नीतिवचन 1:6-33

नीतिवचन 1:6-33 पवित्र बाइबल (HERV)

ताकि मनुष्य नीतिवचन, ज्ञानी के दृष्टाँतों को और पहेली भरी बातों को समझ सकें। यहोवा का भय मानना ज्ञान का आदि है किन्तु मूर्ख जन तो बुद्धि और अनुशासन को तुच्छ मानते हैं। हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर ध्यान दे और अपनी माता की नसीहत को मत भूल। वे तेरा सिर सजाने को मुकुट और शोभायमान करने तेरे गले का हार बनेंगे। हे मेरे पुत्र, यदि पापी तुझे बहलाने फुसलाने आयें उनकी कभी मत मानना। और यदि वे कहें, “आजा हमारे साथ! आ, हम किसी के घात में बैठे! आ निर्दोष पर छिपकर वार करें! आ, हम उन्हें जीवित ही सारे का सारा निगल जायें वैसे ही जैसे कब्र निगलती हैं। जैसे नीचे पाताल में कहीं फिसलता चला जाता है। हम सभी बहुमूल्य वस्तुयें पा जायेंगे और अपने इस लूट से घर भर लेंगे। अपने भाग्य का पासा हमारे साथ फेंक, हम एक ही बटुवे के सहभागी होंगे!” हे मेरे पुत्र, तू उनकी राहों पर मत चल, तू अपने पैर उन पर रखने से रोक। क्योंकि उनके पैर पाप करने को शीघ्र बढ़ते, वे लहू बहाने को अति गतिशील हैं। कितना व्यर्थ है, जाल का फैलाना जबकि सभी पक्षी तुझे पूरी तरह देखते हैं। जो किसी का खून बहाने प्रतीक्षा में बैठे हैं वे अपने आप उस जाल में फँस जायेंगे! जो ऐसे बुरे लाभ के पीछे पड़े रहते हैं उन सब ही का यही अंत होता है। उन सब के प्राण हर ले जाता है; जो इस बुरे लाभ को अपनाता है। बुद्धि! तो मार्ग में ऊँचे चढ़ पुकारती है, चौराहों पर अपनी आवाज़ उठाती है। शोर भरी गलियों के नुक्कड़ पर पुकारती है, नगर के फाटक पर निज भाषण देती है: “अरे भोले लोगों! तुम कब तक अपना मोह सरल राहों से रखोगे? उपहास करनेवालों, तुम कब तक उपहासों में आनन्द लोगे? अरे मूर्खो, तुम कब तक ज्ञान से घृणा करोगे? यदि मेरी फटकार तुम पर प्रभावी होती तो मैं तुम पर अपना हृदय उंडेल देती और तुम्हें अपने सभी विचार जना देती। “किन्तु क्योंकि तुमने तो मुझको नकार दिया जब मैंने तुम्हें पुकारा, और किसी ने ध्यान न दिया, जब मैंने अपना हाथ बढ़ाया था। तुमने मेरी सब सम्मत्तियाँ उपेक्षित कीं और मेरी फटकार कभी नहीं स्वीकारीं! इसलिए, बदले में, मैं तेरे नाश पर हसूँगी। मैं उपहास करूँगी जब तेरा विनाश तुझे घेरेगा! जब विनाश तुझे वैसे ही घेरेगा जैसे भीषण बबूले सा बवण्डर घेरता है, जब विनाश जकड़ेगा, और जब विनाश तथा संकट तुझे डुबो देंगे। “तब, वे मुझको पुकारेंगे किन्तु मैं कोई भी उत्तर नहीं दूँगी। वे मुझे ढूँढते फिरेगें किन्तु नहीं पायेंगे। क्योंकि वे सदा ज्ञान से घृणा करते रहे, और उन्होंने कभी नहीं चाहा कि वे यहोवा से डरें। क्योंकि वे, मेरा उपदेश कभी नहीं धारण करेंगे, और मेरी ताड़ना का तिरस्कार करेंगे। वे अपनी करनी का फल अवश्य भोगेंगे, वे अपनी योजनाओं के कुफल से अघायेंगे! “सीधों की मनमानी उन्हें ले डूबेगी, मूर्खों का आत्म सुख उन्हें नष्ट कर देगा। किन्तु जो मेरी सुनेगा वह सुरक्षित रहेगा, वह बिना किसा हानि के भय से रहित वह सदा चैन से रहेगा।”

नीतिवचन 1:6-33 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

इसके द्वारा मनुष्‍य पहेली और दृष्‍टांत का अर्थ जाने, वह बुद्धिमानों की बातों और उनके गूढ़ वचनों को समझे। प्रभु के प्रति भय-भाव ही बुद्धि का मूल है, जो मूर्ख हैं; वे ही बुद्धि और शिक्षा को तुच्‍छ समझते हैं। मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा को सुन, और अपनी मां की सीख को मत छोड़। उनकी शिक्षा और सीख मानो तेरे सिर के लिए सुन्‍दर मुकुट हैं, वे तेरे गले की माला हैं। मेरे पुत्र, यदि पापी तुझे फुसलाएं, तो तू उनकी बातों में न आना; यदि वे तुझसे यह कहें, ‘हमारे साथ आ। हम हत्‍या के लिए घात लगाएं; हम अकारण ही निर्दोष पर छिप कर वार करें; आ, हम अधोलोक की तरह, उन्‍हें जीवित ही निगल जाएं, उनको कबर में जानेवालों के समान पूरा का पूरा खा जाएं। तब हम उनके सब कीमती सामान को हड़प लेंगे; हम अपने मकान उनकी लूट से भर लेंगे। तू हमारे झुण्‍ड में सम्‍मिलित हो जा; हम सब का एक ही बटुआ होगा।’ मेरे पुत्र, तू उन दुर्जनों के मार्ग पर मत चलना, बल्‍कि उनकी गली में पैर भी मत रखना। वे दुष्‍कर्म करने को दौड़ते हैं; वे हत्‍या करने को शीघ्रता करते हैं। जब पक्षी देख रहा हो तब जाल बिछाने से क्‍या लाभ? दुर्जन अपनी ही हत्‍या के लिए घात लगाते हैं; वे मानो अपने ही प्राण लेने के लिए छिपकर बैठते हैं। हिंसक लोभियों का आचरण ऐसा ही होता है, पर उनका लोभ ही उनकी मृत्‍यु का कारण बनता है। बुद्धि सड़क पर पुकार रही है; चौराहे पर उसकी आवाज गूंज रही है। वह भीड़ भरे मार्गों में पुकार रही है; वह नगर के प्रवेश-द्वारों पर खड़ी हुई कह रही है: ‘ओ अज्ञानियो, कब तक तुम अज्ञान गले लगाए रखोगे? ज्ञान की हंसी उड़ाने वालो, कब तक तुम ज्ञान की हंसी उड़ाते रहोगे? ओ मुर्खो, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे? मेरी चेतावनियों पर ध्‍यान दो; देखो, मैं अपनी आत्‍मा तुम पर उण्‍डेल रही हूं। मैं तुम पर अपनी बातें प्रकट करूंगी। मैंने तुम्‍हें पुकारा, पर तुमने मेरी बात सुनने से इन्‍कार कर दिया; मैंने तुम्‍हारी ओर अपना हाथ बढ़ाया, किन्‍तु तुममें से किसी ने भी ध्‍यान नहीं दिया। तुमने मेरी सलाह की उपेक्षा की, और मेरी चेतावनी को अनसुना किया। अत: जब तुम पर विपत्ति आएगी तब मैं हंसूंगी, जब तुम पर आतंक छाएगा तब मैं तुम्‍हारा उपहास करूंगी। जब तूफान के समान आतंक तुम पर छा जाएगा, बवंडर के सदृश विपत्ति तुम पर टूट पड़ेगी; तुम दु:ख और संकट के जाल में फंस जाओगे, तब मैं तुम्‍हारा मजाक उड़ाऊंगी। तुम मुझे पुकारोगे, पर मैं तुम्‍हें उत्तर नहीं दूंगी; तुम मुझे ढूंढ़ने में जमीन-आसमान एक कर दोगे, किन्‍तु मुझे नहीं पा सकोगे। क्‍योंकि तुमने ज्ञान से बैर किया है; तुम्‍हें प्रभु की भक्‍ति करना पसन्‍द नहीं है। तुम्‍हें मेरी सलाह नहीं चाहिए; तुम मेरी चेतावनियों को तुच्‍छ समझते हो। अत: तुम अपनी करनी का फल स्‍वयं भोगोगे; जो काम तुमने अपनी इच्‍छा से किए हैं, उनके फल से तुम अघा जाओगे। अज्ञानी मार्ग से भटक जाते हैं, और उनका भटकना मृत्‍यु का कारण बनता है; मूर्खों का आत्‍म-सन्‍तोष उनके विनाश का कारण होता है। किन्‍तु जो व्यक्‍ति मेरी बात सुनेगा, वह सुरक्षित निवास करेगा। वह बुराई से नहीं डरेगा; बल्‍कि सुख-चैन से रहेगा।’

नीतिवचन 1:6-33 Hindi Holy Bible (HHBD)

जिस से वे नितिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें॥ यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं॥ हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी। हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना। यदि वे कहें, हमारे संग चल कि, हम हत्या करने के लिये घात लगाएं हम निर्दोषों की ताक में रहें; हम अधोलोक की नाईं उन को जीवता, कबर में पड़े हुओं के समान समूचा निगल जाएं; हम को सब प्रकार के अनमोल पदार्थ मिलेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे; तू हमारा साझी हो जा, हम सभों का एक ही बटुआ हो, तो, हे मेरे पुत्र तू उनके संग मार्ग में न चलना, वरन उनकी डगर में पांव भी न धरना; क्योंकि वे बुराई की करने को दौड़ते हैं, और हत्या करने को फुर्ती करते हैं। क्योंकि पक्षी के देखते हुए जाल फैलाना व्यर्थ होता है; और ये लोग तो अपनी ही हत्या करने के लिये घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात की ताक में रहते हैं। सब लालचियों की चाल ऐसी ही होती है; उनका प्राण लालच ही के कारण नाश हो जाता है॥ बुद्धि सड़क में ऊंचे स्वर से बोलती है; और चौकों में प्रचार करती है; वह बाजारों की भीड़ में पुकारती है; वह फाटकों के बीच में और नगर के भीतर भी ये बातें बोलती है: हे भोले लोगो, तुम कब तक भोलेपन से प्रीति रखोगे? और हे ठट्ठा करने वालो, तुम कब तक ठट्ठा करने से प्रसन्न रहोगे? और हे मूर्खों, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे? तुम मेरी डांट सुन कर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूंगी; मैं तुम को अपने वचन बताऊंगी। मैं ने तो पुकारा परन्तु तुम ने इनकार किया, और मैं ने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया, वरन तुम ने मेरी सारी सम्मति को अनसुनी किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना; इसलिये मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हंसूंगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, वरन आंधी की नाईं तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फंसोगे, तब मैं ठट्ठा करूंगी। उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूंगी; वे मुझे यत्न से तो ढूंढ़ेंगे, परन्तु न पाएंगे। क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उन को न भाया। उन्होंने मेरी सम्मति न चाही वरन मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना। इसलिये वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्तियों के फल से अघा जाएंगे। क्योंकि भोले लोगों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्चिन्त रहने के कारण मूढ़ लोग नाश होंगे; परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और बेखटके सुख से रहेगा॥

नीतिवचन 1:6-33 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जिस से वे नीतिवचन और दृष्‍टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें। यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं। हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होगी। हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना। यदि वे कहें, “हमारे संग चल कि हम हत्या करने के लिये घात लगाएँ, हम निर्दोषों की ताक में रहें; हम अधोलोक के समान उनको जीवता, कबर में पड़े हुओं के समान समूचा निगल जाएँ। हम को सब प्रकार के अनमोल पदार्थ मिलेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे; तू हमारा साझी हो जा, हम सभों का एक ही बटुआ हो,” तो हे मेरे पुत्र, तू उनके संग मार्ग में न चलना, वरन् उनकी डगर में पाँव भी न रखना। क्योंकि वे बुराई ही करने को दौड़ते हैं, और हत्या करने को फुर्ती करते हैं। क्योंकि पक्षी के देखते हुए जाल फैलाना व्यर्थ होता है; और ये लोग तो अपनी ही हत्या करने के लिये घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात में रहते हैं। सब लालचियों की चाल ऐसी ही होती है, उनका प्राण लालच ही के कारण नष्‍ट हो जाता है। बुद्धि सड़क में ऊँचे स्वर से बोलती है, और चौकों में प्रचार करती है; वह बाज़ारों की भीड़ में पुकारती है; वह फाटकों के बीच में और नगर के भीतर भी ये बातें बोलती है : “हे भोले लोगो, तुम कब तक भोलेपन से प्रीति रखोगे? हे ठट्ठा करनेवालो, तुम कब तक ठट्ठा करने से प्रसन्न रहोगे? हे मूर्खो, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे? तुम मेरी डाँट सुनकर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूँगी, मैं तुम को अपने वचन बताऊँगी। मैं ने तो पुकारा परन्तु तुम ने इन्कार किया, और मैं ने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया, वरन् तुम ने मेरी सारी सम्मति को अनसुनी किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना; इसलिये मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हँसूँगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, वरन् आँधी के समान तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फँसोगे, तब मैं ठट्ठा करूँगी। उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूँगी; वे मुझे यत्न से तो ढूँढ़ेंगे, परन्तु न पाएँगे। क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उनको न भाया। उन्होंने मेरी सम्मति न चाही, वरन् मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना। इसलिये वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्‍तियों के फल से अघा जाएँगे। क्योंकि भोले लोगों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्‍चिन्त रहने के कारण मूढ़ लोग नष्‍ट होंगे, परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और बेखटके सुख से रहेगा।”

नीतिवचन 1:6-33 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जिससे वे नीतिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें। यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूर्ख लोग ही तुच्छ जानते हैं। हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये माला होगी। हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना। यदि वे कहें, “हमारे संग चल, कि हम हत्या करने के लिये घात लगाएँ, हम निर्दोषों पर वार करें; हम उन्हें जीवित निगल जाए, जैसे अधोलोक स्वस्थ लोगों को निगल जाता है, और उन्हें कब्र में पड़े मृतकों के समान बना दें। हमको सब प्रकार के अनमोल पदार्थ मिलेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे; तू हमारा सहभागी हो जा, हम सभी का एक ही बटुआ हो,” तो, हे मेरे पुत्र तू उनके संग मार्ग में न चलना, वरन् उनकी डगर में पाँव भी न रखना; क्योंकि वे बुराई ही करने को दौड़ते हैं, और हत्या करने को फुर्ती करते हैं। (रोम. 3:15-17) क्योंकि पक्षी के देखते हुए जाल फैलाना व्यर्थ होता है; और ये लोग तो अपनी ही हत्या करने के लिये घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात की ताक में रहते हैं। सब लालचियों की चाल ऐसी ही होती है; उनका प्राण लालच ही के कारण नाश हो जाता है। बुद्धि सड़क में ऊँचे स्वर से बोलती है; और चौकों में प्रचार करती है; वह बाजारों की भीड़ में पुकारती है; वह नगर के फाटकों के प्रवेश पर खड़ी होकर, यह बोलती है: “हे अज्ञानियों, तुम कब तक अज्ञानता से प्रीति रखोगे? और हे ठट्ठा करनेवालों, तुम कब तक ठट्ठा करने से प्रसन्न रहोगे? हे मूर्खों, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे? तुम मेरी डाँट सुनकर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूँगी; मैं तुम को अपने वचन बताऊँगी। मैंने तो पुकारा परन्तु तुम ने इन्कार किया, और मैंने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया, वरन् तुम ने मेरी सारी सम्मति को अनसुना किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना; इसलिए मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हँसूँगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, तब मैं ठट्ठा करूँगी। वरन् आँधी के समान तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फँसोगे, तब मैं ठट्ठा करूँगी। उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूँगी; वे मुझे यत्न से तो ढूँढ़ेंगे, परन्तु न पाएँगे। क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उनको न भाया। उन्होंने मेरी सम्मति न चाही वरन् मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना। इसलिए वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्तियों के फल से अघा जाएँगे। क्योंकि अज्ञानियों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्चिन्त रहने के कारण मूर्ख लोग नाश होंगे; परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और विपत्ति से निश्चिन्त होकर सुख से रहेगा।”

नीतिवचन 1:6-33 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

कि वह सूक्ति तथा दृष्टांत को, बुद्धिमानों की योजना को और उनके रहस्यों को समझ सके. याहवेह के प्रति श्रद्धा ही ज्ञान का प्रारम्भ-बिंदु है, मूर्ख हैं वे, जो ज्ञान और अनुशासन को तुच्छ मानते हैं. मेरे पुत्र, अपने पिता के अनुशासन पर ध्यान देना और अपनी माता की शिक्षा को न भूलना. क्योंकि ये तुम्हारे सिर के लिए सुंदर अलंकार और तुम्हारे कण्ठ के लिए माला हैं. मेरे पुत्र, यदि पापी तुम्हें प्रलोभित करें, उनसे सहमत न हो जाना. यदि वे यह कहें, “हमारे साथ चलो; हम हत्या के लिए घात लगाएंगे, हम बिना किसी कारण निर्दोष पर छिपकर आक्रमण करें; अधोलोक के समान हम भी उन्हें जीवित ही निगल जाएं, पूरा ही निगल जाएं, जैसे लोग कब्र में समा जाते हैं; तब हमें सभी अमूल्य वस्तुएं प्राप्‍त हो जाएंगी इस लूट से हम अपने घरों को भर लेंगे; जो कुछ तुम्हारे पास है, सब हमें दो; तब हम सभी का एक ही बटुआ हो जाएगा.” मेरे पुत्र, उनके इस मार्ग के सहयात्री न बन जाना, उनके मार्गों का चालचलन करने से अपने पैरों को रोके रखना; क्योंकि उनके पैर बुराई की दिशा में ही दौड़ते हैं, हत्या के लिए तो वे फुर्तीले हो जाते हैं. यदि किसी पक्षी के देखते-देखते उसके लिए जाल बिछाया जाए, तो यह निरर्थक होता है! किंतु ये व्यक्ति ऐसे हैं, जो अपने लिए ही घात लगाए बैठे हैं; वे अपने ही प्राण लेने की प्रतीक्षा में हैं. यही चाल है हर एक ऐसे व्यक्ति की, जो अवैध लाभ के लिए लोभ करता है; यह लोभ अपने ही स्वामियों के प्राण ले लेगा. ज्ञान गली में उच्च स्वर में पुकार रही है, व्यापार केंद्रों में वह अपना स्वर उठा रही है; व्यस्त मार्गों के उच्चस्थ स्थान पर वह पुकार रही है, नगर प्रवेश पर वह यह बातें कह रही है: “हे भोले लोगो, कब तक तुम्हें भोलापन प्रिय रहेगा? ठट्ठा करनेवालो, कब तक उपहास तुम्हारे विनोद का विषय और मूर्खो, ज्ञान तुम्हारे लिए घृणास्पद रहेगा? यदि मेरे धिक्कारने पर तुम मेरे पास आ जाते! तो मैं तुम्हें अपनी आत्मा से भर देती, तुम मेरे विचार समझने लगते. मैंने पुकारा और तुमने इसकी अनसुनी कर दी, मैंने अपना हाथ बढ़ाया किंतु किसी ने ध्यान ही न दिया, मेरे सभी परामर्शों की तुमने उपेक्षा की और मेरी किसी भी ताड़ना का तुम पर प्रभाव न पड़ा है, मैं भी तुम पर विपत्ति के अवसर पर हंसूंगी; जब तुम पर आतंक का आक्रमण होगा, मैं तुम्हारा उपहास करूंगी— जब आतंक आंधी के समान और विनाश बवंडर के समान आएगा, जब तुम पर दुःख और संकट का पहाड़ टूट पड़ेगा. “उस समय उन्हें मेरा स्मरण आएगा, किंतु मैं उन्हें उत्तर न दूंगी; वे बड़े यत्नपूर्वक मुझे खोजेंगे, किंतु पाएंगे नहीं. क्योंकि उन्होंने ज्ञान से घृणा की थी और याहवेह के प्रति श्रद्धा को उपयुक्त न समझा. उन्होंने मेरा एक भी परामर्श स्वीकार नहीं किया उन्होंने मेरी ताड़नाओं को तुच्छ समझा, परिणामस्वरूप वे अपनी करनी का फल भोगेंगे उनकी युक्तियों का पूरा-पूरा परिणाम उन्हीं के सिर पर आ पड़ेगा. सरल-साधारण व्यक्ति सुसंगत मार्ग छोड़ देते और मृत्यु का कारण हो जाते हैं, तथा मूर्खों की मनमानी उन्हें ले डूबती है; किंतु कोई भी, जो मेरी सुनता है, सुरक्षा में बसा रहेगा वह निश्चिंत रहेगा, क्योंकि उसे विपत्ति का कोई भय न होगा.”

नीतिवचन 1:6-33

नीतिवचन 1:6-33 HINCLBSI