उत्पत्ति 24:1-34
उत्पत्ति 24:1-34 पवित्र बाइबल (HERV)
इब्राहीम बहुत बुढ़ापे तक जीवित रहा। यहोवा ने इब्राहीम को आशीर्वाद दिया और उसके हर काम में उसे सफलता प्रदान की। इब्राहीम का एक बहुत पुराना नौकर था जो इब्राहीम का जो कुछ था उसका प्रबन्धक था। इब्राहीम ने उस नौकर को बुलाया और कहा, “अपने हाथ मेरी जांघों के नीचे रखो। अब मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे एक वचन दो। धरती और आकाश के परमेश्वर यहोवा के सामने तुम वचन दो कि तुम कनान की किसी लड़की से मेरे पुत्र का विवाह नहीं होने दोगे। हम लोग उनके बीच रहते हैं, किन्तु एक कनानी लड़की से उसे विवाह न करने दो। तुम मेरे देश और मेरे अपने लोगों में लौटकर जाओ। वहाँ मेरे पुत्र इसहाक के लिए एक दुल्हन खोजो। तब उसे यहाँ उसके पास लाओ।” नौकर ने उससे कहा, “यह हो सकता है कि वह दुल्हन मेरे साथ इस देश में लौटना न चाहे। तब, क्या मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारी जन्मभूमि को ले जाऊँ?” इब्राहीम ने उससे कहा, “नहीं, तुम हमारे पुत्र को उस देश में न ले जाओ। यहोवा, स्वर्ग का परमेश्वर मुझे मेरी जन्मभूमि से यहाँ लाया। वह देश मेरे पिता और मेरे परिवार का घर था। किन्तु यहोवा ने यह वचन दिया कि वह नया प्रदेश मेरे परिवार वालों का होगा। यहोवा अपना एक दूत तुम्हारे सामने भेजे जिससे तुम मेरे पुत्र के लिए दुल्हन चुन सको। किन्तु यदि लड़की तुम्हारे साथ आना मना करे तो तुम अपने वचन से छुटकारा पा जाओगे। किन्तु तुम मेरे पुत्र को उस देश में वापस मत ले जाना।” इस प्रकार नौकर ने अपने मालिक की जांघों के नीचे अपना हाथ रखकर वचन दिया। नौकर ने इब्राहीम के दस ऊँट लिए और उस जगह से वह चला गया। नौकर कई प्रकार की सुन्दर भेंटें अपने साथ ले गया। वह नाहोर के नगर मेसोपोटामिया को गया। वह नगर के बाहर के कुएँ पर ग्या। यह बात शाम को हुई जब स्त्रियाँ पानी भरने के लिए बाहर आती हैं। नौकर ने वहीं ऊँटों को घुटनों के बल बिठाया। नौकर ने कहा, “हे यहोवा, तू मेरे स्वामी इब्राहीम का परमेश्वर है। आज तू उसके पुत्र के लिए मुझे एक दुल्हन प्राप्त करा। कृप्या मेरे स्वामी इब्राहीम पर यह दया कर। मैं यहाँ इस जल के कुएँ के पास खड़ा हूँ और पानी भरने के लिए नगर से लड़कियाँ आ रहीं हैं। मैं एक विशेष चिन्ह की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जिससे मैं जान सकूँ कि इसहाक के लिए कौन सी लड़की ठीक है। यह विशेष चिन्ह है: मैं लड़की से कहूँगा ‘कृपा कर आप घड़े को नीचे रखें जिससे मैं पानी पी सकूँ।’ मैं तब समझूँगा कि यह ठीक लड़की है जब वह कहेगी, ‘पीओ, और मैं तुम्हारे ऊँटों के लिए भी पानी दूँगी।’ यदि ऐसा होगा तो तू प्रमाणित कर देगा कि इसहाक के लिए यह लड़की ठीक है। मैं समझूँगा कि तूने मेरे स्वामी पर कृपा की है।” तब नौकर की प्रार्थना पूरी होने के पहले ही रिबका नाम की एक लड़की कुएँ पर आई। रिबका बतूएल की पुत्री थी। (बतूएल इब्राहीम के भाई नाहोर और मिल्का का पुत्र था।) रिबका अपने कंधे पर पानी का घड़ा लेकर कुएँ पर आई थी। लड़की बहुत सुन्दर थी। वह कुँवारी थी। वह किसी पुरुष के साथ कभी नहीं सोई थी। वह अपना घड़ा भरने के लिए कुएँ पर आई। तब नौकर उसके पास तक दौड़ कर गया और बोला, “कृप्या करके अपने घड़े से पीने के लिए थोड़ा जल दें।” रिबका ने जल्दी कंधे से घड़े को नीचे उतारा और उसे पानी पिलाया। रिबका ने कहा, “महोदय, यह पिएँ।” ज्यों ही उसने पीने के लिए कुछ पानी देना खत्म किया, रिबका ने कहा, “मैं आपके ऊँटों को भी पानी दे सकती हूँ।” इसलिए रिबका ने झट से घड़े का सारा पानी ऊँटों के लिए बनी नाद में उंड़ेल दिया। तब वह और पानी लाने के लिए कुएँ को दौड़ गई और उसने सभी ऊँटों को पानी पिलाया। नौकर ने उसे चुप—चाप ध्यान से देखा। वह तय करना चाहता था कि यहोवा ने शायद बात मान ली है और उसकी यात्रा को सफल बना दिया है। जब ऊँटों ने पानी पी लिया तब उसने रिबका को चौथाई औंस तौल कर एक सोने की अँगूठी दी। उसने उसे दो बाजूबन्द भी दिए जो तौल में हर एक पाँच औंस थे। नौकर ने पूछा, “तुम्हारा पिता कौन है? क्या तुम्हारे पिता के घर में इतनी जगह है कि हम सब के रहने तथा सोने का प्रबन्ध हो सके?” रिबका ने उत्तर दिया, “मेरे पिता बतूएल हैं जो मिल्का और नाहोर के पुत्र हैं।” तब उसने कहा, “और हाँ हम लोगों के पास तुम्हारे ऊँटों के लिए चारा है और तुम्हारे लिए सोने की जगह है।” नौकर ने सिर झुकाया और यहोवा की उपासना की। नौकर ने कहा, “मेरे मालिक इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा की कृपा है। यहोवा हमारे मालिक पर दयालु है। यहोवा ने मुझे अपने मालिक के पुत्र के लिए सही दुल्हन दी है।” तब रिबका दौड़ी और जो कुछ हुआ था अपने परिवार को बताया। रिबका का एक भाई था। उसका नाम लाबान था। रिबका ने उसे वे बातें बताईं जो उससे उस व्यक्ति ने की थीं। लाबान उसकी बातें सुन रहा था। जब लाबान ने अँगूठी और बहन की बाहों पर बाजूबन्द देखा तो वह दौड़कर कुएँ पर पहुँचा और वहाँ वह व्यक्ति कुएँ के पास, ऊँटों के बगल में खड़ा था। लाबान ने कहा, “महोदय, आप पधारें आपका स्वागत है। आपको यहाँ बाहर खड़ा नहीं रहना है। मैंने आपके ऊँटों के लिए एक जगह बना दी है और आपके सोने के लिए एक कमरा ठीक कर दिया है।” इसलिए इब्राहीम का नौकर घर में गया। लाबान ने ऊँटों और उस की मदद की और ऊँटों को खाने के लिए चारा दिया। तब लाबान ने पानी दिया जिससे वह व्यक्ति तथा उसके साथ आए हुए दूसरे नौकर अपने पैर धो सकें। तब लाबान ने उसे खाने के लिए भोजन दिया। लेकिन नौकर ने भोजन करना मना किया। उसने कहा, “मैं तब तक भोजन नहीं करूँगा जब तक मैं यह न बता दूँ कि मैं यहाँ किस लिए आया हूँ।” इसलिए लाबान ने कहा, “तब हम लोगों को बताओ।” नौकर ने कहा, “मैं इब्राहीम का नौकर हूँ।
उत्पत्ति 24:1-34 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
अब्राहम वृद्ध थे। उनकी आयु पक चुकी थी। प्रभु ने उन्हें सब प्रकार की आशिष दी थी। एक दिन अब्राहम ने अपने घर के सबसे बूढ़े और अपनी सम्पत्ति का प्रबन्ध करने वाले सेवक से कहा, ‘अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो। मैं तुम्हें स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु परमेश्वर की शपथ खिलाता हूँ कि तुम मेरे पुत्र के लिए कनानी जाति की कन्याओं में से, जिनके देश में मैं निवास करता हूँ, वधू नहीं लाओगे। वरन् तुम मेरी जन्म-भूमि में मेरे कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिए वधू लाओगे।’ सेवक ने उनसे कहा, ‘कदाचित् वह कन्या मेरे साथ इस देश में आना न चाहे। तब क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में, जहाँ से आप आए हैं, ले जा सकता हूँ?’ अब्राहम ने उससे कहा, ‘सावधान, तुम मेरे पुत्र को वहाँ कदापि वापस न ले जाना। स्वर्ग का प्रभु परमेश्वर मुझे पितृगृह और मेरी जन्मभूमि से निकालकर लाया है। उसने मुझसे कहा था; उसने मुझसे यह शपथ खाई थी, “मैं यह देश तेरे वंश को दूंगा।” वही प्रभु परमेश्वर अपने दूत को तुम्हारे मार्ग-दर्शन के लिए भेजेगा कि तुम मेरे पुत्र के लिए वहीं से वधू लाओ। यदि कन्या तुम्हारे साथ आना न चाहे तो तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे। पर तुम मेरे पुत्र को वहाँ कदापि वापस न ले जाना।’ सेवक ने अपने स्वामी अब्राहम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा, और इस आदेश के अनुसार शपथ खाई। सेवक अपने स्वामी अब्राहम के ऊंटों में से दस ऊंट और सर्वोत्तम भेंट लेकर उन के भाई नाहोर के नगर को चला गया जो उत्तर-मेसोपोतामिया देश में था। उसने नगर के द्वार पर पहुंचकर एक कुएं के पास अपने ऊंटों को बैठाया। सन्ध्या का समय था। ऐसे समय स्त्रियां कुएं से पानी भरने निकलती थीं। सेवक ने कहा, ‘हे प्रभु, मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर! मुझे आज सफलता प्रदान कर। मैं विनती करता हूँ। मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर। देख, मैं झरने पर खड़ा हूँ, और नगर निवासियों की पुत्रियाँ जल भरने को बाहर निकल रही हैं। अब ऐसा हो कि जिस कन्या से मैं कहूँ, “कृपया अपना घड़ा नीचे करो कि मैं पानी पीऊं” , और वह उत्तर दे, “आप पानी पीजिए। मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिलाऊंगी,” तो वह वही कन्या हो जिसे तूने अपने सेवक इसहाक के लिए चुना है। इससे मैं जान लूंगा कि तूने मेरे स्वामी पर करुणा की है।’ उसने बोलना समाप्त नहीं किया था कि रिबका अपने कन्धे पर घड़ा रखे हुए बाहर आई। वह अब्राहम के भाई नाहोर और उसकी पत्नी मिल्का के पुत्र बतूएल की पुत्री थी। वह कन्या देखने में बहुत सुन्दर थी। वह कुंवारी थी। अभी उसका विवाह नहीं हुआ था। वह झरने पर गई। उसने घड़ा भरा और ऊपर आई। अब्राहम का सेवक उससे भेंट करने को दौड़ा, और उससे बोला, ‘कृपया, मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिलाओ।’ उसने कहा, ‘महाशय, अवश्य पीजिए।’ उसने अविलम्ब अपना घड़ा अपने हाथ पर उतारकर उसे पानी पिलाया। जब वह उसे पानी पिला चुकी तब बोली, ‘जब तक आपके ऊंट पानी न पी लें, मैं उनके लिए पानी भरूंगी।’ उसने शीघ्रता से घड़े का जल नांद में उण्डेल कर खाली किया और फिर जल भरने को कुएं पर दौड़कर गई। उसने सब ऊंटों के लिए कुएं से पानी खींचा। सेवक टकटकी लगाकर उसे देखता रहा। वह यह बात जानने को चुप था कि क्या प्रभु ने उसकी यात्रा सफल की है अथवा नहीं। जब सब ऊंट पानी पी चुके तब सेवक ने छ: ग्राम सोने की एक नथ, और उसके हाथों के लिए एक सौ बीस ग्राम के दो स्वर्ण कंगन लेकर उसको पहिनाए। उसने उससे पूछा, ‘कृपया, मुझे बताओ, तुम किसकी पुत्री हो? क्या तुम्हारे पिता के घर में हमारे ठहरने के लिए स्थान है?’ उसने उत्तर दिया, ‘मैं नाहोर और मिल्का के पुत्र बतूएल की पुत्री हूँ।’ उसने आगे कहा, ‘हमारे पास पशुओं के लिए पर्याप्त पुआल और चारा है, और आपके ठहरने के लिए स्थान भी।’ सेवक ने सिर झुकाया और प्रभु की वन्दना करके कहा, ‘हे मेरे स्वामी अब्राहम के प्रभु परमेश्वर, तू धन्य है! तूने अपनी करुणा और सच्चाई मेरे स्वामी से नहीं हटाई। प्रभु, तूने मेरे स्वामी के कुटुम्बी के घर तक मार्ग में मेरी अगुआई की।’ कन्या ने दौड़कर अपनी मां के घर में सब को ये बातें बताईं। रिबका का एक भाई था। उसका नाम लाबान था। जब लाबान ने नथ और रिबका के हाथों में कंगन देखे और उसके ये शब्द सुने, ‘उस मनुष्य ने मुझसे ऐसी बातें कहीं,’ तब वह बाहर कुएं की ओर सेवक के पास दौड़ कर गया। उसने उसे झरने पर अपने ऊंटों के पास खड़ा देखा। लाबान ने उससे कहा, ‘प्रभु के धन्य पुरुष, आप बाहर क्यों खड़े हैं? आइए। मैंने आपके लिए घर और आपके ऊंटों के लिए स्थान तैयार किया है।’ अब्राहम का सेवक घर में आया। लाबान ने ऊंटों की काठियां खोलकर उनके आगे पुआल और चारा डाला। उसने सेवक और उसके साथियों को पैर धोने के लिए जल दिया। तत्पश्चात् सेवक के सम्मुख खाने के लिए भोजन परोसा गया। परन्तु सेवक ने कहा, ‘नहीं, जब तक मैं अपना सन्देश नहीं सुना लूँगा तब तक भोजन नहीं करूँगा।’ लाबान ने कहा, ‘सुनाइए।’ सेवक ने कहा, ‘मैं अब्राहम का सेवक हूँ।
उत्पत्ति 24:1-34 Hindi Holy Bible (HHBD)
इब्राहीम वृद्ध था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी। सो इब्राहीम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रख: और मुझ से आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिनके बीच मैं रहता हूं, किसी को न ले आएगा। परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जा कर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा। दास ने उससे कहा, कदाचित वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहां से तू आया है ले जाना पड़ेगा? इब्राहीम ने उससे कहा, चौकस रह, मेरे पुत्र को वहां कभी न ले जाना। स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्मभूमि से ले आकर मुझ से शपथ खाकर कहा, कि मैं यह देश तेरे वंश को दूंगा; वही अपना दूत तेरे आगे आगे भेजेगा, कि तू मेरे पुत्र के लिये वहां से एक स्त्री ले आए। और यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा: पर मेरे पुत्र को वहां न ले जाना। तब उस दास ने अपने स्वामी इब्राहीम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इसी विषय की शपथ खाई। तब वह दास अपने स्वामी के ऊंटो में से दस ऊंट छांटकर उसके सब उत्तम उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ ले कर चला: और मसोपोटामिया में नाहोर के नगर के पास पहुंचा। और उसने ऊंटों को नगर के बाहर एक कुएं के पास बैठाया, वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियां जल भरने के लिये निकलती हैं। सो वह कहने लगा, हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर, यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी इब्राहीम पर करूणा कर। देख मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूं; और नगरवासियों की बेटियां जल भरने के लिये निकली आती हैं: सो ऐसा होने दे, कि जिस कन्या से मैं कहूं, कि अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊं; और वह कहे, कि ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊंटो को भी पीलाऊंगी: सो वही हो जिसे तू ने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूंगा कि तू ने मेरे स्वामी पर करूणा की है। और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो इब्राहीम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र, बतूएल की बेटी थी, वह कन्धे पर घड़ा लिये हुए आई। वह अति सुन्दर, और कुमारी थी, और किसी पुरूष का मुंह न देखा था: वह कुएं में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फिर ऊपर आई। तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे। उसने कहा, हे मेरे प्रभु, ले, पी ले: और उसने फुर्ती से घड़ा उतार कर हाथ में लिये लिये उसको पिला दिया। जब वह उसको पिला चुकी, तक कहा, मैं तेरे ऊंटों के लिये भी तब तक पानी भर भर लाऊंगी, जब तक वे पी न चुकें। तब वह फुर्ती से अपने घड़े का जल हौदे में उण्डेल कर फिर कुएं पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊंटों के लिये पानी भर दिया। और वह पुरूष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था, कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं। जब ऊंट पी चुके, तब उस पुरूष ने आध तोले सोने का एक नथ निकाल कर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहिना दिए; और पूछा, तू किस की बेटी है? यह मुझ को बता दे। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है? उसने उत्तर दिया, मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूं। फिर उस ने उस से कहा, हमारे यहां पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है। तब उस पुरूष ने सिर झुका कर यहोवा को दण्डवत करके कहा, धन्य है मेरे स्वामी इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा, कि उसने अपनी करूणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया: यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चला कर मेरे स्वामी के भाई बन्धुओं के घर पर पहुचा दिया है। और उस कन्या ने दौड़ कर अपनी माता के घर में यह सारा वृत्तान्त कह सुनाया। तब लाबान जो रिबका का भाई था, सो बाहर कुएं के निकट उस पुरूष के पास दौड़ा गया। और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ और अपनी बहिन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी, कि उस पुरूष ने मुझ से ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरूष के पास गया; और क्या देखा, कि वह सोते के निकट ऊंटों के पास खड़ा है। उसने कहा, हे यहोवा की ओर से धन्य पुरूष भीतर आ: तू क्यों बाहर खड़ा है? मैं ने घर को, और ऊंटो के लिये भी स्थान तैयार किया है। और वह पुरूष घर में गया; और लाबान ने ऊंटों की काठियां खोल कर पुआल और चारा दिया; और उसके, और उसके संगी जनो के पांव धोने को जल दिया। तब इब्राहीम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया: पर उसने कहा मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूं, तब तक कुछ न खाऊंगा। लाबान ने कहा, कह दे। तब उसने कहा, मैं तो इब्राहीम का दास हूं।
उत्पत्ति 24:1-34 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
अब्राहम अब वृद्ध हो गया था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी। अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, “अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख; और मुझ से आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न लाएगा। परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा।” दास ने उससे कहा, “कदाचित् वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहाँ से तू आया है ले जाना पड़ेगा?” अब्राहम ने उससे कहा, “चौकस रह, मेरे पुत्र को वहाँ कभी न ले जाना। स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्म–भूमि से ले आकर मुझ से शपथ खाई और कहा कि मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा, वही अपना दूत तेरे आगे आगे भेजेगा कि तू मेरे पुत्र के लिये वहाँ से एक स्त्री ले आए। परन्तु यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा; पर मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना।” तब उस दास ने अपने स्वामी अब्राहम की जाँघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इस विषय की शपथ खाई। तब वह दास अपने स्वामी के ऊँटों में से दस ऊँट छाँटकर, उसके सब उत्तम–उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ लेकर चला; और मेसोपोटामिया में नाहोर के नगर के पास पहुँचा। उसने ऊँटों को नगर के बाहर एक कुएँ के पास बैठाया। वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियाँ जल भरने के लिये निकलती हैं। वह कहने लगा, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर। देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूँ; और नगरवासियों की बेटियाँ जल भरने के लिये निकली आती हैं : इसलिये ऐसा होने दे कि जिस कन्या से मैं कहूँ, ‘अपना घड़ा मेरी ओर झुका कि मैं पीऊँ,’ और वह कहे, ‘ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ : यह वही हो जिसे तू ने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूँगा कि तू ने मेरे स्वामी पर करुणा की है।” और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो अब्राहम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी थी, वह कन्धे पर घड़ा लिये हुए आई। वह अति सुन्दर और कुमारी थी, और किसी पुरुष का मुँह न देखा था। वह कुएँ में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फिर ऊपर आई। तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, “अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे।” उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, ले, पी ले,” और उसने जल्दी से घड़ा उतारकर हाथ में लिये लिये उसको पिला दिया। जब वह उसको पिला चुकी, तब कहा, “मैं तेरे ऊँटों के लिये भी तब तक पानी भर भर लाऊँगी, जब तक वे पी न चुकें।” तब वह तुरन्त अपने घड़े का जल हौदे में उण्डेलकर फिर कुएँ पर भरने को दौड़ गई, और उसके सब ऊँटों के लिये पानी भर दिया। वह पुरुष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं। जब ऊँट पी चुके, तब उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नथ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहिना दिए; और पूछा, “तू किसकी बेटी है, यह मुझ को बता। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है?” उसने उत्तर दिया, “मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ।” फिर उसने उससे कहा, “हमारे यहाँ पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है।” तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा, “धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपनी करुणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया; यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चलाकर मेरे स्वामी के भाई–बन्धुओं के घर पर पहुँचा दिया है।” तब उस कन्या ने दौड़कर अपनी माता के घर में यह सारा वृत्तान्त कह सुनाया। तब लाबान जो रिबका का भाई था, बाहर कुएँ के निकट उस पुरुष के पास दौड़ा गया। और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ और अपनी बहिन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी कि उस पुरुष ने मुझ से ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरुष के पास गया; और क्या देखा कि वह सोते के निकट ऊँटों के पास खड़ा है। उसने कहा, “हे यहोवा की ओर से धन्य पुरुष, भीतर आ। तू क्यों बाहर खड़ा है? मैं ने घर को, और ऊँटों के लिये भी स्थान तैयार किया है।” इस पर वह पुरुष घर में गया; और लाबान ने ऊँटों की काठियाँ खोलकर उन्हें पुआल और चारा दिया, और उसके और उसके साथियों के पाँव धोने को जल दिया। तब अब्राहम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया; पर उसने कहा, “मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूँ, तब तक कुछ न खाऊँगा।” लाबान ने कहा, “कह दे।” तब उसने कहा, “मैं तो अब्राहम का दास हूँ।
उत्पत्ति 24:1-34 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
अब्राहम अब वृद्ध हो गया था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी। अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, “अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख; और मुझसे आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न लाएगा। परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा।” दास ने उससे कहा, “कदाचित् वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहाँ से तू आया है ले जाना पड़ेगा?” अब्राहम ने उससे कहा, “चौकस रह, मेरे पुत्र को वहाँ कभी न ले जाना।” स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्म-भूमि से ले आकर मुझसे शपथ खाकर कहा कि “मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा; वही अपना दूत तेरे आगे-आगे भेजेगा, कि तू मेरे पुत्र के लिये वहाँ से एक स्त्री ले आए। और यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा; पर मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना।” तब उस दास ने अपने स्वामी अब्राहम की जाँघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इस विषय की शपथ खाई। तब वह दास अपने स्वामी के ऊँटों में से दस ऊँट छाँटकर उसके सब उत्तम-उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ लेकर चला; और अरम्नहरैम में नाहोर के नगर के पास पहुँचा। और उसने ऊँटों को नगर के बाहर एक कुएँ के पास बैठाया। वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियाँ जल भरने के लिये निकलती हैं। वह कहने लगा, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर। देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूँ; और नगरवासियों की बेटियाँ जल भरने के लिये निकली आती हैं इसलिए ऐसा होने दे कि जिस कन्या से मैं कहूँ, ‘अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊँ,’ और वह कहे, ‘ले, पी ले, बाद में मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ यह वही हो जिसे तूने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूँगा कि तूने मेरे स्वामी पर करुणा की है।” और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो अब्राहम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र, बतूएल की बेटी थी, वह कंधे पर घड़ा लिये हुए आई। वह अति सुन्दर, और कुमारी थी, और किसी पुरुष का मुँह न देखा था। वह कुएँ में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भरकर फिर ऊपर आई। तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, “अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे।” उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, ले, पी ले,” और उसने फुर्ती से घड़ा उतारकर हाथ में लिये-लिये उसको पानी पिला दिया। जब वह उसको पिला चुकी, तब कहा, “मैं तेरे ऊँटों के लिये भी तब तक पानी भर-भर लाऊँगी, जब तक वे पी न चुकें।” तब वह फुर्ती से अपने घड़े का जल हौद में उण्डेलकर फिर कुएँ पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊँटों के लिये पानी भर दिया। और वह पुरुष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं। जब ऊँट पी चुके, तब उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नत्थ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहना दिए; और पूछा, “तू किसकी बेटी है? यह मुझ को बता। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है?” उसने उत्तर दिया, “मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ।” फिर उसने उससे कहा, “हमारे यहाँ पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है।” तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा, “धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपनी करुणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया: यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चलाकर मेरे स्वामी के भाई-बन्धुओं के घर पर पहुँचा दिया है।” तब उस कन्या ने दौड़कर अपनी माता को इस घटना का सारा हाल बता दिया। तब लाबान जो रिबका का भाई था, बाहर कुएँ के निकट उस पुरुष के पास दौड़ा गया। और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नत्थ और अपनी बहन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी कि उस पुरुष ने मुझसे ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरुष के पास गया; और क्या देखा, कि वह सोते के निकट ऊँटों के पास खड़ा है। उसने कहा, “हे यहोवा की ओर से धन्य पुरुष भीतर आ तू क्यों बाहर खड़ा है? मैंने घर को, और ऊँटों के लिये भी स्थान तैयार किया है।” इस पर वह पुरुष घर में गया; और लाबान ने ऊँटों की काठियाँ खोलकर पुआल और चारा दिया; और उसके और उसके साथियों के पाँव धोने को जल दिया। तब अब्राहम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया; पर उसने कहा “मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूँ, तब तक कुछ न खाऊँगा।” लाबान ने कहा, “कह दे।” तब उसने कहा, “मैं तो अब्राहम का दास हूँ।
उत्पत्ति 24:1-34 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
अब्राहाम बहुत बूढ़े हो गये थे, और याहवेह ने उन्हें सब प्रकार से आशीषित किया था. अब्राहाम ने अपने पुराने सेवक से, जो घर की और पूरे संपत्ति की देखभाल करता था, कहा, “तुम अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो. मैं चाहता हूं कि तुम स्वर्ग एवं पृथ्वी के परमेश्वर याहवेह की शपथ खाओ कि तुम इन कनानियों की पुत्रियों में से, जिनके बीच हम रह रहे हैं, मेरे बेटे की शादी नहीं कराओगे, परंतु तुम मेरे देश में मेरे रिश्तेदारों में से मेरे बेटे यित्सहाक के लिए पत्नी लाओगे.” उस सेवक ने अब्राहाम से पूछा, “उस स्थिति में मैं क्या करूं, जब वह स्त्री इस देश में आना ही न चाहे; क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में ले जाऊं, जहां से आप आए हैं?” इस पर अब्राहाम ने कहा, “तुम मेरे पुत्र को वहां कभी नहीं ले जाना. याहवेह, जो स्वर्ग के परमेश्वर हैं, जो मुझे मेरे पिता के परिवार और मेरी जन्मभूमि से लाये हैं और जिन्होंने शपथ खाकर मुझसे यह वायदा किया, ‘यह देश मैं तुम्हारे वंश को दूंगा’—वे ही स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजेंगे और तुम मेरे पुत्र के लिए वहां से एक पत्नी लेकर आओगे. अगर कन्या तुम्हारे साथ आने के लिए मना करे, तब तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे. लेकिन ध्यान रखना कि तुम मेरे पुत्र को वापस वहां न ले जाना.” इसलिये उस सेवक ने अपने स्वामी अब्राहाम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा और इस बारे में शपथ खाकर अब्राहाम से वायदा किया. तब उस सेवक ने अपने स्वामी के ऊंट के झुंड में से दस ऊंटों को लिया और उन पर अपने स्वामी की ओर से विभिन्न उपहार लादा और नाहोर के गृहनगर उत्तर-पश्चिम मेसोपोतामिया की ओर प्रस्थान किया. नगर के बाहर पहुंचकर उसने ऊंटों को कुएं के पास बैठा दिया; यह शाम का समय था. इसी समय स्त्रियां पानी भरने बाहर आया करती थीं. तब सेवक ने प्रार्थना की, “याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मेरे काम को सफल करें और मेरे स्वामी अब्राहाम पर दया करें. आप देख रहे हैं कि मैं इस पानी के सोते के निकट खड़ा हूं, और इस नगरवासियों की कन्याएं पानी भरने के लिए निकलकर आ रही हैं. आप कुछ ऐसा कीजिए कि जिस कन्या से मैं यह कहूं, ‘अपना घड़ा झुकाकर कृपया मुझे पानी पिला दे,’ और वह कन्या कहे, ‘आप पानी पी लीजिए, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी’—यह वही कन्या हो जिसे आपने अपने सेवक यित्सहाक के लिए चुना है. इसके द्वारा मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि आपने मेरे स्वामी पर अपनी करुणा दिखाई है.” इसके पूर्व कि उसकी प्रार्थना खत्म होती, रेबेकाह नगर के बाहर अपने कंधे पर घड़ा लेकर पानी भरने आई. वह मिलकाह के पुत्र बेथुएल की पुत्री थी और मिलकाह अब्राहाम के भाई नाहोर की पत्नी थी. रेबेकाह बहुत सुंदर थी, कुंवारी थी; अब तक किसी पुरुष से उसका संसर्ग नहीं हुआ था. वह नीचे सोते पर गई, अपना घड़ा पानी से भरा और फिर ऊपर आ गई. सेवक दौड़कर उसके निकट आया और उससे कहा, “कृपया अपने घड़े से मुझे थोड़ा पानी पिला दो.” रेबेकाह ने कहा, “हे मेरे प्रभु लीजिए, पीजिये” और उसने तुरंत घड़े को नीचे करके उसे पानी पिलाया. जब वह सेवक को पानी पिला चुकी, तब रेबेकाह ने उससे कहा, “मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी लेकर आती हूं, जब तक वे पूरे तृप्त न हो जाएं.” उसने बिना देर किए घड़े का पानी हौदे में उंडेलकर वापस सोते पर और पानी भरने गई, और उसके सारे ऊंटों के लिये पर्याप्त पानी ले आई. जब यह सब हो रहा था, बिना एक शब्द कहे, उस सेवक ध्यान से रेबेकाह को देखकर सोच रहा था कि याहवेह ने उसकी यात्रा को सफल किया है या नहीं. जब ऊंटों ने पानी पी लिया, तब सेवक ने आधा शेकेल सोने की एक नथ और दस शेकेल सोने के दो कंगन निकाला. और रेबेकाह को देकर उससे पूछा, “तुम किसकी बेटी हो? कृपया मुझे बताओ, क्या तुम्हारे पिता के घर में इस रात ठहरने के लिए जगह है?” रेबेकाह ने उत्तर दिया, “मैं नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र बेथुएल की बेटी हूं.” और उसने यह भी कहा, “हमारे यहां घास और चारा बहुत है, और रात में ठहरने के लिये जगह भी है.” तब उस सेवक ने झुककर और यह कहकर याहवेह की आराधना की, “धन्य हैं याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, जिन्होंने मेरे स्वामी के प्रति अपने प्रेम और करुणा को नहीं हटाया. याहवेह मुझे सही जगह पर लाये जो मेरे स्वामी के रिश्तेदारों का ही घर है.” वह कन्या दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता के घर के लोगों को सब बातें बताई. रेबेकाह के भाई लाबान दौड़कर कुएं के पास गए जहां सेवक था. जब उसने नथ और अपनी बहन के हाथों में कंगन देखा और जो बात सेवक ने कही थी, उसे सुनी, तब वह उस सेवक के पास गया, और देखा कि वह सेवक सोते के निकट ऊंटों के बाजू में खड़ा है. लाबान ने सेवक से कहा, “हे याहवेह के आशीषित जन, मेरे साथ चलिए! आप यहां बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने घर को, और ऊंटों के ठहरने के लिये भी जगह तैयार की है.” वह सेवक लाबान के साथ घर आया और ऊंटों पर से सामान उतारा गया. ऊंटों के लिये पैंरा और चारा लाया गया. सेवक तथा उसके साथ के लोगों के लिये पैर धोने हेतु पानी दिया गया. तब सेवक को खाना दिया गया, पर उसने कहा, “मैं तब तक भोजन न करूंगा, जब तक कि मैं अपने आने का प्रयोजन न बता दूं.” लाबान ने कहा, “ठीक है, बता दें.” तब उसने कहा, “मैं अब्राहाम का सेवक हूं.