याकूब 3:6-8
याकूब 3:6-8 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
जीभ भी एक आग है; जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है, और सारी देह पर कलंक लगाती है, और जीवन–गति में आग लगा देती है, और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। क्योंकि हर प्रकार के वन–पशु, पक्षी, और रेंगनेवाले जन्तु, और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं, पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं, वह प्राणनाशक विष से भरी हुई है।
याकूब 3:6-8 पवित्र बाइबल (HERV)
हाँ, जीभ एक लपट है। यह बुराई का एक पूरा संसार है। यह जीभ हमारे देह के अंगों में एक ऐसा अंग है, जो समूचे देह को भ्रष्ट कर डालता है और हमारे समूचे जीवन चक्र में ही आग लगा देता है। यह जीभ नरक की आग से धधकती रहती है। देखो, हर प्रकार के हिंसक पशु, पक्षी, रेंगने वाले जीव जंतु, पानी में रहने वाले प्राणी मनुष्य द्वारा वश में किए जा सकते हैं और किए भी गए हैं। किन्तु जीभ को कोई मनुष्य वश में नहीं कर सकता। यह घातक विष से भरी एक ऐसी बुराई है जो कभी चैन से नहीं रहती।
याकूब 3:6-8 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जीभ भी एक आग है। उसमें अधर्म का संसार भरा पड़ा है। हमारे अंगों में जीभ ही है जो हमारा समस्त शरीर दूषित करती और नरकाग्नि से प्रज्वलित हो कर हमारे भव-चक्र में आग लगा देती है। हर प्रकार के पशु और पक्षी, रेंगने वाले और जलचर जीवजन्तु, सब-के-सब मानव-जाति द्वारा वश में किये जा सकते हैं अथवा वश में किये जा चुके हैं, किन्तु कोई मनुष्य अपनी जीभ को वश में नहीं कर सकता। वह एक ऐसी बुराई है, जो कभी शान्त नहीं रहती और प्राणघातक विष से भरी हुई है।
याकूब 3:6-8 Hindi Holy Bible (HHBD)
जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
याकूब 3:6-8 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
जीभ भी एक आग है; जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। क्योंकि हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी, और रेंगनेवाले जन्तु और जलचर तो मनुष्यजाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राणनाशक विष से भरी हुई है। (भज. 140:3)
याकूब 3:6-8 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
जीभ भी आग है—सारे शरीर में अधर्म का भंडार—एक ऐसी आग, जो हमारे सारे शरीर को अशुद्ध कर देती है. जीभ जीवन की गति को नाश करनेवाली ज्वाला में बदल सकती है तथा स्वयं नर्क की आग से जलकर दहकती रहती है. पशु-पक्षी, रेंगते जंतु तथा समुद्री प्राणियों की हर एक प्रजाति वश में की जा सकती है और मानव द्वारा वश में की भी जा चुकी है, किंतु जीभ को कोई भी वश में नहीं कर सकता. यह एक विद्रोही और हानिकारक है, जो प्राणनाशक विष से छलक रही है.