मत्ती 14:3-36

मत्ती 14:3-36 Hindi Holy Bible (HHBD)

क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलेप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बान्धा, और जेलखाने में डाल दिया था। क्योंकि यूहन्ना ने उस से कहा था, कि इस को रखना तुझे उचित नहीं है। और वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था, क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे। पर जब हेरोदेस का जन्म दिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। इसलिये उस ने शपथ खाकर वचन दिया, कि जो कुछ तू मांगेगी, मैं तुझे दूंगा। वह अपनी माता की उक्साई हुई बोली, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का सिर थाल में यहीं मुझे मंगवा दे। राजा दुखित हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठने वालों के कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए। और जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया। और उसका सिर थाल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उस को अपनी मां के पास ले गई। और उसके चेलों ने आकर और उस की लोथ को ले जाकर गाढ़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया॥ जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया। जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें। यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो। उन्होंने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है। उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ। तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाईं। और खाने वाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे॥ और उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था। उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा साम्हने की थी। और वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उन के पास आया। चेले उस को झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए! और कहने लगे, वह भूत है; और डर के मारे चिल्ला उठे। यीशु ने तुरन्त उन से बातें की, और कहा; ढाढ़स बान्धो; मैं हूं; डरो मत। पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे। उस ने कहा, आ: तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा, तो चिल्लाकर कहा; हे प्रभु, मुझे बचा। यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उस से कहा, हे अल्प-विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया? जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई। इस पर जो नाव पर थे, उन्होंने उसे दण्डवत करके कहा; सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है॥ वे पार उतरकर गन्नेसरत देश में पहुंचे। और वहां के लोगों ने उसे पहचानकर आस पास के सारे देश में कहला भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए। और उस से बिनती करने लगे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आंचल ही को छूने दे: और जितनों ने उसे छूआ, वे चंगे हो गए॥

मत्ती 14:3-36 पवित्र बाइबल (HERV)

यह वही हेरोदेस था जिसने यूहन्ना को बंदी बना, जंजीरों में बाँध, जेल में डाल दिया था। यह उसने हिरोदियास के कहने पर किया था, जो पहले उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी थी। यूहन्ना प्रायः उससे कहा करता था कि “तुझे इसके साथ नहीं रहना चाहिये।” सो हेरोदेस उसे मार डालना चाहता था, पर वह लोगों से डरता था क्योंकि लोग यूहन्ना को नबी मानते थे। पर जब हेरोदेस का जन्म दिन आया तो हिरोदियास की बेटी ने हेरोदेस और उसके मेहमानों के सामने नाच कर हेरोदेस को इतना प्रसन्न किया कि उसने शपथ लेकर, वह जो कुछ चाहे, उसे देने का वचन दिया। अपनी माँ के सिखावे में आकर उसने कहा, “मुझे थाली में रख कर बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का सिर दें।” यद्यपि राजा बहुत दुःखी था किन्तु अपनी शपथ और अपने मेहमानों के कारण उसने उसकी माँग पूरी करने का आदेश दे दिया। उसने जेल में यूहन्ना का सिर काटने के लिये आदमी भेजे। सो यूहन्ना का सिर थाली में रख कर लाया गया और उसे लड़की को दे दिया गया। वह उसे अपनी माँ के पास ले गयी। तब यूहन्ना के अनुयायी आये और उन्होंने उसके धड़ को लेकर दफना दिया। और फिर उन्होंने आकर यीशु को बताया। जब यीशु ने इसकी चर्चा सुनी तो वह वहाँ से नाव में किसी एकान्त स्थान पर अकेला चला गया। किन्तु जब भीड़ को इसका पता चला तो वे अपने नगरों से पैदल ही उसके पीछे हो लिये। यीशु जब नाव से बाहर निकल कर किनारे पर आया तो उसने एक बड़ी भीड़ देखी। उसे उन पर दया आयी और उसने उनके बीमारों को अच्छा किया। जब शाम हुई तो उसके शिष्यों ने उसके पास आकर कहा, “यह सुनसान जगह है और बहुत देर भी हो चुकी है, सो भीड़ को विदा कर, ताकि वे गाँव में जाकर अपने लिये खाना मोल ले लें।” किन्तु यीशु ने उनसे कहा, “इन्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। तुम इन्हें कुछ खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “हमारे पास पाँच रोटियों और दो मछलियों को छोड़ कर और कुछ नहीं है।” यीशु ने कहा, “उन्हें मेरे पास ले आओ।” उसने भीड़ के लोगों से कहा कि वे घास पर बैठ जायें। फिर उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लेकर स्वर्ग की ओर देखा और भोजन के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया। फिर रोटी के टुकड़े तोड़े और उन्हें अपने शिष्यों को दे दिया। शिष्यों ने वे टुकड़े लोगों में बाँट दिये। सभी ने छक कर खाया। इसके बाद बचे हुए टुकड़ों से उसके शिष्यों ने बारह टोकरियाँ भरीं। स्त्रियों और बच्चों को छोड़ कर वहाँ खाने वाले कोई पाँच हज़ार पुरुष थे। इसके तुरंत बाद यीशु ने अपने शिष्यों को नाव पर चढ़ाया और जब तक वह भीड़ को विदा करे, उनसे गलील की झील के पार अपने से पहले ही जाने को कहा। भीड़ को विदा करके वह अकेले में प्रार्थना करने को पहाड़ पर चला गया। साँझ होने पर वह वहाँ अकेला था। तब तक नाव किनारे से मीलों दूर जा चुकी थी और लहरों में थपेड़े खाती डगमगा रही थी। सामने की हवा चल रही थी। सुबह कोई तीन और छः बजे के बीच यीशु झील पर चलता हुआ उनके पास आया। उसके शिष्यों ने जब उसे झील पर चलते हुए देखा तो वह घबराये हुए आपस में कहने लगे “यह तो कोई भूत है!” वे डर के मारे चीख उठे। यीशु ने तत्काल उनसे बात करते हुए कहा, “हिम्मत रखो! यह मैं हूँ! अब और मत डरो।” पतरस ने उत्तर देते हुए उससे कहा, “प्रभु, यदि यह तू है, तो मुझे पानी पर चलकर अपने पास आने को कह।” यीशु ने कहा, “चला आ।” पतरस नाव से निकल कर पानी पर यीशु की तरफ चल पड़ा। उसने जब तेज हवा देखी तो वह घबराया। वह डूबने लगा और चिल्लाया, “प्रभु, मेरी रक्षा कर।” यीशु ने तत्काल उसके पास पहुँच कर उसे सँभाल लिया और उससे बोला, “ओ अल्पविश्वासी, तूने संदेह क्यों किया?” और वे नाव पर चढ़ आये। हवा थम गयी। नाव पर के लोगों ने यीशु की उपासना की और कहा, “तू सचमुच परमेश्वर का पुत्र है।” सो झील पार करके वे गन्नेसरत के तट पर उतर गये। जब वहाँ रहने वालों ने यीशु को पहचाना तो उन्होंने उसके आने का समाचार आसपास सब कहीं भिजवा दिया। जिससे लोग-जो रोगी थे, उन सब को वहाँ ले आये और उससे प्रार्थना करने लगे कि वह उन्हें अपने वस्त्र का बस किनारा ही छू लेने दे। और जिन्होंने छू लिया, वे सब पूरी तरह चंगे हो गये।

मत्ती 14:3-36 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप की पत्‍नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ्‍तार किया और उन्‍हें बाँध कर बन्‍दीगृह में डाल दिया था; क्‍योंकि योहन ने उससे कहा था, “भाई की पत्‍नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है।” हेरोदेस योहन को मार डालना चाहता था; किन्‍तु वह जनता से डरता था, जो योहन को नबी मानती थी। हेरोदेस के जन्‍मदिवस के अवसर पर हेरोदियस की पुत्री ने अतिथियों के सामने नृत्‍य किया और हेरोदेस को मुग्‍ध कर दिया। इसलिए उसने शपथ खा कर वचन दिया, “जो कुछ तुम माँगोगी, उसे मैं दे दूँगा।” उसकी माँ ने उसे पहले से सिखा दिया था। इसलिए वह बोली, “मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्‍मादाता का सिर दीजिए।” हेरोदेस को धक्‍का लगा, परन्‍तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण उसने आदेश दिया, “योहन का सिर इसे दे दिया जाए।” और सैनिकों को भेज कर उसने बन्‍दीगृह में योहन का सिर कटवा दिया। उनका सिर थाली में लाया गया और लड़की को दे दिया गया और वह उसे अपनी माँ के पास ले गयी। योहन के शिष्‍य आये, और वे उनका शव ले गये। उन्‍होंने उसे कबर में रखा और जाकर येशु को इसकी सूचना दी। येशु यह समाचार सुन कर वहाँ से हट गये और नाव पर चढ़ कर एक निर्जन स्‍थान की ओर एकान्‍त में चले गए। जब लोगों को इसका पता चला, तब वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उनकी खोज में चल पड़े। नाव से उतर कर येशु ने एक विशाल जनसमूह को देखा। उन्‍हें उन लोगों पर तरस आया और उन्‍होंने उनके रोगियों को स्‍वस्‍थ कर दिया। सन्‍ध्‍या होने पर शिष्‍य उनके पास आ कर बोले, “यह स्‍थान निर्जन है और दिन ढल चुका है। आप इन लोगों को विदा कीजिए, जिससे ये गाँवों में जाकर अपने लिए भोजन खरीद लें।” येशु ने उत्तर दिया, “उन्‍हें जाने की जरूरत नहीं। तुम लोग ही उन्‍हें भोजन दो।” इस पर शिष्‍यों ने कहा, “यहाँ हमारे पास केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं।” येशु ने कहा, “उन्‍हें यहाँ मेरे पास लाओ।” येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्‍होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्‍होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्‍यों को दीं और शिष्‍यों ने लोगों को। सब ने खाया और वे खा कर तृप्‍त हो गये। शिष्‍यों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी बारह टोकरियाँ उठाईं। भोजन करने वालों में स्‍त्रियों और बच्‍चों के अतिरिक्‍त लगभग पाँच हजार पुरुष थे। इसके तुरन्‍त बाद येशु ने अपने शिष्‍यों को इसके लिए बाध्‍य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उनसे पहले झील के उस पार चले जाएँ; इतने में वह स्‍वयं लोगों को विदा कर देंगे। येशु लोगों को विदा कर एकान्‍त में प्रार्थना करने पहाड़ी पर चढ़े। सन्‍ध्‍या होने पर वह वहाँ अकेले थे। नाव उस समय तट से एक-दो किलोमीटर दूर जा चुकी थी। वह लहरों से डगमगा रही थी, क्‍योंकि वायु प्रतिकूल थी। रात के चौथे पहर येशु झील पर चलते हुए शिष्‍यों की ओर आये। जब उन्‍होंने येशु को झील पर चलते हुए देखा, तब वे बहुत घबरा गये और यह कहते हुए, “यह कोई प्रेत है”, डर के मारे चिल्‍ला उठे। येशु ने तुरन्‍त उन से कहा, “धैर्य रखो। मैं हूँ। डरो मत।” पतरस ने उत्तर दिया, “प्रभु! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।” येशु ने कहा, “आ जाओ।” पतरस नाव से उतरा और पानी पर चलते हुए येशु की ओर बढ़ा; किन्‍तु वह प्रचण्‍ड वायु देख कर डर गया और जब डूबने लगा, तो पुकार उठा, “प्रभु! मुझे बचाइए।” येशु ने तुरन्‍त हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया और कहा, “अल्‍प-विश्‍वासी! तुम ने संदेह क्‍यों किया” दोनों नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। जो शिष्‍य नाव में थे, वे येशु के चरणों पर गिर पड़े। वे बोले, “आप सचमुच परमेश्‍वर के पुत्र हैं। वे पार उतर कर गिनेसरेत नगर के क्षेत्र में आए। वहाँ के लोगों ने येशु को पहचान लिया और आसपास के सब गाँवों में इसकी खबर फैला दी। वे सब रोगियों को येशु के पास लाए और उनसे निवेदन किया कि वह उन्‍हें अपने वस्‍त्र का सिरा ही स्‍पर्श करने दें। जितनों ने उनका स्‍पर्श किया, वे सब स्‍वस्‍थ हो गये।

मत्ती 14:3-36 Hindi Holy Bible (HHBD)

क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलेप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बान्धा, और जेलखाने में डाल दिया था। क्योंकि यूहन्ना ने उस से कहा था, कि इस को रखना तुझे उचित नहीं है। और वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था, क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे। पर जब हेरोदेस का जन्म दिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। इसलिये उस ने शपथ खाकर वचन दिया, कि जो कुछ तू मांगेगी, मैं तुझे दूंगा। वह अपनी माता की उक्साई हुई बोली, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का सिर थाल में यहीं मुझे मंगवा दे। राजा दुखित हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठने वालों के कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए। और जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया। और उसका सिर थाल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उस को अपनी मां के पास ले गई। और उसके चेलों ने आकर और उस की लोथ को ले जाकर गाढ़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया॥ जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया। जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें। यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो। उन्होंने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है। उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ। तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाईं। और खाने वाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे॥ और उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था। उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा साम्हने की थी। और वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उन के पास आया। चेले उस को झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए! और कहने लगे, वह भूत है; और डर के मारे चिल्ला उठे। यीशु ने तुरन्त उन से बातें की, और कहा; ढाढ़स बान्धो; मैं हूं; डरो मत। पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे। उस ने कहा, आ: तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा, तो चिल्लाकर कहा; हे प्रभु, मुझे बचा। यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उस से कहा, हे अल्प-विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया? जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई। इस पर जो नाव पर थे, उन्होंने उसे दण्डवत करके कहा; सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है॥ वे पार उतरकर गन्नेसरत देश में पहुंचे। और वहां के लोगों ने उसे पहचानकर आस पास के सारे देश में कहला भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए। और उस से बिनती करने लगे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आंचल ही को छूने दे: और जितनों ने उसे छूआ, वे चंगे हो गए॥

मत्ती 14:3-36 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बाँधा और जेलखाने में डाल दिया था। क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि इसको रखना तेरे लिए उचित नहीं है। इसलिये वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्‍ता मानते थे। पर जब हेरोदेस का जन्मदिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। इस पर उसने शपथ खाकर वचन दिया, “जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा।” वह अपनी माता के उसकाने से बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर थाल में यहीं मुझे मँगवा दे।” राजा दु:खी हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठनेवालों के कारण, आज्ञा दी कि दे दिया जाए। और उसने जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया; और उसका सिर थाल में लाया गया और लड़की को दिया गया, जिसे वह अपनी माँ के पास ले गई। तब यूहन्ना के चेले आए और उसके शव को ले जाकर गाड़ दिया, और जाकर यीशु को समाचार दिया। जब यीशु ने यह सुना, तो वह नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया। लोग यह सुनकर नगर–नगर से पैदल ही उसके पीछे हो लिए। उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उनके बीमारों को चंगा किया। जब साँझ हुई तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह सुनसान जगह है और देर हो रही है; लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।” पर यीशु ने उनसे कहा, “उनका जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “यहाँ हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।” उसने कहा, “उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।” तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़–तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। जब सब खाकर तृप्‍त हो गए, तो चेलों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाईं। और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर, पाँच हज़ार पुरुषों के लगभग थे। तब उसने तुरन्त अपने चेलों को नाव पर चढ़ने के लिए विवश किया कि वे उससे पहले पार चले जाएँ, जब तक वह लोगों को विदा करे। वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चला गया; और साँझ को वह वहाँ अकेला था। उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा सामने की थी। और यीशु रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उनके पास आया। चेले उसको झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए। और कहने लगे, “यह भूत है!” और डर के मारे चिल्‍लाने लगे। तब यीशु ने तुरन्त उनसे बातें कीं और कहा, “ढाढ़स बाँधो! मैं हूँ, डरो मत!” पतरस ने उसको उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।” उसने कहा, “आ!” तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा तो चिल्‍लाकर कहा, “हे प्रभु, मुझे बचा!” यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और उससे कहा, “हे अल्पविश्‍वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?” जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई। इस पर उन्होंने जो नाव पर थे, उसे दण्डवत् करके कहा, “सचमुच, तू परमेश्‍वर का पुत्र है।” वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुँचे। वहाँ के लोगों ने उसे पहचान लिया और आसपास के सारे देश में समाचार भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए, और उससे विनती करने लगे कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छूने दे; और जितनों ने उसे छुआ, वे चंगे हो गए।

मत्ती 14:3-36 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बाँधा, और जेलखाने में डाल दिया था। क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था, कि इसको रखना तुझे उचित नहीं है। और वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था, क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे। पर जब हेरोदेस का जन्मदिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। इसलिए उसने शपथ खाकर वचन दिया, “जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा।” वह अपनी माता के उकसाने से बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर थाल में यहीं मुझे मँगवा दे।” राजा दुःखित हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठनेवालों के कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए। और उसने जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया। और उसका सिर थाल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उसको अपनी माँ के पास ले गई। और उसके चेलों ने आकर उसके शव को ले जाकर गाड़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया। जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर-नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, और उसने उनके बीमारों को चंगा किया। जब साँझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।” यीशु ने उनसे कहा, “उनका जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “यहाँ हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।” उसने कहा, “उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।” तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाई। और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पाँच हजार पुरुषों के लगभग थे। और उसने तुरन्त अपने चेलों को नाव पर चढ़ाया, कि वे उससे पहले पार चले जाएँ, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और साँझ को वह वहाँ अकेला था। उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा सामने की थी। और वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उनके पास आया। चेले उसको झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए, और कहने लगे, “वह भूत है,” और डर के मारे चिल्ला उठे। यीशु ने तुरन्त उनसे बातें की, और कहा, “धैर्य रखो, मैं हूँ; डरो मत।” पतरस ने उसको उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।” उसने कहा, “आ!” तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा तो चिल्लाकर कहा, “हे प्रभु, मुझे बचा।” यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उससे कहा, “हे अल्प विश्वासी, तूने क्यों सन्देह किया?” जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई। इस पर जो नाव पर थे, उन्होंने उसकी आराधना करके कहा, “सचमुच, तू परमेश्वर का पुत्र है।” वे पार उतरकर गन्नेसरत प्रदेश में पहुँचे। और वहाँ के लोगों ने उसे पहचानकर आस-पास के सारे क्षेत्र में कहला भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए। और उससे विनती करने लगे कि वह उन्हें अपने वस्त्र के कोने ही को छूने दे; और जितनों ने उसे छुआ, वे चंगे हो गए।

मत्ती 14:3-36 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

उनकी हत्या का कारण थी हेरोदेस के भाई फ़िलिप्पॉस की पत्नी हेरोदिअस. हेरोदेस ने बपतिस्मा देनेवाले योहन को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था क्योंकि बपतिस्मा देनेवाले योहन उसे यह चेतावनी देते रहते थे, “तुम्हारा हेरोदिअस को अपने पास रखना उचित नहीं है.” हेरोदेस योहन को समाप्‍त ही कर देना चाहता था किंतु उसे लोगों का भय था क्योंकि लोग उन्हें भविष्यवक्ता मानते थे. हेरोदेस के जन्मदिवस समारोह के अवसर पर हेरोदिअस की पुत्री के नृत्य-प्रदर्शन से हेरोदेस इतना प्रसन्‍न हुआ कि उसने उस किशोरी से शपथ खाकर वचन दिया कि वह जो चाहे मांग सकती है. अपनी माता के संकेत पर उसने कहा, “मुझे एक थाल में, यहीं, बपतिस्मा देनेवाले योहन का सिर चाहिए.” यद्यपि इस पर हेरोदेस दुःखित अवश्य हुआ किंतु अपनी शपथ और उपस्थित अतिथियों के कारण उसने इसकी पूर्ति की आज्ञा दे दी. उसने किसी को कारागार में भेजकर योहन का सिर कटवा दिया, उसे एक थाल में लाकर उस किशोरी को दे दिया गया और उसने उसे ले जाकर अपनी माता को दे दिया. योहन के शिष्य आए, उनके शव को ले गए, उनका अंतिम संस्कार कर दिया तथा येशु को इसके विषय में सूचित किया. इस समाचार को सुन येशु नाव पर सवार होकर वहां से एकांत में चले गए. जब लोगों को यह मालूम हुआ, वे नगरों से निकलकर पैदल ही उनके पीछे चल दिए. तट पर पहुंचने पर येशु ने इस बड़ी भीड़ को देखा और उनका हृदय करुणा से भर गया. उन्होंने उनमें, जो रोगी थे उनको स्वस्थ किया. संध्याकाल उनके शिष्य उनके पास आकर कहने लगे, “यह निर्जन स्थान है और दिन ढल रहा है इसलिये भीड़ को विदा कर दीजिए कि गांवों में जाकर लोग अपने लिए भोजन-व्यवस्था कर सकें.” किंतु येशु ने उनसे कहा, “उन्हें विदा करने की कोई ज़रूरत नहीं है—तुम उनके लिए भोजन की व्यवस्था करो!” उन्होंने येशु को बताया कि यहां उनके पास सिर्फ़ पांच रोटियां और दो मछलियां हैं. येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “उन्हें यहां मेरे पास ले आओ.” लोगों को घास पर बैठने की आज्ञा देते हुए येशु ने पांचों रोटियां और दो मछलियां अपने हाथों में लेकर स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर भोजन के लिए धन्यवाद देने के बाद रोटियां तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देना प्रारंभ किया और शिष्यों ने भीड़ को. सभी ने भरपेट खाया. शेष रह गए टुकड़े इकट्ठा करने पर बारह टोकरे भर गए. वहां जितनों ने भोजन किया था उनमें स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पुरुषों की संख्या ही कोई पांच हज़ार थी. इसके बाद येशु ने शिष्यों को तुरंत ही नाव में सवार होने के लिए इस उद्देश्य से विवश किया कि शिष्य उनके पूर्व ही दूसरी ओर पहुंच जाएं, जबकि वह स्वयं भीड़ को विदा करने लगे. भीड़ को विदा करने के बाद वह अकेले पर्वत पर चले गए कि वहां जाकर वह एकांत में प्रार्थना करें. यह रात का समय था और वह वहां अकेले थे. विपरीत दिशा में हवा तथा लहरों के थपेड़े खाकर नाव तट से बहुत दूर निकल चुकी थी. रात के अंतिम प्रहर में येशु जल सतह पर चलते हुए उनकी ओर आए. उन्हें जल सतह पर चलते देख शिष्य घबराकर कहने लगे, “दुष्टात्मा है यह!” और वे भयभीत हो चिल्लाने लगे. इस पर येशु ने उनसे कहा, “डरो मत. साहस रखो! मैं हूं!” पेतरॉस ने उनसे कहा, “प्रभु! यदि आप ही हैं तो मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं जल पर चलते हुए आपके पास आ जाऊं.” “आओ!” येशु ने आज्ञा दी. पेतरॉस नाव से उतरकर जल पर चलते हुए येशु की ओर बढ़ने लगे किंतु जब उनका ध्यान हवा की गति की ओर गया तो वह भयभीत हो गए और जल में डूबने लगे. वह चिल्लाए, “प्रभु! मुझे बचाइए!” येशु ने तुरंत हाथ बढ़ाकर उन्हें थाम लिया और कहा, “अरे, अल्प विश्वासी! तुमने संदेह क्यों किया?” तब वे दोनों नाव में चढ़ गए और वायु थम गई. नाव में सवार शिष्यों ने यह कहते हुए येशु की वंदना की, “सचमुच आप ही परमेश्वर-पुत्र हैं.” झील पार कर वे गन्‍नेसरत प्रदेश में आ गए. वहां के निवासियों ने उन्हें पहचान लिया और आस-पास के स्थानों में संदेश भेज दिया. लोग बीमार व्यक्तियों को उनके पास लाने लगे. वे येशु से विनती करने लगे, कि वह उन्हें मात्र अपने वस्त्र का छोर ही छू लेने दें. अनेकों ने उनका वस्त्र छुआ और स्वस्थ हो गए.