मत्ती 23:1-22
मत्ती 23:1-22 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा, “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं; इसलिये वे तुमसे जो कुछ कहें वह करना और मानना, परन्तु उनके से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। वे एक ऐसे भारी बोझ को जिसको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु स्वयं उसे अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते। वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं : वे अपने ताबीजों को चौड़ा करते और अपने वस्त्रों की कोरें बढ़ाते हैं। भोज में मुख्य–मुख्य स्थान, और सभा में मुख्य–मुख्य आसन, बाजारों में नमस्कार, और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है। परन्तु तुम रब्बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है, और तुम सब भाई हो। पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है*, जो स्वर्ग में है। और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह। जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा : और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा। “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। [हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो : इसलिये तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।] “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो। “हे अंधे अगुवो, तुम पर हाय! जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बंध जाएगा। हे मूर्खो और अंधो, कौन बड़ा है; सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है? फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बंध जाएगा। हे अंधो, कौन बड़ा है; भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? इसलिये जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है। जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवाले की भी शपथ खाता है। जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।
मत्ती 23:1-22 पवित्र बाइबल (HERV)
यीशु ने फिर अपने शिष्यों और भीड़ से कहा। उसने कहा, “यहूदी धर्म शास्त्री और फ़रीसी मूसा के विधान की व्याख्या के अधिकारी हैं। इसलिए जो कुछ वे कहें उस पर चलना और उसका पालन करना। किन्तु जो वे करते हैं वह मत करना। मैं यह इसलिए कहता हूँ क्योंकि वे बस कहते हैं पर करते नहीं हैं। वे लोगों के कंधों पर इतना बोझ लाद देते हैं कि वे उसे उठा कर चल ही न सकें और लोगों पर दबाव डालते हैं कि वे उसे लेकर चलें। किन्तु वे स्वयं उनमें से किसी पर भी चलने के लिए पाँव तक नहीं हिलाते। “वे अच्छे कर्म इसलिए करते हैं कि लोग उन्हें देखें। वास्तव में वे अपने ताबीज़ों और पोशाकों की झालरों को इसलिये बड़े से बड़ा करते रहते हैं ताकि लोग उन्हें धर्मात्मा समझें। वे उत्सवों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान पाना चाहते हैं। आराधनालयों में उन्हें प्रमुख आसन चाहिये। बाज़ारों में वे आदर के साथ नमस्कार कराना चाहते हैं। और चाहते हैं कि लोग उन्हें ‘रब्बी’ कहकर संबोधित करें। “किन्तु तुम लोगों से अपने आप को ‘रब्बी’ मत कहलवाना क्योंकि तुम्हारा सच्चा गुरु तो बस एक है। और तुम सब केवल भाई बहन हो। धरती पर लोगों को तुम अपने में से किसी को भी ‘पिता’ मत कहने देना। क्योंकि तुम्हारा पिता तो बस एक ही है, और वह स्वर्ग में है। न ही लोगों को तुम अपने को स्वामी कहने देना क्योंकि तुम्हारा स्वामी तो बस एक ही है और वह मसीह है। तुममें सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति वही होगा जो तुम्हारा सेवक बनेगा। जो अपने आपको उठायेगा, उसे नीचा किया जाएगा और जो अपने आपको नीचा बनाएगा, उसे उठाया जायेगा। “अरे कपटी धर्मशास्त्रियों! और फरीसियों! तुम्हें धिक्कार है। तुम लोगों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बंद करते हो। न तो तुम स्वयं उसमें प्रवेश करते हो और न ही उनको जाने देते हो जो प्रवेश के लिए प्रयत्न कर रहे हैं। “अरे कपटी धर्मशास्त्रियों और फरीसियों! तुम्हें धिक्कार है। तुम किसी को अपने पंथ में लाने के लिए धरती और समुद्र पार कर जाते हो। और जब वह तुम्हारे पंथ में आ जाता है तो तुम उसे अपने से भी दुगुना नरक का पात्र बना देते हो! “अरे अंधे रहनुमाओं! तुम्हें धिक्कार है जो कहते हो यदि कोई मन्दिर की सौगंध खाता है तो उसे उस शपथ को रखना आवश्यक नहीं है किन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की शपथ खाता है तो उसे उस शपथ का पालन आवश्यक है। अरे अंधे मूर्खो! बड़ा कौन है? मन्दिर का सोना या वह मन्दिर जिसने उस सोने को पवित्र बनाया। “तुम यह भी कहते हो ‘यदि कोई वेदी की सौगंध खाता है तो कुछ नहीं,’ किन्तु यदि कोई वेदी पर रखे चढ़ावे की सौगंध खाता है तो वह अपनी सौगंध से बँधा है। अरे अंधो! कौन बड़ा है? वेदी पर रखा चढ़ावा या वह वेदी जिससे वह चढ़ावा पवित्र बनता है? इसलिये यदि कोई वेदी की शपथ लेता है तो वह वेदी के साथ वेदी पर जो रखा है, उस सब की भी शपथ लेता है। वह जो मन्दिर है, उसकी भी शपथ लेता है। वह मन्दिर के साथ जो मन्दिर के भीतर है, उसकी भी शपथ लेता है। और वह जो स्वर्ग की शपथ लेता है, वह परमेश्वर के सिंहासन के साथ जो उस सिंहासन पर विराजमान हैं उसकी भी शपथ लेता है।
मत्ती 23:1-22 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
उस समय येशु ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा, “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो; परन्तु उनके जैसे कार्य मत करना, क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे धर्म-नियमों के ऐसे भारी बोझ बाँध कर लोगों के कन्धों पर लाद देते हैं जिन्हें ढोना कठिन है; परन्तु स्वयं उंगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते। वे अपना हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। वे अपने तावीजों को चौड़ा और अपने वस्त्रों की झालरों को लम्बा बनाते हैं। भोजों में सम्मानित स्थानों पर और सभागृहों में प्रमुख आसनों पर बैठना, बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा ‘गुरुवर’ कहलाना − यह सब उन्हें प्रिय लगता है। “पर तुम ‘गुरुवर’ न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है और तुम सब भाई-बहिन हो। पृथ्वी पर किसी को अपना ‘पिता’ न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। तुम ‘धर्म-शिक्षक’ भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही धर्म-शिक्षक है अर्थात् मसीह। जो तुम में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने। क्योंकि जो अपने-आपको ऊंचा करेगा, वह नीचा किया जाएगा, और जो अपने-आप को नीचा करेगा, वह ऊंचा किया जाएगा। “ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो। [“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम विधवाओं की सम्पत्ति हड़प जाते हो और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हो। इस कारण तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा। ] “ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम एक मनुष्य को अपने सम्प्रदाय में लाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देते हो; परन्तु जब वह तुम्हारे सम्प्रदाय में आ जाता है, तो उसे अपने से दुगुना नारकीय बना देते हो। “अन्धे पथ-प्रदर्शको! धिक्कार है तुम्हें! तुम कहते हो : यदि कोई मन्दिर की शपथ खाता है, तो इसका कोई महत्व नहीं; परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने के पात्र की शपथ खाता है, तो वह शपथ से बंध जाता है। अरे मूर्खो और अन्धो! कौन बड़ा है − सोने का पात्र अथवा मन्दिर, जिस से वह सोने का पात्र पवित्र हो जाता है? तुम यह भी कहते हो : यदि कोई वेदी की शपथ खाता है, तो इसका कोई महत्व नहीं; परन्तु यदि कोई वेदी पर रखी हुई भेंट की वस्तु की शपथ खाता है, तो वह बंध जाता है। अन्धो! कौन बड़ा है − भेंट की वस्तु अथवा वेदी, जिस से वह वस्तु पवित्र हो जाती है? इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी और उस पर रखी हुई सभी वस्तुओं की शपथ खाता है। जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उस में निवास करने वाले की शपथ खाता है और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिंहासन और उस पर बैठने वाले की शपथ खाता है।
मत्ती 23:1-22 Hindi Holy Bible (HHBD)
तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा। शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्तु उन के से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। वे एक ऐसे भारी बोझ को जिन को उठाना कठिन है, बान्धकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते। वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की को रें बढ़ाते हैं। जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन। और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है। परन्तु, तुम रब्बी न कहलाना; क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो। और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह। जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा॥ हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो॥ हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो॥ हे अन्धे अगुवों, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उस से बन्ध जाएगा। हे मूर्खों, और अन्धों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिस से सोना पवित्र होता है? फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उस की शपथ खाए तो बन्ध जाएगा। हे अन्धों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी: जिस से भेंट पवित्र होता है? इसलिये जो वेदी की शपथ खाता है, वह उस की, और जो कुछ उस पर है, उस की भी शपथ खाता है। और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उस की और उस में रहने वालों की भी शपथ खाता है। और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिहांसन की और उस पर बैठने वाले की भी शपथ खाता है॥
मत्ती 23:1-22 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा, “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं; इसलिए वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्तु उनके जैसा काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। वे एक ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कंधों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उँगली से भी सरकाना नहीं चाहते। वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की झालरों को बढ़ाते हैं। भोज में मुख्य-मुख्य जगहें, और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन, और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है। परन्तु तुम रब्बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है: और तुम सब भाई हो। और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह। जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। जो कोई अपने आपको बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा। “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उसमें प्रवेश करते हो और न उसमें प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। [हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो: इसलिए तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।] “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दुगना नारकीय बना देते हो। “हे अंधे अगुओं, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बन्ध जाएगा। हे मूर्खों, और अंधों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है? फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बन्ध जाएगा। हे अंधों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी, और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है। और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवालों की भी शपथ खाता है। और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।
मत्ती 23:1-22 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
इसके बाद येशु ने भीड़ और शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा, “फ़रीसियों और शास्त्रियों ने स्वयं को मोशेह के पद पर आसीन कर रखा है. इसलिये उनकी सभी शिक्षाओं के अनुरूप स्वभाव तो रखो किंतु उनके द्वारा किए जा रहे कामों को बिलकुल न मानना क्योंकि वे स्वयं ही वह नहीं करते, जो वह कहते हैं. वे लोगों के कंधों पर भारी बोझ लाद तो देते हैं किंतु उसे हटाने के लिए स्वयं एक उंगली तक नहीं लगाना चाहते. “वे सभी काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से ही करते हैं. वे उन पट्टियों को चौड़ा करते हैं, तथा वे ऊपरी वस्त्र की झालर को भी बढ़ाते जाते हैं. दावतों में मुख्य स्थान, यहूदी सभागृहों में मुख्य आसन, नगर चौक में लोगों के द्वारा सम्मानपूर्ण अभिनंदन तथा रब्बी कहलाना ही इन्हें प्रिय है. “किंतु तुम स्वयं के लिए रब्बी कहलाना स्वीकार न करना क्योंकि तुम्हारा शिक्षक मात्र एक हैं और तुम सब आपस में भाई हो. पृथ्वी पर तुम किसी को अपना पिता न कहना. क्योंकि तुम्हारा पिता मात्र एक हैं, जो स्वर्ग में हैं और न तुम स्वयं के लिए स्वामी संबोधन स्वीकार करना क्योंकि तुम्हारा स्वामी मात्र एक हैं—मसीह. अवश्य है कि तुममें जो बड़ा बनना चाहे वह तुम्हारा सेवक हो. जो कोई स्वयं को बड़ा करता है, उसे छोटा बना दिया जाएगा और वह, जो स्वयं को छोटा बनाता है, बड़ा किया जाएगा.” “धिक्कार है तुम पर पाखंडी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! जनसाधारण के लिए तो तुम स्वर्ग-राज्य के द्वार बंद कर देते हो. तुम न तो स्वयं इसमें प्रवेश करते हो और न ही किसी अन्य को प्रवेश करने देते हो. [धिक्कार है तुम पर पाखंडी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम लम्बी-लम्बी प्रार्थनाओं का ढोंग करते हुए विधवाओं की संपत्ति निगल जाते हो. इसलिये अधिक होगा तुम्हारा दंड.] “धिक्कार है तुम पर पाखंडी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम एक व्यक्ति को अपने मत में लाने के लिए लम्बी-लम्बी जल और थल यात्राएं करते हो. उसके तुम्हारे मत में सम्मिलित हो जाने पर तुम उसे नर्क की आग के दंड का दो गुणा अधिकारी बना देते हो. “धिक्कार है तुम पर अंधे अगुओं! तुम जो यह शिक्षा देते हो, ‘यदि कोई मंदिर की शपथ लेता है तो उसका कोई महत्व नहीं किंतु यदि कोई मंदिर के सोने की शपथ लेता है तो उसके लिए प्रतिज्ञा पूरी करना ज़रूरी हो जाता है.’ अरे मूर्खो और अंधों! अधिक महत्वपूर्ण क्या है—सोना या वह मंदिर जिससे वह सोना पवित्र होता है? इसी प्रकार तुम कहते हो, ‘यदि कोई वेदी की शपथ लेता है तो उसका कोई महत्व नहीं किंतु यदि कोई वेदी पर चढ़ाई भेंट की शपथ लेता है तो उसके लिए अपनी प्रतिज्ञा पूरी करना ज़रूरी है.’ अरे अंधों! अधिक महत्वपूर्ण क्या है, वेदी पर चढ़ाई भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? इसलिये जो कोई वेदी की शपथ लेता है, वह वेदी तथा वेदी पर समर्पित भेंट दोनों ही की शपथ लेता है. जो कोई मंदिर की शपथ लेता है, वह मंदिर तथा उनकी, जो इसमें रहते हैं, दोनों ही की शपथ लेता है. इसी प्रकार जो कोई स्वर्ग की शपथ लेता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की तथा उनकी जो उस पर बैठा हैं, दोनों ही की शपथ लेता है.