अय्‍यूब 33:13-29

अय्‍यूब 33:13-29 पवित्र बाइबल (HERV)

अय्यूब, तू क्यों शिकायत करता है और क्यों परमेश्वर से बहस करता है? तू क्यों शिकायत करता है कि परमेश्वर तुझे हर उस बात के विषय में जो वह करता है स्पष्ट क्यों नहीं बताता है? किन्तु परमेश्वर निश्चय ही हर उस बात को जिसको वह करता है स्पष्ट कर देता है। परमेश्वर अलग अलग रीति से बोलता है किन्तु लोग उसको समझ नहीं पाते हैं। सम्भव है कि परमेश्वर स्वप्न में लोगों के कान में बोलता हो, अथवा किसी दिव्यदर्शन में रात को जब वे गहरी नींद में हों। जब परमेश्वर की चेतावनियाँ सुनते है तो बहुत डर जाते हैं। परमेश्वर लोगों को बुरी बातों को करने से रोकने को सावधान करता है, और उन्हें अहंकारी बनने से रोकने को। परमेश्वर लोगों को मृत्यु के देश में जाने से बचाने के लिये सावधान करता है। परमेश्वर मनुष्य को नाश से बचाने के लिये ऐसा करता है। “अथवा कोई व्यक्ति परमेश्वर की वाणी तब सुन सकता है जब वह बिस्तर में पड़ा हों और परमेश्वर के दण्ड से दु:ख भोगता हो। परमेश्वर पीड़ा से उस व्यक्ति को सावधान करता है। वह व्यक्ति इतनी गहन पीड़ा में होता है, कि उसकी हड्डियाँ दु:खती है। फिर ऐसा व्यक्ति कुछ खा नहीं पाता, उस व्यक्ति को पीड़ा होती है इतनी अधिक की उसको सर्वोत्तम भोजन भी नहीं भाता। उसके शरीर का क्षय तब तक होता जाता है जब तक वह कंकाल मात्र नहीं हो जाता, और उसकी सब हड्डियाँ दिखने नहीं लग जातीं! ऐसा व्यक्ति मृत्यु के देश के निकट होता है, और उसका जीवन मृत्यु के निकट होता है। किन्तु हो सकता है कि कोई स्वर्गदूत हो जो उसके उत्तम चरित्र की साक्षी दे। परमेश्वर के पास हजारों ही स्वर्गदूत हैं। फिर वह स्वर्गदूत उस व्यक्ति के अच्छे काम बतायेगा। वह स्वर्गदूत उस व्यक्ति पर दयालु होगा, वह दूत परमेश्वर से कहेगा: ‘इस व्यक्ति की मृत्यु के देश से रक्षा हो! इसका मूल्य चुकाने को एक राह मुझ को मिल गयी है।’ फिर व्यक्ति की देह जवान और सुदृढ़ हो जायेगी। वह व्यक्ति वैसा ही हो जायेगा जैसा वह तब था, जब वह जवान था। वह व्यक्ति परमेश्वर की स्तुति करेगा और परमेश्वर उसकी स्तुति का उत्तर देगा। वह फिर परमेश्वर को वैसा ही पायेगा जैसे वह उसकी उपासना करता है, और वह अति प्रसन्न होगा। क्योंकि परमेश्वर उसे निरपराध घोषित कर के पहले जैसा जीवन कर देगा। फिर वह व्यक्ति लोगों के सामने स्वीकार करेगा। वह कहेगा: ‘मैंने पाप किये थे, भले को बुरा मैंने किया था, किन्तु मुझे इससे क्या मिला! परमेश्वर ने मृत्यु के देश में गिरने से मेरी आत्मा को बचाया। मैं और अधिक जीऊँगा और फिर से जीवन का रस लूँगा।’ “परमेश्वर व्यक्ति के साथ ऐसा बार—बार करता है

अय्‍यूब 33:13-29 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

तुम उसके विरुद्ध यह क्‍यों कहते हो कि वह तुम्‍हारी किसी भी बात का उत्तर नहीं देता? अय्‍यूब, सुनो, परमेश्‍वर के उत्तर देने के ढंग अनेक हैं; कभी वह एक ढंग से उत्तर देता है तो कभी दूसरे ढंग से; पर मनुष्‍य उस पर ध्‍यान नहीं देता है। स्‍वप्‍न में, रात के किसी दर्शन में जब मनुष्‍य गहरी नींद में सोया होता है, जब वह शय्‍या पर निद्रामग्‍न रहता है, तब परमेश्‍वर उसके कान खोलता है, वह उसको चेतावनी देकर ताड़ित करता है जिससे वह मनुष्‍य को उसके कुमार्ग से लौटा लाए और उसको अहंकार के जाल से मुक्‍त करे। परमेश्‍वर उसके प्राण को गड्ढे में गिरने से रोकता है; वह तलवार के वार से उसकी जीवन-रक्षा करता है। ‘परमेश्‍वर मनुष्‍य को रोगी बनाता और यों उसको ताड़ना देता है; और मनुष्‍य शय्‍या पर दु:ख से तड़पता है। उसकी हड्डियों में पीड़ा निरन्‍तर बनी रहती है। मनुष्‍य का जीवन इस रोग के कारण भोजन से घृणा करने लगता है; मनुष्‍य की भूख मर जाती है, उसे स्‍वादिष्‍ट भोजन से भी अरुचि हो जाती है। मनुष्‍य के शरीर का मांस सूख जाता है, और आंखों से दिखाई नहीं देता; अदृश्‍य अस्‍थियां अब गोचर होने लगती हैं। उसका प्राण कबर के समीप पहुँच जाता है, उसका जीवन मृत्‍यु-दूतों के अधीन हो जाता है। पर यदि उसके लिए कोई संदेशवाहक, कोई प्रवक्‍ता मिल जाता है, जो हजार में एक होता है; जो मनुष्‍य को बताता है कि उसके लिए उचित क्‍या है, तो वह उस पर कृपा करता और यह कहता है, “इसको कबर में मत ले जाओ, वरन् छोड़ दो; क्‍योंकि मुझे इसका विमोचन-मूल्‍य मिल गया है। इसकी देह शिशु की देह से अधिक कोमल हो जाए; इसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँ।” तब मनुष्‍य परमेश्‍वर से प्रार्थना करता है, और परमेश्‍वर उसको ग्रहण कर लेता है; मनुष्‍य आनन्‍द-उल्‍लास से परमेश्‍वर का दर्शन करता है। परमेश्‍वर मनुष्‍य की धार्मिकता लौटा देता है। मनुष्‍य लोगों के सम्‍मुख गीत गाता है, और यह कहता है, “मैंने पाप किया था, मैंने उचित कार्य को अनुचित बना दिया था, तो भी मुझे इस अधर्म का दण्‍ड नहीं दिया गया। परन्‍तु परमेश्‍वर ने मेरे प्राण को कबर में जाने से बचाया; अब मेरा जीवन ज्‍योति के दर्शन करेगा।” ‘अय्‍यूब, देखो, परमेश्‍वर मनुष्‍य की भलाई के लिए क्‍या करता है, एक बार नहीं, वरन् बार-बार!

अय्‍यूब 33:13-29 Hindi Holy Bible (HHBD)

तू उस से क्यों झगड़ता है? क्योंकि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता। क्योंकि ईश्वर तो एक क्या वरन दो बार बोलता है, परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगाते। स्वप्न में, वा रात को दिए हुए दर्शन में, जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं, वा बिछौने पर सोते समय, तब वह मनुष्यों के कान खोलता है, और उनकी शिक्षा पर मुहर लगाता है, जिस से वह मनुष्य को उसके संकल्प से रोके और गर्व को मनुष्य में से दूर करे। वह उसके प्राण को गढ़हे से बचाता है, और उसके जीवन को खड़ग की मार से बचाता है। उसे ताड़ना भी होती है, कि वह अपने बिछौने पर पड़ा पड़ा तड़पता है, और उसकी हड्डी हड्डी में लगातार झगड़ा होता है यहां तक कि उसका प्राण रोटी से, और उसका मन स्वादिष्ट भोजन से घृणा करने लगता है। उसका मांस ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियां जो पहिले दिखाई नहीं देती थीं निकल आती हैं। निदान वह कबर के निकट पहुंचता है, और उसका जीवन नाश करने वालों के वश में हो जाता है। यदि उसके लिये कोई बिचवई स्वर्ग दूत मिले, जो हजार में से एक ही हो, जो भावी कहे। और जो मनुष्य को बताए कि उसके लिये क्या ठीक है। तो वह उस पर अनुग्रह कर के कहता है, कि उसे गढ़हे में जाने से बचा ले, मुझे छुड़ौती मिली है। तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएंगे। वह ईश्वर से बिनती करेगा, और वह उस से प्रसन्न होगा, वह आनन्द से ईश्वर का दर्शन करेगा, और ईश्वर मनुष्य को ज्यों का त्यों धमीं कर देगा। वह मनुष्यों के साम्हने गाने और कहने लगता है, कि मैं ने पाप किया, और सच्चाई को उलट पुलट कर दिया, परन्तु उसका बदला मुझे दिया नहीं गया। उसने मेरे प्राण क़ब्र में पड़ने से बचाया है, मेरा जीवन उजियाले को देखेगा। देख, ऐसे ऐसे सब काम ईश्वर पुरुष के साथ दो बार क्या वरन तीन बार भी करता है

अय्‍यूब 33:13-29 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

तू उससे क्यों झगड़ता है कि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता? क्योंकि परमेश्‍वर तो एक क्या वरन् दो बार बोलता है, परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगाते। स्वप्न में, या रात को दिए हुए दर्शन में, जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं, या बिछौने पर सोते समय, तब वह मनुष्यों के कान खोलता है, और उनकी शिक्षा पर मुहर लगाता है, जिससे वह मनुष्य को उसके संकल्प से रोके और गर्व को मनुष्य में से दूर करे। वह उसके प्राण को गढ़हे से बचाता है, और उसके जीवन को तलवार की मार से बचाता है। “मनुष्य की ताड़ना भी होती है कि वह अपने बिछौने पर पड़ा पड़ा तड़पता है, और उसकी हड्डी हड्डी में लगातार झगड़ा होता है, यहाँ तक कि उसका प्राण रोटी से, और उसका मन स्वादिष्‍ट भोजन से घृणा करने लगता है। उसका मांस ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियाँ जो पहले दिखाई नहीं देती थीं निकल आती हैं। तब वह कबर के निकट पहुँचता है, और उसका जीवन नष्‍ट करनेवालों के वश में हो जाता है। यदि उसके लिये कोई बिचवई स्वर्गदूत मिले, जो हज़ार में से एक ही हो, जो भावी कहे, और जो मनुष्य को बताए कि उसके लिये क्या ठीक है; तो वह उस पर अनुग्रह करके कहता है, ‘उसे गढ़हे में जाने से बचा ले, मुझे छुड़ौती का दाम मिल गया है। उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाए; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँ।’ तब मनुष्य परमेश्‍वर से विनती करेगा, और वह उससे प्रसन्न होगा, वह आनन्द से परमेश्‍वर का दर्शन करेगा, और वह मनुष्य को ज्यों का त्यों धर्मी कर देगा। वह मनुष्य लोगों के सामने गाने और कहने लगता है, ‘मैं ने पाप किया, और सच्‍चाई को उलट पुलट कर दिया, परन्तु उसका बदला मुझे दिया नहीं गया। उसने मेरे प्राण को क़ब्र में पड़ने से बचाया है, मेरा जीवन उजियाले को देखेगा।’ “देख, ऐसे ऐसे सब काम परमेश्‍वर मनुष्य के साथ दो बार क्या वरन् तीन बार भी करता है

अय्‍यूब 33:13-29 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

तू उससे क्यों झगड़ता है? क्योंकि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता। क्योंकि परमेश्वर तो एक क्या वरन् दो बार बोलता है, परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगाते। स्वप्न में, या रात को दिए हुए दर्शन में, जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं, या बिछौने पर सोते समय, तब वह मनुष्यों के कान खोलता है, और उनकी शिक्षा पर मुहर लगाता है, जिससे वह मनुष्य को उसके संकल्प से रोके और गर्व को मनुष्य में से दूर करे। वह उसके प्राण को गड्ढे से बचाता है, और उसके जीवन को तलवार की मार से बचाता हे। “उसकी ताड़ना भी होती है, कि वह अपने बिछौने पर पड़ा-पड़ा तड़पता है, और उसकी हड्डी-हड्डी में लगातार झगड़ा होता है यहाँ तक कि उसका प्राण रोटी से, और उसका मन स्वादिष्ट भोजन से घृणा करने लगता है। उसका माँस ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियाँ जो पहले दिखाई नहीं देती थीं निकल आती हैं। तब वह कब्र के निकट पहुँचता है, और उसका जीवन नाश करनेवालों के वश में हो जाता है। यदि उसके लिये कोई बिचवई स्वर्गदूत मिले, जो हजार में से एक ही हो, जो भावी कहे। और जो मनुष्य को बताए कि उसके लिये क्या ठीक है। तो वह उस पर अनुग्रह करके कहता है, ‘उसे गड्ढे में जाने से बचा ले, मुझे छुड़ौती मिली है। तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँगे।’ वह परमेश्वर से विनती करेगा, और वह उससे प्रसन्न होगा, वह आनन्द से परमेश्वर का दर्शन करेगा, और परमेश्वर मनुष्य को ज्यों का त्यों धर्मी कर देगा। वह मनुष्यों के सामने गाने और कहने लगता है, ‘मैंने पाप किया, और सच्चाई को उलट-पुलट कर दिया, परन्तु उसका बदला मुझे दिया नहीं गया। उसने मेरे प्राण कब्र में पड़ने से बचाया है, मेरा जीवन उजियाले को देखेगा।’ “देख, ऐसे-ऐसे सब काम परमेश्वर मनुष्य के साथ दो बार क्या वरन् तीन बार भी करता है

अय्‍यूब 33:13-29 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

आप परमेश्वर के विरुद्ध यह शिकायत क्यों कर रहे हैं कि वह अपने कार्यों का लेखा नहीं दिया करते? परमेश्वर संवाद अवश्य करते हैं—कभी एक रीति से, कभी अन्य रीति से— मनुष्य इसके ओर ध्यान देने से चूक जाता है. कभी तो स्वप्न के माध्यम से, कभी रात्रि में प्रकाशित दर्शन के माध्यम से, जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़ा रहता है, जब वह बिछौने पर नींद में डूबता है. तब परमेश्वर उसके कान को जागृत कर देते हैं. उसे चेतावनियों से भयभीत कर देते हैं, कि ऐसा करके वह मनुष्य को उसके आचरण से दूर कर दें तथा मनुष्य को अहंकार से बचा लें; परमेश्वर गड्ढे से मनुष्य की आत्मा की रक्षा कर लेते हैं, कि उसका जीवन अधोलोक में न चला जाए. “मनुष्य जब अपने बिछौने पर होता है, तब भी उसे पीड़ा द्वारा सताया जाता है, इसके अतिरिक्त उसकी हड्डियों में गहन वेदना के द्वारा भी. परिणामस्वरूप उसका मन तक भोजन से घृणा करने लगता है भले ही वह उसका सर्वाधिक उत्तम भोजन रहा हो. उसके शरीर का मांस देखते ही सूख जाता है, वे हड्डियां, जो अदृश्य थी, मांस सूख कर अब स्पष्ट दिखाई दे रही हैं. तब उसके प्राण उस कब्र के निकट पहुंच जाते हैं, तथा उसका जीवन मृत्यु के दूतों के निकट पहुंच जाता है. यदि सहस्रों में से कोई एक स्वर्गदूत ऐसा है, जो उसका मध्यस्थ है, कि उसे यह स्मरण दिलाए, कि उसके लिए सर्वोपयुक्त क्या है, तब वह बड़ी ही शालीनता के भाव में उससे यह कहे. ‘उसका उस कब्र में जाना निरस्त कर दिया जाए, मुझे इसके लिए छुड़ौती प्राप्‍त हो चुकी है; अब उसके मांस को नवयुवक के मांस से भी पुष्ट कर दिया जाए, उसे उसके युवावस्था के काल में पहुंचा दिया जाए.’ तब उसके लिए यह संभव हो जाएगा, कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे और परमेश्वर उसे स्वीकार भी कर लेंगे, कि वह हर्षोल्लास में परमेश्वर के चेहरे को निहार सके तथा परमेश्वर उस व्यक्ति की युक्तता की पुनःस्थापना कर सकें. वह गा गाकर अन्य मनुष्यों के सामने यह बता देगा. ‘मैंने धर्मी को विकृत करने का पाप किया है, मेरे लिए ऐसा करना उपयुक्त न था. परमेश्वर ने मेरे प्राण को उस कब्र में जा पड़ने से बचा लिया है, अब मेरे प्राण उजियाले को देख सकेंगे.’ “यह देख लेना, परमेश्वर मनुष्यों के साथ यह सब बहुधा करते हैं