लूकस 19:11-26

लूकस 19:11-26 पवित्र बाइबल (HERV)

वे जब इन बातों को सुन रहे थे तो यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त-कथा सुनाई क्योंकि यीशु यरूशलेम के निकट था और वे सोचते थे कि परमेश्वर का राज्य तुरंत ही प्रकट होने जा रहा है। सो यीशु ने कहा, “एक उच्च कुलीन व्यक्ति राजा का पद प्राप्त करके आने को किसी दूर देश को गया। सो उसने अपने दस सेवकों को बुलाया और उनमें से हर एक को दस दस थैलियाँ दी और उनसे कहा, ‘जब तक मैं लौटूँ, इनसे कोई व्यापार करो।’ किन्तु उसके नगर के दूसरे लोग उससे घृणा करते थे, इसलिये उन्होंने उसके पीछे यह कहने को एक प्रतिनिधि मंडल भेजा, ‘हम नहीं चाहते कि यह व्यक्ति हम पर राज करे।’ “किन्तु उसने राजा की पदवी पा ली। फिर जब वह वापस घर लौटा तो जिन सेवकों को उसने धन दिया था उनको यह जानने के लिए कि उन्होंने क्या लाभ कमाया है, उसने बुलावा भेजा। पहला आया और बोला, ‘हे स्वामी, तेरी थैलियों से मैंने दस थैलियाँ और कमायी है।’ इस पर उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘उत्तम सेवक, तूने अच्छा किया। क्योंकि तू इस छोटी सी बात पर विश्वास के योग्य रहा। तू दस नगरों का अधिकारी होगा।’ “फिर दूसरा सेवक आया और उसने कहा, ‘हे स्वामी, तेरी थैलियों से पाँच थैलियाँ और कमाई हैं।’ फिर उसने इससे कहा, ‘तू पाँच नगरों के ऊपर होगा।’ “फिर वह अन्य सेवक आया और कहा, ‘हे स्वामी, यह रही तेरी थैली जिसे मैंने गमछे में बाँध कर कहीं रख दिया था। मैं तुझ से डरता रहा हूँ, क्योंकि तू, एक कठोर व्यक्ति है। तूने जो रखा नहीं है तू उसे भी ले लेता है और जो तूने बोया नहीं तू उसे काटता है।’ “स्वामी ने उससे कहा, ‘अरे दुष्ट सेवक, मैं तेरे अपने ही शब्दों के आधार पर तेरा न्याय करूँगा। तू तो जानता ही है कि में जो रखता नहीं हूँ, उसे भी ले लेने वाला और जो बोता नहीं हूँ, उसे भी काटने वाला एक कठोर व्यक्ति हूँ? तो तूने मेरा धन ब्याज पर क्यों नहीं लगाया, ताकि जब मैं वापस आता तो ब्याज समेत उसे ले लेता।’ फिर पास खड़े लोगों से उसने कहा, ‘इसकी थैली इससे ले लो और जिसके पास दस थैलियाँ हैं उसे दे दो।’ “इस पर उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास तो दस थैलियाँ है।’ “स्वामी ने कहा, ‘मैं तुमसे कहता हूँ प्रत्येक उस व्यक्ति को जिसके पास है और अधिक दिया जायेगा और जिसके पास नहीं है, उससे जो उसके पास है, वह भी छीन लिया जायेगा।

लूकस 19:11-26 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जब लोग ये बातें सुन रहे थे, तब येशु ने एक दृष्‍टान्‍त भी सुनाया; क्‍योंकि वह यरूशलेम के निकट थे और क्‍योंकि लोग यह समझ रहे थे कि परमेश्‍वर का राज्‍य तुरन्‍त प्रकट होने वाला है। येशु ने कहा, “एक कुलीन मनुष्‍य अपने लिए राजपद प्राप्‍त कर लौटने के विचार से दूर देश चला गया। उसने जाने से पहले अपने दस सेवकों को बुलाया और उन्‍हें एक-एक अशर्फी दे कर कहा, ‘मेरे लौटने तक इनसे व्‍यापार करो।’ “उसके नगर-निवासी उस से बैर करते थे। इसलिए उन्‍होंने उसके पीछे एक प्रतिनिधि-मण्‍डल भेजा और यह कहा, ‘हम नहीं चाहते कि यह मनुष्‍य हम पर राज्‍य करे।’ “वह राजपद पा कर लौटा और उसने जिन सेवकों को धन दिया था, उन्‍हें बुलाया और यह जानना चाहा कि प्रत्‍येक ने व्‍यापार से कितना कमाया है। पहले ने आ कर कहा, ‘स्‍वामी! आपकी अशर्फी से मैंने दस और अशर्फियाँ कमायी हैं।’ स्‍वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश, भले सेवक! तुम छोटी-से-छोटी बात में ईमानदार निकले, इसलिए तुम दस नगरों पर अधिकार करो।’ दूसरे ने आ कर कहा, ‘स्‍वामी! आपकी अशर्फी से मैंने पाँच और अशर्फियाँ कमायी हैं।’ स्‍वामी ने उससे भी कहा, ‘तुम पाँच नगरों पर शासन करो।’ अब तीसरे ने आ कर कहा, ‘स्‍वामी! देखिए, यह है आपकी अशर्फी। मैंने इसे एक अँगोछे में बाँध रखा था। मैं आप से डरता था, क्‍योंकि आप निर्दय व्यक्‍ति हैं। आपने जो जमा नहीं किया, उसे आप निकालते हैं और जो नहीं बोया, उसे काटते हैं!’ स्‍वामी ने उससे कहा, ‘दुष्‍ट सेवक! मैं तेरे ही शब्‍दों से तेरा न्‍याय करूँगा। तू जानता था कि मैं निर्दय व्यक्‍ति हूँ। मैंने जो जमा नहीं किया, उसे निकालता हूँ और जो नहीं बोया, उसे काटता हूँ। तो, तूने मेरा धन महाजन के यहाँ क्‍यों नहीं रख दिया? तब मैं लौट कर उसे ब्‍याज सहित प्राप्‍त कर लेता।’ और स्‍वामी ने वहाँ उपस्‍थित लोगों से कहा, ‘इस से यह अशर्फी ले लो और जिसके पास दस अशर्फियाँ हैं, उस को दे दो।’ उन्‍होंने उससे कहा, ‘स्‍वामी! उसके पास तो दस अशर्फियाँ हैं।’ “स्‍वामी बोला, ‘मैं तुम से कहता हूँ : जिसके पास है, उस को और दिया जाएगा; लेकिन जिसके पास नहीं है उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है।

लूकस 19:11-26 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उस ने एक दृष्टान्त कहा, इसलिये कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे, कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट हुआ चाहता है। सो उस ने कहा, एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर फिर आए। और उस ने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उन से कहा, मेरे लौट आने तक लेन-देन करना। परन्तु उसके नगर के रहने वाले उस से बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे। जब वह राजपद पाकर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उस ने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन-देन से क्या क्या कमाया। तब पहिले ने आकर कहा, हे स्वामी तेरे मोहर से दस और मोहरें कमाई हैं। उस ने उस से कहा; धन्य हे उत्तम दास, तुझे धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासी निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख। दूसरे ने आकर कहा; हे स्वामी तेरी मोहर से पांच और मोहरें कमाई हैं। उस ने कहा, कि तू भी पांच नगरों पर हाकिम हो जा। तीसरे ने आकर कहा; हे स्वामी देख, तेरी मोहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बान्ध रखी। क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिये कि तू कठोर मनुष्य है: जो तू ने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तू ने नहीं बोया, उसे काटता है। उस ने उस से कहा; हे दुष्ट दास, मैं तेरे ही मुंह से तुझे दोषी ठहराता हूं: तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूं, जो मैं ने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैं ने नहीं बोया, उसे काटता हूं। तो तू ने मेरे रूपये कोठी में क्यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता? और जो लोग निकट खड़े थे, उस ने उन से कहा, वह मोहर उस से ले लो, और जिस के पास दस मोहरें हैं उसे दे दो। (उन्होंने उस से कहा; हे स्वामी, उसके पास दस मोहरें तो हैं)। मैं तुम से कहता हूं, कि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं, उस से वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।

लूकस 19:11-26 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उस ने एक दृष्‍टान्त कहा, इसलिये कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे कि परमेश्‍वर का राज्य अभी प्रगट होने वाला है। अत: उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर लौट आए। उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन–देन करना।’ परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, ‘हम नहीं चाहते कि यह हम पर राज्य करे।’ “जब वह राजपद पाकर लौटा, तो ऐसा हुआ कि उसने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन–देन से क्या–क्या कमाया। तब पहले ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से दस और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे कहा, ‘धन्य, हे उत्तम दास! तू बहुत ही थोड़े में विश्‍वासयोग्य निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।’ दूसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से पाँच और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे भी कहा, ‘तू भी पाँच नगरों पर हाकिम हो जा।’ तीसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, देख तेरी मुहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बाँध रखा था। क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिये कि तू कठोर मनुष्य है : जो तू ने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तू ने नहीं बोया, उसे काटता है।’ उसने उससे कहा, ‘हे दुष्‍ट दास, मैं तेरे ही मुँह से तुझे दोषी ठहराता हूँ। तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूँ, जो मैं ने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैं ने नहीं बोया उसे काटता हूँ; तो तू ने मेरे रुपये सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दिए कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता?’ और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, ‘वह मुहर उससे ले लो, और जिसके पास दस मुहरें हैं उसे दे दो।’ उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास दस मुहरें तो हैं।’ ‘मैं तुमसे कहता हूँ कि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।

लूकस 19:11-26 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उसने एक दृष्टान्त कहा, इसलिए कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे, कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट होनेवाला है। अतः उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर लौट आए। और उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।’ परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे। “जब वह राजपद पाकर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उसने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन-देन से क्या-क्या कमाया। तब पहले ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरे मुहर से दस और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे कहा, ‘हे उत्तम दास, तू धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासयोग्य निकला अब दस नगरों का अधिकार रख।’ दूसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से पाँच और मुहरें कमाई हैं।’ उसने उससे कहा, ‘तू भी पाँच नगरों पर अधिकार रख।’ तीसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, देख, तेरी मुहर यह है, जिसे मैंने अँगोछे में बाँध रखा था। क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिए कि तू कठोर मनुष्य है: जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तूने नहीं बोया, उसे काटता है।’ उसने उससे कहा, ‘हे दुष्ट दास, मैं तेरे ही मुँह से तुझे दोषी ठहराता हूँ। तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूँ, जो मैंने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैंने नहीं बोया, उसे काटता हूँ; तो तूने मेरे रुपये सर्राफों को क्यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता?’ और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, ‘वह मुहर उससे ले लो, और जिसके पास दस मुहरें हैं उसे दे दो।’ उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास दस मुहरें तो हैं।’ ‘मैं तुम से कहता हूँ, कि जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।

लूकस 19:11-26 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब वे इन बातों को सुन रहे थे, प्रभु येशु ने एक दृष्टांत प्रस्तुत किया क्योंकि अब वे येरूशलेम नगर के पास पहुंच रहे थे और लोगों की आशा थी कि परमेश्वर का राज्य तुरंत ही प्रकट होने पर है. प्रभु येशु ने कहना प्रारंभ किया: “एक कुलीन व्यक्ति राजपद प्राप्‍त करने के लिए दूर देश की यात्रा पर निकला. यात्रा के पहले उसने अपने दस दासों को बुलाकर उन्हें दस सोने के सिक्‍के देते हुए कहा, ‘मेरे लौटने तक इस राशि से व्यापार करना.’ “लोग उससे घृणा करते थे इसलिये उन्होंने उसके पीछे एक सेवकों की टुकड़ी को इस संदेश के साथ भेजा, ‘हम नहीं चाहते कि यह व्यक्ति हम पर शासन करे.’ “इस पर भी उसे राजा बना दिया गया. लौटने पर उसने उन दासों को बुलवाया कि वह यह मालूम करे कि उन्होंने उस राशि से व्यापार कर कितना लाभ कमाया है. “पहले दास ने आकर बताया, ‘स्वामी, आपके द्वारा दिए गए सोने के सिक्कों से मैंने दस सिक्‍के और कमाए हैं.’ “ ‘शाबाश, मेरे योग्य दास!’ स्वामी ने उत्तर दिया, ‘इसलिये कि तुम बहुत छोटी ज़िम्मेदारी में भी विश्वासयोग्य पाए गए, तुम दस नगरों की ज़िम्मेदारी संभालो.’ “दूसरे दास ने आकर बताया, ‘स्वामी, आपके द्वारा दिए गए सोने के सिक्कों से मैंने पांच और कमाए हैं.’ “स्वामी ने उत्तर दिया, ‘तुम पांच नगरों की ज़िम्मेदारी संभालो.’ “तब एक अन्य दास आया और स्वामी से कहने लगा, ‘स्वामी, यह है आपका दिया हुआ सोने का सिक्का, जिसे मैंने बड़ी ही सावधानी से कपड़े में लपेट, संभाल कर रखा है. मुझे आपसे भय था क्योंकि आप कठोर व्यक्ति हैं. आपने जिसका निवेश भी नहीं किया, वह आप ले लेते हैं, जो आपने बोया ही नहीं, उसे काटते हैं.’ “स्वामी ने उसे उत्तर दिया, ‘अरे ओ दुष्ट! तेरा न्याय तो मैं तेरे ही शब्दों के आधार पर करूंगा. जब तू जानता है कि मैं एक कठोर व्यक्ति हूं; मैं वह ले लेता हूं जिसका मैंने निवेश ही नहीं किया और वह काटता हूं, जो मैंने बोया ही नहीं, तो तूने मेरा धन साहूकारों के पास जमा क्यों नहीं कर दिया कि मैं लौटने पर उसे ब्याज सहित प्राप्‍त कर सकता?’ “तब उसने अपने पास खड़े दासों को आज्ञा दी, ‘इसकी स्वर्ण मुद्रा लेकर उसे दे दो, जिसके पास अब दस मुद्राएं हैं.’ “उन्होंने आपत्ति करते हुए कहा, ‘स्वामी, उसके पास तो पहले ही दस हैं!’ “स्वामी ने उत्तर दिया, ‘सच्चाई यह है: हर एक, जिसके पास है, उसे और भी दिया जाएगा किंतु जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है.