उत्‍पत्ति 31:13-55

उत्‍पत्ति 31:13-55 पवित्र बाइबल (HERV)

मैं वही परमेश्वर हूँ जिस से तुमने बेतेल में वाचा बाँधी थी। उस जगह तुमने एक स्मरण स्तम्भ बनाया था और जैतून के तेल से उसका अभिषेक किया था और उस जगह तुमने मुझसे एक प्रतिज्ञा की थी। अब, उठो और यह जगह छोड़ दो और वापस अपने जन्म भूमि को लौट जाओ।’” राहेल और लिआ ने याकूब को उत्तर दिया, “हम लोगों के पिता के पास मरने पर हम लोगों को देने के लिए कुछ नहीं है। उसने हम लोगों के साथ अजनबी जैसा व्यवहार किया है। उसने हम लोगों को और तुमको बेच दिया और इस प्रकार हम लोगों का सारा धन उसने खर्च कर दिया। परमेश्वर ने यह सारा धन हमारे पिता से ले लिया है और अब यह हमारा है। इसलिए तुम वही करो जो परमेश्वर ने करने के लिए कहा है।” इसलिए याकूब ने यात्रा की तैयारी की। उसने अपनी पत्नियों और पुत्रों को ऊँटो पर बैठाया। तब वे कनान की ओर लौटने लगे जहाँ उसका पिता रहता था। जानवरों की भी सभी रेवड़ें, जो याकूब की थीं, उनके आगे चल रही थीं। वह वो सभी चीजें साथ ले जा रहा था जो उसने पद्दनराम में रहते हुए प्राप्त की थीं। इस समय लाबान अपनी भेड़ों का ऊन काटने गया था। जब वह बाहर गया तब राहेल उसके घर में घुसी और अपने पिता के गृह देवताओं को चुरा लाई। याकूब ने अरामी लाबान को धोखा दिया। उसने लाबान को वह नहीं बताया कि वह वहाँ से जा रहा है। याकूब ने अपने परिवार और अपनी सभी चीजों को लिया तथा शीघ्रता से चल पड़ा। उन्होंने फरात नदी को पार किया और गिलाद पहाड़ की ओर यात्रा की। तीन दिन बाद लाबान को पता चला कि याकूब भाग गया। इसलिए लाबान ने अपने आदमियों को इकट्ठा किया और याकूब का पीछा करना आरम्भ किया। सात दिन बाद लाबान ने याकूब को गिलाद पहाड़ के पास पाया। उस रात परमेश्वर लाबान के पास स्वप्न में प्रकट हुआ। परमेश्वर ने कहा, “याकूब से तुम जो कुछ कहो उसके एक—एक शब्द के लिए सावधान रहो।” दूसरे दिन सबेरे लाबान ने याकूब को जा पकड़ा। याकूब ने अपना तम्बू पहाड़ पर लगाया था। इसलिए लाबान और उसके आदमियों ने अपने तम्बू गिलाद पहाड़ पर लगाए। लाबान ने याकूब से कहा, “तुमने मुझे धोखा क्यों दिया? तुम मेरी पुत्रियों को ऐसे क्यों ले जा रहे हो मानो वे युद्ध में पकड़ी गई स्त्रियाँ हों? मुझसे बिना कहे तुम क्यों भागे? यदि तुमने कहा होता तो मैं तुम्हें दावत देता। उसमें बाजे के साथ नाचना और गाना होता। तुमने मुझे अपने नातियों को चूमने तक नहीं दिया और न ही पुत्रियों को विदा कहने दिया। तुमने यह करके बड़ी भारी मूर्खता की। तुम्हें सचमुच चोट पहुँचाने की शक्ति मुझमें है, किन्तु पिछली रात तुम्हारे पिता का परमेश्वर मेरे स्वप्न में आया। उसने मुझे चेतावनी दी कि मैं किसी प्रकार तुमको चोट न पहुँचाऊँ। मैं जानता हूँ कि तुम अपने घर लौटना चाहते हो। यही कारण है कि तुम वहाँ से चल पड़े हो। किन्तु तुमने मेरे घर से देवताओं को क्यों चुराया?” याकूब ने उत्तर दिया, “मैं तुमसे बिना कहे चल पड़ा, क्योंकि मैं डरा हुआ था। मैंने सोचा कि तुम अपनी पुत्रियों को मुझसे ले लोगे। किन्तु मैंने तुम्हारे देवताओं को नहीं चुराया। यदि तुम यहाँ मेरे पास किसी व्यक्ति को, जो तुम्हारे देवताओं को चुरा लाया है, पाओ तो वह मार दिया जाएगा। तुम्हारे लोग ही मेरे गवाह होंगे। तुम अपनी किसी भी चीज को यहाँ ढूँढ सकते हो। जो कुछ भी तुम्हारा हो, ले लो।” (याकूब को यह पता नहीं था कि राहेल ने लाबान के गृह देवता चुराए हैं।) इसलिए लाबान याकूब के तम्बू में गया और उसमें ढूँढा। उसने याकूब के तम्बू में ढूँढा और तब लिआ के तम्बू में भी। तब उसने उस तम्बू में ढूँढा जिसमें दोनों दासियाँ ठहरी थीं। किन्तु उसने उसके घर से देवताओं को नहीं पाया। तब लाबान राहेल के तम्बू में गया। राहेल ने ऊँट की जीन में देवताओं को छिपा रका था और वह उन्हीं पर बैठी थी। लाबान ने पूरे तम्बू में ढूँढा किन्तु वह देवताओं को न खोज सका। और राहेल ने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मुझ पर क्रोध न हो। मैं आपके सामने खड़ी होने में असमर्थ हूँ। इस समय मेरा मासिकधर्म चल रहा है।” इसलिए लाबान ने पूरे तम्बू में ढूँढा, लेकिन वह उसके घर से देवताओं को नहीं पा सका। तब याकूब बहुत क्रोधित हुआ। याकूब ने कहा, “मैंने क्या बुरा किया है? मैंने कौन सा नियम तोड़ा है? मेरा पीछा करने और मुझे रोकने का अधिकार तुम्हें कैसे है? मेरा जो कुछ है उसमें तुमने ढूँढ लिया। तुमने ऐसी कोई चीज़ नहीं पाई जो तुम्हारी है। यदि तुमने कोई चीज़ पाई हो तो मुझे दिखाओ। उसे यहाँ रखे जिससे हमारे साथी देख सकें। हमारे साथियों को तय करने दो कि हम दोनों में कौन ठीक है। मैंने तुम्हारे लिए बीस वर्ष तक काम किया है। इस पूरे समय में बच्चा देते समय कोई मेमना तुम्हारी रेवड़ में से नहीं खाया है। यदि कभी जंगली जानवरों ने कोई भेड़ मारी तो मैंने तुरन्त उसकी कीमत स्वयं दे दी। मैंने कभी मरे जानवर को तुम्हारे पास ले जाकर यह नहीं कहा कि इसमें मेरा दोष नहीं। किन्तु रात—दिन मुझे लूटा गया। दिन में सूरज मेरी ताकत छीनता था और रात को सर्दी मेरी आँखों से नींद चुरा लेती थी। मैंने बीस वर्ष तक तुम्हारे लिए एक दास की तरह काम किया। पहले के चौदह वर्ष मैंने तुम्हारी दो पुत्रियों को पाने के लिए काम किया। बाद में छः वर्ष मैंने तुम्हारे जानवरों को पाने के लिए काम किया और इस बीच तुमने मेरा वेतन दस बार बदला। लेकिन मेरे पूर्वजों के परमेश्वर इब्राहीम का परमेश्वर और इसहाक का भय मेरे साथ था। यदि परमेश्वर मेरे साथ नहीं होता तो तुम मुझे खाली हाथ भेज देते। किन्तु परमेश्वर ने मेरी परेशानियों को देखा। परमेश्वर ने मेरे किए काम को देखा और पिछली रात परमेश्वर ने प्रमाणित कर दिया कि मैं ठीक हूँ।” लाबान ने याकूब से कहा, “ये लड़कियाँ मेरी पुत्रियाँ हैं। उनके बच्चे मेरे हैं। ये जानवर मेरे हैं। जो कुछ भी तुम यहाँ देखते हो, मेरा है। लेकिन मैं अपनी पुत्रियों और उनके बच्चों को रखने के लिए कुछ नहीं कर सकता। इसलिए मैं तुमसे एक सन्धि करना चाहता हूँ। हम लोग पत्थरों का एक ढेर लगाएँगे जो यह बताएगा कि हम लोग सन्धि कर चुके हैं।” इसलिए याकूब ने एक बड़ी चट्टान ढूँढी और उसे यह पता देने के लिए वहाँ रखा कि उसने सन्धि की है। इसने अपने पुरुषों की और अधिक चट्टानें ढूँढने और चट्टानों का एक ढेर लगाने को कहा। तब उन्होंने चट्टानों के समीप भोजन किया। लाबान ने उस जगह का नाम रखा यज्र सहादूधा रखा। लेकिन याकूब ने उस जगह का नाम गिलियाद रखा। लाबान ने याकूब से कहा, “यह चट्टानों का ढेर हम दोनों को हमारी सन्धि की याद दिलाने में सहायता करेगा।” यह कारण है कि याकूब ने उस जगह को गिलियाद कहा। तब लाबान ने कहा, “यहोवा, हम लोगों के एक दूसरे से अलग होने का साक्षी रहे।” इसलिए उस जगह का नाम मिजपा भी होगा। तब लाबान ने कहा, “यदि तुम मेरी पुत्रियों को चोट पहुँचा ओगे तो याद रखो, परमेश्वर तुमको दण्ड देगा। यदि तुम दूसरी स्त्री से विवाह करोगे तो याद रखो, परमेश्वर तुमको देख रहा है। यहाँ ये चट्टानें हैं, जो हमारे बीच में रखी हैं और यह विशेष चट्टान है जो बताएगी कि हमने सन्धि की है। चट्टानों का ढेर तथा यह विशेष चट्टान हमें अपनी सन्धि को याद कराने में सहायता करेगी। तुमसे लड़ने के लिए मैं इन चट्टानों के पार कभी नहीं जाऊँगा और तुम मुझसे लड़ने के लिए इन चट्टानों से आगे मेरी ओर कभी नहीं आओगे। यदि हम लोग इस सन्धि को तोड़ें तो इब्राहीम का परमेश्वर, नाहोर का परमेश्वर और उनके पूर्वजों का परमेश्वर हम लोगों का न्याय करेगा।” याकूब के पिता इसहाक ने परमेश्वर को “भय” नाम से पुकारा। इसलिए याकूब ने सन्धि के लिए उस नाम का प्रयोग किया। तब याकूब ने एक पशु को मारा और पहाड़ पर बलि के रूप में भेंट किया और उसने अपने पुरुषों को भोजन में सम्मिलित होने के लिए बुलाया। भोजन करने के बाद उन्होंने पहाड़ पर रात बिताई। दूसरे दिन सबेरे लाबान ने अपने नातियों को चूमा और पुत्रियों को बिदा दी। उसने उन्हें आशीर्वाद दिया और घर लौट गया।

उत्‍पत्ति 31:13-55 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

मैं उसी बेत-एल स्‍थान का परमेश्‍वर हूँ, जहाँ तूने स्‍तम्‍भ को तेल से अभिसिंचित किया था, जहाँ तूने मेरी मन्नत मानी थी। अब उठ! इस देश से बाहर निकल और अपनी जन्‍मभूमि को लौट जा।” राहेल और लिआ ने कहा, ‘क्‍या हमारे पिता के घर में हमारा हिस्‍सा, हमारी पैतृक सम्‍पत्ति शेष है? क्‍या पिता ने हमें पराया नहीं समझा? हमें बेच दिया, और हमारे मूल्‍य के रूप में जो कुछ प्राप्‍त हुआ उसे स्‍वयं खा गए। इसलिए जो सम्‍पत्ति परमेश्‍वर ने हमारे पिता से मुक्‍त की है, वह हमारी तथा हमारे पुत्रों की है। अब जो कुछ परमेश्‍वर ने आपसे कहा है, वही कीजिए।’ याकूब ने अपने बच्‍चों और पत्‍नियों को ऊंटों पर बैठाया। उसने अपने सब पशुओं को, अपने समस्‍त पशुधन को जिसे उसने अर्जित किया था, जो पशु पद्दन-अराम क्षेत्र में उसके पास थे, उन्‍हें कनान देश में अपने पिता इसहाक के पास ले जाने के लिए हांका। लाबान अपनी भेड़ों का ऊन काटने गया था। राहेल ने अपने पिता के गृहदेवताओं की मूर्तियाँ चुरा लीं। इस प्रकार याकूब ने चतुराई से अराम वंशीय लाबान को पराजित किया। उसने लाबान पर प्रकट नहीं किया कि वह भागनेवाला है। किन्‍तु वह अपना सब कुछ लेकर भाग गया। उसने फरात नदी पार की और वह गिलआद के पहाड़ी प्रदेश की ओर चल पड़ा। जब तीसरे दिन लाबान को बताया गया कि याकूब भाग गया तब उसने अपने साथ कुटुम्‍बियों को लेकर याकूब का सात दिन तक पीछा किया और गिलआद के पहाड़ी प्रदेश में उसके पीछे-पीछे चला। परमेश्‍वर रात में अराम वंशीय लाबान के पास स्‍वप्‍न में आया, और उससे कहा, ‘सावधान! तू याकूब से भला-बुरा कुछ मत कहना।’ लाबान ने याकूब को पकड़ लिया। याकूब ने अपना तम्‍बू पहाड़ पर गाड़ा था। लाबान ने भी अपने कुटुम्‍बियों के साथ गिलआद के पहाड़ी प्रदेश में पड़ाव डाला। वह याकूब से बोला, ‘यह तुमने क्‍या किया? तुमने मुझे धोखा दिया? तुम मेरी पुत्रियों को ऐसे हांक कर ले आए मानो वे तलवार के बल पर बनाए गए बंदी हों। क्‍यों तुम चुपके से भाग आए? तुमने मुझे धोखा क्‍यों दिया? तुमने मुझे क्‍यों नहीं बताया? मैं तुम्‍हें गीत गाते, मृदंग और सितार बजाते आनन्‍द से विदा करता। तुमने मुझे अपने पुत्र-पुत्रियों को विदाई का चुम्‍बन तक देने नहीं दिया। तुमने मूर्खतापूर्ण कार्य किया है। तुम लोगों का अनिष्‍ट करने की शक्‍ति मेरे हाथ में है। किन्‍तु तुम्‍हारे पिता के परमेश्‍वर ने पिछली रात में मुझसे कहा, “सावधान! तू याकूब से भला-बुरा कुछ मत कहना।” सम्‍भव है कि तुम अपने पिता के घर पहुँचने की प्रबल इच्‍छा के कारण भाग आए, किन्‍तु तुम मेरे गृह-देवताओं की मूर्तियाँ क्‍यों चुरा लाए?” याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, ‘मैं डर गया था। मैं सोचता था कि कहीं आप अपनी पुत्रियाँ मुझ से बलपूर्वक छीन न लें। जिस किसी के पास आपके गृह-देवताओं की मूर्तियाँ मिलेंगी, वह जीवित नहीं रहेगा। आप मेरे और अपने कुटुम्‍बियों के सामने बतलाइए कि मेरे पास आपकी कौन-सी वस्‍तु है? तब आप उसे ले लें।’ याकूब नहीं जानता था कि राहेल ने गृह-देवताओं की मूर्तियाँ चुराई हैं। अत: लाबान, याकूब के तम्‍बू में गया। उसके बाद वह लिआ के तम्‍बू में गया, और फिर वह दोनों सेविकाओं के तम्‍बुओं में गया; पर उसे मूर्तियाँ नहीं मिलीं। तत्‍पश्‍चात् वह लिआ के तम्‍बू से बाहर निकला और राहेल के तम्‍बू में आया। राहेल गृह-देवताओं की मूर्तियाँ ऊंट की काठी में छिपा कर स्‍वयं उन पर बैठ गई थी। लाबान ने पूरे तम्‍बू में ढूँढ़ा पर वे उसे नहीं मिलीं। राहेल अपने पिता से बोली, ‘पिता जी, क्रोध न करें। मैं आपके सम्‍मुख खड़े होने में असमर्थ हूँ। मुझे मासिक धर्म हो रहा है।’ इस प्रकार लाबान ने ढूँढ़ा; पर उसे गृह-देवताओं की मूर्तियाँ नहीं मिलीं। अब याकूब का क्रोध भड़क उठा। उसने लाबान को झिड़का। उसने लाबान से कहा, ‘मेरा अपराध क्‍या है? मेरा पाप क्‍या है कि आपने उत्तेजित होकर मेरा पीछा किया? यद्यपि आपने मेरे सब सामान की तलाशी ली, पर आपको मेरे घर की सामग्री में क्‍या मिला? उसे मेरे कुटुम्‍बी तथा अपने कुटुम्‍बी जनों के सामने रखिए जिससे वे हम दोनों का न्‍याय करें। मैं बीस वर्ष तक आपके साथ रहा। इस अवधि में आपकी किसी भेड़ अथवा बकरी का गर्भपात तक नहीं हुआ। मैंने आपके रेवड़ के मेढ़ों का मांस तक नहीं खाया। जिस पशु को जंगली जानवर मार डालते थे, उसे मैं आपके पास नहीं लाता था और मैं स्‍वयं उस हानि की पूर्ति करता था। पशु की चोरी चाहे रात को हो, अथवा दिन को, आप मुझसे ही उसकी क्षति-पूर्ति करवाते थे। मेरी ऐसी दशा थी: दिन की धूप और रात की ठण्‍ड से मैं मारा जाता था। मेरी नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी। मैं बीस वर्ष तक आपके घर में रहा। मैंने आपकी दो पुत्रियों के लिए चौदह वर्ष तक, और आपकी भेड़-बकरियों के लिए छ: वर्ष तक आपकी सेवा की। आपने दस बार मेरी मजदूरी बदली। यदि मेरे पिता का परमेश्‍वर, अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का “भयावह परमेश्‍वर” मेरे पक्ष में न होता तो आप निश्‍चय ही मुझे खाली हाथ विदा कर देते। परमेश्‍वर ने मेरी पीड़ा और मेरे हाथों के परिश्रम को देखा, और पिछली रात आपको डाँटा।’ लाबान ने याकूब को उत्तर दिया, ‘ये पुत्रियाँ मेरी ही पुत्रियाँ हैं। ये बच्‍चे मेरे ही बच्‍चे हैं। ये भेड़-बकरियाँ भी मेरी भेड़-बकरियाँ हैं। जो कुछ तुम देख रहे हो, वह सब मेरा ही है। परन्‍तु आज मैं इन पुत्रियों और इनसे उत्‍पन्न बच्‍चों के साथ क्‍या कर सकता हूँ? अब, आओ, मैं और तुम सन्‍धि करें और यह सन्‍धि मेरे और तुम्‍हारे मध्‍य साक्षी बने।’ तब याकूब ने एक पत्‍थर लेकर उसे स्‍तम्‍भ के रूप में खड़ा किया। उसने अपने कुटुम्‍बियों से कहा, ‘पत्‍थर के टुकड़े एकत्र करो।’ उन्‍होंने पत्‍थरों को एकत्र करके एक ढेर बनाया, और वहाँ उस पर बैठकर भोजन किया। लाबान ने उस ढेर का नाम ‘यगर-साहदूता’ रखा। पर याकूब ने उसको ‘गलएद’ कहा। लाबान ने कहा, ‘आज से यह ढेर मेरे और तुम्‍हारे मध्‍य एक साक्षी है।’ अतएव उसने उस ढेर का नाम ‘गलएद’ और उस स्‍तम्‍भ का नाम ‘मिसपा’ रखा क्‍योंकि वह कहता था, ‘जब हम एक दुसरे से अलग होंगे तब प्रभु मेरा और तुम्‍हारा निरीक्षण करता रहेगा। यदि तुम मेरी पुत्रियों के अतिरिक्‍त अन्‍य स्‍त्रियों से विवाह करोगे तो देखो, यद्यपि कोई मनुष्‍य हमारे साथ नहीं रहेगा, तथापि मेरे और तुम्‍हारे मध्‍य परमेश्‍वर साक्षी रहेगा।’ लाबान ने याकूब से कहा, ‘इस ढेर तथा इस स्‍तम्‍भ को देखो, जिन्‍हें मैंने अपने और तुम्‍हारे मध्‍य खड़ा किया है। यह ढेर साक्षी है। यह स्‍तम्‍भ साक्षी है कि अनिष्‍ट करने के अभिप्राय से न मैं इस ढेर को पार कर तुम्‍हारे पास आऊंगा और न तुम इस ढेर एवं स्‍तम्‍भ को पार कर मेरे पास आओगे। अब्राहम का परमेश्‍वर, नाहोर का परमेश्‍वर, अर्थात् प्रत्‍येक के पूर्वज का परमेश्‍वर हम दोनों का न्‍याय करेगा।’ याकूब ने अपने पिता इसहाक के “भयावह परमेश्‍वर” की शपथ ली। उसने पहाड़ पर बलि चढ़ाई और रोटी खाने के लिए अपने कुटुम्‍बियों को बुलाया। उन्‍होंने रोटी खाई और पहाड़ पर रात व्‍यतीत की। लाबान सबेरे उठा। उसने अपनी पुत्रियों, एवं उनके बच्‍चों का चुम्‍बन लिया और उन्‍हें आशीर्वाद दिया। उसके बाद वह चला गया। वह अपने स्‍थान को लौट गया।

उत्‍पत्ति 31:13-55 Hindi Holy Bible (HHBD)

मैं उस बेतेल का ईश्वर हूं, जहां तू ने एक खम्भे पर तेल डाल दिया, और मेरी मन्नत मानी थी: अब चल, इस देश से निकल कर अपनी जन्मभूमि को लौट जा। तब राहेल और लिआ: ने उससे कहा, क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग वा अंश बचा है? क्या हम उसकी दृष्टि में पराये न ठहरीं? देख, उसने हम को तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है। सो परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, सो हमारा, और हमारे लड़केबालों का है: अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा सो कर। तब याकूब ने अपने लड़के बालों और स्त्रियों को ऊंटों पर चढ़ाया; और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढय हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया। लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था। और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई। सो याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूं। वह अपना सब कुछ ले कर भागा: और महानद के पार उतर कर अपना मुंह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया॥ तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला, कि याकूब भाग गया है। सो उसने अपने भाइयों को साथ ले कर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा। तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में आरामी लाबान के पास आकर कहा, सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। और लाबान याकूब के पास पहुंच गया, याकूब तो अपना तम्बू गिलाद नाम पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था: और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया। तब लाबान याकूब से कहने लगा, तू ने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाए गए? तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझ से बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता? तू ने तो मुझे अपने बेटे बेटियों को चूमने तक न दिया? तू ने मूर्खता की है। तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझ से बीती हुई रात में कहा, सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। भला अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी हो कर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है? याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, मैं यह सोचकर डर गया था: कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझ से छीन न ले। जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, सो जीता न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, सो भाई-बन्धुओं के साम्हने पहिचान कर ले ले। क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है। यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ: और दोनों दासियों के तम्बुओं मे गया; और कुछ न मिला। तब लिआ: के तम्बू में से निकल कर राहेल के तम्बू में गया। राहेल तो गृहदेवताओं को ऊंट की काठी में रखके उन पर बैठी थी। सो लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया। राहेल ने अपने पिता से कहा, हे मेरे प्रभु; इस से अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे साम्हने नहीं उठी; क्योंकि मैं स्त्रीधर्म से हूं। सो उसके ढूंढ़ ढांढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले। तब याकूब क्रोधित हो कर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तू ने इतना क्रोधित हो कर मेरा पीछा किया है? तू ने जो मेरी सारी सामग्री को टटोल कर देखा, सो तुझ को सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहां अपने और मेरे भाइयों के सामहने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें। इन बीस वर्षों से मैं तेरे पास रहा; उन में न तो तेरी भेड़-बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का मांस मैं ने कभी खाया। जिसे बनैले जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था। मेरी तो यह दशा थी, कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नीन्द मेरी आंखों से भाग जाती थी। बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहो; चौदह वर्ष तो मैं ने तेरी दोनो बेटियों के लिये, और छ: वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की: और तू ने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला। मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात इब्राहीम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे छूछे हाथ जाने देता। मेरे दु:ख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डपटा। लाबान ले याकूब से कहा, ये बेटियों तो मेरी ही हैं, और ये पुत्र भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है सो सब मेरा ही है: और अब मैं अपनी इन बेटियों वा इनके सन्तान से क्या कर सकता हूं? अब आ मैं और तू दोनों आपस में वाचा बान्धें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे। तब याकूब ने एक पत्थर ले कर उसका खम्भा खड़ा किया। तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, पत्थर इकट्ठा करो; यह सुन कर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया। उस ढेर का नाम लाबान ने तो यज्र सहादुया, पर याकूब ने जिलियाद रखा। लाबान ने कहा, कि यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा। इस कारण उसका नाम जिलियाद रखा गया, और मिजपा भी; क्योंकि उसने कहा, कि जब हम उस दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देखभाल करता रहे। यदि तू मेरी बेटियों को दु:ख दे, वा उनके सिवाय और स्त्रियां ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा। फिर लाबान ने याकूब से कहा, इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिन को मैं ने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है। यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें, कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लांघ कर तेरे पास जाऊंगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लांघ कर मेरे पास आएगा। इब्राहीम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, सो हम दोनो के बीच न्याय करे। तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था। और याकूब ने उस पहाड़ पर मेलबलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, सो उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई। बिहान को लाबान तड़के उठा, और अपने बेटे बेटियों को चूम कर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

उत्‍पत्ति 31:13-55 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

मैं उस बेतेल का परमेश्‍वर हूँ, जहाँ तू ने एक खम्भे पर तेल डाल दिया था, और मेरी मन्नत मानी थी। अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्मभूमि को लौट जा’।” तब राहेल और लिआ: ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग वा अंश बचा है? क्या हम उसकी दृष्‍टि में पराये न ठहरीं? देख, उसने हम को तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है। इसलिये परमेश्‍वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, वह हमारा और हमारे बच्‍चों का है; अब जो कुछ परमेश्‍वर ने तुझ से कहा है, वही कर।” तब याक़ूब ने अपने बच्‍चों और स्त्रियों को ऊँटों पर चढ़ाया; और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढ्‍य हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने के विचार से, साथ ले गया। लाबान अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था, और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई। अत: याक़ूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूँ। वह अपना सब कुछ लेकर भागा, और महानद के पार उतरकर अपना मुँह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया। तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला कि याक़ूब भाग गया है। इसलिये उसने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा। परन्तु परमेश्‍वर ने रात के स्वप्न में अरामी लाबान के पास आकर कहा, “सावधान रह, तू याक़ूब से न तो भला कहना और न बुरा।” और लाबान याक़ूब के पास पहुँच गया। याक़ूब अपना तम्बू गिलाद नामक पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था; और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया। तब लाबान याक़ूब से कहने लगा, “तू ने यह क्या किया कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, मानो तलवार के बल से बन्दी बनाई गई हों? तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझ से बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता? तू ने तो मुझे अपने बेटे बेटियों को चूमने तक न दिया? तू ने मूर्खता की है। तुम लोगों की हानि करने की शक्‍ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्‍वर ने मुझसे बीती हुई रात में कहा, ‘सावधान रह, याक़ूब से न तो भला कहना और न बुरा।’ भला, अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?” याक़ूब ने लाबान को उत्तर दिया, “मैं यह सोचकर डर गया था कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझसे छीन न ले। जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, वह जीवित न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, उसे भाई–बन्धुओं के सामने पहिचानकर ले ले।” क्योंकि याक़ूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है। यह सुनकर लाबान, याक़ूब और लिआ: और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ: के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया। राहेल तो गृहदेवताओं को ऊँट की काठी में रखके उन पर बैठी थी। लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया। राहेल ने अपने पिता से कहा, “हे मेरे प्रभु; इस से अप्रसन्न न हो कि मैं तेरे सामने नहीं उठी; क्योंकि मैं मासिकधर्म से हूँ।” अत: उसे ढूँढ़ने पर भी गृहदेवता उसको न मिले। तब याक़ूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, “मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है कि तू ने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है? तू ने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, तो तुझ को अपने घर की सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहाँ अपने और मेरे भाइयों के सामने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें। इन बीस वर्षों तक मैं तेरे पास रहा; इनमें न तो तेरी भेड़–बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का मांस मैं ने कभी खाया। जिसे बनैले जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था। मेरी तो यह दशा थी कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी। बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा; चौदह वर्ष तो मैं ने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छ: वर्ष तेरी भेड़–बकरियों के लिये सेवा की; और तू ने मेरी मज़दूरी को दस बार बदल डाला। मेरे पिता का परमेश्‍वर, अर्थात् अब्राहम का परमेश्‍वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता तो निश्‍चय तू अब मुझे छूछे हाथ जाने देता। मेरे दु:ख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्‍वर ने बीती हुई रात में तुझे डाँटा।” लाबान ने याक़ूब से कहा, “ये बेटियाँ तो मेरी ही हैं, और ये बच्‍चे भी मेरे ही हैं, और ये भेड़–बकरियाँ भी मेरी ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है। परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों, और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ? अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँधें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरे।” तब याक़ूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया। तब याक़ूब ने अपने भाई–बन्धुओं से कहा, “पत्थर इकट्ठा करो,” यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया, और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया। उस ढेर का नाम लाबान ने तो यज्रसहादुथा, पर याक़ूब ने गिलियाद रखा। लाबान ने कहा, “यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।” इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया, और मिज़पा भी; क्योंकि उस ने कहा, “जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देखभाल करता रहे। यदि तू मेरी बेटियों को दु:ख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख, मेरे तेरे बीच में परमेश्‍वर साक्षी रहेगा।” फिर लाबान ने याक़ूब से कहा, “इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैं ने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है। यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने के विचार से न तो मैं इस ढेर को पार करके तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को पार कर के मेरे पास आएगा। अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्‍वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे।” तब याक़ूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था; और याक़ूब ने उस पहाड़ पर मेलबलि चढ़ाया, और अपने भाई–बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया; तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई। भोर को लाबान उठा, और अपने बेटे–बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

उत्‍पत्ति 31:13-55 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

मैं उस बेतेल का परमेश्वर हूँ, जहाँ तूने एक खम्भे पर तेल डाल दिया था और मेरी मन्नत मानी थी। अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्म-भूमि को लौट जा।’” तब राहेल और लिआ ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग या अंश बचा है? क्या हम उसकी दृष्टि में पराए न ठहरीं? देख, उसने हमको तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है। इसलिए परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, वह हमारा, और हमारे बच्चों का है; अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है, वही कर।” तब याकूब ने अपने बच्चों और स्त्रियों को ऊँटों पर चढ़ाया; और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढ्य हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया। लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था, और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई। अतः याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूँ। वह अपना सब कुछ लेकर भागा, और महानद के पार उतरकर अपना मुँह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया। तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला कि याकूब भाग गया है। इसलिए उसने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा। तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में अरामी लाबान के पास आकर कहा, “सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।” और लाबान याकूब के पास पहुँच गया। याकूब अपना तम्बू गिलाद नामक पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था; और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया। तब लाबान याकूब से कहने लगा, “तूने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाई गई हों? तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझसे बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता? तूने तो मुझे अपने बेटे-बेटियों को चूमने तक न दिया? तूने मूर्खता की है। तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझसे बीती हुई रात में कहा, ‘सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।’ भला, अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?” याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, “मैं यह सोचकर डर गया था कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझसे छीन न ले। जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, वह जीवित न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, उसे भाई-बन्धुओं के सामने पहचानकर ले ले।” क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है। यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया। राहेल तो गृहदेवताओं को ऊँट की काठी में रखकर उन पर बैठी थी। लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया। राहेल ने अपने पिता से कहा, “हे मेरे प्रभु; इससे अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे सामने नहीं उठी; क्योंकि मैं मासिक धर्म से हूँ।” अतः उसके ढूँढ़-ढाँढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले। तब याकूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, “मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तूने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है? तूने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, तो तुझको अपने घर की सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहाँ अपने और मेरे भाइयों के सामने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें। इन बीस वर्षों से मैं तेरे पास रहा; इनमें न तो तेरी भेड़-बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का माँस मैंने कभी खाया। जिसे जंगली जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था। मेरी तो यह दशा थी कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी। बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा; चौदह वर्ष तो मैंने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छः वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की; और तूने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला। मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात् अब्राहम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे खाली हाथ जाने देता। मेरे दुःख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डाँटा।” लाबान ने याकूब से कहा, “ये बेटियाँ तो मेरी ही हैं, और ये पुत्र भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियाँ भी मेरे ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ? अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँधें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे।” तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया। तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, “पत्थर इकट्ठा करो,” यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया। उस ढेर का नाम लाबान ने तो जैगर सहादुथा, पर याकूब ने गिलियाद रखा। लाबान ने कहा, “यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।” इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया, और मिस्पा भी; क्योंकि उसने कहा, “जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देख-भाल करता रहे। यदि तू मेरी बेटियों को दुःख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।” फिर लाबान ने याकूब से कहा, “इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैंने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है। यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लाँघकर तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लाँघकर मेरे पास आएगा। अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे।” तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था। और याकूब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई। भोर को लाबान उठा, और अपने बेटे-बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

उत्‍पत्ति 31:13-55 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

मैं बेथेल का परमेश्वर हूं, जहां तुमने उस शिलाखण्ड का अभ्यंजन किया था, जहां तुमने मेरे समक्ष संकल्प लिया था; अब उठो. छोड़ दो इस स्थान को और अपने जन्मस्थान को लौट जाओ.’ ” राहेल तथा लियाह ने उनसे कहा, “क्या अब भी हमारे पिता की संपत्ति में हमारा कोई अंश अथवा उत्तराधिकार शेष रह गया है? क्या अब हम उनके आंकलन में विदेशी नहीं हो गई हैं? उन्होंने हमें बेच दिया है, तथा हमारे अंश की धनराशि भी हड़प ली है. निःसंदेह अब तो, जो संपत्ति परमेश्वर ने हमारे पिता से छीन ली है, हमारी तथा हमारी संतान की हो चुकी है. तो आप वही कीजिए, जिसका निर्देश आपको परमेश्वर दे चुके हैं.” तब याकोब ने अपने बालकों एवं पत्नियों को ऊंटों पर बैठा दिया, याकोब ने अपने समस्त पशुओं को, अपनी समस्त संपत्ति को, जो उनके वहां रहते हुए संकलित होती गई थी तथा वह पशु धन, जो पद्दन-अराम में उनके प्रवासकाल में संकलित होता चला गया था, इन सबको लेकर अपने पिता यित्सहाक के आवास कनान की ओर प्रस्थान किया. जब लाबान ऊन कतरने के लिए बाहर गया हुआ था, राहेल ने अपने पिता के गृहदेवता—प्रतिमाओं की चोरी कर ली. तब याकोब ने भी अरामी लाबान के साथ प्रवंचना की; याकोब ने लाबान को सूचित ही नहीं किया कि वे पलायन कर रहे थे. इसलिये याकोब अपनी समस्त संपत्ति को लेकर पलायन कर गए. उन्होंने फरात नदी पार की और पर्वतीय प्रदेश गिलआद की दिशा में आगे बढ़ गए. तीसरे दिन जब लाबान को यह सूचना दी गई कि याकोब पलायन कर चुके हैं, तब लाबान ने अपने संबंधियों को साथ लेकर याकोब का पीछा किया. सात दिन पीछा करने के बाद वे गिलआद के पर्वतीय प्रदेश में उनके निकट पहुंच गए. परमेश्वर ने अरामी लाबान पर रात्रि में स्वप्न में प्रकट होकर उसे चेतावनी दी, “सावधान रहना कि तुम याकोब से कुछ प्रिय-अप्रिय न कह बैठो.” लाबान याकोब तक जा पहुंचा. याकोब के शिविर पर्वतीय क्षेत्र में थे तथा लाबान ने भी अपने शिविर अपने संबंधियों सदृश गिलआद के पर्वतीय क्षेत्र में खड़े किए हुए थे. लाबान ने याकोब से कहा, “यह क्या कर रहे हो तुम? यह तो मेरे साथ छल है! तुम तो मेरी पुत्रियों को ऐसे लिए जा रहे हो, जैसे युद्धबन्दियों को तलवार के आतंक में ले जाया जाता है. क्या आवश्यकता थी ऐसे छिपकर भागने की, मुझसे छल करने की? यदि तुमने मुझे इसकी सूचना दी होती, तो मैं तुम्हें डफ तथा किन्‍नोर की संगत पर गीतों के साथ सहर्ष विदा करता! तुमने तो मुझे सुअवसर ही न दिया कि मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को चुंबन के साथ विदा कर सकता. तुम्हारा यह कृत्य मूर्खतापूर्ण है. मुझे यह अधिकार है कि तुम्हें इसके लिए प्रताड़ित करूं; किंतु तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने कल रात्रि मुझ पर प्रकट होकर मुझे आदेश दिया है कि मैं तुमसे कुछ भी प्रिय-अप्रिय न कहूं. ठीक है, तुम्हें अपने पिता के निकट रहने की इच्छा है, मान लिया; किंतु क्या आवश्यकता थी तुम्हें मेरे गृह-देवताओं की चोरी करने की?” तब याकोब ने लाबान को उत्तर दिया, “मेरे इस प्रकार आने का कारण थी मेरी यह आशंका, कि आप मुझसे अपनी पुत्रियां बलात छीन लेते. किंतु आपको जिस किसी के पास से वे गृहदेवता प्राप्‍त होंगे, उसे जीवित न छोड़ा जाएगा. आपके ही संबंधियों की उपस्थिति में आप हमारी संपत्ति में से जो कुछ आपका है, ले लीजिए.” याकोब को इस तथ्य का कोई संज्ञान न था कि राहेल ने उन गृह-देवताओं की मूर्तियों को चुराई हैं. इसलिये लाबान याकोब के शिविर के भीतर गया, उसके बाद लियाह के शिविर में, और उसके बाद परिचारिकाओं के शिविर में. किंतु वह देवता उसे वहां प्राप्‍त न हुआ. तब वह लियाह के शिविर से निकलकर राहेल के शिविर में गया. राहेल ने ही वे गृहदेवता छिपाए हुए थे, जिन्हें उसने ऊंट की काठी में रखा हुआ था. वह स्वयं उन पर बैठ गई थी. लाबान ने समस्त शिविर में खोज कर ली थी, किंतु उसे कुछ प्राप्‍त न हुआ था. उसने अपने पिता से आग्रह किया, “पिताजी, आप क्रुद्ध न हों. मैं आपके समक्ष खड़ी होने के असमर्थ हूं; क्योंकि इस समय मैं रजस्वला हूं.” तब लाबान के खोजने पर भी उसे वे गृह-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं. तब याकोब का क्रोध उद्दीप्‍त हो उठा. वह लाबान से तर्क-वितर्क करने लगे, “क्या अपराध है मेरा?” क्या पाप किया है मैंने, जो आप इस प्रकार मेरा पीछा करते हुए आ रहे हैं? आपने मेरी समस्त वस्तुओं में उन देवताओं की खोज कर ली है, किंतु आपको कोई भी अपनी वस्तु प्राप्‍त हुई है? आपके तथा मेरे संबंधियों के समक्ष यह स्पष्ट हो जाए, कि वे हम दोनों के मध्य अपना निर्णय दे सकें. “इन बीस वर्षों तक मैं आपके साथ रहा हूं. आपकी भेड़ों एवं बकरियों में कभी गर्भपात नहीं हुआ. अपने भोजन के लिए मैंने कभी आपके पशुवृन्द में से मेढ़े नहीं उठाए. जब कभी किसी वन्य पशु ने हमारे पशु को फाड़ा, मैंने उसे कभी आपके वृन्द में सम्मिलित नहीं किया; इसे मैंने अपनी ही हानि में सम्मिलित किया था. चाहे कोई पशु दिन में चोरी हुआ अथवा रात्रि में, आपने मुझसे भुगतान की मांग की. मेरी स्थिति तो ऐसी रही कि दिन में मुझ पर ऊष्मा का प्रहार होता रहा तथा रात्रि में ठंड का. मेरे नेत्रों से निद्रा दूर ही दूर रही. इन बीस वर्षों में मैं आपके परिवार में रहा हूं; चौदह वर्ष आपकी पुत्रियों के लिए तथा छः वर्ष आपके भेड़-बकरियों के लिए. इन वर्षों में आपने दस बार मेरा पारिश्रमिक परिवर्तित किया है. यदि मेरे पिता के परमेश्वर, अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर का भय मेरे साथ न होता, तो आपने तो मुझे रिक्त हस्त ही विदा कर दिया होता. परमेश्वर ने मेरे कष्ट एवं मेरे हाथों के परिश्रम को देखा है, और उसका प्रतिफल उन्होंने मुझे कल रात में प्रदान कर दिया है.” यह सब सुनकर लाबान ने याकोब को उत्तर दिया, “ये स्त्रियां मेरी पुत्रियां हैं, ये बालक मेरे बालक हैं, ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, तथा जो कुछ तुम्हें दिखाई दे रहा है, वह मेरा ही है; किंतु अब मैं अपनी पुत्रियों एवं इन बालकों का क्या करूं, जो इनकी सन्तति हैं? इसलिये आओ, हम परस्पर यह वाचा स्थापित कर लें, तुम और मैं, और यही हमारे मध्य साक्ष्य हो जाए.” इसलिये याकोब ने एक शिलाखण्ड को स्तंभ स्वरूप खड़ा किया. याकोब ने अपने संबंधियों से कहा, “पत्थर एकत्र करो.” इसलिये उन्होंने पत्थर एकत्र कर एक ढेर बना दिया तथा उस ढेर के निकट बैठ उन्होंने भोजन किया. लाबान ने तो इसे नाम दिया येगर-सहदूथा किंतु याकोब ने इसे गलएद कहकर पुकारा. लाबान ने कहा, “पत्थरों का यह ढेर आज मेरे तथा तुम्हारे मध्य एक साक्ष्य है.” इसलिये इसे गलएद तथा मिज़पाह नाम दिया गया, क्योंकि उनका कथन था, “जब हम एक दूसरे की दृष्टि से दूर हों, याहवेह ही तुम्हारे तथा मेरे मध्य चौकसी बनाए रखें. यदि तुम मेरी पुत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करो अथवा मेरी पुत्रियों के अतिरिक्त पत्नियां ले आओ, यद्यपि कोई मनुष्य यह देख न सकेगा, किंतु स्मरण रहे, तुम्हारे तथा मेरे मध्य परमेश्वर साक्ष्य हैं.” लाबान ने याकोब से कहा, “इस ढेर को तथा इस स्तंभ को देखो, जो मैंने तुम्हारे तथा मेरे मध्य में स्थापित किया है. यह स्तंभ तथा पत्थरों का ढेर साक्ष्य है, कि मैं इसके निकट से होकर तुम्हारी हानि करने के लक्ष्य से आगे नहीं बढ़ूंगा, वैसे ही तुम भी इस ढेर तथा इस स्तंभ के निकट से होकर मेरी हानि के उद्देश्य से आगे नहीं बढ़ोगे. इसके लिए अब्राहाम के परमेश्वर, नाहोर के परमेश्वर तथा उनके पिता के परमेश्वर हमारा न्याय करें.” इसलिये याकोब ने अपने पिता यित्सहाक के प्रति भय-भाव में शपथ ली. फिर याकोब ने उस पर्वत पर ही बलि अर्पित की तथा अपने संबंधियों को भोज के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने भोजन किया तथा पर्वत पर ही रात्रि व्यतीत की. बड़े तड़के लाबान उठा, अपने पुत्र-पुत्रियों का चुंबन लिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर लाबान स्वदेश लौट गया.