लूकस 6:12-49

लूकस 6:12-49 पवित्र बाइबल (HERV)

उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु प्रार्थना करने के लिये एक पहाड़ पर गया और सारी रात परमेश्वर की प्रार्थना करते हुए बिता दी। फिर जब भोर हुई तो उसने अपने अनुयायियों को पास बुलाया। उनमें से उसने बारह को चुना जिन्हें उसने “प्रेरित” नाम दिया: शमौन (जिसे उसने पतरस भी कहा) और उसका भाई अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना, फिलिप्पुस, बरतुलमै, मत्ती, थोमा, हलफ़ई का बेटा याकूब, और शमौन जिलौती; याकूब का बेटा यहूदा, और यहूदा इस्करियोती (जो विश्वासघाती बना।) फिर यीशु उनके साथ पहाड़ी से नीचे उतर कर समतल स्थान पर आ खड़ा हुआ। वहीं उसके शिष्यों की भी एक बड़ी भीड़ थी। साथ ही समूचे यहूदिया, यरूशलेम, सूर और सैदा के सागर तट से अनगिनत लोग वहाँ आ इकट्ठे हुए। वे उसे सुनने और रोगों से छुटकारा पाने वहाँ आये थे। जो दुष्टात्माओं से पीड़ित थे, वे भी वहाँ आकर अच्छे हुए। समूची भीड़ उसे छू भर लेने के प्रयत्न में थी क्योंकि उसमें से शक्ति निकल रही थी और उन सब को निरोग बना रही थी! फिर अपने शिष्यों को देखते हुए वह बोला: “धन्य हो तुम जो दीन हो, स्वर्ग का राज्य तुम्हारा है, धन्य हो तुम, जो अभी भूखे रहे हो, क्योंकि तुम तृप्त होगे। धन्य हो तुम जो आज आँसू बहा रहे हो, क्योंकि तुम आगे हँसोगे। “धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुमसे घृणा करें, और तुमको बहिष्कृत करें, और तुम्हारी निन्दा करें, तुम्हारा नाम बुरा समझकर काट दें। उस दिन तुम आनन्दित होकर उछलना-कूदना, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा प्रतिफल है, उनके पूर्वजों ने भी भविष्यवक्ताओं के साथ ऐसा ही किया था। “तुमको धिक्कार है, ओ धनिक जन, क्योंकि तुमको पूरा सुख चैन मिल रहा है। तुम्हें धिक्कार है, जो अब भरपेट हो क्योंकि तुम भूखे रहोगे। तुम्हें धिक्कार है, जो अब हँस रहे हो, क्योंकि तुम शोकित होओगे और रोओगे। “तुम्हे धिक्कार है, जब तुम्हारी प्रशंसा हो क्योंकि उनके पूर्वजों ने भी झूठे नबियों के साथ ऐसा व्यवहार किया। “ओ सुनने वालो! मैं तुमसे कहता हूँ अपने शत्रु से भी प्रेम करो। जो तुमसे घृणा करते हैं, उनके साथ भी भलाई करो। उन्हें भी आशीर्वाद दो, जो तुम्हें शाप देते हैं। उनके लिए भी प्रार्थना करो जो तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। यदि कोई तुम्हारे गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी उसके आगे कर दो। यदि कोई तुम्हारा कोट ले ले तो उसे अपना कुर्ता भी ले लेने दो। जो कोई तुमसे माँगे, उसे दो। यदि कोई तुम्हारा कुछ रख ले तो उससे वापस मत माँगो। तुम अपने लिये जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हो, तुम्हें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिये। “यदि तुम बस उन्हीं को प्यार करते हो, जो तुम्हें प्यार करते हैं, तो इसमें तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि अपने से प्रेम करने वालों से तो पापी तक भी प्रेम करते हैं। यदि तुम बस उन्हीं का भला करो, जो तुम्हारा भला करते हैं, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? ऐसा तो पापी तक करते हैं। यदि तुम केवल उन्हीं को उधार देते हो, जिनसे तुम्हें वापस मिल जाने की आशा है, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? ऐसे तो पापी भी पापियों को देते हैं कि उन्हें उनकी पूरी रकम वापस मिल जाये। “बल्कि अपने शत्रु को भी प्यार करो, उनके साथ भलाई करो। कुछ भी लौट आने की आशा छोड़ कर उधार दो। इस प्रकार तुम्हारा प्रतिफल महान होगा और तुम परम परमेश्वर की संतान बनोगे क्योंकि परमेश्वर अकृतज्ञों और दुष्ट लोगों पर भी दया करता है। जैसे तुम्हारा परम पिता दयालु है, वैसे ही तुम भी दयालु बनो। “किसी को दोषी मत कहो तो तुम्हें भी दोषी नहीं कहा जायेगा। किसी का खंडन मत करो तो तुम्हारा भी खंडन नहीं किया जायेगा। क्षमा करो, तुम्हें भी क्षमा मिलेगी। दूसरों को दो, तुम्हे भी दिया जायेगा। वे पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उडेंलेंगे क्योंकि जिस नाप से तुम दूसरों को नापते हो, उसी से तुम्हें भी नापा जायेगा।” उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “क्या कोई अन्धा किसी दूसरे अन्धे को राह दिखा सकता है? क्या वे दोनों ही किसी गढ़े में नहीं जा गिरेंगे? कोई भी विद्यार्थी अपने पढ़ाने वाले से बड़ा नहीं हो सकता, किन्तु जब कोई व्यक्ति पूरी तरह कुशल हो जाता है तो वह अपने गुरु के समान बन जाता है। “तू अपने भाई की आँख में कोई तिनके को क्यों देखता है और अपनी आँख का लट्ठा भी तुझे नहीं सूझता? सो अपने भाई से तू कैसे कह सकता है: ‘बंधु, तू अपनी आँख का तिनका मुझे निकालने दे।’ जब तू अपनी आँख के लट्ठे तक को नहीं देखता! अरे कपटी, पहले अपनी आँख का लट्ठा दूर कर, तब तुझे अपने भाई की आँख का तिनका बाहर निकालने के लिये दिखाई दे पायेगा। “कोई भी ऐसा उत्तम पेड़ नहीं है जिस पर बुरा फल लगता हो। न ही कोई ऐसा बुरा पेड़ है, जिस पर उत्तम फल लगता हो। हर पेड़ अपने फल से ही जाना जाता है। लोग कँटीली झाड़ी से अंजीर नहीं बटोरते। न ही किसी झड़बेरी से लोग अंगूर उतारते हैं। एक अच्छा मनुष्य उसके मन में अच्छाइयों का जो खजाना है, उसी से अच्छी बातें उपजाता है। और एक बुरा मनुष्य, जो उसके मन में बुराई है, उसी से बुराई पैदा करता है। क्योंकि एक मनुष्य मुँह से वही बोलता है, जो उसके हृदय से उफन कर बाहर आता है। “तुम मुझे ‘प्रभु, प्रभु’ क्यों कहते हो और जो मैं कहता हूँ, उस पर नहीं चलते? हर कोई जो मेरे पास आता है और मेरा उपदेश सुनता है और उस का आचरण करता है, वह किस प्रकार का होता है, मैं तुम्हें बताऊँगा। वह उस व्यक्ति के समान है जो मकान बना रहा है। उसने गहरी खुदाई की और चट्टान पर नींव डाली। फिर जब बाढ़ आयी और जल की धाराएं उस मकान से टकराईं तो यह उसे हिला तक न सकीं, क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह बना हुआ था। “किन्तु जो मेरा उपदेश सुनता है और उस पर चलता नहीं, वह उस व्यक्ति के समान है जिसने बिना नींव की धरती पर मकान बनाया। जल की धाराएं उससे टकराईं और वह तुरन्त ढह गया और पूरी तरह तहस-नहस हो गया।”

लूकस 6:12-49 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

उन दिनों येशु प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर परमेश्‍वर की प्रार्थना में लीन रहे। दिन होने पर उन्‍होंने अपने शिष्‍यों को पास बुलाया और उन में से बारह को चुन कर उन्‍हें ‘प्रेरित’ नाम दिया : सिमोन जिसे उन्‍होंने ‘पतरस’ नाम दिया और उसके भाई अन्‍द्रेयास को; याकूब और योहन को; फिलिप और बरतोलोमी को, मत्ती और थोमस को; हलफई के पुत्र याकूब और शिमोन को, जो ‘धर्मोत्‍साही’ कहलाता है; याकूब के पुत्र यहूदा और यूदस इस्‍करियोती को, जो विश्‍वासघाती निकला। येशु उन बारह प्रेरितों के साथ पहाड़ी से उतर कर एक मैदान में खड़े हो गये। वहाँ उनके बहुत-से शिष्‍य थे और एक विशाल जनसमूह भी था। वे लोग समस्‍त यहूदा प्रदेश, यरूशलेम नगर और सोर तथा सीदोन के समुद्र-तट से आए थे। वे येशु का उपदेश सुनने और अपने रोगों से मुक्‍त होने के लिए आए थे। येशु ने अशुद्ध आत्‍माओं से पीड़ित लोगों को स्‍वस्‍थ किया। सब लोग येशु को स्‍पर्श करने का प्रयत्‍न कर रहे थे, क्‍योंकि उन से शक्‍ति निकल कर सब को स्‍वस्‍थ कर रही थी। येशु ने अपने शिष्‍यों की ओर देखा और यह कहा, “धन्‍य हो तुम, जो गरीब हो; क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य तुम्‍हारा है। धन्‍य हो तुम, जो अभी भूखे हो; क्‍योंकि तुम तृप्‍त किये जाओगे। धन्‍य हो तुम, जो अभी रोते हो; क्‍योंकि तुम हँसोगे। धन्‍य हो तुम, जब मानव-पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, तुम्‍हारा बहिष्‍कार और अपमान करेंगे, और तुम्‍हारा नाम घृणित समझ कर निकाल देंगे! उस दिन उल्‍लसित हो और आनन्‍द मनाओ, क्‍योंकि स्‍वर्ग में तुम्‍हें महान् पुरस्‍कार प्राप्‍त होगा। उनके पूर्वज नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे। “धिक्‍कार है तुम्‍हें, जो धनवान हो; क्‍योंकि तुम अपना सुख-चैन पा चुके हो। धिक्‍कार है तुम्‍हें, जो अभी तृप्‍त हो; क्‍योंकि तुम भूखे रहोगे। धिक्‍कार है तुम्‍हें, जो अभी हँसते हो; क्‍योंकि तुम शोक मनाओगे और रोओगे। धिक्‍कार है तुम्‍हें, जब सब लोग तुम्‍हारी प्रशंसा करते हैं, क्‍योंकि उनके पूर्वज झूठे नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे। “मैं तुम लोगों से, जो मेरी बात सुन रहे हो, यह कहता हूँ : अपने शत्रुओं से प्रेम करो। जो तुम से बैर करते हैं, उनकी भलाई करो। जो तुम्‍हें शाप देते हैं, उन को आशीर्वाद दो। जो तुम्‍हारे साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। जो तुम्‍हारे एक गाल पर थप्‍पड़ मारता है, उसके सामने दूसरा भी कर दो। जो तुम्‍हारी चादर छीनता है, उसे अपना कुरता भी ले लेने दो। जो कोई तुम से माँगता है, उसे दिया करो और जो तुम से तुम्‍हारी वस्‍तु छीनता है, उसे वापस मत माँगो। दूसरों से अपने प्रति जैसा व्‍यवहार चाहते हो, तुम उनके प्रति वैसा ही व्‍यवहार किया करो। यदि तुम उन्‍हीं से प्रेम करते हो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो इस में तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पापी भी अपने प्रेम करने वालों से प्रेम करते हैं। यदि तुम उन्‍हीं की भलाई करते हो, जो तुम्‍हारी भलाई करते हैं, तो इसमें तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पापी भी ऐसा करते हैं। यदि तुम उन्‍हीं को उधार देते हो, जिन से वापस पाने की आशा करते हो, तो इस में तुम्‍हारा पुण्‍य क्‍या है? पूरा-पूरा वापस पाने की आशा में पापी भी पापियों को उधार देते हैं। परन्‍तु तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनकी भलाई करो और वापस पाने की आशा न रख कर उधार दो। तभी तुम्‍हारा पुरस्‍कार महान् होगा और तुम सर्वोच्‍च परमेश्‍वर की संतान बन जाओगे, क्‍योंकि वह भी कृतघ्‍नों और दुष्‍टों पर कृपा करता है। दयालु बनो, जैसे तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता दयालु है। “दोष न लगाओ तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा। किसी के विरुद्ध निर्णय न दो तो तुम्‍हारे विरुद्ध भी निर्णय नहीं दिया जाएगा। क्षमा करो तो तुम्‍हें भी क्षमा मिल जाएगी। दो तो तुम्‍हें भी दिया जाएगा। दबा-दबा कर, हिला-हिला कर भरी हुई, ऊपर उठी हुई, पूरी-की-पूरी नाप तुम्‍हारी गोद में डाली जाएगी; क्‍योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी नाप से तुम्‍हारे लिए भी नापा जाएगा।” येशु ने उन्‍हें एक दृष्‍टान्‍त सुनाया, “क्‍या अन्‍धा अन्‍धे को मार्ग दिखा सकता है? क्‍या दोनों ही गड्ढे में नहीं गिर पड़ेंगे? शिष्‍य गुरु से बड़ा नहीं होता, परन्‍तु पूरी शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद वह अपने गुरु-जैसा बन जाता है। “जब तुम्‍हें अपनी ही आँख के लट्ठे का पता नहीं, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्‍यों देखते हो? जब तुम्‍हें अपनी ही आँख का लट्ठा दिखाई नहीं देता, तब अपने भाई से कैसे कह सकते हो, ‘भाई! लाओ, मैं तुम्‍हारी आँख का तिनका निकाल दूँ?’ ओ ढोंगी! पहले अपनी ही आँख का लट्ठा निकाल। तभी तू अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्‍छी तरह देख सकेगा। “कोई अच्‍छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्‍छा फल देता है। प्रत्‍येक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कंटीली झाड़ियों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊंटकटारों से अंगूर के गुच्‍छे बटोरते हैं! अच्‍छा मनुष्‍य अपने हृदय के अच्‍छे भण्‍डार से अच्‍छी वस्‍तु निकालता है और जो बुरा है, वह अपने बुरे भण्‍डार से बुरी वस्‍तु निकालता है; क्‍योंकि जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है। “जब तुम मेरी बात पर नहीं चलते, तो ‘प्रभु! प्रभु!’ कह कर मुझे क्‍यों पुकारते हो? जो मनुष्‍य मेरे पास आता है और मेरी बातें सुनता तथा उन पर चलता है, वह किसके सदृश है? मैं तुम्‍हें बताता हूँ। वह उस मनुष्‍य के सदृश है, जिसने घर बनाते समय भूमि को गहरा खोदा और उसकी नींव चट्टान पर डाली है। बाढ़ आई और नदी का जल उस मकान से टकराया, किन्‍तु वह उसे ढा नहीं सका; क्‍योंकि वह घर बहुत मजबूत बना था। परन्‍तु जो मेरी बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता, वह उस मनुष्‍य के सदृश है, जिसने बिना नींव डाले रेत पर अपना घर बनाया है। जब नदी का जल उससे टकराया तो वह ढह गया। उस घर का विनाश भीषण था।”

लूकस 6:12-49 Hindi Holy Bible (HHBD)

और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। जब दिन हुआ, तो उस ने अपने चेलों को बुलाकर उन में से बारह चुन लिए, और उन को प्रेरित कहा। और वे ये हैं शमौन जिस का नाम उस ने पतरस भी रखा; और उसका भाई अन्द्रियास और याकूब और यूहन्ना और फिलेप्पुस और बरतुलमै। और मत्ती और थोमा और हलफई का पुत्र याकूब और शमौन जो जेलोतेस कहलाता है। और याकूब का बेटा यहूदा और यहूदा इसकिरयोती, जो उसका पकड़वाने वाला बना। तब वह उन के साथ उतरकर चौरस जगह में खड़ा हुआ, और उसके चेलों की बड़ी भीड़, और सारे यहूदिया और यरूशलेम और सूर और सैदा के समुद्र के किनारे से बहुतेरे लोग, जो उस की सुनने और अपनी बीमारियों से चंगा होने के लिय उसके पास आए थे, वहां थे। और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए लोग भी अच्छे किए जाते थे। और सब उसे छूना चाहते थे, क्योंकि उस में से सामर्थ निकलकर सब को चंगा करती थी॥ तब उस ने अपने चेलों की ओर देखकर कहा; धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। धन्य हो तुम, जो अब भूखे हो; क्योंकि तृप्त किए जाओगे; धन्य हो तुम, जो अब रोते हो, क्योंकि हंसोगे। धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है: उन के बाप-दादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे। परन्तु हाय तुम पर; जो धनवान हो, क्योंकि तुम अपनी शान्ति पा चुके। परन्तु हाय तुम पर; जो अब तृप्त हो, क्योंकि भूखे होगे: हाय, तुम पर; जो अब हंसते हो, क्योंकि शोक करोगे और रोओगे। हाय, तुम पर; जब सब मनुष्य तुम्हें भला कहें, क्योंकि उन के बाप-दादे झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही किया करते थे॥ परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। जो तुम्हें स्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उस को कुरता लेने से भी न रोक। जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो। यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं। वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो। दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हारी भी क्षमा की जाएगी। दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा॥ फिर उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा; क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनो गड़हे में नहीं गिरेंगे? चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरू के समान होगा। तू अपने भाई की आंख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता और जब तू अपनी ही आंख का लट्ठा नहीं देखता, तो अपने भाई से क्योंकर कह सकता है, हे भाई, ठहर जा तेरी आंख से तिनके को निकाल दूं? हे कपटी, पहिले अपनी आंख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तेरे भाई की आंख में है, भली भांति देखकर निकाल सकेगा। कोई अच्छा पेड़ नहीं, जो निकम्मा फल लाए, और न तो कोई निकम्मा पेड़ है, जो अच्छा फल लाए। हर एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है; क्योंकि लोग झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते, और न झड़बेरी से अंगूर। भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है॥ जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो क्यों मुझे हे प्रभु, हे प्रभु, कहते हो? जो कोई मेरे पास आता है, और मेरी बातें सुनकर उन्हें मानता है, मैं तुम्हें बताता हूं कि वह किस के समान है वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने घर बनाते समय भूमि गहरी खोदकर चट्टान की नेव डाली, और जब बाढ़ आई तो धारा उस घर पर लगी, परन्तु उसे हिला न सकी; क्योंकि वह पक्का बना था। परन्तु जो सुनकर नहीं मानता, वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने मिट्टी पर बिना नेव का घर बनाया। जब उस पर धारा लगी, तो वह तुरन्त गिर पड़ा, और वह गिरकर सत्यानाश हो गया॥

लूकस 6:12-49 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और परमेश्‍वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। जब दिन हुआ तो उसने अपने चेलों को बुलाकर उनमें से बारह चुन लिये, और उनको प्रेरित कहा; और वे ये हैं : शमौन जिसका नाम उसने पतरस भी रखा, और उसका भाई अन्द्रियास, और याकूब, और यूहन्ना, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफई का पुत्र याकूब, और शमौन जो जेलोतेस कहलाता है, और याकूब का बेटा यहूदा, और यहूदा इस्करियोती जो उसका पकड़वानेवाला बना। तब वह उनके साथ उतरकर चौरस जगह में खड़ा हुआ, और उसके चेलों की बड़ी भीड़, और सारे यहूदिया, यरूशलेम, और सूर और सैदा के समुद्र के किनारे से बहुत लोग, जो उसकी सुनने और अपनी बीमारियों से चंगा होने के लिये उसके पास आए थे, वहाँ थे। और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए लोग भी अच्छे किए जाते थे। सब उसे छूना चाहते थे, क्योंकि उसमें से सामर्थ्य निकलकर सब को चंगा करती थी। तब उसने अपने चेलों की ओर देखकर कहा, “धन्य हो तुम जो दीन हो, क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारा है। “धन्य हो तुम जो अब भूखे हो, क्योंकि तृप्‍त किए जाओगे। “धन्य हो तुम जो अब रोते हो, क्योंकि हँसोगे। “धन्य हो तुम जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। “उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है; उनके बाप–दादे भविष्यद्वक्‍ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे। “परन्तु हाय तुम पर जो धनवान हो, क्योंकि तुम अपनी शान्ति पा चुके। “हाय तुम पर जो अब तृप्‍त हो, क्योंकि भूखे होगे। “हाय तुम पर जो अब हँसते हो, क्योंकि शोक करोगे और रोओगे। “हाय तुम पर जब सब मनुष्य तुम्हें भला कहें, क्योंकि उनके बाप–दादे झूठे भविष्यद्वक्‍ताओं के साथ भी ऐसा ही किया करते थे। “परन्तु मैं तुम सुननेवालों से कहता हूँ कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उनका भला करो। जो तुम्हें स्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिये प्रार्थना करो। जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उसकी ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक। जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उससे न माँग। जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो। “यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखते हैं। यदि तुम अपने भलाई करनेवालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। यदि तुम उन्हें उधार दो जिनसे फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं कि उतना ही फिर पाएँ। वरन् अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आशा न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा, और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो। “दोष मत लगाओ, तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा। दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे। क्षमा करो, तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा। दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा। लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।” फिर उसने उनसे एक दृष्‍टान्त कहा : “क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनों गड़हे में नहीं गिरेंगे? चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा। तू अपने भाई की आँख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? जब तू अपनी ही आँख का लट्ठा नहीं देखता, तो अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘हे भाई; ठहर जा तेरी आँख से तिनके को निकाल दूँ’? हे कपटी, पहले अपनी आँख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तेरे भाई की आँख में है, उसे भली भाँति देखकर निकाल सकेगा। “कोई अच्छा पेड़ नहीं जो निकम्मा फल लाए, और न तो कोई निकम्मा पेड़ है जो अच्छा फल लाए। हर एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है; क्योंकि लोग झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते और न झड़बेरी से अंगूर। भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है। “जब तुम मेरा कहना नहीं मानते तो क्यों मुझे ‘हे प्रभु, हे प्रभु,’ कहते हो? जो कोई मेरे पास आता है और मेरी बातें सुनकर उन्हें मानता है, मैं तुम्हें बताता हूँ कि वह किसके समान है : वह उस मनुष्य के समान है, जिसने घर बनाते समय भूमि गहरी खोदकर चट्टान पर नींव डाली, और जब बाढ़ आई तो धारा उस घर पर लगी परन्तु उसे हिला न सकी; क्योंकि वह पक्‍का बना था। परन्तु जो सुनकर नहीं मानता वह उस मनुष्य के समान है, जिसने मिट्टी पर बिना नींव का घर बनाया, जब उस पर धारा लगी तो वह तुरन्त गिर पड़ा और गिरकर उसका सत्यानाश हो गया।”

लूकस 6:12-49 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। जब दिन हुआ, तो उसने अपने चेलों को बुलाकर उनमें से बारह चुन लिए, और उनको प्रेरित कहा। और वे ये हैं: शमौन जिसका नाम उसने पतरस भी रखा; और उसका भाई अन्द्रियास, और याकूब, और यूहन्ना, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफईस का पुत्र याकूब, और शमौन जो जेलोतेस कहलाता है, और याकूब का बेटा यहूदा, और यहूदा इस्करियोती, जो उसका पकड़वानेवाला बना। तब वह उनके साथ उतरकर चौरस जगह में खड़ा हुआ, और उसके चेलों की बड़ी भीड़, और सारे यहूदिया, और यरूशलेम, और सोर और सीदोन के समुद्र के किनारे से बहुत लोग, जो उसकी सुनने और अपनी बीमारियों से चंगा होने के लिये उसके पास आए थे, वहाँ थे। और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए लोग भी अच्छे किए जाते थे। और सब उसे छूना चाहते थे, क्योंकि उसमें से सामर्थ्य निकलकर सब को चंगा करती थी। तब उसने अपने चेलों की ओर देखकर कहा, “धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। “धन्य हो तुम, जो अब भूखे हो; क्योंकि तृप्त किए जाओगे। “धन्य हो तुम, जो अब रोते हो, क्योंकि हँसोगे। (मत्ती 5:4,5, भज. 126:5,6) “धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। “उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है। उनके पूर्वज भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे। “परन्तु हाय तुम पर जो धनवान हो, क्योंकि तुम अपनी शान्ति पा चुके। “हाय तुम पर जो अब तृप्त हो, क्योंकि भूखे होंगे। “हाय, तुम पर; जो अब हँसते हो, क्योंकि शोक करोगे और रोओगे। “हाय, तुम पर जब सब मनुष्य तुम्हें भला कहें, क्योंकि उनके पूर्वज झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही किया करते थे। “परन्तु मैं तुम सुननेवालों से कहता हूँ, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उनका भला करो। जो तुम्हें श्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिये प्रार्थना करो। जो तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे उसकी ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुर्ता लेने से भी न रोक। जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उससे न माँग। और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो। “यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखते हैं। और यदि तुम अपने भलाई करनेवालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। और यदि तुम उसे उधार दो, जिनसे फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएँ। वरन् अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। (लैव्य. 25:35,36, मत्ती 5:44,45) जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो। “दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा। दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा-दबाकर और हिला-हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।” फिर उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा: “क्या अंधा, अंधे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनों गड्ढे में नहीं गिरेंगे? चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा। तू अपने भाई की आँख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? और जब तू अपनी ही आँख का लट्ठा नहीं देखता, तो अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘हे भाई, ठहर जा तेरी आँख से तिनके को निकाल दूँ?’ हे कपटी, पहले अपनी आँख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तेरे भाई की आँख में है, भली भाँति देखकर निकाल सकेगा। “कोई अच्छा पेड़ नहीं, जो निकम्मा फल लाए, और न तो कोई निकम्मा पेड़ है, जो अच्छा फल लाए। हर एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है; क्योंकि लोग झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते, और न झड़बेरी से अंगूर। भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है। “जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो क्यों मुझे ‘हे प्रभु, हे प्रभु,’ कहते हो? (मला. 1:6) जो कोई मेरे पास आता है, और मेरी बातें सुनकर उन्हें मानता है, मैं तुम्हें बताता हूँ कि वह किसके समान है? वह उस मनुष्य के समान है, जिसने घर बनाते समय भूमि गहरी खोदकर चट्टान में नींव डाली, और जब बाढ़ आई तो धारा उस घर पर लगी, परन्तु उसे हिला न सकी; क्योंकि वह पक्का बना था। परन्तु जो सुनकर नहीं मानता, वह उस मनुष्य के समान है, जिसने मिट्टी पर बिना नींव का घर बनाया। जब उस पर धारा लगी, तो वह तुरन्त गिर पड़ा, और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।”

लूकस 6:12-49 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

एक दिन प्रभु येशु पर्वत पर प्रार्थना करने चले गए और सारी रात वह परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे. प्रातःकाल उन्होंने अपने चेलों को अपने पास बुलाया और उनमें से बारह को चुनकर उन्हें प्रेरित पद प्रदान किया. शिमओन, (जिन्हें वह पेतरॉस नाम से पुकारते थे) उनके भाई आन्द्रेयास, याकोब, योहन, फ़िलिप्पॉस, बारथोलोमेयॉस मत्तियाह, थोमॉस, हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब, राष्ट्रवादी शिमओन, याकोब के पुत्र यहूदाह, तथा कारियोतवासी यहूदाह, जिसने उनके साथ धोखा किया. प्रभु येशु उनके साथ पर्वत से उतरे और आकर एक समतल स्थल पर खड़े हो गए. येरूशलेम तथा समुद्र के किनारे के नगर सोर और सीदोन से आए लोगों तथा सुननेवालों का एक बड़ा समूह वहां इकट्ठा था, जो उनके प्रवचन सुनने और अपने रोगों से चंगाई के उद्देश्य से वहां आया था. इस समूह में दुष्टात्मा से पीड़ित भी शामिल थे, जिन्हें प्रभु येशु दुष्टात्मा मुक्त करते जा रहे थे. सभी लोग उन्हें छूने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि उनसे निकली हुई सामर्थ्य उन सभी को स्वस्थ कर रही थी. अपने शिष्यों की ओर दृष्टि करते हुए प्रभु येशु ने उनसे कहा: “धन्य हो तुम सभी जो निर्धन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है. धन्य हो तुम जो भूखे हो, क्योंकि तुम तृप्‍त किए जाओगे. धन्य हो तुम जो इस समय रो रहे हो, क्योंकि तुम आनंदित होगे. धन्य हो तुम सभी जिनसे सभी मनुष्य घृणा करते हैं, तुम्हारा बहिष्कार करते हैं, तुम्हारी निंदा करते हैं, तुम्हारे नाम को मनुष्य के पुत्र के कारण बुराई करनेवाला घोषित कर देते हैं. “उस दिन आनंदित होकर हर्षोल्लास में उछलो-कूदो, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा. उनके पूर्वजों ने भी भविष्यद्वक्ताओं को इसी प्रकार सताया था. “धिक्कार है तुम पर! तुम जो धनी हो, तुम अपने सारे सुख भोग चुके. धिक्कार है तुम पर! तुम जो अब तृप्‍त हो, क्योंकि तुम्हारे लिए भूखा रहना निर्धारित है. धिक्कार है तुम पर! तुम जो इस समय हंस रहे हो, क्योंकि तुम शोक तथा विलाप करोगे. धिक्कार है तुम पर! जब सब मनुष्य तुम्हारी प्रशंसा करते हैं क्योंकि उनके पूर्वज झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ यही किया करते थे.” “किंतु तुम, जो इस समय मेरे प्रवचन सुन रहे हो, अपने शत्रुओं से प्रेम करो तथा उनके साथ भलाई, जो तुमसे घृणा करते हैं. जो तुम्हें शाप देते हैं उनको आशीष दो, और जो तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करें उनके लिए प्रार्थना करो. यदि कोई तुम्हारे एक गाल पर प्रहार करे उसकी ओर दूसरा भी फेर दो. यदि कोई तुम्हारी चादर लेना चाहे तो उसे अपना कुर्ता भी देने में संकोच न करो. जब भी कोई तुमसे कुछ मांगे तो उसे अवश्य दो और यदि कोई तुम्हारी कोई वस्तु ले ले तो उसे वापस न मांगो अन्यों के साथ तुम्हारा व्यवहार वैसा ही हो जैसे व्यवहार की आशा तुम उनसे करते हो. “यदि तुम उन्हीं से प्रेम करते हो, जो तुमसे प्रेम करते हैं तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं. वैसे ही यदि तुम उन्हीं के साथ भलाई करते हो, जिन्होंने तुम्हारे साथ भलाई की है, तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं. और यदि तुम उन्हीं को कर्ज़ देते हो, जिनसे राशि वापस प्राप्‍त करने की आशा होती है तो तुमने कौन सा प्रशंसनीय काम कर दिखाया? ऐसा तो परमेश्वर से दूर रहनेवाले लोग भी करते हैं—इस आशा में कि उनकी सारी राशि उन्हें लौटा दी जाएगी. सही तो यह है कि तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनका उपकार करो और कुछ भी वापस प्राप्‍त करने की आशा किए बिना उन्हें कर्ज़ दे दो. तब तुम्हारा ईनाम असाधारण होगा और तुम परम प्रधान की संतान ठहराए जाओगे क्योंकि वह उनके प्रति भी कृपालु हैं, जो उपकार नहीं मानते और बुरे हैं. कृपालु बनो, ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारे पिता कृपालु हैं. “किसी का न्याय मत करो तो तुम्हारा भी न्याय नहीं किया जाएगा. किसी पर दोष मत लगाओ तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा. क्षमा करो तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा. उदारतापूर्वक दो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा—पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उंडेल (यानी अत्यंत उदारतापूर्वक) देंगे. देने के तुम्हारे नाप के अनुसार ही तुम प्राप्‍त करोगे.” प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा भी शिक्षा दी. “क्या कोई अंधा दूसरे अंधे का मार्गदर्शन कर सकता है? क्या वे दोनों ही गड्ढे में न गिरेंगे? विद्यार्थी अपने शिक्षक से बढ़कर नहीं है परंतु हर एक, जिसने शिक्षा पूरी कर ली है, वह अपने शिक्षक के समान होगा. “तुम भला अपने भाई की आंख के कण की ओर उंगली क्यों उठाते हो जबकि तुम स्वयं अपनी आंख में पड़े लट्ठे की ओर ध्यान नहीं देते? या तुम भला यह कैसे कह सकते हो ‘ज़रा ठहरो, मैं तुम्हारी आंख से वह कण निकाल देता हूं,’ जबकि तुम्हारी अपनी आंख में तो लट्ठा पड़ा हुआ देख नहीं सकते हो? अरे पाखंडी! पहले तो स्वयं अपनी आंख में से उस लट्ठे को तो निकाल! तभी तू स्पष्ट रूप से देख सकेगा और अपने भाई की आंख में से उस कण को निकाल सकेगा.” “कोई भी अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं लाता और न बुरा पेड़ अच्छा फल. हर एक पेड़ उसके अपने फलों के द्वारा पहचाना जाता है. कंटीले वृक्षों में से लोग अंजीर या कंटीली झाड़ियों में से अंगूर इकट्ठा नहीं किया करते. भला व्यक्ति हृदय में भरे हुए उत्तम भंडार में से उत्तम ही निकालता है तथा बुरा व्यक्ति अपने हृदय में भरे हुए बुरे भंडार में से बुरा; क्योंकि उसका मुख उसके हृदय में भरी हुई वस्तुओं में से ही निकालता है.” “तुम लोग मुझे, प्रभु, प्रभु कहकर क्यों पुकारते हो जबकि मेरी आज्ञाओं का पालन ही नहीं करते? मैं तुम्हें बताऊंगा कि वह व्यक्ति किस प्रकार का है, जो मेरे पास आता है, मेरे संदेश को सुनता तथा उसका पालन करता है: वह उस घर बनानेवाले के जैसा है, जिसने गहरी खुदाई करके चट्टान पर नींव डाली. मूसलाधार बारिश के तेज बहाव ने उस घर पर ठोकरें मारी किंतु उसे हिला न पाया क्योंकि वह घर मजबूत था. वह व्यक्ति, जो मेरे संदेश को सुनता है किंतु उसका पालन नहीं करता, उस व्यक्ति के समान है, जिसने भूमि पर बिना नींव के घर बनाया और जिस क्षण उस पर तेज बहाव ने ठोकरें मारी, वह ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया.”