नीतिवचन 13:13-25

नीतिवचन 13:13-25 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जो वचन को तुच्छ जानता, वह नष्‍ट हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच सकते हैं। सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु विश्‍वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है। सब चतुर तो ज्ञान से काम करते हैं, परन्तु मूर्ख अपनी मूढ़ता फैलाता है। दुष्‍ट दूत बुराई में फँसता है, परन्तु विश्‍वासयोग्य दूत से कुशलक्षेम होता है। जो शिक्षा को सुनी–अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है। लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है। बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नष्‍ट हो जाएगा। बुराई पापियों के पीछे पड़ती है, परन्तु धर्मियों को अच्छा फल मिलता है। भला मनुष्य अपने नाती–पोतों के लिये सम्पत्ति छोड़ जाता है, परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है। निर्बल लोगों को खेती बारी से बहुत भोजन–वस्तु मिलती है, परन्तु ऐसे लोग भी हैं जो अन्याय के कारण मिट जाते हैं। जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उसको शिक्षा देता है। धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्‍ट भूखे ही रहते हैं।

नीतिवचन 13:13-25 पवित्र बाइबल (HERV)

जो जन शिक्षा का अनादर करता है, उसको इसका मूल्य चुकाना पड़ेगा। किन्तु जो शिक्षा का आदर करता है, वह तो इसका प्रतिफल पाता है। विवेक की शिक्षा जीवन का उद्गम स्रोत है, वह लोगों को मौत के फंदे से बचाती है। अच्छी भली समझ बूझ कृपा दृष्टि अर्जित करती, पर विश्वासहीन का जीवन कठिन होता है। हर एक विवेकी ज्ञानपूर्वक काम करता, किन्तु एक मूर्ख निज मूर्खता प्रकट करता है। कुटिल सन्देशवाहक विपत्ति में पड़ता है, किन्तु विश्वसनीय दूत शांति देता है। ऐसा मनुष्य जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, उसपर लज्जा और दरिद्रता आ पड़ती है, किन्तु जो शिक्षा पर कान देता है, वह आदर पाता है। किसी इच्छा का पूरा हो जाना मन को मधुर लगता है किन्तु दोष का त्याग, मूर्खो को नहीं भाता है। बुद्धिमान की संगति, व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है। किन्तु मूर्खो का साथी नाश हो जाता है। दुर्भाग्य पापियों का पीछा करता रहता है किन्तु नेक प्रतिफल में खुशहाली पाते हैं। सज्जन अपने नाती—पोतों को धन सम्पति छोड़ता है जबकि पापी का धन धर्मियों के निमित्त संचित होता रहता है। दीन जन का खेत भरपूर फसल देता है, किन्तु अन्याय उसे बुहार ले जाता है। जो अपने पुत्र को कभी नहीं दण्डित करता, वह अपने पुत्र से प्रेम नहीं रखता है। किन्तु जो प्रेम करता निज पुत्र से, वह तो उसे यत्न से अनुशासित करता है। धर्मी जन, मन से खाते और पूर्ण तृप्त होते हैं किन्तु दुष्ट का पेट तो कभी नहीं भरता है।

नीतिवचन 13:13-25 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जो मनुष्‍य परमेश्‍वर के वचन को तुच्‍छ समझता है, वह स्‍वयं अपने विनाश का कारण बनता है! पर प्रभु की आज्ञाओं का आदर करनेवाला पुरस्‍कार पाएगा! बुद्धिमान व्यक्‍ति के शिक्षाप्रद वचन जीवन के झरने हैं, जिनके द्वारा मनुष्‍य मृत्‍यु के फंदे से बचता है। सद्बुद्धि के द्वारा मनुष्‍य लोगों का कृपापात्र बनता है, किन्‍तु धर्महीन व्यक्‍ति का आचरण उसके विनाश का कारण होता है। व्‍यवहार-कुशल व्यक्‍ति बुद्धि से अपने कार्य करता है, परन्‍तु मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। बुरा राजदूत जनता को संकट में डालता है, पर विश्‍वासयोग्‍य राजदूत सुखद समाचार लाता है। जो मनुष्‍य शिक्षा की उपेक्षा करता है, वह गरीबी और अपमान का जीवन बिताता है; पर चेतावनी पर ध्‍यान देनेवाला मनुष्‍य सम्‍मान का पात्र बनता है। जब इच्‍छा पूर्ण हो जाती है तब मनुष्‍य को उसका स्‍वाद मधुर लगता है। पर दुराचार के मार्ग को छोड़ना मूर्ख को घृणित लगता है। जो मनुष्‍य बुद्धिमानों का सत्‍संग करता है, वह स्‍वयं बुद्धिमान बनता है; पर मूर्खों का साथी विपत्ति में पड़ता है। अनिष्‍ट पापी मनुष्‍य के पीछे लगा रहता है; किन्‍तु धार्मिक व्यक्‍ति को समृद्धि प्राप्‍त होती है। सज्‍जन अपने वंश के लिए पैतृक सम्‍पत्ति छोड़ जाता है; किन्‍तु पापी का धन धार्मिक मनुष्‍य के हाथ लगता है। गरीब किसान की परती भूमि भी भरपूर फसल उत्‍पन्न करती है, पर अन्‍यायी मालगुजार उसको हड़प जाते हैं। जो पिता अपने पुत्र को दण्‍ड नहीं देता, वह उससे प्रेम नहीं करता; क्‍योंकि जो पिता अपने पुत्र से प्रेम करता है, वह पुत्र को अनुशासित करने में देर नहीं करता। धार्मिक मनुष्‍य के पास अपनी भूख तृप्‍त करने के लिए पर्याप्‍त भोजन रहता है; किन्‍तु दुर्जन को कभी पेट-भर भोजन नहीं मिलता।

नीतिवचन 13:13-25 Hindi Holy Bible (HHBD)

जो वचन को तुच्छ जानता, वह नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच सकते हैं। सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु विश्वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है। सब चतुर तो ज्ञान से काम करते हैं, परन्तु मूर्ख अपनी मूढ़ता फैलाता है। दुष्ट दूत बुराई में फंसता है, परन्तु विश्वासयोग्य दूत से कुशल क्षेम होता है। जो शिक्षा को सुनी- अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डांट को मानता, उसकी महिमा होती है। लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है। बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा। बुराई पापियों के पीछे पड़ती है, परन्तु धर्मियों को अच्छा फल मिलता है। भला मनुष्य अपने नाती- पोतों के लिये भाग छोड़ जाता है, परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है। निर्बल लोगों को खेती बारी से बहुत भोजनवस्तु मिलती है, परन्तु ऐसे लोग भी हैं जो अन्याय के कारण मिट जाते हैं। जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उस को शिक्षा देता है। धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं॥

नीतिवचन 13:13-25 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जो वचन को तुच्छ जानता, उसका नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फंदों से बच सकते हैं। सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु विश्वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है। विवेकी मनुष्य ज्ञान से सब काम करता हैं, परन्तु मूर्ख अपनी मूर्खता फैलाता है। दुष्ट दूत बुराई में फँसता है, परन्तु विश्वासयोग्य दूत मिलाप करवाता है। जो शिक्षा को अनसुनी करता वह निर्धन हो जाता है और अपमान पाता है, परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है। लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है। बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा। विपत्ति पापियों के पीछे लगी रहती है, परन्तु धर्मियों को अच्छा फल मिलता है। भला मनुष्य अपने नाती-पोतों के लिये सम्पत्ति छोड़ जाता है, परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है। निर्बल लोगों को खेती-बारी से बहुत भोजनवस्तु मिलता है, परन्तु अन्याय से उसको हड़प लिया जाता है। जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उससे प्रेम रखता, वह यत्न से उसको शिक्षा देता है। धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं।

नीतिवचन 13:13-25 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

वह, जो शिक्षा को तुच्छ दृष्टि से देखता है, स्वयं अपना विनाश आमंत्रित करता है, किंतु वह, जो आदेश का सम्मान करता है, उत्कृष्ट प्रतिफल प्राप्‍त करता है. बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, कि इससे मृत्यु के फन्दों से बचा जा सके. सौहार्दपूर्ण संबंध सहज सुबुद्धि द्वारा स्थापित किए जाते हैं, किंतु विश्वासघाती की नीति उसी के विनाश का कारक होती है. चतुर व्यक्ति के हर एक कार्य में ज्ञान झलकता है, किंतु मूर्ख अपनी मूर्खता ही उछालता रहता है. कुटिल संदेशवाहक विपत्ति में जा पड़ता है, किंतु विश्वासयोग्य संदेशवाहक मेल-मिलाप करवा देता है. निर्धनता और लज्जा, उसी के हाथ लगती हैं, जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, किंतु सम्मानित वह होता है, जो ताड़ना स्वीकार करता है. अभिलाषा की पूर्ति प्राणों में मधुरता का संचार करती है, किंतु बुराई का परित्याग मूर्ख को अप्रिय लगता है. वह, जो ज्ञानवान की संगति में रहता है, ज्ञानवान हो जाता है, किंतु मूर्खों के साथियों को हानि का सामना करना होगा. विपत्ति पापियों के पीछे लगी रहती है, किंतु धर्मी का प्रतिफल होता है कल्याण. सज्जन संतान की संतान के लिए धन छोड़ जाता है, किंतु पापियों की निधि धर्मी को प्राप्‍त होती है. यह संभव है कि साधारण किसान की भूमि उत्तम उपज लाए, किंतु अन्यायी उसे हड़प लेता है. जो पिता अपने पुत्र को दंड नहीं देता, उसे अपने पुत्र से प्रेम नहीं है, किंतु जिसे अपने पुत्र से प्रेम है, वह बड़ी सावधानीपूर्वक उसे अनुशासन में रखता है. धर्मी को उसकी भूख मिटाने के लिए पर्याप्‍त भोजन रहता है, किंतु दुष्ट सदैव अतृप्‍त ही बने रहते हैं.