लूकस 15:11-32
लूकस 15:11-32 पवित्र बाइबल (HERV)
फिर यीशु ने कहा: “एक व्यक्ति के दो बेटे थे। सो छोटे ने अपने पिता से कहा, ‘जो सम्पत्ति मेरे बाँटे में आती है, उसे मुझे दे दे।’ तो पिता ने उन दोनों को अपना धन बाँट दिया। “अभी कोई अधिक समय नहीं बीता था, कि छोटे बेटे ने अपनी समूची सम्पत्ति समेंटी और किसी दूर देश को चल पड़ा। और वहाँ जँगलियों सा उद्दण्ड जीवन जीते हुए उसने अपना सारा धन बर्बाद कर डाला। जब उसका सारा धन समाप्त हो चुका था तभी उस देश में सभी ओर व्यापक भयानक अकाल पड़ा। सो वह अभाव में रहने लगा। इसलिये वह उस देश के किसी व्यक्ति के यहाँ जाकर मज़दूरी करने लगा उसने उसे अपने खेतों में सुअर चराने भेज दिया। वहाँ उसने सोचा कि उसे वे फलियाँ ही पेट भरने को मिल जायें जिन्हें सुअर खाते थे। पर किसी ने उसे एक फली तक नहीं दी। “फिर जब उसके होश ठिकाने आये तो वह बोला, ‘मेरे पिता के पास कितने ही ऐसे मज़दूर हैं जिनके पास खाने के बाद भी बचा रहता है, और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ। सो मैं यहाँ से उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा: पिताजी, मैंने स्वर्ग के परमेश्वर और तेरे विरुद्ध पाप किया है। अब आगे मैं तेरा बेटा कहलाने योग्य नहीं रहा हूँ। मुझे अपना एक मज़दूर समझकर रख ले।’ सो वह उठकर अपने पिता के पास चल दिया। “अभी वह पर्याप्त दूरी पर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और उसके पिता को उस पर बहुत दया आयी। सो दौड़ कर उसने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और चूमा। पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी, मैंने तुम्हारी दृष्टि में और स्वर्ग के विरुद्ध पाप किया है, मैं अब और अधिक तुम्हारा पुत्र कहलाने योग्य नहीं हूँ।’ “किन्तु पिता ने अपने सेवकों से कहा, ‘जल्दी से उत्तम वस्त्र निकाल लाओ और उन्हें इसे पहनाओ। इसके हाथ में अँगूठी और पैरों में चप्पल पहनाओ। कोई मोटा ताजा बछड़ा लाकर मारो और आओ उसे खाकर हम आनन्द मनायें। क्योंकि मेरा यह बेटा जो मर गया था अब जैसे फिर जीवित हो गया है। यह खो गया था, पर अब यह मिल गया है।’ सो वे आनन्द मनाने लगे। “अब उसका बड़ा बेटा जो खेत में था, जब आया और घर के पास पहुँचा तो उसने गाने नाचने के स्वर सुने। उसने अपने एक सेवक को बुलाकर पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ सेवक ने उससे कहा, ‘तेरा भाई आ गया है और तेरे पिता ने उसे सुरक्षित और स्वस्थ पाकर एक मोटा सा बछड़ा कटवाया है!’ “बड़ा भाई आग बबूला हो उठा, वह भीतर जाना तक नहीं चाहता था। सो उसके पिता ने बाहर आकर उसे समझाया बुझाया। पर उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख मैं बरसों से तेरी सेवा करता आ रहा हूँ। मैंने तेरी किसी भी आज्ञा का विरोध नहीं किया, पर तूने मुझे तो कभी एक बकरी तक नहीं दी कि मैं अपने मित्रों के साथ कोई आनन्द मना सकता। पर जब तेरा यह बेटा आया जिसने वेश्याओं में तेरा धन उड़ा दिया, उसके लिये तूने मोटा ताजा बछड़ा मरवाया।’ “पिता ने उससे कहा, ‘मेरे पुत्र, तू सदा ही मेरे पास है और जो कुछ मेरे पास है, सब तेरा है। किन्तु हमें प्रसन्न होना चाहिए और उत्सव मनाना चाहिये क्योंकि तेरा यह भाई, जो मर गया था, अब फिर जीवित हो गया है। यह खो गया था, जो फिर अब मिल गया है।’”
लूकस 15:11-32 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
येशु ने कहा, “किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। छोटे पुत्र ने अपने पिता से कहा, ‘पिता जी! सम्पत्ति का जो भाग मेरा है, वह मुझे दे दीजिए’, और पिता ने उन में अपनी सम्पत्ति बाँट दी। थोड़े ही दिनों बाद छोटा पुत्र अपनी समस्त सम्पत्ति एकत्र कर किसी दूर देश को चला गया और वहाँ उसने भोग-विलास में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में भारी अकाल पड़ा और वह कंगाल हो गया। इसलिए उसने उस देश के एक नागरिक के यहाँ आश्रय लिया, जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेजा। जो फलियाँ सूअर खाते थे, उन्हीं से वह अपना पेट भरने के लिए तरसता था, लेकिन कोई उसे कुछ नहीं देता था। तब वह होश में आया और यह सोचने लगा : ‘मेरे पिता के घर में कितने ही मजदूरों को आवश्यकता से अधिक रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ। मैं उठ कर अपने पिता के पास जाऊंगा और उन से कहूँगा, “पिताजी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं रहा। मुझे अपने मजदूरों में से एक जैसा रख लीजिए।” ’ तब वह उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पड़ा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और वह दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्बन किया। तब पुत्र ने उससे कहा, “पिता जी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं रहा।’ परन्तु पिता ने अपने सेवकों से कहा, ‘शीघ्र अच्छे-से-अच्छे वस्त्र ला कर इस को पहनाओ और इसकी उँगली में अँगूठी और इसके पैरों में जूते पहना दो। मोटा पशु ला कर काटो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ; क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।’ और वे आनन्द मनाने लगे। “उसका ज्येष्ठ पुत्र खेत में था। जब वह लौटकर घर के निकट पहुँचा, तो उसे गाने-बजाने और नाचने की आवाज सुनाई पड़ी। उसने एक सेवक को बुलाया और उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ सेवक ने कहा, ‘आपके भाई आए हैं और आपके पिता ने मोटा पशु काटा है, क्योंकि उन्होंने उनको भला-चंगा वापस पाया है’। इस पर वह क्रुद्ध हो गया और उसने घर के भीतर जाना नहीं चाहा। तब उसका पिता उसे मनाने के लिए बाहर आया। परन्तु उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, मैं इतने वर्षों से एक गुलाम के समान आपकी सेवा कर रहा हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी आपने कभी मुझे बकरी का एक बच्चा तक नहीं दिया, ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मना सकूँ। पर जैसे ही आपका यह पुत्र आया, जिसने वेश्याओं के पीछे आपकी सम्पत्ति उड़ा दी है, आपने उसके लिए मोटा पशु काट डाला!’ इस पर पिता ने उससे कहा, ‘पुत्र, तुम तो सदा मेरे साथ रहते हो और जो कुछ मेरा है, वह तुम्हारा ही है। परन्तु हमें आनन्द मनाना और उल्लसित होना उचित ही था; क्योंकि तुम्हारा यह भाई मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।’ ”
लूकस 15:11-32 Hindi Holy Bible (HHBD)
फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी। और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था। जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं। मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले। तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं। परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; फट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ। और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें। क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे। परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था : और जब वह आते हुए घर के निकट पहुंचा, तो उस ने गाने बजाने और नाचने का शब्द सुना। और उस ने एक दास को बुलाकर पूछा; यह क्या हो रहा है? उस ने उस से कहा, तेरा भाई आया है; और तेरे पिता ने पला हुआ बछड़ा कटवाया है, इसलिये कि उसे भला चंगा पाया है। यह सुनकर वह क्रोध से भर गया, और भीतर जाना न चाहा : परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा। उस ने पिता को उत्तर दिया, कि देख; मैं इतने वर्ष से तरी सेवा कर रहा हूं, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी संपत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ बछड़ा कटवाया। उस ने उस से कहा; पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है॥
लूकस 15:11-32 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
फिर उसने कहा, “किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उनमें से छोटे ने पिता से कहा, ‘हे पिता, सम्पत्ति में से जो भाग मेरा हो वह मुझे दे दीजिए।’ उसने उनको अपनी सम्पत्ति बाँट दी। बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके दूर देश को चला गया, और वहाँ कुकर्म में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। इसलिये वह उस देश के निवासियों में से एक के यहाँ जा पड़ा। उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। और वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे, अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था। जब वह अपने आपे में आया तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला : वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।’ परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अँगूठी, और पाँवों में जूतियाँ पहिनाओ, और पला हुआ पशु लाकर मारो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ। क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे। “परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उसने गाने–बजाने और नाचने का शब्द सुना। अत: उसने एक दास को बुलाकर पूछा, ‘यह क्या हो रहा है?’ उसने उससे कहा, ‘तेरा भाई आया है, और तेरे पिता ने पला हुआ पशु कटवाया है, इसलिये कि उसे भला चँगा पाया है।’ यह सुनकर वह क्रोध से भर गया और भीतर जाना न चाहा, परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा। उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख, मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिसने तेरी सम्पत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ पशु कटवाया।’ उसने उससे कहा, ‘पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था, फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है’।”
लूकस 15:11-32 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
फिर उसने कहा, “किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उनमें से छोटे ने पिता से कहा ‘हे पिता, सम्पत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए।’ उसने उनको अपनी सम्पत्ति बाँट दी। और बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहाँ कुकर्म में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। (नीति. 29:3) जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहाँ गया, उसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; क्योंकि उसे कोई कुछ नहीं देता था। जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।’ परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पाँवों में जूतियाँ पहनाओ, और बड़ा भोज तैयार करो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ। क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे। “परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। और जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उसने गाने-बजाने और नाचने का शब्द सुना। और उसने एक दास को बुलाकर पूछा, ‘यह क्या हो रहा है?’ उसने उससे कहा, ‘तेरा भाई आया है, और तेरे पिता ने बड़ा भोज तैयार कराया है, क्योंकि उसे भला चंगा पाया है।’ “यह सुनकर वह क्रोध से भर गया और भीतर जाना न चाहा: परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा। उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख; मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, फिर भी तूने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिसने तेरी सम्पत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तूने बड़ा भोज तैयार कराया।’ उसने उससे कहा, ‘पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; औरजो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है।’”
लूकस 15:11-32 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
प्रभु येशु ने आगे कहा, “किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे. छोटे पुत्र ने पिता से विनती की, ‘पिताजी, संपत्ति में से मेरा भाग मुझे दे दीजिए.’ इसलिये पिता ने दोनों पुत्रों में अपनी संपत्ति बांट दी. “शीघ्र ही छोटे पुत्र ने अपने भाग में आई सारी संपत्ति ली और एक दूर देश की ओर चला गया. वहां उसने अपना सारा धन मनमानी जीवनशैली में उड़ा दिया. और अब, जब उसका सब कुछ समाप्त हो गया था, सारे देश में भीषण अकाल पड़ा किंतु उसके पास अब कुछ भी बाकी न रह गया था. इसलिये वह उसी देश के एक नागरिक के यहां चला गया जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेज दिया. वह सूअरों के चारे से ही अपना पेट भरने के लिए तरस जाता था. कोई भी उसे खाने के लिए कुछ नहीं देता था. “अपनी परिस्थिति के बारे में होश में आने पर वह विचार करने लगा: ‘मेरे पिता के कितने ही सेवकों को अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध है और यहां मैं भूखा मर रहा हूं! मैं लौटकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उनसे कहूंगा: पिताजी! मैंने वे जो स्वर्ग में हैं, उनके विरुद्ध तथा आपके विरुद्ध पाप किया है. इसके बाद मैं इस योग्य नहीं रह गया कि आपका पुत्र कहलाऊं. अब आप मुझे अपने यहां मज़दूर ही रख लीजिए.’ इसलिये वह उठकर अपने पिता के पास लौट गया. “वह दूर ही था कि पिता ने उसे देख लिया और वह दया से भर गया. वह दौड़कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगाकर चूमता रहा. “पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध तथा आपके प्रति पाप किया है, मैं अब इस योग्य नहीं रहा कि मैं आपका पुत्र कहलाऊं.’ “किंतु पिता ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘बिना देर किए सबसे अच्छे वस्त्र लाकर इसे पहनाओ और इसकी उंगली में अंगूठी और पांवों में जूतियां भी पहनाओ; जाकर एक सबसे अच्छे बछड़े से भोजन तैयार करो. चलो, हम सब आनंद मनाएं क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, अब जीवित हो गया है; यह खो गया था किंतु अब मिल गया है.’ इसलिये वे सभी आनंद से भर गए. “उस समय बड़ा बेटा अपने खेतों में काम कर रहा था. जब वह लौटकर घर आ रहा था, पास आने पर उसे संगीत और नाचने की आवाज सुनाई दी. उसने एक सेवक को बुलाकर उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ ‘आपका भाई लौट आया है,’ उस सेवक ने उत्तर दिया, ‘और आपके पिता ने सबसे अच्छा बछड़ा लेकर भोज तैयार करवाया है क्योंकि उनका पुत्र उन्हें सकुशल और सुरक्षित मिल गया है.’ “गुस्से में बड़े भाई ने घर के भीतर तक जाना न चाहा. इसलिये उसके पिता ने ही बाहर आकर उससे विनती की. उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, इन सभी वर्षों में मैं दास जैसे आपकी सेवा करता रहा हूं और कभी भी आपकी आज्ञा नहीं टाली फिर भी आपने कभी मुझे एक मेमना तक न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ मिलकर आनंद मना सकूं. किंतु जब आपका यह पुत्र, जिसने आपकी संपत्ति वेश्याओं पर उड़ा दी, घर लौट आया, तो आपने उसके लिए सबसे अच्छे बछड़े का भोजन बनवाया है!’ “ ‘मेरे पुत्र!’ पिता ने कहा, ‘तुम तो सदा से ही मेरे साथ हो. वह सब, जो मेरा है, तुम्हारा ही है. हमारे लिए आनंद मनाना और हर्षित होना सही ही है क्योंकि तुम्हारा यह भाई, जो मर गया था, अब जीवित हो गया है; वह, जो खो गया था, अब मिल गया है.’ ”