मत्ती 14:13-21

मत्ती 14:13-21 पवित्र बाइबल (HERV)

जब यीशु ने इसकी चर्चा सुनी तो वह वहाँ से नाव में किसी एकान्त स्थान पर अकेला चला गया। किन्तु जब भीड़ को इसका पता चला तो वे अपने नगरों से पैदल ही उसके पीछे हो लिये। यीशु जब नाव से बाहर निकल कर किनारे पर आया तो उसने एक बड़ी भीड़ देखी। उसे उन पर दया आयी और उसने उनके बीमारों को अच्छा किया। जब शाम हुई तो उसके शिष्यों ने उसके पास आकर कहा, “यह सुनसान जगह है और बहुत देर भी हो चुकी है, सो भीड़ को विदा कर, ताकि वे गाँव में जाकर अपने लिये खाना मोल ले लें।” किन्तु यीशु ने उनसे कहा, “इन्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। तुम इन्हें कुछ खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “हमारे पास पाँच रोटियों और दो मछलियों को छोड़ कर और कुछ नहीं है।” यीशु ने कहा, “उन्हें मेरे पास ले आओ।” उसने भीड़ के लोगों से कहा कि वे घास पर बैठ जायें। फिर उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लेकर स्वर्ग की ओर देखा और भोजन के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया। फिर रोटी के टुकड़े तोड़े और उन्हें अपने शिष्यों को दे दिया। शिष्यों ने वे टुकड़े लोगों में बाँट दिये। सभी ने छक कर खाया। इसके बाद बचे हुए टुकड़ों से उसके शिष्यों ने बारह टोकरियाँ भरीं। स्त्रियों और बच्चों को छोड़ कर वहाँ खाने वाले कोई पाँच हज़ार पुरुष थे।

मत्ती 14:13-21 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

येशु यह समाचार सुन कर वहाँ से हट गये और नाव पर चढ़ कर एक निर्जन स्‍थान की ओर एकान्‍त में चले गए। जब लोगों को इसका पता चला, तब वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उनकी खोज में चल पड़े। नाव से उतर कर येशु ने एक विशाल जनसमूह को देखा। उन्‍हें उन लोगों पर तरस आया और उन्‍होंने उनके रोगियों को स्‍वस्‍थ कर दिया। सन्‍ध्‍या होने पर शिष्‍य उनके पास आ कर बोले, “यह स्‍थान निर्जन है और दिन ढल चुका है। आप इन लोगों को विदा कीजिए, जिससे ये गाँवों में जाकर अपने लिए भोजन खरीद लें।” येशु ने उत्तर दिया, “उन्‍हें जाने की जरूरत नहीं। तुम लोग ही उन्‍हें भोजन दो।” इस पर शिष्‍यों ने कहा, “यहाँ हमारे पास केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं।” येशु ने कहा, “उन्‍हें यहाँ मेरे पास लाओ।” येशु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दिया। तब उन्‍होंने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और आकाश की ओर आँखें उठाकर आशिष माँगी। तब उन्‍होंने रोटियाँ तोड़ कर शिष्‍यों को दीं और शिष्‍यों ने लोगों को। सब ने खाया और वे खा कर तृप्‍त हो गये। शिष्‍यों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी बारह टोकरियाँ उठाईं। भोजन करने वालों में स्‍त्रियों और बच्‍चों के अतिरिक्‍त लगभग पाँच हजार पुरुष थे।

मत्ती 14:13-21 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया। जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें। यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो। उन्होंने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है। उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ। तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाईं। और खाने वाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे॥

मत्ती 14:13-21 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब यीशु ने यह सुना, तो वह नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया। लोग यह सुनकर नगर–नगर से पैदल ही उसके पीछे हो लिए। उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उनके बीमारों को चंगा किया। जब साँझ हुई तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह सुनसान जगह है और देर हो रही है; लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।” पर यीशु ने उनसे कहा, “उनका जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “यहाँ हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।” उसने कहा, “उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।” तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़–तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। जब सब खाकर तृप्‍त हो गए, तो चेलों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाईं। और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर, पाँच हज़ार पुरुषों के लगभग थे।

मत्ती 14:13-21 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर-नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, और उसने उनके बीमारों को चंगा किया। जब साँझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।” यीशु ने उनसे कहा, “उनका जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “यहाँ हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।” उसने कहा, “उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।” तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाई। और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पाँच हजार पुरुषों के लगभग थे।

मत्ती 14:13-21 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

इस समाचार को सुन येशु नाव पर सवार होकर वहां से एकांत में चले गए. जब लोगों को यह मालूम हुआ, वे नगरों से निकलकर पैदल ही उनके पीछे चल दिए. तट पर पहुंचने पर येशु ने इस बड़ी भीड़ को देखा और उनका हृदय करुणा से भर गया. उन्होंने उनमें, जो रोगी थे उनको स्वस्थ किया. संध्याकाल उनके शिष्य उनके पास आकर कहने लगे, “यह निर्जन स्थान है और दिन ढल रहा है इसलिये भीड़ को विदा कर दीजिए कि गांवों में जाकर लोग अपने लिए भोजन-व्यवस्था कर सकें.” किंतु येशु ने उनसे कहा, “उन्हें विदा करने की कोई ज़रूरत नहीं है—तुम उनके लिए भोजन की व्यवस्था करो!” उन्होंने येशु को बताया कि यहां उनके पास सिर्फ़ पांच रोटियां और दो मछलियां हैं. येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “उन्हें यहां मेरे पास ले आओ.” लोगों को घास पर बैठने की आज्ञा देते हुए येशु ने पांचों रोटियां और दो मछलियां अपने हाथों में लेकर स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर भोजन के लिए धन्यवाद देने के बाद रोटियां तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देना प्रारंभ किया और शिष्यों ने भीड़ को. सभी ने भरपेट खाया. शेष रह गए टुकड़े इकट्ठा करने पर बारह टोकरे भर गए. वहां जितनों ने भोजन किया था उनमें स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पुरुषों की संख्या ही कोई पांच हज़ार थी.

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