योहन 19:31-42
योहन 19:31-42 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
इसलिये कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पिलातुस से विनती की कि उनकी टाँगें तोड़ दी जाएँ और वे उतारे जाएँ, ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था। अत: सैनिकों ने आकर उन मनुष्यों में से पहले की टाँगें तोड़ीं तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे; परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उसकी टाँगें न तोड़ीं। परन्तु सैनिकों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा, और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला। जिसने यह देखा, उसने गवाही दी है, और उसकी गवाही सच्ची है; और वह जानता है कि वह सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो। ये बातें इसलिये हुईं कि पवित्रशास्त्र में जो कहा गया वह पूरा हो, “उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।” फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, “जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर वे दृष्टि करेंगे।” इन बातों के बाद अरिमतिया के यूसुफ ने जो यीशु का चेला था, परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था, पिलातुस से विनती की कि क्या वह यीशु का शव ले जा सकता है। पिलातुस ने उसकी विनती सुनी, और वह आकर उसका शव ले गया। नीकुदेमुस भी, जो पहले यीशु के पास रात को गया था, पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। तब उन्होंने यीशु का शव लिया, और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा। उस स्थान पर जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी, और उस बारी में एक नई कब्र थी जिसमें कभी कोई न रखा गया था। इसलिये यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी।
योहन 19:31-42 पवित्र बाइबल (HERV)
यह फ़सह की तैयारी का दिन था। सब्त के दिन उनके शव क्रूस पर न लटके रहें क्योंकि सब्त का वह दिन बहुत महत्त्वपूर्ण था इसके लिए यहूदियों ने पिलातुस से कहा कि वह आज्ञा दे कि उनकी टाँगे तोड़ दी जाएँ और उनके शव वहाँ से हटा दिए जाए। तब सिपाही आये और उनमें से पहले, पहले की और फिर दूसरे व्यक्ति की, जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, टाँगे तोड़ीं। पर जब वे यीशु के पास आये, उन्होंने देखा कि वह पहले ही मर चुका है। इसलिए उन्होंने उसकी टाँगे नहीं तोड़ीं। पर उनमें से एक सिपाही ने यीशु के पंजर में अपना भाला बेधा जिससे तत्काल ही खून और पानी बह निकला। (जिसने यह देखा था उसने साक्षी दी; और उसकी साक्षी सच है, वह जानता है कि वह सच कह रहा है ताकि तुम लोग विश्वास करो।) यह इसलिए हुआ कि शास्त्र का वचन पूरा हो, “उसकी कोई भी हड्डी तोड़ी नहीं जायेगी।” और धर्मशास्त्र में लिखा है, “जिसे उन्होंने भाले से बेधा, वे उसकी ओर ताकेंगे।” इसके बाद अरमतियाह के यूसुफ़ ने जो यीशु का एक अनुयायी था किन्तु यहूदियों के डर से इसे छिपाये रखता था, पिलातुस से विनती की कि उसे यीशु के शव को वहाँ से ले जाने की अनुमति दी जाये। पिलातुस ने उसे अनुमति दे दी। सो वह आकर उसका शव ले गया। निकुदेमुस भी, जो यीशु के पास रात को पहले आया था, वहाँ कोई तीस किलो मिला हुआ गंधरस और एलवा लेकर आया। फिर वे यीशु के शव को ले गये और (यहूदियों के शव को गाड़ने की रीति के अनुसार) उसे सुगंधित सामग्री के साथ कफ़न में लपेट दिया। जहाँ यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, वहाँ एक बगीचा था। और उस बगीचे में एक नयी कब्र थी जिसमें अभी तक किसी को रखा नहीं गया था। क्योंकि वह सब्त की तैयारी का दिन शुक्रवार था और वह कब्र बहुत पास थी, इसलिये उन्होंने यीशु को उसी में रख दिया।
योहन 19:31-42 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
यह विश्राम-दिवस से पूर्व तैयारी का दिन था। यहूदी धर्मगुरु यह नहीं चाहते थे कि शरीर विश्राम के दिन क्रूस पर टंगे रहें; क्योंकि वह विश्राम-दिवस त्योहार के कारण एक प्रमुख दिन था। इसलिए उन्होंने पिलातुस से निवेदन किया कि उन व्यक्तियों की टाँगें तोड़ दी जाएँ और उनके मृत शरीर हटा दिये जाएँ। इसलिए सैनिकों ने आ कर येशु के साथ क्रूस पर चढ़ाए हुए पहले व्यक्ति की टाँगें तोड़ दीं, फिर दूसरे की। जब उन्होंने येशु के पास आ कर देखा कि वह मर चुके हैं, तो उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं; लेकिन एक सैनिक ने उनकी पसली में भाला मारा और उसमें से तुरन्त रक्त और जल बह निकला। जिसने यह देखा है, उसने इसकी साक्षी दी है और उसकी साक्षी सच्ची है। वह जानता है कि वह सच बोल रहा है, जिससे आप भी विश्वास करें। यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो जाए, “उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी जाएगी;” फिर धर्मग्रन्थ का एक दूसरा कथन इस प्रकार है, “उन्होंने जिसे बेधा है वे उसी की ओर देखेंगे।” इसके पश्चात् अरिमतियाह गाँव के यूसुफ ने, जो यहूदी धर्मगुरुओं के भय के कारण येशु का गुप्त शिष्य था, पिलातुस से येशु के शरीर को उतार लेने की अनुमति माँगी। पिलातुस ने अनुमति दे दी। अत: यूसुफ आ कर येशु के शरीर को ले गया। निकोदेमुस भी पहुँचा, जो पहले रात के समय येशु से मिलने आया था। वह लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरु का सम्मिश्रण लाया। उन्होंने येशु का शरीर लिया और यहूदियों की गाड़ने की प्रथा के अनुसार, उसे सुगन्धित द्रव्यों के साथ पट्टियों में लपेटा। जहाँ येशु क्रूस पर चढ़ाए गये थे, वहाँ एक उद्यान था और उस उद्यान में एक नयी कबर थी, जिस में अब तक कोई नहीं रखा गया था। उन्होंने येशु को वहीं रख दिया, क्योंकि यह यहूदियों के लिए विश्राम-दिवस की तैयारी का दिन था और वह कबर निकट ही थी।
योहन 19:31-42 Hindi Holy Bible (HHBD)
और इसलिये कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पीलातुस से बिनती की कि उन की टांगे तोड़ दी जाएं और वे उतारे जाएं ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था। सो सिपाहियों ने आकर पहिले की टांगें तोड़ीं तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे। परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उस की टांगें न तोड़ीं। परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उस में से तुरन्त लोहू और पानी निकला। जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उस की गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो। ये बातें इसलिये हुईं कि पवित्र शास्त्र की यह बात पूरी हो कि उस की कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी। फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, कि जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे॥ इन बातों के बाद अरमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, ( परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पीलातुस से बिनती की, कि मैं यीशु की लोथ को ले जाऊं, और पीलातुस ने उस की बिनती सुनी, और वह आकर उस की लोथ ले गया। निकुदेमुस भी जो पहिले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। तब उन्होंने यीशु की लोथ को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा। उस स्थान पर जहां यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिस में कभी कोई न रखा गया था। सो यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी॥
योहन 19:31-42 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
और इसलिए कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पिलातुस से विनती की, कि उनकी टाँगें तोड़ दी जाएँ और वे उतारे जाएँ ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था। (मर. 15: 42, व्यव. 21:22,23) इसलिए सिपाहियों ने आकर पहले की टाँगें तोड़ीं तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे। परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उसकी टाँगें न तोड़ीं। परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला। जिसने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उसकी गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो। ये बातें इसलिए हुईं कि पवित्रशास्त्र की यह बात पूरी हो, “उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।” (निर्ग. 12:46, गिन. 9:12, भज. 34:20) फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, “जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे।” (जक. 12:10) इन बातों के बाद अरिमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, (परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पिलातुस से विनती की, कि मैं यीशु के शव को ले जाऊँ, और पिलातुस ने उसकी विनती सुनी, और वह आकर उसका शव ले गया। नीकुदेमुस भी जो पहले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। तब उन्होंने यीशु के शव को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध-द्रव्य के साथ कफन में लपेटा। उस स्थान पर जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिसमें कभी कोई न रखा गया था। अतः यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी।
योहन 19:31-42 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
वह फ़सह की तैयारी का दिन था. इसलिये यहूदी अगुओं ने पिलातॉस से निवेदन किया कि उन लोगों की टांगें तोड़कर उन्हें क्रूस से उतार लिया जाए जिससे वे शब्बाथ पर क्रूस पर न रहें क्योंकि वह एक विशेष महत्व का शब्बाथ था. इसलिये सैनिकों ने मसीह येशु के संग क्रूस पर चढ़ाए गए एक व्यक्ति की टांगें पहले तोड़ीं और तब दूसरे की. जब वे मसीह येशु के पास आए तो उन्हें मालूम हुआ कि उनके प्राण पहले ही निकल चुके थे. इसलिये उन्होंने उनकी टांगें नहीं तोड़ीं किंतु एक सैनिक ने उनकी पसली को भाले से बेधा और वहां से तुरंत लहू व जल बह निकला. वह, जिसने यह देखा, उसने गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है—वह जानता है कि वह सच ही कह रहा है, कि तुम भी विश्वास कर सको. यह इसलिये हुआ कि पवित्र शास्त्र का यह लेख पूरा हो: उसकी एक भी हड्डी तोड़ी न जाएगी. पवित्र शास्त्र का एक अन्य लेख भी इस प्रकार है: वे उसकी ओर देखेंगे, जिसे उन्होंने बेधा है. अरिमथियावासी योसेफ़ यहूदी अगुओं के भय के कारण मसीह येशु का गुप्त शिष्य था. उसने पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति चाही. पिलातॉस ने स्वीकृति दे दी और वह आकर मसीह येशु का शव ले गया. तब निकोदेमॉस भी, जो पहले मसीह येशु से भेंट करने रात के समय आए थे, लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरू का मिश्रण लेकर आए. इन लोगों ने मसीह येशु का शव लिया और यहूदियों की अंतिम संस्कार की रीति के अनुसार उस पर यह मिश्रण लगाकर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया. मसीह येशु को क्रूसित किए जाने के स्थान के पास एक उपवन था, जिसमें एक नई कब्र की गुफ़ा थी. उसमें अब तक कोई शव नहीं रखा गया था. इसलिये उन्होंने मसीह येशु के शव को उसी कब्र की गुफ़ा में रख दिया क्योंकि वह पास थी और वह यहूदियों के शब्बाथ की तैयारी का दिन भी था.