मत्ती 5:1-8
मत्ती 5:1-8 पवित्र बाइबल (HERV)
यीशु ने जब यह बड़ी भीड़ देखी, तो वह एक पहाड़ पर चला गया। वहाँ वह बैठ गया और उसके अनुयायी उसके पास आ गये। तब यीशु ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा: “धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिए है। धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि परमेश्वर उन्हें सांत्वना देता है धन्य हैं वे जो नम्र हैं क्योंकि यह पृथ्वी उन्हीं की है। धन्य हैं वे जो नीति के प्रति भूखे और प्यासे रहते हैं! क्योंकि परमेश्वर उन्हें संतोष देगा, तृप्ति देगा। धन्य हैं वे जो दयालु हैं क्योंकि उन पर दया गगन से बरसेगी। धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।
मत्ती 5:1-8 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
येशु विशाल जनसमूह को देखकर पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ बैठ गये। उनके शिष्य उनके पास आए और वह यह कहते हुए उन्हें शिक्षा देने लगे : “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं; क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं; क्योंकि उन्हें सान्त्वना मिलेगी। धन्य हैं वे जो नम्र हैं; क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं; क्योंकि वे तृप्त किये जाएँगे। धन्य हैं वे, जो दयालु हैं; क्योंकि उन पर दया की जाएगी। धन्य हैं वे, जिनका हृदय निर्मल है; क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।
मत्ती 5:1-8 Hindi Holy Bible (HHBD)
वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। और वह अपना मुंह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा, धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे। धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे। धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
मत्ती 5:1-8 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
वह इस भीड़ को देखकर पहाड़ पर चढ़ गया, और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। और वह अपना मुँह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा : “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। “धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएँगे। “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे। “धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। “धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
मत्ती 5:1-8 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
वह भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। और वह अपना मुँह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा: “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। “धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शान्ति पाएँगे। “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। (भज. 37:11) “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे। “धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। “धन्य हैं वे, जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
मत्ती 5:1-8 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
इकट्ठा हो रही भीड़ को देख येशु पर्वत पर चले गए और जब वह बैठ गए तो उनके शिष्य उनके पास आए. येशु ने उन्हें शिक्षा देना प्रारंभ किया. उन्होंने कहा, “धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं, क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है. धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं. क्योंकि उन्हें शांति दी जाएगी. धन्य हैं वे, जो नम्र हैं क्योंकि पृथ्वी उन्हीं की होगी. धन्य हैं वे, जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि उन्हें तृप्त किया जाएगा. धन्य हैं वे, जो कृपालु हैं, क्योंकि उन पर कृपा की जाएगी. धन्य हैं वे, जिनके हृदय शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे.