उत्पत्ति 24:35-67
उत्पत्ति 24:35-67 पवित्र बाइबल (HERV)
यहोवा ने हमारे मालिक पर हर एक विषय में कृपा की है। मेरे मालिक महान व्यक्ति हो गए हैं। यहोवा ने इब्राहीम को कई भेड़ों के रेवड़े तथा मबवेशियों के झुण्ड दिए हैं। इब्राहीम के पास बहुत सोना, चाँदी और नौकर हैं। इब्राहीम के पास बहुत से ऊँट और गधे हैं। सारा, मेरे मालिक की पत्नी थी। जब वह बहुत बूढ़ी हो गई थी उसने एक पुत्र को जन्म दिया और हमारे मालिक ने अपना सब कुछ उस पुत्र को दे दिया है। मेरे स्वामी ने मुझे एक वचन देने के लिए विवश किया। मेरे मालिक ने मुझसे कहा, ‘तुम मेरे पुत्र को कनान की लड़की से किसी भी तरह विवाह नहीं करने दोगे। हम लोग उनके बीच रहते हैं, किन्तु मैं नहीं चाहता कि वह किसी कनानी लड़की से विवाह करे। इसलिए तुम्हें वचन देना होगा कि तुम मेरे पिता के देश को जाओगे। मेरे परिवार में जाओ और मेरे पुत्र के लिए एक दुल्हन चुनो।’ मैंने अपने मालिक से कहा, ‘यह हो सकता है कि वह दुल्हन मेरे साथ इस देश को न आए।’ लेकिन मेरे मालिक ने कहा, ‘मैं यहोवा की सेवा करता हूँ और यहोवा तुम्हारे साथ अपना दूत भेजेगा और तुम्हारी मद्द करेगा। तुम्हें वहाँ मेरे अपने लोगों में मेरे पुत्र के लिए एक दुल्हन मिलेगी। किन्तु यदि तुम मेरे पिता के देश को जाते हो और वे लोग मेरे पुत्र के लिए एक दुल्हन देने से मना करते हैं तो तुम्हें इस वचन से छुटकारा मिल जाएगा।’ “आज मैं इस कुएँ पर आया और मैंने कहा, ‘हे यहोवा मेरे मालिक के परमेश्वर कृपा करके मेरी यात्रा सफल बना। मैं यहाँ कुएँ के पास ठहरूँगा और पानी भरने के लिए आने वाली किसी युवती की प्रतीक्षा करूँगा। तब मैं कहूँगा, “कृपा करके आप अपने घड़े से पीने के लिए पानी दें।” उपयुक्त लड़की ही विशेष रूप से उत्तर देगी। वह कहेगी, “यह पानी पीओ और मैं तुम्हारे ऊँटों के लिए भी पानी लाती हूँ।” इस तरह मैं जानूँगा कि यह वही स्त्री है जिसे यहोवा ने मेरे मालिक के पुत्र के लिए चुना है।’” “मेरी प्रार्थना पूरी होने के पहले ही रिबका कुएँ पर पानी भरने आई। पानी का घड़ा उसने अपने कंधे पर ले रखा था। वह कुएँ तक गई और उसने पानी भरा। मैंने इससे कहा, कृपा करके मुझे पानी दें। उसने तुरन्त कंधे से घड़े को झुकाया और मेरे लिए पानी डाला और कहा, ‘यह पीएँ और मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी लाऊँगी।’ इसलिए मैंने पानी पीया और अपने ऊँटों को भी पानी पिलाया। तब मैंने इससे पूछा, ‘तुम्हारे पिता कौन हैं?’ इसने उत्तर दिया, ‘मेरा पिता बतूएल है। मेरे पिता के माता—पिता मिल्का और नाहोर हैं।’ तब मैंने इसे अँगूठी और बाहों के लिए बाजूबन्द दिए। उस समय मैंने अपना सिर झुकाया और यहोवा को धन्य कहा। मैंने अपने मालिक इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा को कृपालु कहा। मैंने उसे धन्य कहा क्योंकि उसने सीधे मेरे मालिक के भाई की पोती तक मुझे पहुँचाया। अब बताओ कि तुम क्या करोगे? क्या तुम मेरे मालिक पर दयालु और श्रद्धालु बनोगे और अपनी पुत्री उसे दोगे? या तुम अपनी पुत्री देना मना करोगे? मुझे बताओ, जिससे मैं यह समझ सकूँ कि मुझे क्या करना है।” तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, “हम लोग यह देखते हैं कि यह यहोवा की ओर से है। इसे हम टाल नहीं सकते। रिबका तुम्हारी है। उसे लो और जाओ। अपने मालिक के पुत्र से इसे विवाह करने दो। यही है जिसे यहोवा चाहता है।” इब्राहीम के नौकर ने यह सुना और वह यहोवा के सामने भूमि पर झुका। तब उसने रिबका को वे भेंटे दी जो वह साथ लाया था। उसने रिबका को सोने और चाँदी के गहने और बहुत से सुन्दर कपड़े दिए। उसने, उसके भाई और उसकी माँ को कीमती भेंटें दीं। नौकर और उसके साथ के व्यक्ति वहाँ ठहरे तथा खाया और पीया। वे वहाँ रात भर ठहरे। वे दूसरे दिन सवेरे उठे और बोले “अब हम अपने मालिक के पास जाएँगे।” रिबका की माँ और भाई ने कहा, “रिबका को हम लोगों के पास कुछ दिन और ठहरने दो। उसे दस दिन तक हमारे साथ ठहरने दो। इसके बाद वह जा सकती है।” लेकिन नौकर ने उनसे कहा, “मुझसे प्रतीक्षा न करवाएं। यहोवा ने मेरी यात्रा सफल की है। अब मुझे अपने मालिक के पास लौट जाने दें।” रिबका के भाई और माँ ने कहा, “हम लोग रिबका को बुलाएंगे और उस से पूछेंगे कि वह क्या चाहती है?” उन्होंने रिबका को बुलाया और उससे कहा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ अभी जाना चाहती हो?” रिबका ने कहा, “हाँ, मैं जाऊँगी।” इसलिए उन्होंने रिबका को इब्राहीम के नौकर और उसके साथियों के साथ जाने दिया। रिबका की धाय भी उनके साथ गई। जब वह जाने लगी तब वे रिबका से बोले, “हमारी बहन, तुम लाखों लोगों की जननी बनो और तुम्हारे वंशज अपने शत्रुओं को हराएं और उनके नगरों को ले लें।” तब रिबका और धाय ऊँट पर चढ़ी और नौकर तथा उसके साथियों के पीछे चलने लगी। इस तरह नौकर ने रिबका को साथ लिया और घर को लौटने की यात्रा शुरू की। इस समय इसहाक ने लहैरोई को छोड़ दिया था और नेगेव में रहने लगा था। एक शाम इसहाक मैदान में विचरण करने गया। इसहाक ने नज़र उठाई और बहुत दूर से ऊँटों को आते देखा। रिबका ने नज़र डाली और इसहाक को देखा। तब वह ऊँट से कूद पड़ी। उसने नौकर से पूछा, “हम लोगों से मिलने के लिए खेतों में टहलने वाला वह युवक कौन है?” नौकर ने कहा, “यह मेरे मालिक का पुत्र है।” इसलिए रिबका ने अपने मुँह को पर्दे में छिपा लिया। नौकर ने इसहाक को वे सभी बातें बताईं जो हो चुकी थीं। तब इसहाक लड़की को अपनी माँ के तम्बू में ले आया। उसी दिन इसहाक ने रिबका से विवाह कर लिया। वह उससे बहुत प्रेम करता था। अतः उसे उसकी माँ की मृत्यु के पश्चात् भी सांत्वना मिली।
उत्पत्ति 24:35-67 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
प्रभु ने मेरे स्वामी को इतनी आशिष दी है कि वह बहुत धनी हो गए हैं। प्रभु ने उनको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-चांदी, सेवक-सेविकाएं, ऊंट, गधे दिए हैं। मेरे स्वामी की पत्नी सारा को उनकी वृद्धावस्था में एक पुत्र उत्पन्न हुआ है। मेरे स्वामी ने उस पुत्र को अपना सब कुछ सौंप दिया है। उन्होंने मुझे शपथ खिलायी है। उन्होंने कहा है, “मेरे पुत्र के लिए तुम कनानी जाति की कन्याओं में से, जिनके देश में मैं निवास करता हूँ, वधू नहीं लाओगे, वरन् तुम मेरे पितृगृह और मेरे कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र के लिए वधू लाओगे।” मैंने अपने स्वामी से कहा, “कदाचित् कन्या मेरे साथ आना न चाहे।” तब उन्होंने मुझसे कहा, “प्रभु, जिसकी उपस्थिति में रहता हुआ मैं आचरण करता हूँ, अपना दूत तुम्हारे साथ भेजकर तुम्हारी यात्रा सफल करेगा, और तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे कुटुम्बियों और मेरे पितृगृह से वधू लाओगे। यदि तुम मेरे कुटुम्बियों के पास पहुँचो और वे तुम्हें कोई कन्या न दें, तो तुम मेरी शपथ से मुक्त हो जाओगे। ऐसी बात होने पर ही तुम मेरी शपथ से मुक्त हो सकोगे।” ‘मैं आज झरने पर पहुँचा और प्रार्थना की, “हे प्रभु, मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर, जिस मार्ग पर मैं जा रहा हूँ, उसे तू आज सफल कर। देख, मैं झरने पर खड़ा हूँ। अब ऐसा हो कि जल भरने को आने वाली कन्या जिससे मैं कहूँगा, ‘कृपया मुझे अपने घड़े में से थोड़ा पानी पिलाओ,’ और वह मुझे उत्तर देगी, ‘पीजिए, मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी भरूँगी’ तो वह वही कन्या हो जिसे प्रभु ने मेरे स्वामी के पुत्र के लिए चुना है।” ‘मैंने अपने मन में बोलना समाप्त ही नहीं किया था कि रिबका अपने कन्धे पर घड़ा रखे हुए बाहर आई। वह झरने पर गई, और उसने पानी खींचा। मैंने उससे कहा, “कृपया, मुझे पानी पिलाओ।” उसने अपने कन्धे से घड़ा तुरन्त नीचे उतारा और कहा, “पीजिए, मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिलाऊंगी।” मैंने पानी पिया। उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया। मैंने उससे पूछा, “तुम किसकी पुत्री हो?” उसने उत्तर दिया, “मैं नाहोर और मिल्का के पुत्र बतूएल की पुत्री हूँ।” अतएव मैंने उसकी नाक में नथ और उसके हाथों में कंगन पहिना दिए। तत्पश्चात् मैं ने सिर झुका कर प्रभु की वन्दना की। मैंने अपने स्वामी अब्राहम के परमेश्वर प्रभु को धन्य कहा, जिसने मेरे स्वामी के पुत्र के लिए उसके कुटुम्बी की पुत्री प्राप्त करने के लिए सफलतापूर्वक मेरा मार्ग-दर्शन किया। अब यदि आप मेरे स्वामी से प्रेमपूर्ण और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हैं, तो मुझे बताइए। यदि नहीं, तो वैसा मुझसे कहिए, जिससे मैं निश्चय कर सकूँ कि मुझे क्या करना चाहिए।’ लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, ‘यह प्रस्ताव प्रभु की ओर से आया है। हम तुमसे भला और बुरा कुछ भी नहीं कह सकते। रिबका तुम्हारे सामने है। उसे ले जाओ। जैसा प्रभु ने कहा है, वैसे ही वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी बने।’ जब अब्राहम के सेवक ने उनके ये शब्द सुने तब उसने भूमि की ओर झुककर प्रभु की वन्दना की। तत्पश्चात् सेवक ने सोना-चांदी के आभूषण और वस्त्र निकाल कर रिबका को दिए। उसने उसके भाई और माँ को भी बहुमूल्य गहने दिए। तब उसने और उसके साथियों ने खाया और पिया। उन्होंने रात वहीं बिताई। जब वे सबेरे सोकर उठे तब सेवक ने कहा, ‘अब मुझे अपने स्वामी के पास जाने की आज्ञा दीजिए।’ रिबका के भाई और माँ ने कहा, ‘कन्या को कुछ समय तक, कम से कम दस दिन तक, हमारे पास रहने दीजिए। उसके पश्चात् वह जा सकती है।’ परन्तु उसने उनसे कहा, ‘जब प्रभु ने मेरी यात्रा सफल की है, तब आप मुझे न रोकिए। मुझे विदा कीजिए कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊं।’ उन्होंने कहा, ‘हम कन्या को बुलाकर उससे पूछते हैं।’ अतएव उन्होंने रिबका को बुलाया और उससे पूछा, ‘क्या तुम इस मनुष्य के साथ जाओगी?’ उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ, मैं जाऊंगी।’ अत: उन्होंने लाबान की बहिन रिबका और उसकी धाय को अब्राहम के सेवक और उसके साथियों के साथ विदा किया। उन्होंने रिबका को आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘हे हमारी बहिन, तुम हजारों-लाखों पुत्र-पुत्रियों की माता बनो। तुम्हारे वंशज अपने बैरियों के नगरों पर अधिकार करें।’ उसके पश्चात् रिबका और उसकी सेविकाएँ यात्रा के लिए तैयार हुईं। वे ऊंटों पर सवार हुईं और अब्राहम के सेवक के पीछे चलीं। इस प्रकार सेवक रिबका को साथ लेकर चला गया। इसहाक नेगेब क्षेत्र में रहता था। वह लहई-रोई नामक कुएं के निर्जन प्रदेश में आया। वह सन्ध्या के समय खुले मैदान में मृत्यु-शोक मनाने निकला। जब उसने अपनी आंखें ऊपर उठाईं तो देखा कि ऊंट आ रहे हैं। रिबका ने भी उसकी ओर देखा। जब उसने इसहाक को देखा तब वह ऊंट से उतर पड़ी। उसने अब्राहम के सेवक से पूछा, ‘वह मनुष्य कौन है जो हमसे भेंट करने के लिए मैदान से आ रहा है?’ सेवक ने उत्तर दिया, ‘वह मेरे स्वामी हैं।’ रिबका ने घूंघट निकालकर अपना मुख ढक लिया। जो कुछ सेवक ने किया था, उसका सम्पूर्ण वृत्तान्त सेवक ने इसहाक को सुनाया। इसहाक रिबका को अपनी मां सारा के तम्बू में ले गया। उसने रिबका को ग्रहण किया। वह उसकी पत्नी बन गई। इसहाक ने उसे प्यार किया। इस प्रकार इसहाक को अपनी मां की मृत्यु के पश्चात् सान्त्वना प्राप्त हुई।
उत्पत्ति 24:35-67 Hindi Holy Bible (HHBD)
और यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है; सो वह महान पुरूष हो गया है; और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियां, ऊंट और गदहे दिए हैं। और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है। और उस पुत्र को इब्राहीम ने अपना सब कुछ दे दिया है। और मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई, कि मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिन के देश में वह रहता है, कोई स्त्री न ले आऊंगा। मैं उसके पिता के घर, और कुल के लोगों के पास जा कर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊंगा। तब मैं ने अपने स्वामी से कहा, कदाचित वह स्त्री मेरे पीछे न आए। तब उसने मुझ से कहा, यहोवा, जिसके साम्हने मैं चलता आया हूं, वह तेरे संग अपने दूत को भेज कर तेरी यात्रा को सफल करेगा; सो तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा। तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुंचेगा; अर्थात यदि वे मुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा। सो मैं आज उस कुएं के निकट आकर कहने लगा, हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो: तो देख मैं जल के इस कुएं के निकट खड़ा हूं; सो ऐसा हो, कि जो कुमारी जल भरने के लिये निकल आए, और मैं उससे कहूं, अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला; और वह मुझ से कहे, पी ले और मैं तेरे ऊंटो के पीने के लिये भी पानी भर दूंगी: वह वही स्त्री हो जिस को तू ने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया हो। मैं मन ही मन यह कह ही रहा था, कि देख रिबका कन्धे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतर के भरने लगी: और मैं ने उससे कहा, मुझे पिला दे। और उसने फुर्ती से अपने घड़े को कन्धे पर से उतार के कहा, ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊंटों को भी पिलाऊंगी: सो मैं ने पी लिया, और उसने ऊंटों को भी पिला दिया। तब मैं ने उससे पूछा, कि तू किस की बेटी है? और उसने कहा, मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूं: तब मैं ने उसकी नाक में वह नथ, और उसके हाथों में वे कंगन पहिना दिए। फिर मैं ने सिर झुका कर यहोवा को दण्डवत किया, और अपने स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुंचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसकी भतीजी को ले जाऊं। सो अब, यदि तू मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझ से कहो: और यदि नहीं चाहते हो, तौभी मुझ से कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर, वा बाईं ओर फिर जाऊं। तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, यह बात यहोवा की ओर से हुई है: सो हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा। देख, रिबका तेरे साम्हने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए। उनका यह वचन सुनकर, इब्राहीम के दास ने भूमि पर गिर के यहोवा को दण्डवत किया। फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकाल कर रिबका को दिए: और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल अनमोल वस्तुएं दी। तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई: और तड़के उठ कर कहा, मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो। रिबका के भाई और माता ने कहा, कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात कम से कम दस दिन रहने दे; फिर उसके पश्चात वह चली जाएगी। उसने उन से कहा, यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है; सो तुम मुझे मत रोको अब मुझे विदा कर दो, कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊं। उन्होंने कहा, हम कन्या को बुला कर पूछते हैं, और देखेंगे, कि वह क्या कहती है। सो उन्होंने रिबका को बुला कर उससे पूछा, क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी? उसने कहा, हां मैं जाऊंगी। तब उन्होंने अपनी बहिन रिबका, और उसकी धाय और इब्राहीम के दास, और उसके साथी सभों को विदा किया। और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद दे के कहा, हे हमारी बहिन, तू हजारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो। इस पर रिबका अपनी सहेलियों समेत चली; और ऊंट पर चढ़ के उस पुरूष के पीछे हो ली: सो वह दास रिबका को साथ ले कर चल दिया। इसहाक जो दक्खिन देश में रहता था, सो लहैरोई नाम कुएं से हो कर चला आता था। और सांझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था: और उसने आंखे उठा कर क्या देखा, कि ऊंट चले आ रहे हैं। और रिबका ने भी आंख उठा कर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊंट पर से उतर पड़ी तब उसने दास से पूछा, जो पुरूष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, सो कौन है? दास ने कहा, वह तो मेरा स्वामी है। तब रिबका ने घूंघट ले कर अपने मुंह को ढ़ाप लिया। और दास ने इसहाक से अपना सारा वृत्तान्त वर्णन किया। तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया: और इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात शान्ति हुई॥
उत्पत्ति 24:35-67 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है, इसलिये वह महान् पुरुष हो गया है; और उसने उसको भेड़–बकरी, गाय–बैल, सोना–रूपा, दास–दासियाँ, ऊँट और गदहे दिए हैं। और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है; और उस पुत्र को अब्राहम ने अपना सब कुछ दे दिया है। मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई है, ‘मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके देश में वह रहता है, कोई स्त्री नहीं लाऊँगा। मैं उसके पिता के घर और कुल के लोगों के पास जाकर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊँगा।’ तब मैं ने अपने स्वामी से कहा, ‘कदाचित् वह स्त्री मेरे पीछे न आए।’ तब उसने मुझ से कहा, ‘यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा; और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिए एक स्त्री ला सकेगा। तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुँचेगा; और यदि वे तुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा।’ इसलिये मैं आज उस कुएँ के निकट आकर कहने लगा, ‘हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो; तो देख, मैं जल के इस कुएँ के निकट खड़ा हूँ; और ऐसा हो कि जो कुमारी जल भरने के लिये आए, और मैं उससे कहूँ, “अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला,” और वह मुझ से कहे, “पी ले, और मैं तेरे ऊँटों के पीने के लिये भी पानी भर दूँगी,” वह वही स्त्री हो जिसको तू ने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया है।’ मैं मन ही मन यह कह ही रहा था कि देखो रिबका कन्धे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतरके भरने लगी। मैं ने उससे कहा, ‘मुझे पिला दे।’ और उसने जल्दी से अपने घड़े को कन्धे पर से उतारके कहा, ‘ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ इस प्रकार मैं ने पी लिया, और उसने ऊँटों को भी पिला दिया। तब मैं ने उससे पूछा, ‘तू किसकी बेटी है?’ उसने कहा, ‘मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ,’ तब मैं ने उसकी नाक में वह नथ और उसके हाथों में वे कंगन पहिना दिए। फिर मैं ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् किया, और अपने स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुँचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसके कुटुम्बी की पुत्री को ले जाऊँ। इसलिये अब, यदि तुम मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझसे कहो; और यदि नहीं चाहते हो, तौभी मुझसे कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर या बाईं ओर फिर जाऊँ।” तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, “यह बात यहोवा की ओर से हुई है; इसलिये हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा। देख, रिबका तेरे सामने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए।” उनकी यह बात सुनकर, अब्राहम के दास ने भूमि पर गिरके यहोवा को दण्डवत् किया। फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकालकर रिबका को दिए; और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल अनमोल वस्तुएँ दीं। तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई। उसने तड़के उठकर कहा, “मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो।” रिबका के भाई और माता ने कहा, “कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात् कम से कम दस दिन और रहने दे; फिर उसके पश्चात् वह चली जाएगी।” उसने उनसे कहा, “यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है, इसलिये तुम मुझे मत रोको, अब मुझे विदा कर दो कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊँ।” उन्होंने कहा, “हम कन्या को बुलाकर पूछते हैं, और देखेंगे कि वह क्या कहती है।” और उन्होंने रिबका को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी?” उसने कहा, “हाँ, मैं जाऊँगी।” तब उन्होंने अपनी बहिन रिबका, और उसकी धाय, और अब्राहम के दास और उसके साथी, सभों को विदा किया। और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद दे के कहा, “हे हमारी बहिन, तू हज़ारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो।” तब रिबका अपनी सहेलियों समेत चली, और ऊँट पर चढ़ के उस पुरुष के पीछे हो ली। इस प्रकार वह दास रिबका को साथ लेकर चल दिया। इसहाक जो दक्खिन देश में रहता था, लहैरोई नामक कुएँ से होकर चला आता था। साँझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था; और उसने आँखें उठाकर क्या देखा कि ऊँट चले आ रहे हैं। रिबका ने भी आँखें उठाकर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊँट पर से उतर पड़ी। तब उसने दास से पूछा, “जो पुरुष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, सो कौन है?” दास ने कहा, “वह तो मेरा स्वामी है।” तब रिबका ने घूँघट लेकर अपने मुँह को ढाँप लिया। दास ने इसहाक को अपना सम्पूर्ण वृत्तान्त सुनाया। तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया। इस प्रकार इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात् शान्ति प्राप्त हुई।
उत्पत्ति 24:35-67 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है; इसलिए वह महान पुरुष हो गया है; और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियाँ, ऊँट और गदहे दिए हैं। और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है; और उस पुत्र को अब्राहम ने अपना सब कुछ दे दिया है। मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई है, कि ‘मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिनके देश में वह रहता है, कोई स्त्री न ले आऊँगा। मैं उसके पिता के घर, और कुल के लोगों के पास जाकर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊँगा।’ तब मैंने अपने स्वामी से कहा, ‘कदाचित् वह स्त्री मेरे पीछे न आए।’ तब उसने मुझसे कहा, ‘यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा; और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा। तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुँचेगा; और यदि वे तुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा।’ इसलिए मैं आज उस कुएँ के निकट आकर कहने लगा, ‘हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो; तो देख मैं जल के इस कुएँ के निकट खड़ा हूँ; और ऐसा हो, कि जो कुमारी जल भरने के लिये आए, और मैं उससे कहूँ, “अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला,” और वह मुझसे कहे, “पी ले, और मैं तेरे ऊँटों के पीने के लिये भी पानी भर दूँगी,” वह वही स्त्री हो जिसको तूने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया है।’ मैं मन ही मन यह कह ही रहा था, कि देख रिबका कंधे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतरकर भरने लगी। मैंने उससे कहा, ‘मुझे पानी पिला दे।’ और उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतार के कहा, ‘ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ इस प्रकार मैंने पी लिया, और उसने ऊँटों को भी पिला दिया। तब मैंने उससे पूछा, ‘तू किसकी बेटी है?’ और उसने कहा, ‘मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ,’ तब मैंने उसकी नाक में वह नत्थ, और उसके हाथों में वे कंगन पहना दिए। फिर मैंने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् किया, और अपने स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुँचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसके कुटुम्बी की पुत्री को ले जाऊँ। इसलिए अब, यदि तुम मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझसे कहो; और यदि नहीं चाहते हो; तो भी मुझसे कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर, या बाईं ओर फिर जाऊँ।” तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, “यह बात यहोवा की ओर से हुई है; इसलिए हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा। देख, रिबका तेरे सामने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए।” उनकी यह बात सुनकर, अब्राहम के दास ने भूमि पर गिरकर यहोवा को दण्डवत् किया। फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकालकर रिबका को दिए; और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल-अनमोल वस्तुएँ दीं। तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई। उसने तड़के उठकर कहा, “मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो।” रिबका के भाई और माता ने कहा, “कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दे; फिर उसके पश्चात् वह चली जाएगी।” उसने उनसे कहा, “यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है; इसलिए तुम मुझे मत रोको अब मुझे विदा कर दो, कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊँ।” उन्होंने कहा, “हम कन्या को बुलाकर पूछते हैं, और देखेंगे, कि वह क्या कहती है।” और उन्होंने रिबका को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी?” उसने कहा, “हाँ मैं जाऊँगी।” तब उन्होंने अपनी बहन रिबका, और उसकी दाई और अब्राहम के दास, और उसके साथी सभी को विदा किया। और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद देकर कहा, “हे हमारी बहन, तू हजारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो।” तब रिबका अपनी सहेलियों समेत चली; और ऊँट पर चढ़कर उस पुरुष के पीछे हो ली। इस प्रकार वह दास रिबका को साथ लेकर चल दिया। इसहाक जो दक्षिण देश में रहता था, लहैरोई नामक कुएँ से होकर चला आता था। साँझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था; और उसने आँखें उठाकर क्या देखा, कि ऊँट चले आ रहे हैं। रिबका ने भी आँखें उठाकर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊँट पर से उतर पड़ी। तब उसने दास से पूछा, “जो पुरुष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, वह कौन है?” दास ने कहा, “वह तो मेरा स्वामी है।” तब रिबका ने घूँघट लेकर अपने मुँह को ढाँप लिया। दास ने इसहाक से अपने साथ हुई घटना का वर्णन किया। तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया। इस प्रकार इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात् शान्ति प्राप्त हुई।
उत्पत्ति 24:35-67 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
याहवेह ने मेरे स्वामी को बहुत आशीष दी हैं, जिससे वे धनवान हो गए हैं. याहवेह ने उन्हें बहुत भेड़-बकरी और पशु, सोना और चांदी, सेवक और सेविकाएं तथा ऊंट और गधे दिये हैं. मेरे स्वामी की पत्नी साराह को वृद्धावस्था में एक बेटा पैदा हुआ, और अब्राहाम ने उसे अपना सब कुछ दे दिया है. और मेरे स्वामी ने मुझे शपथ दिलाकर कहा, ‘तुम मेरे पुत्र की पत्नी बनने के लिए कनानियों की किसी बेटी को, जिनके बीच मैं रहता हूं, न लाना, पर तुम मेरे पिता के परिवार, मेरे अपने वंश में जाना, और मेरे पुत्र के लिए एक पत्नी लाना.’ “तब मैंने अपने स्वामी से पूछा, ‘यदि वह युवती मेरे साथ आना नहीं चाहेगी, तब क्या?’ “मेरे स्वामी ने कहा, ‘याहवेह, जिनके सामने मैं ईमानदारी से चलता आया हूं, वे अपने स्वर्गदूत को तुम्हारे साथ भेजेंगे और तुम्हारी यात्रा को सफल करेंगे, ताकि तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे अपने वंश और मेरे पिता के परिवार से एक पत्नी ला सको. तुम मेरे इस शपथ से तब ही छूट पाओगे, जब तुम मेरे वंश के लोगों के पास जाओगे, और यदि वे उस कन्या को तुम्हारे साथ भेजने के लिए मना करें—तब तुम मेरे शपथ से छूट जाओगे.’ “आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये. देखिये, मैं इस कुएं के किनारे खड़ा हूं. यदि कोई कन्या निकलकर पानी भरने के लिये आती है और मैं उससे कहता हूं, “कृपा करके मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिला दे,” और यदि वह मुझसे कहती है, “पीजिये, और मैं आपके ऊंटों के लिये भी पानी लेकर आती हूं,” तो वह वही कन्या हो, जिसे याहवेह ने मेरे मालिक के बेटे के लिये चुना है.’ “इसके पहले कि मैं अपने मन में यह प्रार्थना खत्म करता, रेबेकाह अपने कंधे पर घड़ा लिये निकलकर आई. वह नीचे सोते के पास जाकर पानी भरने लगी, और मैंने उससे कहा, ‘कृपया मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’ “तब उसने तुरंत अपने कंधे में से घड़े को झुकाकर कहा, ‘पी लीजिये, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी.’ तब मैंने पानी पिया, और उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया. “तब मैंने उससे पूछा, ‘तुम किसकी बेटी हो?’ “उसने कहा, ‘मैं बेथुएल की बेटी हूं, जो नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र है.’ “तब मैंने उसके नाक में नथ तथा उसके हाथों में कंगन पहना दिए, और मैंने झुककर याहवेह की आराधना की. मैंने याहवेह, अपने मालिक अब्राहाम के परमेश्वर की महिमा की, जिन्होंने मुझे सही मार्ग में अगुवाई की, ताकि मैं अपने मालिक के भाई की नतनिन को अपने मालिक के बेटे के लिये पत्नी के रूप में ले जा सकूं. इसलिये अब, यदि आप मेरे मालिक के प्रति दया और सच्चाई दिखाना चाहते हैं, तो मुझे बताईये; और यदि नहीं, तो वह भी बताईये, कि किस रास्ते पर मुड़ना है.” यह सब सुनकर लाबान एवं बेथुएल ने कहा, “यह सब याहवेह की ओर से हुआ है; हम तुमसे अच्छा या बुरा कुछ नहीं कह सकते. रेबेकाह तुम्हारे सामने है; इसे अपने साथ ले जाओ, ताकि वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए, जैसा कि याहवेह ने निर्देश दिया है.” उनकी बातों को सुनकर अब्राहाम के सेवक ने भूमि पर झुककर याहवेह को दंडवत किया. तब सेवक ने सोने और चांदी के गहने तथा वस्त्र निकालकर रेबेकाह को दिए; उसने रेबेकाह के भाई और उसकी माता को भी बहुमूल्य वस्तुएं दी. फिर उसने तथा उसके साथ के लोगों ने खाया पिया और वहां रात बिताई. अगले दिन सुबह जब वे सोकर उठे तो सेवक ने कहा, “मुझे अपने स्वामी के पास वापस जाने के लिए विदा कीजिये.” पर रेबेकाह के भाई और उसकी मां ने कहा, “कन्या को हमारे साथ कुछ दिन अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दो; तब उसे ले जाना.” पर सेवक ने उनसे कहा, “मुझे मत रोकिए; क्योंकि याहवेह ने मेरी इस यात्रा को सफल किया है. मुझे अपने स्वामी के पास लौट जाने के लिये विदा कीजिए.” तब उन्होंने कहा, “हम रेबेकाह को बुलाकर इसके बारे में उससे पूछते हैं.” तब उन्होंने रेबेकाह को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ जाओगी?” उसने कहा, “हां, मैं जाऊंगी.” इसलिये उन्होंने अपनी बहन रेबेकाह को उसकी परिचारिका और अब्राहाम के सेवक और उसके लोगों के साथ विदा किया. और उन्होंने रेबेकाह को आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे हमारी बहन, तुम्हारा वंश हजारों हजार की संख्या में बढ़े; तुम्हारा वंश अपने शत्रुओं के नगर पर अधिकार करने पाये.” तब रेबेकाह और उसकी परिचारिकाएं तैयार हुईं और ऊंटों पर चढ़कर उस व्यक्ति के साथ गईं और वह सेवक रेबेकाह को लेकर रवाना हो गया. यित्सहाक बएर-लहाई-रोई से आकर अब नेगेव में निवास कर रहे थे. एक शाम जब वे चिंतन करने मैदान में गये थे, तब उन्होंने ऊंटों को आते हुए देखा. रेबेकाह ने भी आंख उठाकर यित्सहाक को देखा और वह अपने ऊंट पर से नीचे उतरी और सेवक से पूछा, “मैदान में वह कौन व्यक्ति है, जो हमसे मिलने आ रहे हैं?” सेवक ने उत्तर दिया, “वे मेरे स्वामी हैं.” यह सुनकर रेबेकाह ने अपना घूंघट लिया और अपने आपको ढांप लिया. तब सेवक ने यित्सहाक को वे सब बातें बताई, जो उसने किया था. तब यित्सहाक रेबेकाह को अपनी मां साराह के तंबू में ले आया, और उसने रेबेकाह से शादी की. वह उसकी पत्नी हो गई, और उसने उससे प्रेम किया; इस प्रकार यित्सहाक को उसकी माता की मृत्यु के बाद सांत्वना मिली.