मारकुस 9:14-50
मारकुस 9:14-50 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उनके चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उनके साथ विवाद कर रहे हैं। उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उसकी ओर दौड़कर उसे नमस्कार किया। उसने उनसे पूछा, “तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो?” भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने पुत्र को, जिसमें गूँगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। जहाँ कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है : और वह मुँह में फेन भर लाता, और दाँत पीसता, और सूखता जाता है। मैं ने तेरे चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें, परन्तु वे निकाल न सके।” यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगो, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।” तब वे उसे उसके पास ले आए : और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुँह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” उसने कहा, “बचपन से। उसने इसे नष्ट करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।” यीशु ने उससे कहा, “यदि तू कर सकता है? यह क्या बात है! विश्वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है।” बालक के पिता ने तुरन्त गिड़गिड़ाकर कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ, मेरे अविश्वास का उपाय कर।” जब यीशु ने देखा कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डाँटा, “हे गूँगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ, उसमें से निकल आ, और उसमें फिर कभी प्रवेश न करना।” तब वह चिल्लाकर और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहाँ तक कि बहुत लोग कहने लगे कि वह मर गया। परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया। जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्त में उस से पूछा, “हम उसे क्यों न निकाल सके?” उसने उनसे कहा, “यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से नहीं निकल सकती।” फिर वे वहाँ से चले, और गलील में होकर जा रहे थे। वह नहीं चाहता था कि कोई जाने, क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देता और उनसे कहता था, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे; और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।” पर यह बात उन की समझ में नहीं आई, और वे उससे पूछने से डरते थे। फिर वे कफरनहूम में आए; और घर में आकर उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तुम किस बात पर विवाद कर रहे थे?” वे चुप रहे, क्योंकि मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद–विवाद किया था कि हम में से बड़ा कौन है। तब उसने बैठकर बारहों को बुलाया और उनसे कहा, “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सबसे छोटा और सब का सेवक बने।” और उसने एक बालक को लेकर उनके बीच में खड़ा किया, और उसे गोद में लेकर उनसे कहा, “जो कोई मेरे नाम से ऐसे बालकों में से किसी एक को भी ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता, वह मुझे नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।” तब यूहन्ना ने उससे कहा, “हे गुरु, हम ने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा और हम उसे मना करने लगे, क्योंकि वह हमारे पीछे नहीं हो लेता था।” यीशु ने कहा, “उस को मत मना करो; क्योंकि ऐसा कोई नहीं जो मेरे नाम से सामर्थ्य का काम करे, और जल्दी से मुझे बुरा कह सके, क्योंकि जो हमारे विरोध में नहीं, वह हमारी ओर है। जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिये पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल किसी रीति से न खोएगा । “जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं, किसी को ठोकर खिलाए तो उसके लिए भला यह है कि एक बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाए और वह समुद्र में डाल दिया जाए। यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक की आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। [ जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।] यदि तेरा पाँव तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है कि दो पाँव रहते हुए नरक में डाला जाए। [ जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।] यदि तेरी आँख तुझे ठोकर खिलाए तो उसे निकाल डाल। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है कि दो आँख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। क्योंकि हर एक जन आग से नमकीन किया जाएगा। नमक अच्छा है, पर यदि नमक का स्वाद जाता रहे, तो उसे किस से नमकीन करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो। ”
मारकुस 9:14-50 पवित्र बाइबल (HERV)
जब वे दूसरे शिष्यों के पास आये तो उन्होंने उनके आसपास जमा एक बड़ी भीड़ देखी। उन्होंने देखा कि उनके साथ धर्मशास्त्री विवाद कर रहे हैं। और जैसे ही सब लोगों ने यीशु को देखा, वे चकित हुए। और स्वागत करने उसकी तरफ़ दौड़े। फिर उसने उनसे पूछा, “तुम उनसे किस बात पर विवाद कर रहे हो?” भीड़ में से एक व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने बेटे को तेरे पास लाया था। उस पर एक दुष्टात्मा सवार है, जो उसे बोलने नहीं देती। जब कभी वह दुष्टात्मा इस पर आती है, इसे नीचे पटक देती है और इसके मुँह से झाग निकलने लगते हैं और यह दाँत पीसने लगता है और अकड़ जाता है। मैंने तेरे शिष्यों से इस दुष्ट आत्मा को बाहर निकालने की प्रार्थना की किन्तु वे उसे नहीं निकाल सके।” फिर यीशु ने उन्हें उत्तर दिया और कहा, “ओ अविश्वासी लोगो, मैं तुम्हारे साथ कब तक रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? लड़के को मेरे पास ले आओ!” तब वे लड़के को उसके पास ले आये और जब दुष्टात्मा ने यीशु को देखा तो उसने तत्काल लड़के को मरोड़ दिया। वह धरती पर जा पड़ा और चक्कर खा गया। उसके मुँह से झाग निकल रहे थे। तब यीशु ने उसके पिता से पूछा, “यह ऐसा कितने दिनों से है?” पिता ने उत्तर दिया, “यह बचपन से ही ऐसा है। दुष्टात्मा इसे मार डालने के लिए कभी आग में गिरा देती है तो कभी पानी में। क्या तू कुछ कर सकता है? हम पर दया कर, हमारी सहायता कर।” यीशु ने उससे कहा, “तूने कहा, ‘क्या तू कुछ कर सकता है?’ विश्वासी व्यक्ति के लिए सब कुछ सम्भव है।” तुरंत बच्चे का पिता चिल्लाया और बोला, “मैं विश्वास करता हूँ। मेरे अविश्वास को हटा!” यीशु ने जब देखा कि भीड़ उन पर चढ़ी चली आ रही है, उसने दुष्टात्मा को ललकारा और उससे कहा, “ओ बच्चे को बहरा गूँगा कर देने वाली दुष्टात्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ इसमें से बाहर निकल आ और फिर इसमें दुबारा प्रवेश मत करना!” तब दुष्टात्मा चिल्लाई। बच्चे पर भयानक दौरा पड़ा। और वह बाहर निकल गयी। बच्चा मरा हुआ सा दिखने लगा, बहुत लोगों ने कहा, “वह मर गया!” फिर यीशु ने लड़के को हाथ से पकड़ कर उठाया और खड़ा किया। वह खड़ा हो गया। इसके बाद यीशु अपने घर चला गया। अकेले में उसके शिष्यों ने उससे पूछा, “हम इस दुष्टात्मा को बाहर क्यों नहीं निकाल सके?” इस पर यीशु ने उनसे कहा, “ऐसी दुष्टात्मा प्रार्थना के बिना बाहर नहीं निकाली जा सकती थी।” फिर उन्होंने वह स्थान छोड़ दिया। और जब वे गलील होते हुए जा रहे थे तो वह नहीं चाहता था कि वे कहाँ हैं, इसका किसी को भी पता चले। क्योंकि वह अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा था। उसने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्य के ही हाथों धोखे से पकड़वाया जायेगा और वे उसे मार डालेंगे। मारे जाने के तीन दिन बाद वह जी उठेगा।” पर वे इस बात को समझ नहीं सके और यीशु से इसे पूछने में डरते थे। फिर वे कफ़रनहूम आये। यीशु जब घर में था, उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तूम किस बात पर सोच विचार कर रहे थे?” पर वे चुप रहे। क्योंकि वे राह चलते आपस में विचार कर रहे थे कि सबसे बड़ा कौन है। सो वह बैठ गया। उसने बारहों को अपने पास बुलाया और उनसे कहा, “यदि कोई सबसे बड़ा बनना चाहता है तो उसे निश्चय ही सबसे छोटा हो कर सब का सेवक बनना होगा।” और फिर एक छोटे बच्चे को लेकर उसने उनके सामने खड़ा किया। बच्चे को अपनी गोद में लेकर वह उनसे बोला, “मेरे नाम में जो कोई इनमें से किसी भी एक बच्चे को अपनाता है, वह मुझे अपना रहा हैं; और जो कोई मुझे अपनाता है, न केवल मुझे अपना रहा है, बल्कि उसे भी अपना रहा है, जिसने मुझे भेजा है।” यूहन्ना ने यीशु से कहा, “हे गुरु, हमने किसी को तेरे नाम से दुष्टात्माएँ बाहर निकालते देखा है। हमने उसे रोकना चाहा क्योंकि वह हममें से कोई नहीं था।” किन्तु यीशु ने कहा, “उसे रोको मत। क्योंकि जो कोई मेरे नाम से आश्चर्य कर्म करता है, वह तुरंत बाद मेरे लिए बुरी बातें नहीं कह पायेगा। वह जो हमारे विरोध में नहीं है हमारे पक्ष में है। जो इसलिये तुम्हें एक कटोरा पानी पिलाता है कि तुम मसीह के हो, मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, उसे इसका प्रतिफल मिले बिना नहीं रहेगा। “और जो कोई इन नन्हे अबोध बच्चों में से किसी को, जो मुझमें विश्वास रखते हैं, पाप के मार्ग पर ले जाता है, तो उसके लिये अच्छा है कि उसकी गर्दन में एक चक्की का पाट बाँध कर उसे समुद्र में फेंक दिया जाये। यदि तेरा हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट डाल, टुंडा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो हाथों वाला हो कर नरक में डाला जाये, जहाँ की आग कभी नहीं बुझती। यदि तेरा पैर तुझे पाप की राह पर ले जाये उसे काट दे। लँगड़ा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है, बजाय इसके कि दो पैरों वाला हो कर नरक में डाला जाये। यदि तेरी आँख तुझ से पाप करवाए तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो आँखों वाला हो कर नरक में डाला जाये। जहाँ के कीड़े कभी नहीं मरते और जहाँ की आग कभी बुझती नहीं। “हर व्यक्ति को आग पर नमकीन बनाया जायेगा। “नमक अच्छा है। किन्तु नमक यदि अपना नमकीनपन ही छोड़ दे तो तुम उसे दोबारा नमकीन कैसे बना सकते हो? अपने में नमक रखो और एक दूसरे के साथ शांति से रहो।”
मारकुस 9:14-50 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जब येशु और उनके तीनों शिष्य अन्य शिष्यों के पास लौटे, तो उन्होंने देखा कि बहुत-से लोग उनके चारों ओर इकट्ठे हो गये हैं और शास्त्री उन से विवाद कर रहे हैं। येशु को देखते ही लोग अचम्भे में पड़ गये। वे दौड़कर उनके पास आए और उन्हें प्रणाम किया। येशु ने उन से पूछा, “तुम लोग इनके साथ क्या विवाद कर रहे हो?” भीड़ में से एक ने उत्तर दिया, “गुरुवर! मैं अपने पुत्र को आपके पास लाया हूँ। उसमें एक गूँगी आत्मा है। वह जहाँ कहीं उसे पकड़ती है, उसे वहीं पटक देती है। वह फेन उगलता है, दाँत पीसता है और अकड़ जाता है। मैंने आपके शिष्यों से उसे निकालने को कहा, परन्तु वे ऐसा नहीं कर सके।” येशु ने उत्तर दिया, “अविश्वासी पीढ़ी! मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक मैं तुम्हें सहता रहूँगा? उस लड़के को मेरे पास लाओ।” वे उसे येशु के पास ले आए। येशु को देखते ही अशुद्ध आत्मा ने लड़के को मरोड़ दिया। लड़का गिर गया और फेन उगलता हुआ भूमि पर लोटने लगा। येशु ने उसके पिता से पूछा, “इसकी ऐसी दशा कब से है?” उसने उत्तर दिया, “बचपन से। अशुद्ध आत्मा ने इसका विनाश करने के लिए इसे बार-बार आग तथा पानी में गिराया है। यदि आप कुछ कर सकें, तो हम पर तरस खा कर हमारी सहायता कीजिए।” येशु ने उससे कहा, “यदि आप कुछ कर सकें? विश्वास करने वाले के लिए सब कुछ सम्भव है।” इस पर लड़के के पिता ने तुरन्त पुकार कर कहा, “मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अल्पविश्वास को दूर करने में मेरी सहायता कीजिए!” येशु ने देखा कि भीड़ बढ़ती जा रही है, इसलिए उन्होंने अशुद्ध आत्मा को यह कहते हुए डाँटा, “हे बहरी-गूंगी आत्मा! मैं तुझे आदेश देता हूँ : इस में से निकल जा और इस में फिर कभी प्रवेश नहीं करना।” अशुद्ध आत्मा चिल्ला कर और लड़के को मरोड़ कर उसमें से निकल गयी। लड़का मुरदा-सा हो गया। इसलिए बहुत-से लोग कहने लगे, “यह मर गया है।” परन्तु येशु ने उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाया और वह खड़ा हो गया। जब येशु घर में आए तो उनके शिष्यों ने एकान्त में उन से पूछा, “हम लोग उसे क्यों नहीं निकाल सके?” उन्होंने उत्तर दिया, “प्रार्थना के अतिरिक्त और किसी उपाय से इस प्रकार की आत्मा नहीं निकाली जा सकती।” येशु और उनके शिष्य वहाँ से चले गये। वे गलील प्रदेश से होकर जा रहे थे। येशु नहीं चाहते थे कि किसी को इसका पता चले, क्योंकि वह अपने शिष्यों को ही शिक्षा दे रहे थे। वह उन से कह रहे थे, “मानव-पुत्र मनुष्यों के हाथ पकड़वाया जाएगा। वे उसे मार डालेंगे और मार डाले जाने के तीन दिन बाद वह फिर जी उठेगा।” किन्तु शिष्य येशु की यह बात नहीं समझ सके और वे येशु से प्रश्न पूछने से डरते थे। वे कफरनहूम नगर में आए। घर में प्रवेश कर येशु ने शिष्यों से पूछा, “तुम लोग मार्ग में किस विषय पर विवाद कर रहे थे?” वे चुप रहे, क्योंकि उन्होंने मार्ग में इस पर वाद-विवाद किया था कि उन में सब से बड़ा कौन है। येशु बैठ गये और बारहों को बुला कर उन्होंने उनसे कहा, “यदि कोई प्रथम होना चाहता है, तो उसे चाहिए कि वह सब से अंतिम बने और सब का सेवक बने।” तब येशु ने एक बालक को लेकर शिष्यों के बीच खड़ा किया और उसे अपनी बाहों में भर कर उन से कहा, “जो मेरे नाम पर ऐसे बालकों में किसी एक का भी स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह मेरा नहीं, बल्कि उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।” योहन ने उन से कहा, “गुरुवर! हम ने एक मनुष्य को आपका नाम ले कर भूतों को निकालते देखा तो हम ने उसे रोकने की चेष्टा की, क्योंकि वह हमारा अनुसरण नहीं करता है।” परन्तु येशु ने उत्तर दिया, “उसे मत रोको; क्योंकि कोई ऐसा नहीं, जो मेरा नाम ले कर सामर्थ्य का कार्य दिखाये और तुरन्त मेरी निन्दा करे। जो हमारे विरुद्ध नहीं है, वह हमारे पक्ष में है। “जो तुम्हें एक कटोरा पानी पिलाएगा, इसलिए कि तुम मसीह के शिष्य हो, मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना पुरस्कार कदापि नहीं खोएगा।” “जो मनुष्य मुझ पर विश्वास करने वाले इन छोटों में से किसी एक को विश्वास से विचलित करता है, तो उसके लिए अधिक अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का भारी पाट बाँधा जाता और वह समुद्र में फेंक दिया जाता। “और यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बनता है, तो उसे काट डालो। अच्छा यही है कि तुम लूले हो कर जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों हाथों के रहते नरक की न बुझने वाली आग में न डाले जाओ। यदि तुम्हारा पैर तुम्हारे लिए पाप का कारण बनता है, तो उसे काट डालो। अच्छा यही है कि तुम लंगड़े हो कर जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों पैरों के रहते नरक में न डाले जाओ। यदि तुम्हारी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बनती हो, तो उसे निकाल दो। अच्छा यही है कि तुम काने हो कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करो, किन्तु दोनों आँखों के रहते नरक में न डाले जाओ, जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और न आग बुझती है। “क्योंकि हर व्यक्ति आग द्वारा सलोना किया जाएगा। “नमक अच्छा है; किन्तु यदि वह अपना सलोनापन खो बैठे तो तुम उसे किस वस्तु से स्वादिष्ट करोगे? “अपने में नमक बनाए रखो और आपस में मेल रखो।”
मारकुस 9:14-50 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उनके चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उनके साथ विवाद कर रहे हैं। और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उसकी ओर दौड़कर उसे नमस्कार किया। उसने उनसे पूछा, “तुम इनसे क्या विवाद कर रहे हो?” भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने पुत्र को, जिसमें गूँगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। जहाँ कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है; और वह मुँह में फेन भर लाता, और दाँत पीसता, और सूखता जाता है। और मैंने तेरे चेलों से कहा, कि वे उसे निकाल दें, परन्तु वे निकाल न सके।” यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।” तब वे उसे उसके पास ले आए। और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा, और वह भूमि पर गिरा, और मुँह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” और उसने कहा, “बचपन से। उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।” यीशु ने उससे कहा, “यदि तू कर सकता है! यह क्या बात है? विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।” बालक के पिता ने तुरन्त पुकारकर कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अविश्वास का उपाय कर।” जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डाँटा, कि “हे गूँगी और बहरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ, उसमें से निकल आ, और उसमें फिर कभी प्रवेश न करना।” तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहाँ तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया। परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया। जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्त में उससे पूछा, “हम उसे क्यों न निकाल सके?” उसने उनसे कहा, “यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।” फिर वे वहाँ से चले, और गलील में होकर जा रहे थे, वह नहीं चाहता था कि कोई जाने, क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देता और उनसे कहता था, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे; और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।” पर यह बात उनकी समझ में नहीं आई, और वे उससे पूछने से डरते थे। फिर वे कफरनहूम में आए; और घर में आकर उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तुम किस बात पर विवाद कर रहे थे?” वे चुप रहे क्योंकि, मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद-विवाद किया था, कि हम में से बड़ा कौन है? तब उसने बैठकर बारहों को बुलाया, और उनसे कहा, “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सबसे छोटा और सब का सेवक बने।” और उसने एक बालक को लेकर उनके बीच में खड़ा किया, और उसको गोद में लेकर उनसे कहा, “जो कोई मेरे नाम से ऐसे बालकों में से किसी एक को भी ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता, वह मुझे नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।” तब यूहन्ना ने उससे कहा, “हे गुरु, हमने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा और हम उसे मना करने लगे, क्योंकि वह हमारे पीछे नहीं हो लेता था।” यीशु ने कहा, “उसको मना मत करो; क्योंकि ऐसा कोई नहीं जो मेरे नाम से सामर्थ्य का काम करे, और आगे मेरी निन्दा करे, क्योंकि जो हमारे विरोध में नहीं, वह हमारी ओर है। जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिए पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल किसी तरह से न खोएगा।” “जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं, किसी को ठोकर खिलाए तो उसके लिये भला यह है कि एक बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाए और वह समुद्र में डाल दिया जाए। यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। और यदि तेरा पाँव तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। लँगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो पाँव रहते हुए नरक में डाला जाए। जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती और यदि तेरी आँख तुझे ठोकर खिलाए तो उसे निकाल डाल, काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो आँख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। (यशा. 66:24) क्योंकि हर एक जन आग से नमकीन किया जाएगा। नमक अच्छा है, पर यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो उसे किस से नमकीन करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो।”
मारकुस 9:14-50 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
जब ये तीन लौटकर शेष शिष्यों के पास आए तो देखा कि एक बड़ी भीड़ उन शिष्यों के चारों ओर जमा हो गई है और शास्त्री वाद-विवाद किए जा रहे थे. मसीह येशु को देखते ही भीड़ को आश्चर्य हुआ और वह नमस्कार करने उनकी ओर दौड़ पड़ी. मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “किस विषय पर उनसे वाद-विवाद कर रहे थे तुम?” भीड़ में से एक व्यक्ति ने उनसे कहा, “गुरुवर, मैं अपने पुत्र को आपके पास लाया था. उसमें समाई हुई आत्मा ने उसे गूंगा बना दिया है. जब यह दुष्टात्मा उस पर प्रबल होती है, उसे भूमि पर पटक देती है. उसके मुंह से फेन निकलने लगता है, वह दांत पीसने लगता है तथा उसका शरीर ऐंठ जाता है. मैंने आपके शिष्यों से इसे निकालने की विनती की थी किंतु वे असफल रहे.” मसीह येशु ने भीड़ से कहा, “अरे ओ अविश्वासी और बिगड़ी हुई पीढ़ी!” प्रभु येशु ने कहा, “मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा, कब तक धीरज रखूंगा? यहां लाओ बालक को!” लोग बालक को उनके पास ले आए. मसीह येशु पर दृष्टि पड़ते ही दुष्टात्मा ने बालक में ऐंठन उत्पन्न कर दी. वह भूमि पर गिरकर लोटने लगा और उसके मुंह से फेन आने लगा. मसीह येशु ने बालक के पिता से पूछा, “यह सब कब से हो रहा है?” “बचपन से,” उसने उत्तर दिया. “इस दुष्टात्मा ने उसे हमेशा जल और आग दोनों ही में फेंककर नाश करने की कोशिश की है. यदि आपके लिए कुछ संभव है, हम पर दया कर हमारी सहायता कीजिए!” “यदि आपके लिए!” मसीह येशु ने कहा, “सब कुछ संभव है उसके लिए, जो विश्वास करता है.” ऊंचे शब्द में बालक के पिता ने कहा, “मैं विश्वास करता हूं. मेरे अविश्वास को दूर करने में मेरी सहायता कीजिए.” जब मसीह येशु ने देखा कि और अधिक लोग बड़ी शीघ्रतापूर्वक वहां इकट्ठा होते जा रहे हैं, उन्होंने दुष्टात्मा को डांटते हुए कहा, “ओ गूंगे और बहिरे दुष्टात्मा, मेरा आदेश है कि इसमें से बाहर निकल जा और इसमें फिर कभी प्रवेश न करना.” उस बालक को और भी अधिक भयावह ऐंठन में डालकर चिल्लाते हुए वह दुष्टात्मा उसमें से निकल गया. वह बालक ऐसा हो गया मानो उसके प्राण ही निकल गए हों. कुछ तो यहां तक कहने लगे, “इसकी मृत्यु हो गई है.” किंतु मसीह येशु ने बालक का हाथ पकड़ उसे उठाया और वह खड़ा हो गया. जब मसीह येशु ने उस घर में प्रवेश किया एकांत पाकर शिष्यों ने उनसे पूछा, “हम उस दुष्टात्मा को क्यों नहीं निकाल सके?” येशु ने उत्तर दिया, “सिवाय प्रार्थना के इस वर्ग निकाला ही नहीं जा सकता.” वहां से निकलकर उन्होंने गलील प्रदेश का मार्ग लिया. मसीह येशु नहीं चाहते थे कि किसी को भी इस यात्रा के विषय में मालूम हो. इसलिये कि मसीह येशु अपने शिष्यों को यह शिक्षा दे रहे थे, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों पकड़वा दिया जाएगा. वे उसकी हत्या कर देंगे. तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.” किंतु यह विषय शिष्यों की समझ से परे रहा तथा वे इसका अर्थ पूछने में डर भी रहे थे. कफ़रनहूम नगर पहुंचकर जब उन्होंने घर में प्रवेश किया मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “मार्ग में तुम किस विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे?” शिष्य मौन बने रहे क्योंकि मार्ग में उनके विचार-विमर्श का विषय था उनमें बड़ा कौन है. मसीह येशु ने बैठते हुए बारहों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “यदि किसी की इच्छा बड़ा बनने की है, वह छोटा हो जाए और सबका सेवक बने.” उन्होंने एक बालक को उनके मध्य खड़ा किया और फिर उसे गोद में लेकर शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा, “जो कोई ऐसे बालक को मेरे नाम में स्वीकार करता है, मुझे स्वीकार करता है तथा जो कोई मुझे स्वीकार करता है, वह मुझे नहीं परंतु मेरे भेजनेवाले को स्वीकार करता है.” योहन ने मसीह येशु को सूचना दी, “गुरुवर, हमने एक व्यक्ति को आपके नाम में दुष्टात्मा निकालते हुए देखा है. हमने उसे रोकने का प्रयास किया क्योंकि वह हममें से नहीं है.” “मत रोको उसे!” मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “कोई भी, जो मेरे नाम में अद्भुत काम करता है, दूसरे ही क्षण मेरी निंदा नहीं कर सकता क्योंकि वह व्यक्ति, जो हमारे विरुद्ध नहीं है, हमारे पक्ष में ही है. यदि कोई तुम्हें एक कटोरा जल इसलिये पिलाता है कि तुम मसीह के शिष्य हो तो मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं; वह अपना प्रतिफल न खोएगा. “और यदि कोई इन मासूम बालकों के, जिन्होंने मुझ पर विश्वास रखा है, पतन का कारण बने, उसके लिए सही यही होगा कि उसके गले में चक्की का पाट बांध उसे समुद्र में फेंक दिया जाए. यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यह होगा कि तुम एक विकलांग के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों हाथों के होते हुए नर्क में जाओ, जहां आग कभी नहीं बुझती, [जहां उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती]. यदि तुम्हारा पांव तुम्हारे लिए ठोकर का कारण हो जाता है उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम लंगड़े के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दो पांवों के होते हुए नर्क में फेंके जाओ, [जहां उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती]. यदि तुम्हारी आंख तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे निकाल फेंको! तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम एक आंख के साथ परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों आंखों के साथ नर्क में फेंके जाओ, जहां “ ‘उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहां आग कभी नहीं बुझती.’ हर एक व्यक्ति आग द्वारा नमकीन किया जाएगा. “नमक एक आवश्यक वस्तु है, किंतु यदि नमक अपना खारापन खो बैठे तो किस वस्तु से उसका खारापन वापस कर सकोगे? तुम स्वयं में नमक तथा आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो.”