उत्पत्ति 27:35-36
उत्पत्ति 27:35-36 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
उसने कहा, “तेरा भाई धूर्तता से आया, और तेरे आशीर्वाद को ले के चला गया।” उसने कहा, “क्या उसका नाम याक़ूब यथार्थ नहीं रखा गया? उसने मुझे दो बार अड़ंगा मारा। मेरा पहिलौठे का अधिकार तो उसने ले ही लिया था; और अब देख, उसने मेरा आशीर्वाद भी ले लिया है।” फिर उसने कहा, “क्या तू ने मेरे लिये भी कोई आशीर्वाद नहीं सोच रखा है?”
उत्पत्ति 27:35-36 पवित्र बाइबल (HERV)
इसहाक ने कहा, “तुम्हारे भाई ने मुझे धोखा दिया। वह आया और तुम्हारा आशीर्वाद लेकर गया।” एसाव ने कहा, “उसका नाम ही याकूब (चालबाज़) है। यह नाम उसके लिए ठीक ही है। उसका यह नाम बिल्कुल सही रखा गया है वह सचमुच में चालबाज़ है। उसने मुझे दो बार धोखा दिया। वह पहलौठा होने के मेरे अधिकार को ले ही चुका था और अब उसने मेरे हिस्से के आशीर्वाद को भी ले लिया। क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचा रखा है?”
उत्पत्ति 27:35-36 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
वह बोले, ‘तेरा भाई धूर्तता से आया और तेरा आशीर्वाद लेकर चला गया।’ एसाव ने कहा, ‘उसका नाम याकूब ठीक ही रखा गया था। उसने दो बार मुझे अड़ंगा मारा : पहले तो मेरा ज्येष्ठ पुत्र होने का अधिकार ले लिया, और अब मेरा आशीर्वाद भी छीन लिया।’ एसाव ने पूछा, ‘क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचाकर नहीं रखा?’
उत्पत्ति 27:35-36 Hindi Holy Bible (HHBD)
उसने कहा, तेरा भाई धूर्तता से आया, और तेरे आशीर्वाद को लेके चला गया। उसने कहा, क्या उसका नाम याकूब यथार्थ नहीं रखा गया? उसने मुझे दो बार अड़ंगा मारा, मेरा पहिलौठे का अधिकार तो उसने ले ही लिया था: और अब देख, उसने मेरा आशीर्वाद भी ले लिया है: फिर उसने कहा, क्या तू ने मेरे लिये भी कोई आशीर्वाद नहीं सोच रखा है?
उत्पत्ति 27:35-36 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
उसने कहा, “तेरा भाई धूर्तता से आया, और तेरे आशीर्वाद को लेकर चला गया।” उसने कहा, “क्या उसका नाम याकूब यथार्थ नहीं रखा गया? उसने मुझे दो बार अड़ंगा मारा, मेरा पहलौठे का अधिकार तो उसने ले ही लिया था; और अब देख, उसने मेरा आशीर्वाद भी ले लिया है।” फिर उसने कहा, “क्या तूने मेरे लिये भी कोई आशीर्वाद नहीं सोच रखा है?”
उत्पत्ति 27:35-36 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
यित्सहाक ने कहा, “तुम्हारे भाई ने धोखा किया और आशीष ले ली.” एसाव ने कहा, “उसके लिए याकोब नाम सही नहीं है? दो बार उसने मेरे साथ बुरा किया: पहले उसने मेरे बड़े होने का अधिकार ले लिया और अब मेरी आशीष भी छीन ली!” तब एसाव ने अपने पिता से पूछा, “क्या आपने मेरे लिए एक भी आशीष नहीं बचाई?”