देता है। जो कंगाल की दोहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी। गुप्‍त में दी हुई भेंट से क्रोध ठण्डा होता है, और चुपके से दी हुई घूस से बड़ी जलजलाहट भी थमती है। न्याय का काम करना धर्मी को तो आनन्द, परन्तु अनर्थकारियों को विनाश ही का कारण जान पड़ता है। जो मनुष्य बुद्धि के मार्ग से भटक जाए, उसका ठिकाना मरे हुओं के बीच में होगा।

नीतिवचन 21:1-16 पवित्र बाइबल (HERV)

राजाओं का मन यहोवा के हाथ होता, जहाँ भी वह चाहता उसको मोड़ देता है वैसे ही जैसे कोई कृषक पानी खेत का। सबको अपनी—अपनी राहें उत्तम लगती हैं किन्तु यहोवा तो मन को तौलता है। तेरा उस कर्म का करना जो उचित और नेक है यहोवा को अधिक चढ़ावा चढ़ाने से ग्राह्य है। गर्वीली आँखें और दर्पीला मन पाप हैं ये दुष्ट की दुष्टता को प्रकाश में लाते हैं। परिश्रमी की योजनाएँ लाभ देती हैं यह वैसे ही निश्चित है जैसे उतावली से दरिद्रता आती है। झूठ बोल—बोल कर कमाई धन दौलत भाप सी अस्थिर है, और वह घातक फंदा बन जाती है। दुष्ट की हिंसा उन्हें खींच ले डूबेगी क्योंकि वे उचित कर्म करना नहीं चाहते। अपराधी का मार्ग कुटिलता—पूर्ण होता है किन्तु जो सज्जन हैं उसकी राह सीधी होती हैं। झगड़ालू पत्नी के संग घर में निवास से, छत के किसी कोने पर रहना अच्छा है। दुष्ट जन सदा पाप करने को इच्छुक रहता, उसका पड़ोसी उससे दया नहीं पाता। जब उच्छृंखल दण्ड पाता है तब सरल जन को बुद्धि मिल जाती है; किन्तु बुद्धिमान तो सुधारे जाने पर ही ज्ञान को पाता है। न्यायपूर्ण परमेश्वर दुष्ट के घर पर आँख रखता है, और दुष्ट जन का वह नाश कर देता है। यदि किसी गरीब की, करुणा पुकार पर कोई मनुष्य निज कान बंद करता है, तो वह जब पुकारेगा उसकी पुकार भी नहीं सुनी जायेगी। गुप्त रुप से दिया गया उपहार क्रोध को शांत करता, और छिपा कर दी गई घूंस भंयकर क्रोध शांत करती है। न्याय जब पूर्ण होता धर्मी को सुख होता, किन्तु कुकर्मियों को महा भय होता है। जो मनुष्य समझ—बूझ के पथ से भटक जाता है, वह विश्राम करने के लिये मृतकों का साथी बनता है।

नीतिवचन 21:1-16 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

राजा का हृदय नहर के सदृश है, जो प्रभु के हाथ में है; जहां वह चाहता है वहां वह उसको मोड़ देता है। प्रत्‍येक मनुष्‍य अपनी दृष्‍टि में अपने आचरण को उचित समझता है, परन्‍तु प्रभु उसके हृदय को जांचता है। पशु-बलि की अपेक्षा धर्म और न्‍याय के कार्य करना प्रभु को अधिक पसन्‍द है। घमण्‍ड से चढ़ी हुई आंख, अहंकार में डूबा हुआ हृदय, और दुर्जन का धन; ये तीनों पाप हैं। परिश्रमी पुरुष की योजनाएँ निस्‍सन्‍देह समृद्धि लाती हैं; परन्‍तु जो मनुष्‍य उतावली करता है, उसको निराशा ही हाथ लगती है। जो धन झूठ से प्राप्‍त होता है, वह हवा में उड़ जानेवाली भाप है, वह मृत्‍यु का फंदा है। दुर्जनों की हिंसा स्‍वयं दुर्जनों को नष्‍ट कर देगी; क्‍योंकि वे उचित कार्य करने से इन्‍कार करते हैं। दुष्‍कर्मी मनुष्‍य टेढ़े मार्ग पर चलता है, और सत्‍कर्मी सीधे मार्ग पर। झगड़ालू पत्‍नी के साथ घर में रहने की अपेक्षा छत के कोने में पड़े रहना अच्‍छा है। दुर्जन का जीव सदा बुराई की कामना करता है; उसका पड़ोसी भी उसकी आंखों में दया-भाव नहीं पाता है। जब ज्ञान की निन्‍दा करनेवाले को दण्‍ड मिलता है, तब सीधा-सादा व्यक्‍ति बुद्धिमान बनता है, और जब बुद्धिमान को शिक्षा दी जाती है, तब वह ज्ञान प्राप्‍त करता है। धर्ममय परमेश्‍वर दुर्जन के कुटुम्‍ब पर बुद्धिमानी से विचार करता है; और दुर्जनों को विनाश के गड्ढे में फेंक देता है। जो मनुष्‍य गरीब की दुहाई सुनकर कान बन्‍द कर लेता है, वह जब स्‍वयं सहायता के लिए पुकारेगा तब उसकी दुहाई भी नहीं सुनी जाएगी। गुप्‍त रूप से दिया गया उपहार क्रोध को शान्‍त कर देता है; चुपके से दी गई भेंट से क्रोधाग्‍नि भी ठण्‍डी पड़ जाती है। धार्मिक मनुष्‍य न्‍याय का काम कर अपने हृदय में आनन्‍द अनुभव करता है; पर दुर्जन हताश हो जाता है। जो मनुष्‍य समझ के मार्ग से भटक जाता है, वह अन्‍त में मृतकों के समाज में ही ठिकाना पाता है।

नीतिवचन 21:1-16 Hindi Holy Bible (HHBD)

राजा का मन नालियों के जल की नाईं यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उस को फेर देता है। मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जांचता है, धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है। चढ़ी आंखें, घमण्डी मन, और दुष्टों की खेती, तीनों पापमय हैं। कामकाजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करने वाले को केवल घटती होती है। जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जाने वाला कोहरा है, उसके ढूंढ़ने वाले मृत्यु ही को ढूंढ़ते हैं। जो उपद्रव दुष्ट लोग करते हैं, उस से उन्हीं का नाश होता है, क्योंकि वे न्याय का काम करने से इनकार करते हैं। पाप से लदे हुए मनुष्य का मार्ग बहुत ही टेढ़ा होता है, परन्तु जो पवित्र है, उसका कर्म सीधा होता है। लम्बे-चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है। दुष्ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्टि नही करता। जब ठट्ठा करने वाले को दण्ड दिया जाता है, तब भोला बुद्धिमान हो जाता है; और जब बुद्धिमान को उपदेश दिया जाता है, तब वह ज्ञान प्राप्त करता है। धर्मी जन दुष्टों के घराने पर बुद्धिमानी से विचार करता है; ईश्वर दुष्टों को बुराइयों में उलट देता है। जो कंगाल की दोहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी। गुप्त में दी हुई भेंट से क्रोध ठण्डा होता है, और चुपके से दी हुई घूस से बड़ी जलजलाहट भी थमती है। न्याय का काम, करना धर्मी को तो आनन्द, परन्तु अनर्थकारियों को विनाश ही का कारण जान पड़ता है। जो मनुष्य बुद्धि के मार्ग से भटक जाए, उसका ठिकाना मरे हुओं के बीच में होगा।

नीतिवचन 21:1-16 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

राजा का मन जल की धाराओं के समान यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको मोड़ देता है। मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जाँचता है, धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है। चढ़ी आँखें, घमण्डी मन, और दुष्टों की खेती, तीनों पापमय हैं। कामकाजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करनेवाले को केवल घटती होती है। जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जानेवाला कुहरा है, उसके ढूँढ़नेवाले मृत्यु ही को ढूँढ़ते हैं। जो उपद्रव दुष्ट लोग करते हैं, उससे उन्हीं का नाश होता है, क्योंकि वे न्याय का काम करने से इन्कार करते हैं। पाप से लदे हुए मनुष्य का मार्ग बहुत ही टेढ़ा होता है, परन्तु जो पवित्र है, उसका कर्म सीधा होता है। लम्बे-चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से, छत के कोने पर रहना उत्तम है। दुष्ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्टि नहीं करता। जब ठट्ठा करनेवाले को दण्ड दिया जाता है, तब भोला बुद्धिमान हो जाता है; और जब बुद्धिमान को उपदेश दिया जाता है, तब वह ज्ञान प्राप्त करता है। धर्मी जन दुष्टों के घराने पर बुद्धिमानी से विचार करता है, और परमेश्वर दुष्टों को बुराइयों में उलट देता है। जो कंगाल की दुहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी। गुप्त में दी हुई भेंट से क्रोध ठंडा होता है, और चुपके से दी हुई घूस से बड़ी जलजलाहट भी थमती है। न्याय का काम करना धर्मी को तो आनन्द, परन्तु अनर्थकारियों को विनाश ही का कारण जान पड़ता है। जो मनुष्य बुद्धि के मार्ग से भटक जाए, उसका ठिकाना मरे हुओं के बीच में होगा।

नीतिवचन 21:1-16 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

याहवेह के हाथों में राजा का हृदय जलप्रवाह-समान है; वही इसे ईच्छित दिशा में मोड़ देते हैं. मनुष्य की दृष्टि में उसका हर एक कदम सही ही होता है, किंतु याहवेह उसके हृदय को जांचते रहते हैं. याहवेह के लिए सच्चाई तथा न्याय्यता कहीं अधिक स्वीकार्य है. घमंडी आंखें, दंभी हृदय तथा दुष्ट का दीप पाप हैं. यह सुनिश्चित होता है कि परिश्रमी व्यक्ति की योजनाएं लाभ में निष्पन्‍न होती हैं, किंतु हर एक उतावला व्यक्ति निर्धन ही हो जाता है. झूठ बोलने के द्वारा पाया गया धन इधर-उधर लहराती वाष्प होती है, यह मृत्यु का फंदा है. दुष्ट अपने ही हिंसक कार्यों में उलझ कर विनष्ट हो जाएंगे, क्योंकि वे उपयुक्त और सुसंगत विकल्प को ठुकरा देते हैं. दोषी व्यक्ति कुटिल मार्ग को चुनता है, किंतु सात्विक का चालचलन धार्मिकतापूर्ण होता है. विवादी पत्नी के साथ घर में निवास करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है छत के एक कोने में रह लेना. दुष्ट के मन की लालसा ही बुराई की होती है; उसके पड़ोसी तक भी उसकी आंखों में कृपा की झलक नहीं देख पाते. जब ज्ञान के ठट्ठा करनेवालों को दंड दिया जाता है, बुद्धिहीनों में ज्ञानोदय हो जाता है; जब बुद्धिमान को शिक्षा दी जाती है, उसमें ज्ञानवर्धन होता जाता है. धर्मी दुष्ट के घर पर दृष्टि बनाए रखता है, और वह दुष्ट को विनाश गर्त में डाल देता है. जो कोई निर्धन की पुकार की अनसुनी करता है, उसकी पुकार के अवसर पर उसकी भी अनसुनी की जाएगी. गुप्‍त रूप से दिया गया उपहार और चुपचाप दी गई घूस कोप शांत कर देती है. बिना पक्षपात न्याय को देख धर्मी हर्षित होते हैं, किंतु यही दुष्टों के लिए आतंक प्रमाणित होता है. जो ज्ञान का मार्ग छोड़ देता है, उसका विश्रान्ति स्थल मृतकों के साथ निर्धारित है.

नीतिवचन 21:1-16

नीतिवचन 21:1-16 HINCLBSI