लूकस 2:21-32

लूकस 2:21-32 पवित्र बाइबल (HERV)

और जब बालक के ख़तने का आठवाँ दिन आया तो उसका नाम यीशु रखा गया। उसे यह नाम उसके गर्भ में आने से भी पहले स्वर्गदूत द्वारा दे दिया गया था। और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो वे यीशु को प्रभु को समर्पित करने के लिये यरूशलेम ले गये। प्रभु की व्यवस्था में लिखे अनुसार, “हर पहली नर सन्तान ‘प्रभु को समर्पित’ मानी जाएगी।” और प्रभु की व्यवस्था कहती है, “एक जोड़ी कपोत या कबूतर के दो बच्चे बलि चढ़ाने चाहिए।” सो वे व्यवस्था के अनुसार बलि चढ़ाने ले गये। यरूशलेम में शमौन नाम का एक धर्मी और भक्त व्यक्ति था। वह इस्राएल के सुख-चैन की बाट जोहता रहता था। पवित्र आत्मा उसके साथ था। पवित्र आत्मा द्वारा उसे प्रकट किया गया था कि जब तक वह प्रभु के मसीह के दर्शन नहीं कर लेगा, मरेगा नहीं। वह आत्मा से प्रेरणा पाकर मन्दिर में आया और जब व्यवस्था के विधि के अनुसार कार्य के लिये बालक यीशु को उसके माता-पिता मन्दिर में लाये। तो शमौन यीशु को अपनी गोद में उठा कर परमेश्वर की स्तुति करते हुए बोला: “प्रभु, अब तू अपने वचन के अनुसार अपने दास मुझ को शांति के साथ मुक्त कर, क्योंकि मैं अपनी आँखों से तेरे उस उद्धार का दर्शन कर चुका हूँ, जिसे तूने सभी लोगों के सामने तैयार किया है। यह बालक ग़ैर यहूदियों के लिए तेरे मार्ग को उजागर करने के हेतु प्रकाश का स्रोत है और तेरे अपने इस्राएल के लोगों के लिये यह महिमा है।”

लूकस 2:21-32 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

आठ दिन के बाद जब बालक के खतने का समय आया, तब उसका नाम “येशु” रखा गया। स्‍वर्गदूत ने गर्भाधान के पहले ही यही नाम दिया था। जब मूसा की व्‍यवस्‍था के अनुसार उनके शुद्धिकरण का दिन आया, तब मरियम और यूसुफ़ बालक को यरूशलेम नगर ले गये कि उसे प्रभु को अर्पित करें। जैसा कि प्रभु की व्‍यवस्‍था में लिखा है : “हर पहिलौठा पुत्र प्रभु के लिए पवित्र माना जाए।” और इसलिए भी कि वे प्रभु की व्‍यवस्‍था की आज्ञा के अनुसार पण्‍डुकों का एक जोड़ा या कपोत के दो बच्‍चे बलिदान में चढ़ाएँ। उस समय यरूशलेम में शिमोन नामक एक धर्मी तथा भक्‍त मनुष्‍य रहता था। वह इस्राएल की सान्‍त्‍वना की प्रतीक्षा में था। पवित्र आत्‍मा उस पर था और उसे पवित्र आत्‍मा से यह प्रकाशन मिला था कि, जब तक वह प्रभु के मसीह के दर्शन न कर लेगा, तब तक उसकी मृत्‍यु न होगी। वह पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा से मन्‍दिर में आया। जब माता-पिता बालक येशु के लिए व्‍यवस्‍था की विधियाँ पूरी करने उसे भीतर लाए, तब शिमोन ने बालक को अपनी गोद में लिया और परमेश्‍वर की स्‍तुति करते हुए कहा, “हे स्‍वामी, अब तू अपने वचन के अनुसार अपने सेवक को शान्‍ति के साथ विदा कर; क्‍योंकि मेरी आँखों ने उस मुक्‍ति को देख लिया, जिसे तूने सब लोगों के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया है। यह अन्‍य-जातियों को प्रकाशन और तेरी प्रजा इस्राएल को गौरव देने वाली ज्‍योति है।”

लूकस 2:21-32 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब आठ दिन पूरे हुए, और उसके खतने का समय आया, तो उसका नाम यीशु रखा गया, जो स्वर्गदूत ने उसके पेट में आने से पहिले कहा था। और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार उन के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो वे उसे यरूशलेम में ले गए, कि प्रभु के सामने लाएं। (जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है कि हर एक पहिलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा)। और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार पंडुकों का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्चे ला कर बलिदान करें। और देखो, यरूशलेम में शमौन नाम एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्ति की बाट जोह रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। और पवित्र आत्मा से उस को चितावनी हुई थी, कि जब तक तू प्रभु के मसीह को देख ने लेगा, तक तक मृत्यु को न देखेगा। और वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर में आया; और जब माता-पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें। तो उस ने उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्वर का धन्यवाद करके कहा, हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है। क्योंकि मेरी आंखो ने तेरे उद्धार को देख लिया है। जिसे तू ने सब देशों के लोगों के साम्हने तैयार किया है। कि वह अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।

लूकस 2:21-32 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब आठ दिन पूरे हुए और उसके खतने का समय आया, तो उसका नाम यीशु रखा गया जो स्वर्गदूत ने उसके पेट में आने से पहले कहा था। जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार उनके शुद्ध होने के दिन पूरे हुए, तो वे उसे यरूशलेम में ले गए कि प्रभु के सामने लाएँ, (जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है : “हर एक पहिलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा।”) और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार : “पंडुकों का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्‍चे” लाकर बलिदान करें। यरूशलेम में शमौन नामक एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्‍त था; और इस्राएल की शान्ति की बाट जोह रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। और पवित्र आत्मा द्वारा उस पर प्रगट हुआ था कि जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा। वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर में आया; और जब माता–पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें, तो उसने उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्‍वर का धन्यवाद करके कहा : “हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है, क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है, जिसे तू ने सब देशों के लोगों के सामने तैयार किया है, कि वह अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।”

लूकस 2:21-32 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब आठ दिन पूरे हुए, और उसके खतने का समय आया, तो उसका नाम यीशु रखा गया, यह नाम स्वर्गदूत द्वारा, उसके गर्भ में आने से पहले दिया गया था। (उत्प. 17:12, लैव्य. 12:3) और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार मरियम के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो यूसुफ और मरियम उसे यरूशलेम में ले गए, कि प्रभु के सामने लाएँ। (लैव्य. 12:6) जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है: “हर एक पहलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा।” (निर्ग. 13:2,12) और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार, “पण्‍डुकों का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्चे लाकर बलिदान करें।” (लैव्य. 12:8) उस समय यरूशलेम में शमौन नामक एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्ति की प्रतीक्षा कर रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। और पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकट हुआ, कि जब तक तू प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा। और वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर में आया; और जब माता-पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें, तो उसने उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्वर का धन्यवाद करके कहा: “हे प्रभु, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा कर दे; क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है। जिसे तूने सब देशों के लोगों के सामने तैयार किया है। (यशा. 40:5) कि वह अन्यजातियों को सत्य प्रकट करने के लिए एक ज्योति होगा, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।” (यशा. 42:6, यशा. 49:6)

लूकस 2:21-32 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जन्म के आठवें दिन, ख़तना के समय, उस शिशु का नाम येशु रखा गया—वही नाम, जो उनके गर्भ में आने के पूर्व स्वर्गदूत द्वारा बताया गया था. जब मोशेह की व्यवस्था के अनुरूप मरियम और योसेफ़ के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए, वे शिशु को येरूशलेम लाए कि उसे प्रभु को भेंट किया जाए. जैसा कि व्यवस्था का आदेश है: हर एक पहलौठा पुत्र प्रभु को भेंट किया जाए तथा प्रभु के व्यवस्था की आज्ञा के अनुसार एक जोड़ा पंडुकी या कबूतर के दो बच्चों की बलि चढ़ाई जाए. येरूशलेम में शिमओन नामक एक व्यक्ति थे. वह धर्मी तथा श्रद्धालु थे. वह इस्राएल की शांति की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन पर पवित्र आत्मा का आच्छादन था. पवित्र आत्मा के द्वारा उन पर यह स्पष्ट कर दिया गया था कि प्रभु के मसीह को देखे बिना उनकी मृत्यु नहीं होगी. पवित्र आत्मा के सिखाने पर शिमओन मंदिर के आंगन में आए. उसी समय मरियम और योसेफ़ ने व्यवस्था द्वारा निर्धारित विधियों को पूरा करने के उद्देश्य से शिशु येशु को लेकर वहां प्रवेश किया. शिशु येशु को देखकर शिमओन ने उन्हें गोद में लेकर परमेश्वर की स्तुति करते हुए कहा. “परम प्रधान प्रभु, अब अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार अपने सेवक को शांति में विदा कीजिए, क्योंकि मैंने अपनी आंखों से आपके उद्धार को देख लिया है, जिसे आपने सभी के लिए तैयार किया है. यह आपकी प्रजा इस्राएल का गौरव, तथा सब राष्ट्रों की ज्ञान की ज्योति है.”