उत्पत्ति 3:1-19
उत्पत्ति 3:1-19 पवित्र बाइबल (HERV)
यहोवा द्वारा बनाए गए सभी जानवरों में सबसे अधिक चतुर साँप था। (वह स्त्री को धोखा देना चाहता था।) साँप ने कहा, “हे स्त्री क्या परमेश्वर ने सच—मुच तुमसे कहा है कि तुम बाग के किसी पेड़ से फल ना खाना?” स्त्री ने कहा, “नहीं परमेश्वर ने यह नहीं कहा। हम बाग़ के पेड़ों से फल खा सकते हैं। लेकिन एक पेड़ है जिसके फल हम लोग नहीं खा सकते। परमेश्वर ने हम लोगों से कहा, ‘बाग के बीच के पेड़ के फल तुम नहीं खा सकते, तुम उसे छूना भी नहीं, नहीं तो मर जाओगे।’” लेकिन साँप ने स्त्री से कहा, “तुम मरोगी नहीं। परमेश्वर जानता है कि यदि तुम लोग उस पेड़ से फल खाओगे तो अच्छे और बुरे के बारे में जान जाओगे और तब तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे।” स्त्री ने देखा कि पेड़ सुन्दर है। उसने देखा कि फल खाने के लिए अच्छा है और पेड़ उसे बुद्धिमान बनाएगा। तब स्त्री ने पेड़ से फल लिया और उसे खाया। उसका पति भी उसके साथ था इसलिए उसने कुछ फल उसे दिया और उसने उसे खाया। तब पुरुष और स्त्री दोनों बदल गए। उनकी आँखें खुल गईं और उन्होंने वस्तुओं को भिन्न दृष्टि से देखा। उन्होंने देखा कि उनके कपड़े नहीं हैं, वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने कुछ अंजीर के पत्ते लेकर उन्हें जोड़ा और कपड़ो के स्थान पर अपने लिए पहना। तब पुरुष और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में यहोवा परमेश्वर के आने की आवाज बाग में सुनी। वे बाग मे पेड़ों के बीच में छिप गए। यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर पुरुष से पूछा, “तुम कहाँ हो?” पुरुष ने कहा, “मैंने बाग में तेरे आने की आवाज सुनी और मैं डर गया। मैं नंगा था, इसलिए छिप गया।” यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?” पुरुष ने कहा, “तूने जो स्त्री मेरे लिए बनाई उसने उस पेड़ से मुझे फल दिया, और मैंने उसे खाया।” तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “यह तुने क्या किया?” स्त्री ने कहा, “साँप ने मुझे धोखा दिया। उसने मुझे बेवकूफ बनाया और मैंने फल खा लिया।” तब यहोवा परमेश्वर ने साँप से कहा, “तुने यह बहुत बुरी बात की। इसलिए तुम्हारा बुरा होगा। अन्य जानवरों की अपेक्षा तुम्हारा बहुत बुरा होगा। तुम अपने पेट के बल रेंगने को मजबूर होगे। और धूल चाटने को विवश होगा जीवन के सभी दिनों में। मैं तुम्हें और स्त्री को एक दूसरे का दुश्मन बनाऊँगा। तुम्हारे बच्चे और इसके बच्चे आपस में दुश्मन होंगे। तुम इसके बच्चे के पैर में डसोगे और वह तुम्हारा सिर कुचल देगी।” तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “मैं तेरी गर्भावस्था में तुझे बहुत दुःखी करूँगा और जब तू बच्चा जनेगी तब तुझे बहुत पीड़ा होगी। तेरी चाहत तेरे पति के लिए होगी किन्तु वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” तब यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, “मैंने आज्ञा दी थी कि तुम विशेष पेड़ का फल न खाना। किन्तु तुमने अपनी पत्नी की बातें सुनीं और तुमने उस पेड़ का फल खाया। इसलिए मैं तुम्हारे कारण इस भूमि को शाप देता हूँ अपने जीवन के पूरे काल तक उस भोजन के लिए जो धरती देती है। तुम्हें कठिन मेहनत करनी पड़ेगी। तुम उन पेड़ पौधों को खाओगे जो खेतों में उगते हैं। किन्तु भूमि तुम्हारे लिए काँटे और खर—पतवार पैदा करेगी। तुम अपने भोजन के लिए कठिन परिश्रम करोगे। तुम तब तक परिश्रम करोगे जब तक माथे पर पसीना ना आ जाए। तुम तब तक कठिन मेहनत करोगे जब तक तुम्हारी मृत्यु न आ जाए। उस समय तुम दुबारा मिट्टी बन जाओगे। जब मैंने तुमको बनाया था, तब तुम्हें मिट्टी से बनाया था और जब तुम मरोगे तब तुम उसी मिट्टी में पुनः मिल जाओगे।”
उत्पत्ति 3:1-19 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
उन सब वन-प्राणियों में जिन्हें प्रभु परमेश्वर ने रचा था, सबसे अधिक धूर्त सांप था। उसने स्त्री से पूछा, ‘क्या सचमुच परमेश्वर ने कहा है कि तुम उद्यान के किसी भी पेड़ का फल न खाना?’ स्त्री ने सांप को उत्तर दिया, ‘हम उद्यान के पेड़ों का फल खा सकते हैं। परन्तु परमेश्वर ने कहा है, “उद्यान के मध्य में लगे पेड़ का फल न खाना, उसे स्पर्श भी नहीं करना, अन्यथा तुम मर जाओगे।” ’ सांप ने स्त्री से कहा, ‘तुम नहीं मरोगे। परमेश्वर जानता है कि जब तुम उसे खाओगे तब तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी। तुम भले और बुरे को जानकर परमेश्वर के समान बन जाओगे।’ स्त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया। तब दोनों की आंखें खुल गईं, और उन्हें ज्ञात हुआ कि वे नग्न हैं। अत: उन्होंने अंजीर के पत्तों को सी कर लंगोट बनाए। जब संध्या समय हवा बहने लगी, तब उन्होंने उद्यान में प्रभु परमेश्वर की पग-ध्वनि सुनी। मनुष्य और उसकी पत्नी ने प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति से स्वयं को उद्यान के वृक्षों में छिपा लिया। परन्तु प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को पुकारा, ‘तू कहाँ है?’ उसने उत्तर दिया, ‘मैंने उद्यान में तेरी पग-ध्वनि सुनी। मैं डर गया, क्योंकि मैं नंगा था। इसलिए मैंने स्वयं को छिपा लिया है।’ प्रभु परमेश्वर ने पूछा, ‘किसने तुझसे कहा कि तू नंगा है? क्या तूने उस पेड़ का फल खाया है, जिसे न खाने के लिए मैंने तुझे आज्ञा दी थी?’ मनुष्य ने उत्तर दिया, ‘जो स्त्री तूने मेरे साथ रहने के लिए दी है, उसने उस पेड़ का फल मुझे दिया, और मैंने उसे खा लिया।’ प्रभु परमेश्वर ने स्त्री से पूछा, ‘यह तूने क्या किया?’ स्त्री ने उत्तर दिया, ‘सांप ने मुझे बहका दिया और मैंने फल खा लिया।’ प्रभु परमेश्वर ने सांप से कहा, ‘तूने यह कार्य किया, इसलिए तू समस्त पालतू पशुओं तथा सब वन-पशुओं में शापित है! तू पेट के बल चलेगा। तू आजीवन धूल चाटता रहेगा। मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और स्त्री के वंश के मध्य शत्रुता उत्पन्न करूँगा। वह तेरा सिर कुचलेगा, और तू उसकी एड़ी डसेगा।’ प्रभु परमेश्वर ने स्त्री से कहा, ‘मैं तेरी प्रसव-पीड़ा को असहनीय बनाऊंगा। तू पीड़ा से ही बच्चों को जन्म देगी। तेरी इच्छाएं पति के लिए होंगी। वह तुझ पर शासन करेगा।’ प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, ‘तूने अपनी पत्नी की बात सुनी, और उस पेड़ का फल खाया जिसके विषय में मैंने आज्ञा दी थी कि “उसका फल न खाना।” अतएव तेरे कारण भूमि शापित हुई। उसकी फसल खाने के लिए तुझे जीवनभर कठोर परिश्रम करना पड़ेगा। वह तेरे लिए कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, जब तू खेत की उपज खाएगा। तू तब तक अपने पसीने की रोटी खाएगा, जब तक उस भूमि में न लौटे जिससे तू बनाया गया था। तू तो मिट्टी है, और मिट्टी में ही मिल जाएगा।’
उत्पत्ति 3:1-19 Hindi Holy Bible (HHBD)
यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना? स्त्री ने सर्प से कहा, इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं। पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे। तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे, वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे। सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये। तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है? उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया। उसने कहा, किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैं ने तुझे बर्जा था, क्या तू ने उसका फल खाया है? आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया। तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया। तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा: और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा। फिर स्त्री से उसने कहा, मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित हो कर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा: और वह तेरे लिये कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, और तू खेत की उपज खाएगा ; और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।
उत्पत्ति 3:1-19 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था; उसने स्त्री से कहा, “क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना’?” स्त्री ने सर्प से कहा, “इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं; पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।” तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम निश्चय न मरोगे! वरन् परमेश्वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।” अत: जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहनेयोग्य भी है; तब उसने उसमें से तोड़कर खाया, और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये। तब यहोवा परमेश्वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, का शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। तब यहोवा परमेश्वर ने पुकारकर आदम से पूछा, “तू कहाँ है?” उसने कहा, “मैं तेरा शब्द बारी में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया।” उसने कहा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैं ने तुझे मना किया था, क्या तू ने उसका फल खाया है?” आदम ने कहा, “जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।” तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “तू ने यह क्या किया है?” स्त्री ने कहा, “सर्प ने मुझे बहका दिया, तब मैं ने खाया।” तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, “तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा : और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा; वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” और आदम से उसने कहा, “तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तू ने खाया है इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा; और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे उगाएगी, और तू खेत की उपज खाएगा; और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है; तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”
उत्पत्ति 3:1-19 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
यहोवा परमेश्वर ने जितने जंगली पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, “क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना’?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2) स्त्री ने सर्प से कहा, “इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं; पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।” तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम निश्चय न मरोगे वरन् परमेश्वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।” अतः जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14) तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर लंगोट बना लिये। तब यहोवा परमेश्वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। तब यहोवा परमेश्वर ने पुकारकर आदम से पूछा, “तू कहाँ है?” उसने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था; इसलिए छिप गया।” यहोवा परमेश्वर ने कहा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैंने तुझे मना किया था, क्या तूने उसका फल खाया है?” आदम ने कहा, “जिस स्त्री को तूने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने खाया।” तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “तूने यह क्या किया है?” स्त्री ने कहा, “सर्प ने मुझे बहका दिया, तब मैंने खाया।” (रोम. 7:11, 2 कुरि. 11:3, 1 तीमु. 2:14) तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, “तूने जो यह किया है इसलिए तू सब घरेलू पशुओं, और सब जंगली पशुओं से अधिक श्रापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा; और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बच्चे उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18) और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8) और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे उगाएगी, और तू खेत की उपज खाएगा; और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”
उत्पत्ति 3:1-19 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
याहवेह परमेश्वर के बनाये सब जंतुओं में सांप सबसे ज्यादा चालाक था. उसने स्त्री से कहा, “क्या सच में परमेश्वर ने तुमसे कहा, ‘तुम इस बगीचे के किसी भी पेड़ का फल न खाना’?” तब स्त्री ने उत्तर दिया, “हम बगीचे के वृक्षों के फलों को खा सकते हैं, लेकिन बगीचे के बीच में जो पेड़ है, उसके बारे में परमेश्वर ने कहा है ‘न तो तुम उसका फल खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो तुम मर जाओगे.’ ” सांप ने स्त्री से कहा, “निश्चय तुम नहीं मरोगे! परमेश्वर यह जानते हैं कि जिस दिन तुम इसमें से खाओगे, तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी तथा तुम्हें भले और बुरे का ज्ञान हो जाएगा और तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे.” जब स्त्री ने उस पेड़ के फल की ओर देखा कि वह खाने में अच्छा तथा देखने में सुंदर और बुद्धि देनेवाला है, तब उसने उस पेड़ के फलों में से एक लेकर खाया. और उसने यह फल अपने पति को भी दिया, जो उसके पास ही था. उसने भी उसे खाया. तब उन दोनों की आंखें खुल गईं और उन्हें महसूस हुआ कि वे नंगे हैं. इसलिये उन्होंने अंजीर की पत्तियां जोड़कर कपड़े बनाए और अपने नंगेपन को ढक दिया. जब आदम और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में याहवेह परमेश्वर के आने की आवाज बगीचे में सुनी, तब आदम और उसकी पत्नी पेड़ों के बीच में छिप गये. किंतु याहवेह परमेश्वर ने आदम को बुलाया और पूछा, “तुम कहां हो?” आदम ने उत्तर दिया, “आपके आने का शब्द सुनकर हम डर गये और हम छिप गये क्योंकि हम नंगे हैं.” याहवेह ने कहा, “किसने तुमसे कहा कि तुम नंगे हो? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया हो, जिसको खाने के लिए मैंने मना किया था?” आदम ने कहा, “साथ में रहने के लिए जो स्त्री आपने मुझे दी है, उसी ने मुझे उस पेड़ से वह फल दिया, जिसे मैंने खाया.” यह सुन याहवेह परमेश्वर ने स्त्री से पूछा, “यह क्या किया तुमने?” स्त्री ने उत्तर दिया, “सांप ने मुझे बहकाया, इसलिये मैंने वह फल खा लिया.” याहवेह परमेश्वर ने सांप से कहा, तूने ऐसा करके गलत किया, “इसलिये तू सभी पालतू पशुओं से तथा सभी वन्य पशुओं से अधिक शापित है! तू पेट के बल चला करेगा और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा. मैं तेरे तथा स्त्री के बीच, तेरी संतान तथा स्त्री की संतान के बीच बैर पैदा करूंगा; वह तेरे सिर को कुचलेगा, तथा तू उसकी एड़ी को डसेगा.” स्त्री से परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हारी गर्भावस्था के दर्द को बहुत बढ़ाऊंगा; तुम दर्द के साथ संतान को जन्म दोगी. यह होने पर भी तुम्हारी इच्छा तुम्हारे पति की ओर होगी, और पति तुम पर अधिकार करेगा.” फिर आदम से परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनकर उस पेड़ से फल खाया, ‘जिसे खाने के लिये मैंने तुम्हें मना किया था,’ “इस कारण यह पृथ्वी जिस पर तुम रह रहे हो, श्रापित हो गई है; तुम जीवन भर कड़ी मेहनत करके जीवन चलाओगे. तुम खेती करोगे लेकिन उसमें कांटे और जंगली पेड़ उगेंगे, और तुम खेत की उपज खाओगे. तुम अपने पसीने ही की रोटी खाया करोगे और अंततः मिट्टी में मिल जाओगे क्योंकि तुम मिट्टी ही हो, मिट्टी से ही बने हो.”